Wednesday, 16 July 2025

समोसा - जलेबी का स्वाद अब बढ़ाने लगा है कोलेस्ट्रॉल

समोसा - जलेबी का स्वाद अब बढ़ाने लगा है कोलेस्ट्रॉल 

स्वाद ही नहीं, अब समझ भी ज़रूरी है।यही संदेश देती दिख रही है केंद्र सरकार और एफएसएसएआई की नई पहल, जिसमें जलेबी-समोसा जैसे चटपटे तली-मीठे खाद्य पदार्थों के साथ अब ऑयल-शुगर चेतावनी बोर्ड लगाने का निर्णय लिया गया है। सिगरेट की डिब्बी पर चेतावनी की तरह नहीं, लेकिन इतना जरूर कि खाने वाले को उसकी प्लेट में स्वाद के साथ जोखिम का भी जायका महसूस हो। मतलब साफ है सरकार ने स्वाद के पीछे छिपे संकट को उजागर करने की कोशिश की है। यह सिर्फ समोसे और जलेबी पर हमला नहीं, बल्कि हमारी आदतों और स्वास्थ्य के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास है. हमें केवल चेतावनी पढ़नी है, बल्कि उसे समझना और जीवनशैली में परिवर्तन लाना है। क्योंकि बदलते भारत में अगर कुछ सबसे जरूरी है, तो वो है स्वस्थ शरीर और सजग भोजन 

सुरेश गांधी

कल तकशुद्ध देसी घी में तलीजलेबी का प्रचार दुकानों के बाहर चमक रहा था, अब वहां लिखा मिलेगा, जलेबी का सेवन मधुमेह और मोटापे का कारण बन सकता है, सोच-समझकर खाएं। समोसे के साथ अब चटनी नहीं, कोलेस्ट्रॉल का गणित मिलेगा। और पकौड़ी की थाली में स्वाद से पहले संतुलन की चेतावनी पढ़नी होगी! सरकार 14 खास खाद्य वस्तुओं को लेकरऑयल-शुगर बोर्डलगाने की योजना बना रही है। यह सिगरेट जैसी चेतावनी नहीं है, लेकिन यह बताया जाएगा कि इन फूड्स में चीनी, नमक और वसा की मात्रा अधिक होती है। यह कदम लोगों में स्वस्थ भोजन की जागरूकता फैलाने के लिए है। यह अलग बात है कि भारतीय समाज में खाना सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और भावना का हिस्सा है। ऐसे में समोसे की हर गली में मौजूदगी और जलेबी का हर पर्व में स्थान सामान्य नहीं है. यह हमारीरसोई की आत्माका अंश है। लेकिन जब यही स्वाद बीमारियों की जड़ बनने लगे, तो सरकार का हस्तक्षेप स्वास्थ्य की दिशा में एक आवश्यक पहल मानी जानी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन काम करने वाली एफएसएसएआई ने 14 ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची जारी की है, जिनमें अत्यधिक चीनी, नमक या तेल की मात्रा होती है। इस सूची में समोसा, जलेबी, पिज्जा, बर्गर, चिप्स, केक, मिठाइयाँ, पकौड़ी आदि शामिल हैं।

