Tuesday 15 May 2018

मोदी के संसदीय क्षेत्र में काशी में बड़ा हादसा, 12 लोगों की मौत

मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में बड़ा हादसा, 12 लोगों की मौत  
कैंट रेलवे स्टेशन के सामने निर्माणाधीन ओवरब्रिज गिरा, 50 से अधिक लोग दबे, दर्जनों वाहन क्षतिग्रस्त 
                सुरेश गांधी 
        वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार को सायंकाल बड़ा हादसा हो गया है। कैंट रेलवे स्टेशन के पास  निर्माणाधीन ओवरब्रिज का एक बड़ा हिस्सा गिर गया। इसके चलते न सिर्फ पचास से अधिक लोगों के दबने की आशंका है, बल्कि दर्जनों वाहन भी चपेट में आने से क्षतिग्रस्त गए हैं। खबर लिखे जाने तक 12 लोगों की मौत हो चुकी थी। यह संख्या और भी बढ़ सकती है। घटना के बाद पूरे इलाके में भगदड़ मच गयी। चारों तरफ चीख-पुकार की आवाज गूंजने लगे। जो जहां थे वहीं से भागने लगे। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंचकर राहत में जुट गयी है। रेलवे स्टेशन होने के चलते यह इलाका काफी व्यस्त रहता है। जिस वक्त ये हादसा हुआ वहां काफी भीड़ थी। सड़क से दर्जनों वाहन गुजर रहे थे। सभी इस हादसे की चपेट में आ गए। प्रधानमंत्री ने घटना पर दुख जताया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी को मौके पर पहुंचने का आदेश दिया है। 
            बताते है जिस वक्त हादसा हुआ है वहां ट्रैफिक जाम था और भारी भीड़ थी। पुल के गिरते ही चीख-पुकार मच गई। आस पास के लोग मदद के लिए दौड़ पड़े। पुलिस को भी फोन किया गया। पुलिस हादसे के काफी देर बाद पहुंची जिसको लेकर लोगों में गुस्सा देखा गया। हादसे की तस्वीरें बता रही हैं कि यह कितना वीभत्स है। बताया जा रहा है कि ओवरब्रिज का एक हिस्सा वहां से गुजर रही एक रोडवेज बस और कई गाड़ियों के ऊपर गिर गया। स्टेशन आने और जाने का रास्ता बंद हो गया। मौके पर यूपी पुलिस, आर्मी, एनडीआरएफ के जवान घायल लोगों को मलबे में से निकालने में जुटे हैं। घायलों को मंडलीय अस्पताल, कबीरचैरा और बीएचयू अस्पताल भेजा जा रहा है। हादसे से यातायात भी दोनों तरफ का बाधित हो गया तो काफी लंबी दूरी तक जाम की स्थिति भी बन गई। 






