Friday 29 March 2024

सपा-बसपा संरक्षण में बने डॉन को बुलडोजर बाबा ने दिखाई औकात!

सपा-बसपा संरक्षण में बने डॉन को बुलडोजर बाबा ने दिखाई औकात


 
सपा-बसपा काल के संरक्षण में पला-बढ़ा पूर्वांचल का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी मिट्टी में तो मिल गया, लेकिन उसके काले कारनामें, दुर्दांत करतूते खौफ का मंजर-तबाही पीड़ितों के आंखों से हटाएं नहीं हट रहा। आजमगढ़ व  मऊ में हुए दं
गे
के दौरान ’कर्फ्यू के बाद भी खुली जीप में हवा में लहराते असलहों का प्रदर्शन आज भी लोगों के जेहन में है। मुलायम सिंह यादव की छूट एवं संरक्षण का भूत उस पर इस कदर सवार था कि आम इंसान तो दूर उसके खौफ से खाकी वर्दीधारियों के भी पैंटें गिली हो जाया करती थी। अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग तो उसके लिए जैसे बच्चों का खिलौना था। हद तो तब हो गयी, जिस वक्त उसे जेल में होना चाहिए था, तब वह राजधानी लखनऊ की सड़कों पर घूम-घूमकर अपनी ताकत का सिर्फ एहसास करा रहा था, बल्कि डीजीपी कार्यालय में बैठकर फोटो सेशन भी करवाते पाया गया। खास बात यह है कि बाप तो बाप उसके साहबजादे अब्बास अंसारी भी कुछ उसी नक्शे-कदम पर चलते हुए 2022 के चुनाव में अधिकारियों को खुली धमकी देते फिर रहा था, कहा- ’अखिलेश सरकार बनने पर 6 महीने तक कोई ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी, पहले होगा हिसाब’यह अलग बात है कि जो सख्श कल तक लोगों को चुटकी में मौत देता था, आज वह खुद बेजान पडा था...और कुछ सियासतदान अब भी घड़ियाली आंसू बहाकर तुष्टिकरण की पॉलिटिक्स को धार देते हुए लोकसभा चुनाव में वोट बटोरने का सपना देख रहे है। अब इसे तुष्टीकरण की पराकाष्ठा नही ंतो और क्या कहेंगे, जिस अजय राय के भाई अवधेश राय की उन्हीं के सामने मुख्तार ने हत्या की थी, वो भी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। तो दुसरी तरफ लोगबाग यह भी कहने से नहीं चूकते कि जिस डॉन को कांग्रेस, सपा-बसपा ने संरक्षण देकर 25 करोड़ आवाम की सुरक्षा से खिलवाड़ किया, बुलडोजर बाबा ने उसकी औकात दिखा दी है। इस औकात विपक्ष के घड़ियाली आंसू का कितना असर होगा, ये तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन डॉन की मौत से एक तरफ कुछ लोग मातम मना रहे थे, दूसरी तरफ पीड़ितों के घर होली-दीवाली जैसा माहौल है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यह भी है क्या  क्या पूर्वांचल में लड़ाई माफियाराज बनाम रामराम की
होगी?

सुरेश गांधी 

                फिरहाल, माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है. ठेकेदारी से जिंदगी का सफर शुरू करने वाला मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का बाहुबली, आतंक-दबदबा और फिर सपा-बसपा के संरक्षण में यूपी की सक्रिय राजनीति में इस कदर हैसियत बना लिया कि उसके आगे लोग रहम की भीख मांगते दिखे। हालांकि कुछ ऐसे भी है, जो कहते है मुख्तार अंसारी गरीबों का मसीहा था। लेकिन उन्हें समझना होगा, वो कुछ लोगों की मदद सिर्फ इसीलिए करता था कि लोग उसे मसीहा कहे। मदद के नाम पर सिर्फ वो वोट लेता रहा, बल्कि उन्हीं की वोट के ताकत पर जुर्म की सारी हदें पार करता रहा। लोगों को मौत के घाट उतारता रहा। बता दें, मुख्तार अंसारी की दबंगई और राजनीति में एंट्री 90 के दशक में हुई थी. इसके बाद से लेकर उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने तक लगातार कायम रही. प्रदेश में सरकार बसपा की हो या सपा की, मुख्तार की तूती दोनों में बोलती रही. समाजवादी पार्टी के पूर्व संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती का भी खास करीबी रहा. 2006 में मुलायम सिंह यादव से उसके घनिष्ठ संबंध का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने एलएमजी का सौदा कराने के मामले में केस को रद्द करा दिया. साथ ही एलएमजी का सौदा करने पर पोटा लगाने वाले पुलिस अधिकारी को नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. यह अलग बात है कि 2017 में योगी सरकार बनने के बाद से लगातार मुख्तार अंसारी पर सिर्फ ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई, बल्कि उसके आतंक के साम्राज्य को भी बुलडोजर तले रौंद दिया गया। उसकी सारी हेकड़ी माफिया गिरी निकाल दी गई. न्यायालय के स्तर पर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की फाइल खुली तो उससे लगायत कई मुकदमों का ट्रायल शुरू हुई और सजा दर सजा होती रही। वह जेल से बाहर नहीं पाया. अवैध संपत्तियों पर भी योगी सरकार का बुलडोजर जमकर चला और हर स्तर पर माफिया की कमर तोड़ने का काम किया गया. मुख्तार अंसारी को अलग-अलग मामलों में 2 बार उम्रकैद हुई थी. वह 2005 से सजा काट रहा था. मुख्तार अंसारी को 7 मामलों में सजा मिल चुकी थी, जबकि 8 मामले में वह दोषी करार दिया गया था. अप्रैल 2023 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में उसे 10 साल की सजा हुई. 13 मार्च 2024 को एक आर्म्स लाइसेंस केस में अंसारी को उम्रकैद की सजा मिली.

