Tuesday, 29 July 2025

नाग पंचमी पर उमड़ी श्रद्धा की बयार, घर-घर पूजे गए नागदेवता, अखाड़ों में गूंजा दंगल का जोश

नाग पंचमी पर उमड़ी श्रद्धा की बयार, घर-घर पूजे गए

नागदेवता, अखाड़ों में गूंजा दंगल का जोश

सांस्कृतिक मेलों में उमड़ा उत्साह, बच्चों ने खरीदे खिलौने, महिलाओं ने की खरीदारी

अखाड़ों में गूंजी ललकार, पहलवानों ने दिखाया दमखम

सुरेश गांधी

वाराणसी। नागपंचमी का पर्व धार्मिक आस्था, लोक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक बनकर एक बार फिर काशी की गलियों, घाटों और शिवालयों में श्रद्धा और उत्सव का रंग भर गया। श्रावण मास की पंचमी तिथि पर मंगलवार को पूरे पूर्वांचल में नागपंचमी पर्व पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। शहर से लेकर देहात तक नागदेवता की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना हुई। लोगों ने नाग मंदिरों और सर्प निवास स्थलों, जैसे बिलों और वामियों पर दूध, लावा, घी, चना और फूल अर्पित किए। जैतपुरा स्थित नाग कुआं मंदिर में दर्शन-पूजन को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। कई श्रद्धालुओं ने सुबह स्नान कर नागदेवता को पुष्पमाला अर्पित की और उनके दर्शनों के लिए कतार में लगे रहे।

नागपंचमी पर लगे मेलों ने पूरे वातावरण को उत्सवमय बना दिया। बच्चों ने जहां लकड़ी और मिट्टी के बने सांपों, बीनों और अन्य पारंपरिक खिलौनों की खरीदारी की, वहीं महिलाओं ने साज-सज्जा और पूजा सामग्री से जुड़ी वस्तुओं की खरीदारी कर पर्व का आनंद उठाया। जगह-जगह झूले लगे थे जिन पर युवतियों और बालिकाओं ने खूब झूला झूला। कई परंपरागत अखाड़ों में दंगल प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। तुलसीघाट, अस्सी, जैतपुरा और रमापुरा के अखाड़ों में पहलवानों ने अपने दांवपेंच दिखाकर दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। अखाड़ों पर सुबह से ही पहलवान कसरत करते दिखे। अस्सी स्थित अखाड़े में गोवर्धन के नामी पहलवानों ने कुश्ती कर परंपरा का मान बढ़ाया।

शिवालयों में सुबह से लगी रही श्रद्धालुओं की कतारें

काशी के प्राचीन शिवालयों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना हुई। श्रद्धालुओं ने नागदेवता को लाई, दूध और जल अर्पित किया। मंदिरों के बाहर सपेरों की भीड़ रही, जो अपने नागों के साथ बैठे श्रद्धालुओं से दर्शन कराते और दक्षिणा प्राप्त करते रहे। नागों को दूध पिलाने की वर्षों पुरानी परंपरा भी दिखी, यद्यपि वैज्ञानिक दृष्टि से यह अमान्य है, क्योंकि नाग स्वाभाविक रूप से मांसाहारी होते हैं। 

परंपरा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन की आवश्यकता

नागों को दूध पिलाने की परंपरा जहां धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सांपों को नुकसान पहुंचता है। नागों में दूध पीने की प्रवृत्ति नहीं होती और इससे वे बीमार हो सकते हैं। इसके बावजूद श्रद्धा के नाम पर आज भी यह परंपरा व्यापक रूप से प्रचलित है।

कालसर्प दोष की निवृत्ति हेतु पूजन-अनुष्ठान

नागपंचमी को लेकर मान्यता है कि इस दिन नागदेवता की पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है। कई घरों में विशेष रुद्राभिषेक, यज्ञ और कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान आयोजित किए गए। लोगों ने घरों के मुख्यद्वार पर गोबर और घी से नाग की आकृति बनाई और पूजन कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

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