Friday 11 May 2018

वकील की हत्या के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहे अधिवक्ता

वकील की हत्या के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहे अधिवक्ता 
शीघ्र ही हत्यारों की गिरफ्तार नहीं किया गया तो होगा उग्र आंदोलन  
                            सुरेश गांधी 
        ज्ञानपुर, भदोही। वकील राजेश श्रीवास्तव की हत्या के विरोध में डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन, भदोही-ज्ञानपुर के तत्वावधान में शुक्रवार को अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। इस दौरान अदालतें तो बैठीं लेकिन, वकीलों की गैरमौजूदगी में जज अपने चेंबरों में वापस चले गए। इससे अदालतों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। सुबह बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने न्यायालय परिसर में जुलूस निकाला। जुलूस में शामिल अधिवक्ता पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद, राजेश के हत्यारों को गिरफ्तार करो-गिरफ्तार करो के नारे लगा रहे थे। जुलूस दीवानी न्यायालय से शुरु होकर सीजेएम न्यायालय परिसर में समाप्त हो गया। न्यायिक कार्य ठप होने से दूरदराज से आएं वादकारियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा। 
             सभा में वकीलों ने घटना की निंदा की है और हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की है। वकीलों ने हत्यारोपितों की गिरफ्तारी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी। मुख्यमंत्री की ओर से मृतक के परिवारीजन को 20 लाख रुपये की सहायता देने पर आभार जताया। इससे पहले वकीलों की बैठक में न्यायिक कार्य बहिष्कार का प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव मेंमृतक के परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की मांग सरकार से की गई। जिन अधिवक्ताओं के पास माफिया के खिलाफ मुकदमे हैं, उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा दी जानी चाहिए। अफसोस है कि न्याय दिलाने वाला खुद न्याय नहीं पा रहा है। सभा में अधिवक्ताओं ने कहा कि फर्जी एनकाउंटर के जरिए अपराध रोकने में जुटी यूपी पुलिस का दावा हवा-हवाई साबित हो रही है। एक के बाद एक हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार की घटनाएं हो रही है। अब तो गरीब से गरीब व्यक्ति को न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता भी असुरक्षित हो गए हैं। इलाहाबाद में सीनियर अधिवक्ता राजेश श्रीवास्तव की बदमाशों ने दिनदहाड़े हत्या कर दी। हत्या के बाद अपराधी बड़े ही आराम से भाग निकले और पुलिस देखती ही रह गयी। अधिवक्ताओं ने कहा कि योगीराज में अपराध लगातार बड़ रहा है। यदि शीघ्र ही अधिवक्ता के हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जायेगा। 
      सभा में एसोसिएसन के अध्यक्ष अश्विनी कुमार मिश्र, सचिव विमलेश कुमार यादव, सीनियर अधिवक्ता तेज बहादुर यादव, स्वामी प्रसाद मिश्रा, ओमप्रकाश मौर्य, मजहर शकील, राकेश पांडेय, पंकज तिवारी, मुन्नर राम यादव, आलोक दुबे, वीरेन्द्र कुमार चैहान, राजधर बिन्द, श्याम शंकर यादव, गिरजाशुकर यादव, ओमप्रकाश सरोज, ब्रह्मकिशोर श्रीवास्तव, शशि पांडेय, संतोष दुबे, श्रीमती स्नेहलता, सुषमा मिश्रा, अशोक त्रिपाठी, विजय नारायण पांडेय, शिवकुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किया। सभा के अंत में अधिवक्ताओं ने दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से मृतक आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। 