बता दें, मुख्तार अंसारी की अपराध की कुंडली ऐसी थी कि जानकर रोंगटे खड़े हो जाएं, और इस अपराध की आड़ में उसने अकूत दौलत बनाई. मुख्तार का नाम लेने पर ठेके खुल जाते थे, उसके नाम पर लूट, डकैती, अपहरण, दंगा से लेकर अवैध वसूली की जाती थी। उसके नाम पर बड़े-बड़े नेता और माफिया कांप जाते थे. उसके गुंडाराज का आलम यह था पूर्वांचल में खून बनकर बरसता था. हथियार के बल पर आतंक फैलाने के शौकीन मुख्तार जब चलते, तो उनके गुर्गे असलहा लहराते हुए काफिले के साथ होते थे. किसी की क्या मजाल कि इनके काफिले को रोकने की जुर्रत कर सके. उसके गैंग का आतंक इस कदर था कि कोई भी गुंडा टैक्स या हफ्ता देने से इंकार करने के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकता था. मुख्तार ने बेखौफ होकर संगीन अपराधों को अंजाम दिया. शराब से लेकर रेलवे के ठेके तक, सरकारी ठेकों को हथियाने के लिए अपहरण और हत्या जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने से पहले जरा भी नहीं सोचा. मुख्तार अंसारी गैंग के नाम करीब 155 एफआईआर दर्ज हैं. उसका खौफ ऐसा था कि बगैर उसके मर्जी के पूर्वांचल में कोई भी ठेका या व्यवसाय कोई दूसरा नहीं कर सकता था. तमाम एजेंसियों द्वारा अब तक करीब 1200 करोड़ की प्रॉपर्टी में से 608 करोड़ की प्रॉपर्टी या तो जब्त की जा चुकी है, या फिर उसे ध्वस्त किया जा चुका है. वहीं मुख्तार के 2100 करोड़ रुपये से ज्यादा अवैध कारोबार को बंद किया जा चुका है. मुख्तार अंसारी और उसका गिरोह ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, कोयला कारोबार, रेलवे का ठेका और मछली का अवैध कारोबार चलाता था

\आयकर विभाग ने मई-2023 में बेनामी संपत्ति रोकथाम अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में मुख्तार अंसारी की संपत्ति कुर्क की थी.आयकर टीम ने गाजीपुर में करीब 20 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया था. ये संपत्ति मुख्तार अंसारी के करीबी सहयोगी गणेश दत्त मिश्रा के नाम पर था. जांच से पता चलाथा कि गणेश मिश्रा एकबेनामीदारथे और संपत्ति वास्तव में अंसारी की थी. इसे मामले में मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशा अंसारी को जून-2023 में आयकर विभाग नने पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वो पेश नहीं हुई थी. या यूं कहे 90 के दशक से लेकर साल 2017 तक उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. चाहे वह मायावती की सरकार रही हो या मुलायम की मुख्तार पर कोई फर्क नहीं पड़ा. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और मऊ दंगा समेत करीब 61 मुकदमे मुख्तार अंसारी पर दर्ज हैं, इनमें से कई में मुख्तार को सजा भी मिल चुकी थी. साल 2024 तक मुख्तार गैंग के लगभग सभी गुर्गों को जेल भेज दिया गया या फिर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए. मुख्तार अंसारी की अब तक करीब 500 करोड़ की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है.

