Monday, 22 December 2025

आगरा फ्रेंचाइजी के कारण पावर कारपोरेशन को 30 हजार करोड़ का नुकसान

आगरा फ्रेंचाइजी के कारण पावर कारपोरेशन को 30 हजार करोड़ का नुकसान

 

390वें दिन भी थमा नहीं विरोध, बिजली निजीकरण के खिलाफ बनारस के बिजलकर्मियों का हुंकार

संघर्ष समिति का आरोपकृमानक के विपरीत संविदाकर्मियों की छंटनी, आगरा फ्रेंचाइजी से 30 हजार करोड़ के घाटे के बाद भी निजीकरण की जिद

सुरेश गांधी

वाराणसी. पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बनारस के बिजलीकर्मियों का आंदोलन 390वें दिन भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले आंदोलनरत कर्मचारियों ने अधीक्षण अभियंता मंडल प्रथम और अधिशासी अभियंता परीक्षण खंड प्रथम से मुलाकात कर अपनी मांगों और समस्याओं से ऊर्जा प्रबंधन को अवगत कराया।

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि एक ओर प्रदेश सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए रोजगार मेलों का आयोजन कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अल्पवेतनभोगी संविदाकर्मियों की मानक के विपरीत छंटनी की जा रही है। इससे बड़ी संख्या में संविदाकर्मी बेरोजगार हो रहे हैं और गलत कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाए और प्रदेश में पिछले 16 वर्षों से चल रहे आगरा फ्रेंचाइजी मॉडल की गहन समीक्षा कराई जाए। संघर्ष समिति का दावा है कि आगरा फ्रेंचाइजी के कारण अब तक पावर कारपोरेशन को लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

संघर्ष समिति ने कहा कि विधानसभा में निजीकरण पर चर्चा के दौरान ऊर्जा मंत्री द्वारा आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण का हवाला दिया गया, जिससे यह और आवश्यक हो जाता है कि नए निजीकरण प्रयोग से पहले इन मॉडलों के वास्तविक परिणाम जनता के सामने रखे जाएं। यदि निजीकरण का प्रयोग विफल रहा है तो आगरा और ग्रेटर नोएडा के करार रद्द किए जाएं। समिति के अनुसार वर्ष 2024-25 में आगरा में पावर कारपोरेशन ने टोरेंट पावर को लगभग 2500 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति की। यह बिजली 5.65 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई, जबकि टोरेंट पावर को मात्र 4.29 रुपये प्रति यूनिट में दी गई। इससे प्रति यूनिट 1.36 रुपये का नुकसान हुआ और सिर्फ इसी वर्ष में करीब 340 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। चालू वित्तीय वर्ष में भी लगभग 300 करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया है।

इसके अलावा 2010 से 2024 के बीच महंगी बिजली खरीदकर सस्ती दरों पर आपूर्ति के कारण करीब 2434 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। समिति का यह भी आरोप है कि टोरेंट पावर पर पावर कारपोरेशन का लगभग 2200 करोड़ रुपये का राजस्व बकाया है, जो अब तक नहीं मिला। संघर्ष समिति ने सवाल उठाया कि निजीकरण की वकालत करने वाला प्रबंधन आगरा फ्रेंचाइजी की असलियत पर चुप क्यों है और घाटे के झूठे आंकड़े दिखाकर कर्मचारियों जनता को भ्रमित क्यों किया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल में ओपी सिंह, जिउतलाल, अंकुर पांडेय, रमाकांत, बंशीलाल, अरुण कौल, पंकज यादव सहित अन्य कर्मचारी नेता उपस्थित रहे।


खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी : दो दिनों में ही बढ़ा रुझान बिक्री 53 लाख पार

खादी से रोज़गार तकः स्वदेशी संकल्प की जीवंत तस्वीर बनी वाराणसी की खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी

खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी : दो दिनों में ही बढ़ा रुझान बिक्री 53 लाख पार 

स्वदेशी उत्पादों की खरीद से आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही नई ऊर्जा

सुरेश गांधी

वाराणसी. उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा आयोजित खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी केवल एक व्यापारिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और ग्रामीण सशक्तिकरण का सशक्त मंच बनकर उभरी है। प्रदर्शनी में ग्राहकों का अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है। सर्द मौसम के चलते सबसे अधिक मांग खादी के गर्म कपड़ों की रही है। 10 दिवसीय प्रदर्शनी के पहले दो दिनों में ही खादी व ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री 53 लाख रुपये के पार पहुंच गई। प्रदर्शनी में कुर्ता, शॉल, शर्ट, जैकेट व सदरी खासतौर पर ग्राहकों की पसंद बने हुए हैं। मंडल स्तरीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में प्रदेश और अन्य राज्यों से आई खादी से जुड़ी संस्थाओं ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए हैं।