Saturday 5 May 2018

रोज ठहाका मन से लगाओ, बीपी-शुगर दूर भगाओ

रोज ठहाका मन से लगाओ, बीपी-शुगर दूर भगाओ  
             जब हम हंसते हैं तो खुद ही नहीं आस-पास का माहौल भी खुशनुमा हो जाता है। इसीलिए तो आज के भागमभाग भरी जिंदगी में कुछ पल निकालकर ठहाके लगाने की दरख्वाश डाक्टर से लेकर शिक्षक, योगगुरु सहित घर के बड़े-बुजुर्ग तक कह रहे है, ‘‘अगर अपनी जवानी और जिंदादिली बरकरार रखनी है तो हंसते रहिए। स्वस्थ रहना है तो हंसते रहिए और जिंदगी का पूरा मजा लेना है तो हंसते रहिए  
           सुरेश गांधी 
            हास्य के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं राष्ट्रपति के द्वारा साहित्य श्री पुरस्कार से सम्मानित कृष्णा अवतार राही का कहना है कि हंसी के बिताया हुआ दिन, बर्बाद किया हुआ दिन है। अगर कोई दिन में आठ घंटे तक हंसकर बिताएं तो न केवल गंभीर रोगों से बल्कि मानसिक रोगों से भी छुटकारा पा सकता हैं। या यूं कहे हंसी सेहत के लिए सबसे अच्छा टाॅनिक और और हमेसा सुन्दर दिखने के लिए सबसे बेहतर औषधि भी है। जब मनुष्य हंसता है तो वह कुछ पलों के लिए सबसे अलग हो जाता है। उसके विचारों की श्रृंखला टूट जाती है। एकाग्रता आती है। मन-मस्तिष्क खाली व हल्के होने लगते हैं। वे कहते है कि ‘स्वस्थ हास्य समाज को जगाने का भी काम करता है‘। मैंने अपनी कविताओं के माध्यम से रिश्तो से राजनीति तक हर विषय को छुआ हैं। शब्दों को घुमा-फिराकर उनके अर्थ भी बदलें हैं। ताकि हास्य के पुट के साथ-साथ तमाम पहलुओं को एक ही जगह पर समाहित किया जा सके। हास्य कवि सम्मेलन स्वस्थ मनोरंजन का माध्यम है। सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि देश की वर्तमान स्थिति का चित्रण और समाज की जवाबदेही बताने की बखूबी काम हमारे कवि कर रहे हैं। 
हंसने की फुर्सत ही नहीं 
         चिकित्सक की भाषा में कहें तो हंसने से पिट्युटरी ग्लैंड्स प्रभावित होती है, जिससे भय, अवसाद और तनाव दूर होता है। जहां तक हास्य कवि होने का सवाल है तो सच्चा कवि वहीं है जो रोते को हंसा दें। यदि कोई काम बिना बोझ के खुशी-खुशी कर लिया जाएं तो तनाव काफी हद तक कम हो जाता है। इसके बावजूद शायद ही किसी को याद हो कि वह आखिरी बार दिल खोलकर कब हंसा था। या कोई ऐसी बात जिसको सुनकर लोटपोट हो गये हों। क्योंकि आजकल लाइफ में काम ही इतने है कि हंसने की फुर्सत ही नहीं। आज की भागमभाग भरी जिंदगी में जैसे लोग हंसना-मुस्कराना भूल चुके हैं। जबकि अत्यधिक गंभीरता जीवन को जटिल व असहज बना देती है। खासकर भौतिकता के इस वर्तमान युग में इसका सबसे अधिक प्रतिकूल असर बच्चों पर पड़ा है। 
हंसी-मजाक के रिश्तें 
         हास-परिहास की जरुरत का इससे बड़ा और क्या उदाहरण होगा कि इसके लिए बाकायदा रिश्ते गढ़े गए हैं। देवर-भाभी, जीजा-साली जैसे चुहल भरे रिश्ते इसलिए बनाएं गए हैं ताकि रिश्तों पर समस्याएं हावी न हों और उनमें एक सेंस आॅफ ह्यूमर बना रहें। बीएचयू के न्यूरोलाॅजिस्ट डा विजय मिश्रा की मानें तो एक मिनट की मुस्कान व्यक्ति को जितना सहज बनाती है, उसके लिए उसे 45 मिनट तक कोशिशें करनी पड़ सकती है। हंसने से चेहरे के मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है। हंसी पेनकिलर का काम करती है। फैट कम करने में भी इसका बड़ा योगदान होता है। शोध बताते है कि हर बार जब हम मुस्कराते हैं, मस्तिष्क में फीलगुड पार्टी होने लगती है। मुस्कराने से कुछ ऐसे हार्मोंस रिलीज होते है, जो तनाव या किसी भी तरह के दबाव से लड़ने में कारगर होते हैं। ये फीलगुड न्यूरोट्रांसमीटर्स, डोपामाइन, एंड्रोफिंस व सेरोटोनिन आदि है। इनका स्तर बढ़ता है तो शरीर को सुकून मिलता है और ब्लड प्रेशर संतुलित होता है। एंड्रोफिंस एक तरह से दर्द निवारक दवा का काम करता है। जबकि सेरोटोनिन एंटीडिप्रेसेंट्स का यानी एक जरा सी हंसी कितना कुछ छिपा हुआ हैं। 