जब योगी पर हुआ हमला 

साल 2005 में जब मऊ में दंगे हुए, तो मुख्तार अंसारी खुली जीप में घूम रहे थे. आरोप है कि धर्म विशेष के लोगों के खिलाफ जमकर अत्याचार किया गया था. कहा गया कि दंगा भड़काने का काम मुख्तार अंसारी ने ही किया. इन दंगों के बाद साल 2006 में यूपी के वर्तमान सीएम और तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को खुली चुनौती दी कि मऊ आकर पीड़ितों को इंसाफ दिलाएंगे, लेकिन उन्हें मऊ में दोहरीघाट में रोक दिया गया था. इसके दो साल बाद 2008 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के लीडरशिप में एलान किया कि वो आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली निकालेंगे। दिन तारीख और जगह दोनों तय हो गई। तारीख थी 7 सितंबर 2008 जगह-डीएवी कॉलेज का मैदान। सीएम योगी उसमें मुख्य स्पीकर थे। रैली की सुबह, गोरखनाथ मंदिर से करीब 40 वाहनों का काफिला निकला। उन्हें आजमगढ़ में विरोध की पहले से ही आशंका थी, इसीलिए सीएम योगी की टीम पहले से ही तैयार थी। योगी के काफिले में योगी की लाल रंग की एसयूवी सातवें नंबर पर थी। शहर के करीब पहुंचते ही तकरीबन 100 चार पहिया और सैकड़ों की संख्या में बाइक भी जुड़ चुकी थीं। एक पत्थर काफिले में मौजूद सातवीं गाड़ी यानी सीएम योगी के गाड़ी पर लगा। योगी के काफिले पर हमला हो चुका था। हमला सुनियोजित था। उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ हुई थी. उपद्रवियों ने आगजनी की भी कोशिश की थी. उस वक्त योगी आदित्यनाथ बाल-बाल बचे थे. हमले से बचने के बाद योगी ने खुले शब्दों में मुख्तार अंसारी को चेतावनी दी थी. इसके बाद जब से योगी सूबे के सीएम बने हैं, तभी से उन्होंने यूपी में अपराधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उसके अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए गए. कई बेनामी संपत्तियां जब्त कर ली गईं. परिवार के लोगों पर भी कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा. मुख्तार को पंजाब से यूपी लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। 2 सालों में यूपी पुलिस की टीम 8 बार मुख्तार को लेने पंजाब गयी, लेकिन हर बार सेहत, सुरक्षा और कोरोना का कारण बताकर पंजाब पुलिस ने उसे सौंपने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे यूपी लोकर बांदा में रखा गया।

पंजाब से शूटर करते थे मुख्तार के लिए काम

पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, ”जब मऊ का दंगा हुआ था उस वक्त मुख्तार अंसारी खुली जीप में घूमता था। जहां पुलिस प्रशासन सब फेल हो रहा हो वहां मुख्तार खुली जीप में घूम रहा था। उस समय सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से वहां दौरा करने के लिए रहे थे।पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “क्योंकि एकतरफा कार्रवाई हो रही थी तो योगी के काफिले पर बम फेंका गया जान से मारने के लिए। संयोग था कि उन्होंने गाड़ी बदल दी थी, नहीं तो उस वक्त बहुत बड़ा हादसा हो जाता। समझा जा सकता है कि मुख्तार का कितना मन बढ़ा हुआ था।उन्होंने बताया, ”जेल में जब मुख्तार गया तो बड़े-बड़े वरिष्ठ अधिकारी उसके साथ जाकर बैडमिंटन खेलते थे। वहां दरबार लगता था। जेल से बाकायदा इनकी सरकार चलती थी। बाहर के ठेके-पट्टे, किडनैपिंग और तमाम उलटे-सीधे काम सब वहीं से चलते थे।” “मुख्तार केवल कहने के लिए था कि जेल में हैं। वहां से इसका पूरा गैंग ऑपरेट किया जाता था। जब उत्तर प्रदेश में योगी जी गए तो इनको लगा कि यहां खतरा है तो झूठे केस में ये पंजाब चले गए और वहां ऐश करने लगे। इनके बहुत से शूटर पंजाब के थे।