अब सार्वजनिक जगहों, जैसे रेलवे स्टेशन, स्कूल-कॉलेज की कैंटीन, ऑफिस कैफेटेरिया आदि पर इन चीजों के पासतेल और शक्कर सूचना बोर्डलगाए जाएंगे, जिनमें बताया जाएगा कि इन खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन मोटापा, हृदय रोग, डायबिटीज़ और कैंसर जैसे खतरे बढ़ा सकता है। बता दें, भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में गिना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमलाइफस्टाइल डिज़ीज़यानी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की दौड़ में भी सबसे आगे हैं। हर साल लाखों युवा डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण हमारी थाली में शामिल वो स्वाद है, जो स्वास्थ्य की कीमत पर आता है। समोसा-जलेबी सिर्फ स्वाद नहीं, अब खतरे का संकेत भी हैं। यदि हम समय रहते नहीं चेते, तो यह भोजन हमारी संस्कृति की पहचान से ज्यादा, हमारी बीमारियों का परचम बन जाएगा। सवाल उठता है कि क्या केवल बोर्ड लगाना पर्याप्त है? क्या लोग वास्तव में चेतावनी पढ़कर अपनी आदतें बदलेंगे? खासकर जिस देश में सड़क किनारे पत्तल पर बटर-चिकन खा लेने को साहस माना जाता है, वहाँतेल और चीनी की मात्रासे डराने की कोशिश शायद बहुत धीमी गोली हो। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार इस पहल के साथ जनजागरूकता अभियान चलाए, स्कूलों के पाठ्यक्रम में पोषण शिक्षा को गंभीरता से जोड़े और सबसे बढ़कर, सस्ती और स्वास्थ्यप्रद खाद्य सामग्री को हर आम आदमी तक उपलब्ध कराए।

यहां जिक्र करना जरुरी है कि भारत में मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेज बताते हैं कि 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे या अधिक वजन से प्रभावित हो सकते हैं। खराब खानपान और कम शारीरिक गतिविधि इसके मुख्य कारण हैं। इसलिए सरकार जंक फूड को सिगरेट की तरह खतरनाक मानकर लोगों को सतर्क करना चाहती है। पीएम मोदी ने भी कहा था- खाने में तेल और शक्कर घटाएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी को मन की बात के 119वें एपिसोड में हेल्थ का का जिक्र करते हुए थे कहा था कि एक फिट और स्वस्थ भारत बनने के लिए हमें ओबेसिटी (मोटापा) की समस्या से निपटना ही होगा। एक स्टडी के मुताबिक, आज हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे की समस्या से परेशान है। बीते सालों में मोटापे के मामले दोगुने हो गए हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि बच्चों में भी मोटापे की समस्या चार गुना बढ़ गई है। हाल ही में मोटापे की समस्या पर एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक 44 करोड़ से अधिक भारतीय मोटापे का शिकार होंगे। यह आंकड़ा डरावना है। इसका मतलब है कि मोटापे के कारण हर तीन में से एक व्यक्ति गंभीर बीमारी से पीड़ित हो सकता है। मोटापा घातक हो सकता है। हर परिवार में एक व्यक्ति मोटापे का शिकार होगा। यह बड़ा संकट होगा। इसलिए, आप तय कर लीजिए कि हर महीने 10 फीसदी कम तेल उपयोग करेंगे। ये मोटापा कम करने की दिशा में एक अहम कदम होगा.

एफएसएसएआई के अनुसार, यह सूची ज्यादा तेल चीनी वाले आम स्नैक्स और मिठाइयों की है, जिसमें समोसा, जलेबी, पकौड़ी, चाऊमीन, पिज्जा, बर्गर, चिप्स, केक, पेस्ट्री, नमकीन, मिठाइयां (खासकर रसगुल्ला, गुलाब जामुन), कोल्ड ड्रिंक, सोडा, पानीपुरी, गोलगप्पा, फ्राइड स्नैक्स, फ्रेंच फ्राइज आदि शामिल है। हालांकि यह कोई प्रतिबंध या बैन नहीं है, बल्कि लोगों को सोच-समझकर खाने के लिए प्रेरित करना, बच्चों, बुजुर्गों और डायबिटिक मरीज़ों को जागरूक करना, स्कूल, ऑफिस और सार्वजनिक स्थानों पर स्वास्थ्य-संबंधी सूचना देना है। यह केवल सूचना आधारित बोर्ड होंगे, जैसे : इस फूड आइटम में शुगर/फैट्स ज्यादा हैं, अत्यधिक सेवन से मोटापा और अन्य रोग हो सकते हैं, एफएसएसएआई के मुताबिक यह चेतावनी इसलिए जरूरी है, क्योंकि :

