एलर्जी, सर्दी, जुकाम, बुखार के साथ स्कीन इंफेक्शन के मरीजों की आई बाढ़
त्वचा में
जलन,
लाल
होना,
सूजन...ये
वायरल
इंफेक्शन
है
डाक्टरों ने
कहा,
गर्मी
और
ठंडी
हवा
के
बीच
त्वचा
में
इंफेक्शन
की
समस्या
आम
हो
जाती
है
मार्च से
अप्रैल
के
बीच
वाले
मौसम
में
संक्रमण
तेजी
से
फैलता
है
इस मौसम
में
नमी
का
स्तर
बढ़ने
से
त्वचा
पर
बैक्टीरिया
और
वायरस
का
प्रभाव
बढ़
जाता
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। बदलते मौसम के साथ बीमारियों और संक्रमण का बढ़ना नई बात नहीं है। खासकर जब अचानक मौसम में बदलाव से नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव हो। खास यह है कि इस वक्त प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा हुआ है। इन सभी कारणों से एलर्जी, सर्दी, जुकाम, बुखार और गले में खराश जैसी समस्याएं हो रही हैं। इसके अलावा कभी ठंड कभी गर्म के चलते सर्दी, खांसी, बुखार के साथ स्कीन इंफेक्शन के मरीजों की संख्या हाल के दिनों में अस्पतालों के ओपीडी में तेजी से बढ़ी है। शीत-गर्म के कारण चकत्ते पड़ना, तेज धूप में जाने से त्वचा में जलन या लाल होना, खुजली, सुजन जैसी समस्याएं लोगों को हो रही है। संक्रमितों में छोटे बच्चे, बुजुर्ग और युवा भी शामिल हैं।
चिकित्सकों का कहना है
कि इसमें कई तरह के
एलर्जी के संपर्क में
आने का जोखिम बढ़
जाता है. इससे वायरस
और बीमारियों का सामान्य से
ज़्यादा तेज़ी से फैलना
आसान हो जाता है.
इस दौरान बच्चे अक्सर खांसी, बुखार, फ्लू और संक्रमण
जैसी मौसमी बीमारियों से जूझते हुए
पाते हैं. हाल के
दिनों में ओपीडी में
स्कीन इंफेक्शन के मरीजों की
संख्या दुगुनी हो गयी है।
वायरस और वैक्टीरियां से
त्वचा का संक्रमण हो
रहा है। यह संक्रमण
विशेषकर उन लोगों को
अपनी चपेट में ले
रहा है जिनकी इम्युनिटी
पावर कमजोर है। या बाहरी
व प्रदूषित वातावरण के संपर्क में
आते है।
चिकित्सकों का कहना है कि इस दौरान मौसमी फ्लू के मामले भी बढ़ने शुरू हो जाते हैं, जिससे मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है। जगह-जगह पानी जमने से बैक्टीरिया व वायरस पनपने लगते हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। बुखार हमें यह संकेत देता है कि शरीर में कुछ परेशानी है। बदलते मौसम के कारण बच्चे कई तरह की बीमारियों और वायरल इंफेक्शन के शिकार हो जाते हैं. वायरल इंफेक्शन के कारण लोग मूडी होने लगते हैं. इससे उन्हें बेचैनी हो सकती है और वे निराश, चिड़चिड़े और मूडी हो सकते हैं.
बच्चों को इन मौसमी बदलावों से बचाने के लिए उनके रोजमर्रा के पोषण लक्ष्यों को पूरा करने पर ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है. इससे उनकी इम्युनिटी मज़बूत करने में मदद मिल सकती है जो इन स्वास्थ्य समस्याओं से ढाल के रूप में काम कर सकती है. माता-पिता को अपने रोजमर्रा की डाइट में ऐसे फूड आइटम को शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए जिनमें विशेष रूप से इम्युनिटी बढ़ाने और पोषक तत्व होते हैं. इससे उन्हें अपने बच्चों को अचानक मौसम परिवर्तन के लिए तैयार करने में मदद मिल सकती है और वे स्वस्थ और फिट रह सकते हैं.
चिकित्सकों
का कहना है कि
जब मौसम में लगातार
परिवर्तन होता है, तो
ऐसे में वायरल इन्फेक्शन
का डर ज्यादा बढ़
जाता है. इनफेक्शंस से
बचने के लिए आपकी
डाइट बैलेंस होना सबसे ज्यादा
जरूरी है. इसके लिए
आपको सारे फूड ग्रुप्स
लेना आवश्यक हो जाता है.
इसमें मौसमी फल का सेवन
सबसे लाभदायक माना जाता है.
इसके साथ इस मौसम
में हरी सब्जियां का
सेवन भी लाभदायक माना
जाता है. मेथी, पालक
और बथुआ जैसी हरी
भाजी स्वास्थ्य ठीक रखने में
सबसे अच्छी मानी जाती है.
बैलेंस डाइट का होना
बहुत जरूरी माना जाता है.
यदि आप सुबह के
समय नष्ट कर रहे
हैं तो दिन में
लंच या रात को
डिनर स्किप नहीं करना है.
दिन के समय खाने
के साथ दही का
इस्तेमाल कर सकते हैं.
