सीईपीसी की निर्यातकों से मशीनमेड को हैंडमेड कालीन बताकर न बेंचने की सलाह
इससे न
सिर्फ
कारपेट
इंडस्ट्री,
बल्कि
देश
की
भी
बदनामी
होती
है
: चेयरमैन
कुलदीप
राज
वट्ठल
सुरेश गांधी
वाराणसी। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के प्रशासनिक समिति
की बैठक में जम्मू-कश्मीर सहित अन्य इलाके
के कुछ निर्यातकों द्वारा
मशीनमेड को हैंडमेड कालीन
बताकर बेचे जाने की
शिकायत पर नाराजगी व्यक्त
की गयी। बैठक में
ऐसा करने वाले निर्यातकों
से अपील की गयी
है कि वे मशीन
निर्मित कालीनों को हाथ से
बने कालीन बताकर खरीदारों को ना बेचें,
इससे न सिर्फ इंडस्ट्री
की बदनामी होती है, बल्कि
देश की भी छबि
खराब होती है।
सीईपीसी चेयरमैन कुलदीप राज वट्ठल ने
कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर के निर्यातकों से
शिकायत मिली है कि
कुछ निर्यातक मशीनमेड कालीनों को हैंडमेड कालीन
बताकर धड़ल्ले से विदेशी खरीदारों
को बेच रहे है,
जो गलत है। उनकी
सलाह है कि निर्यातक
हैंडमेड को हैंडमेड व
मशीनमेड को मशीनमेड कालीन
बताकर ही बिक्री करें।
उनकी अपील है कि
निर्यातक इस तरह के
हरकतों से दूरी बनाएं,
वर्ना मंदी के दौर
से गुजर रहे हस्तनिर्मित
उद्योगों पर इसका बुरा
प्रभाव पड़ेगा, बल्कि फर्मो में ताले लगने
की भी नौबत आ
सकती है। इसलिए हस्तनिर्मित
कालीनों की आड़ में
मशीन से बने कालीन
को बेचने से बचें, अन्यथा
व्यापार इसका दूरगामी दुष्प्रभाव
पड़ेगा। इसके अलावा उन्होंने
निर्यातकों से अपने हस्तनिर्मित
कालीनों के जीआई टैगिंग,
परीक्षण और प्रमाणन के
लिए विभाग से संपर्क करने
का आग्रह किया हैं। क्योंकि
इससे इंडस्ट्री की समृद्ध विरासत
की छवि खराब हो
रही है। उनका कहना
है कि मशीन से
बने तुर्की कालीनों को पर्यटकों और
अन्य खरीदारों को कश्मीरी हाथ
से बुने कालीनों के
रूप में बेचा जा
रहा है, जिससे देश
की छवि खराब हो
रही है।
निर्यातकों से उनकी अपील
है कि उत्कृष्ट हस्तनिर्मित
उत्पादों की बिक्री को
बढ़ावा देने के लिए
वे अपने उत्पादों के
भौगोलिक संकेत (जीआई) टैगिंग, परीक्षण और प्रमाणन के
लिए हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग
से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि स्थिति
की गंभीरता को समझते हुए,
बैठक में सर्वसम्मति से
निर्णय लिया गया कि
इस मामले को कपड़ा मंत्रालय
(एमओटी) और प्रधान मंत्री
कार्यालय (पीएमओ) सहित सर्वोच्च अधिकारियों
तक पहुंचाया, ताकि इस तरह
के धोखाधड़ी वाले व्यापार को
रोका जा सके। उनका
कहना है कि इस
तरह की अनियमितताओं के
खिलाफ सख्त कार्रवाई करने
के लिए, समिति भारत
सरकार को एक समर्पित
प्रवर्तन दल के गठन
की सिफारिश करेगी, जो छापे मारने
और उन व्यवसायों के
खिलाफ कार्रवाई करने के लिए
जिम्मेदार होगा, जिन पर मशीन
से बने कालीन बेचने
का संदेह है या जो
ऐसा करते पाए गए
हैं।
सीईपीसी के चेयरमेन कुलदीप
राज वट्टल, जम्मू और कश्मीर के
सीओए सदस्यों शेख आशिक, शौकत
खान और मेराज जान
और अन्य क्षेत्रों के
सदस्यों ने हस्तनिर्मित कालीनों
की प्रामाणिकता को संरक्षित करने
और उन कारीगरों की
सुरक्षा के लिए परिषद
की अटूट प्रतिबद्धता की
पुष्टि की, जिनकी आजीविका
इस पारंपरिक शिल्प पर निर्भर करती
है। सीईपीसी भारत की हस्तनिर्मित
कालीनों की समृद्ध विरासत
को बढ़ावा देने और उसकी
रक्षा करने के लिए
समर्पित है। इसके अलावा
यह सुनिश्चित करने के लिए
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सक्रिय
रूप से समर्थन और
सहयोग करेगी कि इस तरह
के अनुचित व्यापार प्रथाओं को समाप्त किया
जाएं। यह भ्रामक प्रथा
भारत के हस्तनिर्मित कालीन
उद्योग की प्रतिष्ठा को
गंभीर नुकसान पहुंचा रही है और
हजारों कारीगरों, बुनकरों, खासकर कश्मीर क्षेत्र के लोगों की
आजीविका को खतरे में
डाल रही है।
No comments:
Post a Comment