मोटापा                 अत्यधिक तेल और चीनी से वज़न बढ़ता है

हृदय रोग                              ट्रांस फैट्स और सैचुरेटेड फैट्स खतरनाक

डायबिटीज़                         ज्यादा मिठाई/शुगर से शुगर लेवल असंतुलित होता है

कैंसर का खतरा कुछ शोधों में अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का लिंक बताया गया है

मतलब साफ है अब समोसे को खाने से पहले उसके बगल में लगे बोर्ड को पढ़िए, जैसे ट्रेन पकड़ने से पहले टाइमटेबल पढ़ते हैं। अब बोर्डो पर लिखा मिलेगा, जलेबी खाने से दिल टूटा नहीं, लेकिन कोलेस्ट्रॉल ज़रूर बढ़ा, ये नया नारा जल्द ही स्कूल-कॉलेज की कैंटीन की दीवारों पर दिखेगा! यह सिगरेट जैसी चेतावनी नहीं है, लेकिन यह बताया जाएगा कि इन फूड्स में चीनी, नमक और वसा की मात्रा अधिक होती है। यह कदम लोगों में स्वस्थ भोजन की जागरूकता फैलाने के लिए है। यही वजह है कि समोसा और जलेबी आजकल देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. ऐसे में हर किसी के मन में सवाल है कि यदि कोई रोजाना समोसा-जलेबी खाता है तो वो किस तरह से शरीर के लिए अनहेल्दी हो सकता है? स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने तथा मोटापे और गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए सभी सरकारी मंत्रालयों, विभागों और संस्थानों कोऑयल एंड शुगर बोर्डलगाने के निर्देश दिए हैं. उनका कहना है कि ऐसे पोस्टर या डिजिटल बोर्ड लगाए जाएं जिससे लोगों को पता रहे कि आप कितना फैट और शुगर खा रहे हैं. ये बोर्ड स्कूलों, ऑफिसों, सार्वजनिक संस्थानों आदि जगह लगाए जाएंगे. इसमें रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में मौजूद फैट और शुगर के बारे में जानकारी होगी. बता दें, देश में कई ऐसे लोग हैं जहां समोसा-जलेबी को नाश्ते के रूप में रोजाना खाया जाता है. पारंपरिक भारतीय स्नैक्स (जैसे समोसा, वड़ा पाव और जलेबी) आमतौर पर तले हुए और कैलोरी से भरपूर होते हैं, जिनमें भारी मात्रा में अनहेल्दी फैट और एक्स्ट्रा चनी होती है और आम तौर पर बिकने वाले रूप में इनमें फाइबर या पोषक तत्व बहुत कम होते हैं. अब ऐसे में हमने हार्ट और लिवर डॉक्टर से जाना कि यदि कोई लगातार 15 दिन तक समोसा-जलेबी खाता है तो उसकी सेहत पर क्या असर हो सकता है...

समोसा (100 ग्राम)                            जलेबी (100 ग्राम)