जिला उद्योग अधिकारी .पी. सिंह ने बताया कि सोमवार को प्रदर्शनी में कुल 53 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई, जो स्वदेशी उत्पादों के प्रति बढ़ते भरोसे का स्पष्ट प्रमाण है। प्रदर्शनी में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है, जिससे खरीदारी के साथ-साथ परिवार सहित लोग कला और संस्कृति का भी आनंद उठा रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी स्वदेशी, स्वरोज़गार और संस्कृति, तीनों को एक सूत्र में पिरोती हुई ग्रामीण भारत के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रख रही है। प्रदर्शनी में वाराणसी के साथ-साथ उत्तराखंड एवं प्रदेश के विभिन्न जनपदों प्रतापगढ़, मिर्जापुर, कुशीनगर, प्रयागराज आदि की पंजीकृत इकाइयों ने अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार और बिक्री के लिए भागीदारी की है। कुल 125 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें 22 खादी स्टॉल और 103 ग्राम उद्योग स्टॉल शामिल हैं। हस्तनिर्मित वस्त्र, अगरबत्ती, शहद, मसाले, मिट्टी लकड़ी से बने उत्पाद लोगों को खासा आकर्षित कर रहे हैं।

भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम तथा मुख्यमंत्री ग्राम उद्योग रोजगार योजना के अंतर्गत आयोजित यह प्रदर्शनी आमजन को स्वरोज़गार के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ स्वदेशी उत्पादों के प्रति विश्वास को और गहरा कर रही है। प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य यही है कि लोग स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं, स्वयं रोज़गार के अवसर पैदा करें और दूसरों को भी रोज़गार देने में सहभागी बनें, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठोस मजबूती मिल सके। इसी भावना के साथ प्रदर्शनी में खादी वस्त्रों के साथ-साथ विभिन्न ग्राम उद्योग उत्पादों की जमकर खरीदारी हो रही है। उपभोक्ताओं को खादी वस्त्रों पर 30 प्रतिशत तक की छूट का लाभ मिल रहा है, जिससे खरीदारी का उत्साह और बढ़ गया है। महात्मा गांधी का प्रसिद्ध कथन, “खादी केवल वस्त्र नहीं, एक विचार है”, इस प्रदर्शनी में सजीव रूप में दिखाई देता है। गांधी जी ने खादी को केवल पहनने का कपड़ा नहीं, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन, ग्रामीण स्वावलंबन और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना था। आज वही विचार वाराणसी की इस प्रदर्शनी में नई ऊर्जा के साथ जीवित नजर रहा है।

सूफियाना सुरों में बही सिन्धु की सांस्कृतिक धारा

सूफियाना सुरों में बही सिन्धु की सांस्कृतिक धारा 

जूम 2025’ में झूमा सिन्धी समाज

सुरेश गांधी

वाराणसी. सिन्धु की धरती से उपजे सूफ़ियाना सुरों और लोकगीतों की मिठास से सजी एक यादगार शाम ने शहर के सांस्कृतिक क्षितिज को रौशन कर दिया। सिन्धी विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित म्यूजिकल नाइटजूम 2025’ केवल संगीत का उत्सव बनी, बल्कि वह मंच भी साबित हुई जहाँ परंपरा, आध्यात्मिकता और सामूहिक आनंद एक साथ झलकते नजर आए। जूम 2025 ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति को जीवित रखने की सशक्त कड़ी है। सूफ़ियाना सुरों में डूबी यह रात सिन्धी समाज की एकजुटता, सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक विरासत का जीवंत उदाहरण बन गई, ऐसी शाम, जो लंबे समय तक स्मृतियों में गूंजती रहेगी।

कार्यक्रम का शुभारंभ सिन्धी समाज के आराध्य झूलेलाल साईं के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। दीप की लौ के साथ ही जैसे सूफ़ियाना एहसास भी मंच से सभागार तक फैल गया। वातावरण में श्रद्धा, आस्था और उल्लास का अनूठा संगम दिखाई दिया। मुंबई से आए सुप्रसिद्ध कलाकार जतिन उदासी, ईना लखमानी और उनकी सशक्त संगीत टीम ने मंच संभालते ही श्रोताओं को सुरों की ऐसी यात्रा पर ले गया, जहाँ हर गीत आत्मा को छूता चला गया। सिन्धी लोकगीतों की माटी की खुशबू और सूफ़ी रचनाओं की रूहानियत ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। सभागार में बैठे लोग कब श्रोता से सहभागी बन गए, इसका एहसास तक नहीं हुआ। तालियों की गूंज और सुरों की लय के साथ हर चेहरा मुस्कान से भर उठा।

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत सिन्धु विकास समिति के अध्यक्ष भानु वाधवानी ने गर्मजोशी से किया। उन्होंने कहा किजूम 2025’ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक सांस्कृतिक प्रयास है। कार्यक्रम की सफलता में सचिव पंकज भागचंदानी की सक्रिय भूमिका और कोषाध्यक्ष बादल बत्रा के कुशल प्रबंधन की सराहना सभी ने की। इस सांस्कृतिक संध्या में समाज के विशिष्ट जनों की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को और भव्य बना दिया। संस्था के संरक्षक अशोक तलरेजा, हेमंत तलरेजा, वरिष्ठ समाजसेवी राजकुमार वाधवानी, सुरेश वाध्या, सुरेन्द्र लालवानी, तथा मनोज लखमानी, राज चांगरानी, चन्दन रुपानी, बीरेंद्र केशवानी, अरुण लखमानी, सतीश छाबड़ा, दीपक केशवानी, विनय सचदेवा, धीरज तुस्यानी, करण रुपानी, हर्षित कुमार सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।

आगरा फ्रेंचाइजी के कारण पावर कारपोरेशन को 30 हजार करोड़ का नुकसान

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