वहीं रात को सब्जियों
के सूप या हरी
सब्जियों का सेवन जरूर
किया जाना चाहिए.
इम्युनिटी बढ़ाएं
पत्तेदार सब्जियां
: विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट
से भरपूर पालक, केल और स्विस
चार्ड जैसी पत्तेदार हरी
सब्जियां प्रतिरक्षा सुरक्षा को मजबूत करने
के लिए आवश्यक हैं.
एक अध्ययन के मुताबिक, हरी
पत्तेदार सब्जियां डाइटरी नाइट्रेट से भरपूर होती
हैं, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी
गुणों वाला एक कार्बनिक
कम्पाउंड है और प्रतिरक्षा
प्रणाली को मजबूत करने
में मदद करता है.
खट्टे फल
: मौसमी फल खाने से
आप मौसम परिवर्तन के
दौरान स्वस्थ और रोग मुक्त
रह सकते हैं. संतरे,
नींबू और अंगूर हमारे
टेस्ट बड में तीखी
मिठास जोड़ते हैं और विटामिन
सी से भरपूर होने
के कारण इम्युनिटी को
बढ़ाते हैं और संक्रमण
से बचाते हैं.
जामुन : ताजा जामुन - ब्लूबेरी,
स्ट्रॉबेरी और रास्पबेरी - न
केवल रसदार और स्वादिष्ट होते
हैं, बल्कि एंटीऑक्सिडेंट से भी भरे
होते हैं, जो ऑक्सीडेटिव
स्ट्रेस से निपटने और
इम्युनिटी को बूस्ट करने
में मदद करते हैं.
अदरक : मसाले संक्रमण को रोकने और
सूजन से निपटने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
अदरक की तीखी गर्माहट
को अपनाएं, जो अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल
गुणों के लिए बेशकीमती
है, जो मौसमी बीमारियों
के खिलाफ मजबूत होने के लिए
आपको तैयार करते हैं.
लहसुनः लहसुन की तीखी शक्ति
का इस्तेमाल करें, जो अपने एंटी-माइक्रोबियल गुण के लिए
प्रसिद्ध है. यह बीमारी
से लड़ते हैं और
अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर
की सहायता करते हैं.
सावधानियां
इनसे बचने के
लिए सतर्क होने की आवश्यकता
है ताकि हमारी सेहत
और रोजमर्रा का जीवन प्रभावित
न हो। अभी अचानक
से गर्म कपड़ों का
प्रयोग बंद न करें,
क्योंकि तापमान में उतार-चढ़ाव
के चलते शरीर तालमेल
नहीं बिठा पाता।
मास्क लगाएं
बुखार भी कई कारणों
से हो सकता है,
जैसे- संक्रमण, थकावट, वैक्सीनेशन (टीका) आदि। लोगों को
होने वाला फीवर सिर्फ
इस बात
को बताता है कि आपके
शरीर में कोई परेशानी
है, लेकिन इस बात की
पुष्टि नहीं करता है
कि आखिर शरीर में
मुख्य परेशानी है क्या? इसलिए
घर में अगर किसी
को वायरल है, तो मास्क
का उपयोग करें।
लक्षण
बुखार संक्रमण की वजह से
होता है, तो उसे
वायरल बुखार कहते हैं। इसमें
शरीर में दर्द, भूख
न लगना, जी मिचलाना, सिरदर्द
होना, गाढ़ा पेशाब होना,
उल्टी आना, कब्ज होना,
शरीर गर्म रहना, डिहाइड्रेशन,
मांसपेशियों में दर्द, ठंड
लगने की समस्या होने
लगती है। वायरल बुखार
के बाद कमजोरी होना
कोई बड़ी बात नहीं
है।
सावधानी
इन दिनों उतार-चढ़ाव जारी है.
कभी दिन के समय
तेज धूप रहती है,
तो रात को मौसम
अचानक बदलने के बाद सर्द
हवाओं का दौर शुरू
हो जाता है. ऐसे
में अपने स्वास्थ्य का
ख्याल रखना बेहद जरूरी
होता है.
सुबह के समय नाश्ता करके निकले
स्वास्थ्य का ख्याल रखने
के लिए घर से
निकलने से पहले सुबह
के समय नश्ता करना
आवश्यक होता है. यह
हमारे शरीर की सभी
दैनिक जरूरतों को पूरा करने
का काम करता है.
साथी सुबह के समय
दूध से बने सामग्री
का सेवन जरूर करना
चाहिए. इससे हमारे शरीर
में होने वाली प्रोटीन
की कमी पूरी हो
जाती है.
सीधे जूस के सेवन से बचे
डाइटिशियन का कहना है
कि हमें बाजार में
मिलने वाले जूस के
सेवन से बचना चाहिए.
इसकी जगह सीधे फल
का सेवन शरीर के
लिए लाभदायक होता है. क्योंकि
इसमें प्रोटीन से लेकर फाइबर
तक सारे पोषक तत्व
मिल जाते हैं. सीजनल
फल का सबसे ज्यादा
सेवन कर सकते हैं,
जिसमें अंगूर, पपीता, संतरा और अमरुद जैसे
फल शामिल है.
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