कैलोरी  261 कैलोरीज     300 कैलोरीज

प्रोटीन   3.5 ग्राम                2.6 ग्राम

कार्बन   24 ग्राम                 58 ग्राम

कुल फैट 17 ग्राम               7 ग्राम

ट्रांसफैट               0.6 ग्राम                --

पॉलीअनसैचुरेटेड फैट    4.8 ग्राम                0.4 ग्राम

मोनोअनसैचुरेटेड फैट    4.2 ग्राम                2 ग्राम

कोलेस्ट्रॉल           27 ग्राम                 17 ग्राम 

फाइबर                 2.1 ग्राम                0.8

सोडियम              423 मिलीग्राम    9.4 ग्राम

समोसा-जलेबी खाने से लिवर पर होगा कैसा असर? के जवाब में विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. सुनील कुकरेजा ने बताया कि समोसे-जलेबी डीप फ्राई होते हैं और वो सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जाते. जब कोई अत्यधिक शुगर और तली हुई चीजों को लगातार खाता है तो उसका असर उसके शरीर में दिखने लगता है. यदि कोई पंद्रह दिन तक लगातार समोसा और जलेबी खाता है तो मेरे हिसाब से अधिक प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए लेकिन जब वही चीज वो लगातार कई महीनों-सालों तक खाते रहते हैं तो उससे बॉडी में काफी गलत असर हो सकता है. समोसे में मौजूद अनहेल्दी फैट्स से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और ब्लॉकेज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. ज्यादा फैट शरीर को इंसुलिन रेज़िस्टेंट बना सकता है, जिससे ब्लड शुगर नहीं कंट्रोल होता और ये धीरे-धीरे डायबिटीज़ में बदल सकता है. ट्रांस फैट्स से मेमोरी कमजोर हो सकती है जिससे मूड स्विंग और याददाश्त संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. अधिक फैट डाइजेशन को धीमा करता है जिससे एनर्जी कम होती है और नींद आती रहती है. अधिक चीनी खाने से आपका तुरंत इंसुलिन स्पाइक होता है. जैसे ही इंसुलिन स्पाइक होता है तो बॉडी को मैसेज पहुंचता है कि शुगर अधिक गई है, इसे जल्दी से भविष्य के लिए स्टोर कर लो. अब जैसे ही आप रोज-रोज इतनी एक्स्ट्रा चीनी खाते हैं तो लगातार फैट स्टोर होने से आपका वजन बढ़ने लगता है. मोटापा बढ़ने से फैटी लिवर, हार्ट के प्रॉब्लम, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल की समस्याएं भी होने लगती हैं. हालांकि ये समस्याएं लॉन्ग टर्म में काफी खतरनाक साबित हो सकती हैं. आप चाहें को महीने में 1 बार इन चीजों को टेस्ट के लिए खा सकते हैं लेकिन वो भी आप घर पर बनाकर खाएं. समोसे को हेल्दी रखने के लिए आप एयर फ्रायर का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे उसे तलने की जरूरत नहीं होगी.

समोसा-जलेबी खाने से हार्ट पर होगा कैसा असर? के जवाब में डॉ. एमके साहनी ने बताया कि समोसा और जलेबी का अधिक सेवन कार्डियोलॉजिस्ट बॉडी के लिए अनहेल्थी होते हैं लेकिन वो डायरेक्ट हार्ट पर अचानक प्रभाव नहीं डालते लेकिन लंबे समय में इससे हार्ट और कोलेस्ट्रॉल की समस्याए.हो सकती हैं. समोसा और जलेबी को वेजिटेबल ऑयल में बनाया जाता है तो ट्रांस फैट और सेचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक हो जाती है. ट्रांस फैट और सेचुरेटेड फैट दोनों ही एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाकर हार्ट हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और ट्रांस फैट के मामले में, एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्र.स्ट्रॉल के लेवल को भी कम कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है. वैसे शरीर को ट्रांस फैट की आवश्यकता नहीं होती इसलिए इससे बचना चाहिए. सेचुरेटेड फैट को भी दैनिक कैलोरी सेवन के 10 प्रतिशत से कम ही रहना चाहिए. यानी कि अगर कोई 2000 कैलोरी लेता है तो उसकी 200 कैलोरी से कम सेचुरेटेड फैट से आना चाहिए. यदि लगातार कोई 15 दिन तक भी समोसा-जलेबी खाता है तो उसका वजन बढ़ेगा औप उससे कोलेस्ट्रोल भी इंक्रीज होगा जो कि हार्ट पर सीधा इफेक्ट डालता है. धीरे-धीरे हार्ट के अंदर बहुत सारी तकलीफें शुरू हो जाएंगी. लगातार वही स्थिति बनी रहने से सीवियर हार्ट ककंडीशन हो सकती है इसलिए सभी को संभलकर ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए.

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