Tuesday, 12 August 2025

तिरंगे में सजी काशी, मातृशक्ति बुन रही राष्ट्रभक्ति की खुशबू

तिरंगे में सजी काशी, मातृशक्ति बुन रही राष्ट्रभक्ति की खुशबू 

हर घर तिरंगाअभियान को सफल बनाने में जुटी 2600 से अधिक महिलाएं 4.76 लाख से अधिक राष्ट्रीय ध्वज तैयार कर रही हैं

स्वतंत्रता दिवस पर गूंजेगी काशी की मेहनत और समर्पण की कहानी

शहर में सजावट सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सुरेश गांधी

वाराणसी। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी इन दिनों स्वतंत्रता दिवस के स्वागत में तिरंगे की छटा से सराबोर है। घाटों से लेकर गलियों तक, सरकारी भवनों से लेकर मोहल्लों तक, हर ओरवंदे मातरम्औरभारत माता की जयकी गूंज है। इस वर्षहर घर तिरंगाअभियान को नारी शक्ति के साथ जोड़कर योगी सरकार ने इसे केवल राष्ट्रीय पर्व की तैयारी बनाया है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की मिसाल भी। 

मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल के अनुसार, एनआरएलएम से जुड़ी लगभग 400 स्वयं सहायता समूहों की करीब 2000 महिलाएं 2,25,000 झंडों का निर्माण कर रही हैं, जिससे प्रत्येक महिला को औसतन 3000 से 4000 रुपये की आय होगी। वहीं डूडा से जुड़ी 68 स्वयं सहायता समूहों की 680 महिलाएं 2,51,500 झंडे तैयार कर रही हैं। कुल 2600 से अधिक महिलाएं 4,76,500 राष्ट्रीय ध्वज 15 अगस्त से पहले हर घर तक पहुंचाने के मिशन में लगी हैं।

देशभक्ति का समर्पण

सेवापुरी ब्लॉक के ग्राम रामडीह की राधा कहती हैं, “जब 15 अगस्त को हर घर पर तिरंगा लहराएगा, तो उसमें काशी की हज़ारों महिलाओं की मेहनत और राष्ट्रभक्ति की खुशबू होगी।ग्राम भोरकला की मुन्नी देवी मानती हैं, “यह सिर्फ काम नहीं, बल्कि देश सेवा है।ग्राम गाजेपुर की ललिता के अनुसार, “यह ध्वज केवल कपड़ा नहीं, बल्कि भारत माता को अर्पित भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

काशी में तिरंगे की सजावट

नगर निगम, कलेक्ट्रेट, पुलिस लाइन, रेलवे स्टेशन, डाकघर और गंगा घाटों पर तिरंगे थीम की रोशनी से सजावट की जा रही है। शाम ढलते ही रंगीन लाइटें पूरे शहर में देशभक्ति का माहौल बना देती हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर और दशाश्वमेध घाट की विशेष रोशनी मुख्य आकर्षण होगी।

विद्यालयों में रिहर्सल और सांस्कृतिक तैयारियां

शहर के स्कूल-कॉलेजों में छात्र-छात्राएं देशभक्ति गीत, नाटक और कविताओं की रिहर्सल में जुटे हैं।झंडा ऊंचा रहे हमाराऔरसारे जहां से अच्छाकी गूंज बच्चों के उत्साह को दर्शा रही है। कई संस्थानों में परेड और झांकी की तैयारी चल रही है, जिनमें भारत की विविधता और वीरता की कहानियां दिखाई देंगी।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र होने के कारण प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व रखी है। संवेदनशील इलाकों में पुलिस, पीएसी और अर्धसैनिक बलों की तैनाती, ड्रोन से हवाई निगरानी और सीसीटीवी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है। घाटों और प्रमुख बाजारों में विशेष पेट्रोलिंग भी होगी।

तिरंगे की बिक्री में उत्साह

गोदौलिया, मैदागिन, लहुराबीर और चौक बाजार में तिरंगे झंडों, बैज, कैप और बच्चों की तिरंगे रंग की पोशाकों की खरीदारी जोरों पर है। दुकानदारों के अनुसार इस बार ऑनलाइन ऑर्डर में भी बढ़ोतरी हुई है।

नारी सशक्तिकरण और राष्ट्रभक्ति का संगम

हर घर तिरंगाअभियान में ग्रामीण महिलाओं को शामिल करना एक ऐसा कदम है, जिसमें देशभक्ति और आत्मनिर्भरता का अद्भुत संगम है। काशी में इस समय केवल झंडे नहीं बन रहे, बल्कि हर धागे में मातृशक्ति का प्रेम, परिश्रम और राष्ट्र के प्रति समर्पण बुना जा रहा है। 15 अगस्त की सुबह जब ये तिरंगे हवा में लहराएंगे, तो वे केवल स्वतंत्रता का नहीं, बल्कि नारी शक्ति के आत्मगौरव और देश की एकजुटता का भी प्रतीक बनकर भारत माता की जयकार बुलंद करेंगे।

सांस्कृतिक उत्सव में गूंजेगी आज़ादी की गाथा

15 अगस्त की सुबह ध्वजारोहण और परेड के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, जिनमें स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का सम्मान, देशभक्ति गीत, नृत्य और कविताओं की प्रस्तुति होगी। शाम को दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के साथ विशेषदेशभक्ति संध्याका आयोजन होगा।

योगी सरकार की दूरदर्शी पहल

हर घर तिरंगाअभियान को ग्रामीण महिलाओं से जोड़ना एक ऐसा कदम है, जो देशभक्ति और आत्मनिर्भरताकृदोनों का संगम है। काशी में इस समय केवल झंडे नहीं, बल्कि हर धागे में मातृशक्ति का प्रेम, परिश्रम और राष्ट्र के प्रति समर्पण बुना जा रहा है।

औसतन 3 से 4 हज़ार की होगी आमदनी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा चलाए जा रहेहर घर तिरंगाअभियान में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ा गया है, जो केवल राष्ट्र सेवा में योगदान दे रही हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी सशक्त कदम बढ़ा रही हैं। काशी की लगभग 2600 से अधिक महिलाएं दिन-रात मेहनत करके 4 लाख 76 हज़ार 500 से अधिक राष्ट्रीय ध्वज तैयार कर रही हैं, जिन्हें 15 अगस्त से पहले हर घर तक पहुंचाया जाएगा। इस कार्य से महिलाओं को औसतन 3000 से 4000 की आमदनी होगी। डूडा से जुड़ीं 68 स्वयं सहायता समूह की 680 महिलाएं भी 2 लाख 51 हज़ार 500 झंडा तैयार कर रही हैं।

 

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