आगरा फ्रेंचाइजी के कारण पावर कारपोरेशन को 30 हजार करोड़ का नुकसान
390वें दिन भी थमा
नहीं
विरोध,
बिजली
निजीकरण
के
खिलाफ
बनारस
के
बिजलकर्मियों
का
हुंकार
संघर्ष समिति
का
आरोपकृमानक
के
विपरीत
संविदाकर्मियों
की
छंटनी,
आगरा
फ्रेंचाइजी
से
30 हजार
करोड़
के
घाटे
के
बाद
भी
निजीकरण
की
जिद
सुरेश गांधी
वाराणसी. पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत
वितरण निगम के निजीकरण
के विरोध में बनारस के
बिजलीकर्मियों का आंदोलन 390वें
दिन भी जारी रहा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले
आंदोलनरत कर्मचारियों ने अधीक्षण अभियंता
मंडल प्रथम और अधिशासी अभियंता
परीक्षण खंड प्रथम से
मुलाकात कर अपनी मांगों
और समस्याओं से ऊर्जा प्रबंधन
को अवगत कराया।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया
कि एक ओर प्रदेश
सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए रोजगार
मेलों का आयोजन कर
रही है, वहीं दूसरी
ओर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र
वाराणसी में अल्पवेतनभोगी संविदाकर्मियों
की मानक के विपरीत
छंटनी की जा रही
है। इससे बड़ी संख्या
में संविदाकर्मी बेरोजगार हो रहे हैं
और गलत कदम उठाने
को मजबूर हो रहे हैं।
समिति ने मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ से अपील की
कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत
वितरण निगम के निजीकरण
का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाए और
प्रदेश में पिछले 16 वर्षों
से चल रहे आगरा
फ्रेंचाइजी मॉडल की गहन
समीक्षा कराई जाए। संघर्ष
समिति का दावा है
कि आगरा फ्रेंचाइजी के
कारण अब तक पावर
कारपोरेशन को लगभग 30 हजार
करोड़ रुपये का नुकसान हो
चुका है।
संघर्ष समिति ने कहा कि
विधानसभा में निजीकरण पर
चर्चा के दौरान ऊर्जा
मंत्री द्वारा आगरा और ग्रेटर
नोएडा के निजीकरण का
हवाला दिया गया, जिससे
यह और आवश्यक हो
जाता है कि नए
निजीकरण प्रयोग से पहले इन
मॉडलों के वास्तविक परिणाम
जनता के सामने रखे
जाएं। यदि निजीकरण का
प्रयोग विफल रहा है
तो आगरा और ग्रेटर
नोएडा के करार रद्द
किए जाएं। समिति के अनुसार वर्ष
2024-25 में आगरा में पावर
कारपोरेशन ने टोरेंट पावर
को लगभग 2500 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति की। यह बिजली
5.65 रुपये प्रति यूनिट की दर से
खरीदी गई, जबकि टोरेंट
पावर को मात्र 4.29 रुपये
प्रति यूनिट में दी गई।
इससे प्रति यूनिट 1.36 रुपये का नुकसान हुआ
और सिर्फ इसी वर्ष में
करीब 340 करोड़ रुपये का
घाटा हुआ। चालू वित्तीय
वर्ष में भी लगभग
300 करोड़ रुपये का नुकसान बताया
गया है।
इसके अलावा 2010 से
2024 के बीच महंगी बिजली
खरीदकर सस्ती दरों पर आपूर्ति
के कारण करीब 2434 करोड़
रुपये का नुकसान हो
चुका है। समिति का
यह भी आरोप है
कि टोरेंट पावर पर पावर
कारपोरेशन का लगभग 2200 करोड़
रुपये का राजस्व बकाया
है, जो अब तक
नहीं मिला। संघर्ष समिति ने सवाल उठाया
कि निजीकरण की वकालत करने
वाला प्रबंधन आगरा फ्रेंचाइजी की
असलियत पर चुप क्यों
है और घाटे के
झूठे आंकड़े दिखाकर कर्मचारियों व जनता को
भ्रमित क्यों किया जा रहा
है। प्रतिनिधिमंडल में ओपी सिंह,
जिउतलाल, अंकुर पांडेय, रमाकांत, बंशीलाल, अरुण कौल, पंकज
यादव सहित अन्य कर्मचारी
नेता उपस्थित रहे।