माया-मुलायम का करीबी रहा मुख्तार

मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी दोनों मायावती और मुलायम सिंह के करीब रहे. समय समय पर सपा-बसपा का साथ सियासी पारी खेलते रहे. 2024 लोकसभा चुनाव में सपा ने अफजाल अंसारी को गाजीपुर से उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले वह 2019 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे. सपा और बसपा के साथ जब बात नहीं बनी तो खुद की पार्टी बना ली थी, जिसका नाम रखा कौमी एकता दल. मायावती की नजदिकिया कां अंदाजा इसी बाते से लगाया जा सकता है कि उसके आराधिक पृष्ठभूमि का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, उनके परिवार के सदस्यों ने देश की सेवा की है. शहीद हुए हैं. साथ ही उन पर दर्ज मुकदमों को षड्यंत्र का हिस्सा बताते हुए फर्जी करार दिया था. हालांकि बाद में मायवती ने मुख्तार को बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

रसूख के बूते देता रहा अंजाम

कहते है खानदानी रसूख के चलते ही वह जरायम की दुनिया में कदम रखा। उसके दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस मुस्लिम लीग के अध्यक्ष थे. उनकी याद में दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर है. दादा की तरह नाना भी नामचीन हस्तियों में से एक थे. कम ही लोग जानते हैं कि महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार के नाना थे. उन्होंने 1947 की जंग में सिर्फ भारतीय सेना की तरफ से नवशेरा की लड़ाई लड़ी बल्कि हिंदुस्तान को जीत भी दिलाई. हालांकि वो खुद इस जंग में हिंदुस्तान के लिए शहीद हो गए थे. मुख्तार के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्यूनिस्ट नेता थे, इतना ही नहीं पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं. भाई अफजाल अंसारी विधानसभा से लेकर लोकसभा तक कई चुनाव जीते और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर कई बार विधायक निर्वाचित हुए. इसके अलावा समाजवादी पार्टी के टिकट पर भी अफजाल अंसारी ने जीत हासिल की और गाजीपुर से लोकसभा का चुनाव भी जीतने में वह सफल रहे.

पांच बार विधायक रहा मुख्तार

मऊ की सदर सीट से मुख्तार अंसारी लगातार 5 बार विधायक रह चुका है. साल 2022 में छठवीं बार उसका बेटा विधायक बना. मुख्तार अंसारी का जन्म तो गाजीपुर में हुआ लेकिन उसकी कर्मस्थली मऊ रही. पहली बार साल 1996 में बसपा की टिकट पर मुख्तार मऊ की सदर सीट से विधायक बना और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मुख्तार ने मऊ को अपना गढ़ बनाया और लगातार पांच बार साल 2022 तक विधायक रहा. साल 2002 में बसपा से टिकट मिलने पर मुख्तार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद मुख्तार ने कौमी एकता दल के नाम से खुद की पार्टी बनाई और फिर दो बार विधायक बना. साल 2017 में मुख्तार ने अपनी पार्टी का बसपा में विलय कर लिया और बसपा से चुनाव लड़ा. इस दौरान मोदी की लहर में भी मुख्तार ने जीत हासिल की. साल 2022 में मुख्तार ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया, जिसके बाद मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी मऊ की सदर सीट से विधायक बना.

पूर्वांचल के कई सीटों पर रहा प्रभाव

उत्तर प्रदेश के करीब दो दर्जन लोकसभा सीट और 120 विधानसभा सीटों पर मुख्तार का सीधा या आंशिक प्रभाव माना जाता है. एक दौर था जब वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. मुख्तार गैंग का इन जिलों में इतना दबदबा रहा कि हर कोई इनके सामने वोट के लिए नतमस्तक हो गया. मायावती ने तो मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा तक कह दिया था. मुख्तार ऐसा डॉन था कि जेल उसके लिए घर था, जेल में रहकर ही मुख्तार राजनीति करता था, चुनाव जीतता था और अपने गैंग का संचालन भी जेल से ही करता था.

ऐसे बना जरायम की दुनिया के बेताज बादशाह 

साल 1988 में मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर मुख्तार अंसारी ने सचिदानंद राय की हत्या कर दी. इसके बाद मुख़्तार का नाम बड़े क्राइम में पुलिस फाइल में दर्ज कर लिया गया. इस दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या वाराणसी में कर दी गई, इसमें मुख़्तार का नाम एक बार फिर सामने आया. साल 1991 में चंदौली में मुख़्तार अंसारी को गिरफ्तार किया गया, लेकिन रास्ते में दो पुलिसवालों को गोली मार फरार हो गए. रेलवे के ठेके, शराब के ठेके, कोयले के काले कारोबार को शहर से बाहर रहकर संचालित करना शुरू कर दिया. साल 1996 में मुख़्तार का नाम एक बार फिर सुर्खि़यों में आया, जब एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमला हुआ. साल 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यापारी रुंगटा के अपहरण के बाद मुख़्तार अंसारी का नाम जरायम की दुनिया में गहरे काले अक्षरों में दर्ज हो गया. उस वक्त तक माफिया डॉन बृजेश सिंह का उदय हो चुका था. साल 2002 में बृजेश सिंह और मुख़्तार अंसारी के बीच हुए गैंगवार में मुख़्तार के तीन लोग मारे गए. बृजेश सिंह भी जख़्मी हो गए. उनके मरने की खबर आई, लेकिन कई महीनों तक किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई कि बृजेश सिंह जिन्दा हैं.

जब हाईकोर्ट ने कहा, मुख्तार देश का सबसे खूंखार गैंग है

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के गैंग को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि मुख्तार अंसारी गिरोह देश का सबसे खूंखार अपराधी गिरोह है। हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ ही मुख्तार के गुर्गे रामू मल्लाह की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। बता दें रामू मल्लाह ने हत्या के एक मुकदमे में जमानत अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये बात कही है।  रामू मल्लाह मुख्तार अंसारी गैंग का सदस्य है। उसके खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट सहित गंभीर धाराओं में गाजीपुर कोतवाली में छह और मऊ के दक्षिण टोला थाने में एफ आई आर दर्ज है। रामू मल्लाह ने मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज हत्या के मुकदमे में ही जमानत अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी गैंग का सदस्य होने और क्रिमिनल हिस्ट्री के आधार पर रामू मल्लाह की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

मुख्तार अंसारी पर दर्ज थे 65 केस

मुख्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी और कई अन्य आपराधिक कृत्यों में कुल 65 मामले दर्ज थे. इनमें से 18 मामले हत्या के थे. उसके खिलाफ लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मऊ, आगरा, बाराबंकी, आजमगढ़ के अलावा नई दिल्ली और पंजाब में भी मुकदमे दर्ज थे. अंसारी के खिलाफ 2010 में कपिल देव सिंह की हत्या और 2009 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मीर हसन नामक व्यक्ति की हत्या के प्रयास मामले में आरोप साबित हो चुके थे.

-24 जुलाई 1990 को शिवपुर के देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ बड़ागांव थाने में डिकैती और अपहरण का मामला दर्ज कराया. इस मामले में सितंबर 1990 को पुलिस ने कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी.

-इसके बाद 3 अगस्त 1991 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी के खिलाफ चेतगंज थाने में पूर्व विधायक अजय राय ने मुकदमा दर्ज कराया.

- 23 जनवरी 1997 को अपहरण के मामले में वाराणसी के भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया. इस मामले में वह निचली अदालत में दोषमुक्त हो चुका है. 

- 6 फरवरी 1998 को भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ छै। लगाया गया.

- 1 दिसंबर 1997 को मुख्तार के खिलाफ धमकाने का मामला दर्ज किया गया.

- 17 जनवरी 1999 को भेलूपुर थाने में मुख्तार के खिलाफ धमकाने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया.

- 20 जुलाई 2022 को कैंट थाने में आपराधिक साजिश समेत अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया.

17 माह में सात सजा 

मुख्तार अंसारी को बीते 17 माह में सात मामलों में अदालत से सजा सुनाई जा चुकी थी। मुख्तार के खिलाफ लंबित 65 मुकदमों में से 20 में अदालत में सुनवाई चल रही थी। वाराणसी की अदालत ने अवधेश राय हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यहीं की अदालत ने कोयला व्यवसायी नंद किशोरी रूंगटा के भाई महादेव रूंगटा को धमकी देने के मामले में भी सजा सुनाई है। गैंगस्टर के चार मामलों में उसे सजा हुई है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ सजा का सिलसिला 21 सिंतबर 2022 को शुरू हुआ था। लखनऊ के आलमबाग थाने में वर्ष 2003 में दर्ज जेलर को धमकाने के मुकदमे में मुख्तार को एडीजे कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था। सरकार ने इसे 27 अप्रैल 2021 को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी मामले में उसे पहली बार सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 23 सितंबर, 2022 को लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई। 29 अप्रैल, 2023 को गाजीपुर में ही दर्ज गैंगस्टर एक्ट के एक अन्य मामले में दस वर्ष की सजा हुई। पांच जून 2023 को अदालत ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह फैसला 32 वर्षों बाद आया था। 15 दिसंबर 2023 को वाराणसी के कोयला व्यवसायी और विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष रहे नंद किशोर रूंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकी देने के 27 साल पुराने मामले में साढ़े पाच साल की सजा मुख्तार अंसारी को मिली थी। बीते 13 मार्च को विशेष न्यायाधीश (एमपी एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने फर्जीवाड़ा कर दोनाली बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में मुख्तार अंसारी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चार दिसंबर 1990 को मुख्तार के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

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