हार्ट के साथ दूर भागता है ब्लड प्रेशर 
          इसके अलावा हंसने से न सिर्फ थकावट दूर होती है बल्कि ब्लड प्रेसर ठीक रहता है और नींद भी अच्छी आती है। यह अलग बात है चिकित्सकों व योग गुरुओं की अपील कुछ लोगों पर जरुर पड़ी है। इसके ताजा उदाहरण ‘द कपिल शर्मा शो और ऐसे ही कुछ और हास्य से ओत-प्रोत कार्यक्रम टीवी चैनलों पर होने वाले प्रसारण की बढ़ती लोकप्रियता से अंदाज लगाया जा सकता है कि समाज में कितनी हंसी की उपयोगिता हैं। लेकिन यह भी सच है कि इन हास्य धारावाहिकों के चंद मिनटों के प्रसारण से कुछ लोगों के चेहरा मुस्कुराता जरूर है, परंतु दिल खोलकर हंसने का मन इसलिये नहीं करता है, क्योंकि थकान आपको हंसने का मौका ही नहीं देती। इसलिए अपनी जवानी और जिंदादिली बरकरार रखनी है तो हंसते रहिए। स्वस्थ्य रहना है तो हंसते रहिए और जिंदगी का पूरा मजा लेना है तो हंसते रहिए। कहा जा सकता है हंसी जीवन का प्रभात है। यह शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। हंसने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं। हंसने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते। कोई अपनी पसंद के चुटकुले सुनता, सुनाता है तो कोई दुसरों से तरह-तरह की गप्प करके हंसाता है। जो नहीं कर पाते वे आजकल लाफ्टर क्लबों का सहारा लेते हैं ताकि ठहाकों से तनाव को छूमंतर किया जा सके। यही वजह है कि आज के दौर में काॅमेडी वाले कार्यक्रमों को सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। लतीफे कोई भी हो उन्हें हर कोई पसंद करता ही है और हंसी भी आती है यानी किसी न किसी तरह खुशी मिलती ही है। 
फिक्र से रहे बेफिक्र 
            दुख की रात चाहे जितनी लंबी हो, गुजर ही जाती है। कहते है दर्द जब हद से गुजर जाता है तो दवा बन जाता है। कई बार तो छोटी-छोटी तकलीफें इंसान को परेशान करती है जबकि बड़ी मुश्किलों में वह सब्र कर लेता है। दुखों-समस्याओं को स्वीकार करते हुए उनमें धैर्य बनाएं रखने का हुनर तभी आता है जब मुश्कराने की आदत हों। वैसे इंसानी फितरत यही है कि वह अपनी तकलीफों, मुर्खताओं और विफलताओं पर भी हंस लेता है। यह एक तरह का डिफेंस मैकेनिज्म भी हैै। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि सक्रिय व व्यस्त रहने वाले लोग सुखी रहते हैं। हंसने के लिए बेफिक्री, फाकामस्ती और जिंदगी को समग्रता में देखने का साहस जरुरी है। हर पल को कैसे बिताना हैं, यह इंसान स्वयं ही तय कर सकता हैं। ‘यूज इट आॅर लूज इट‘ - यानी इसे जीएं या गवां दें, यह अपने ही हाथ में हैं। खुश रहने वाले जानते है कि हंसने से जीवन में कुछ साल और जोड़े जा सकते है और हां, उन सालों में जिंदगी का जज्बा बनाएं रखा जा सकता है।  
मात्र 6 मिनट का हंसना बेहद लाभकारी 
एक रिसर्च के अनुसार पहले लोग रोजाना करीब 18 मिनट हंसते थे और अब 6 मिनट ही हंसते हैं जबकि हंसना बेहद फायदेमंद है। दिल खोलकर हंसनेवाले लोग बीमारी से दूर रहते हैं और जो बीमार हैं वे जल्दी ठीक होते हैं। हंसी न सिर्फ हंसने वाले बल्कि उसके आसपास के लोगों पर भी पॉजिटिव असर डालती है। इसलिए रोजाना हंसें खूब हंसें जोरदार हंसें दिल खोलकर हंसें। तनाव व व्यस्तता से परिपूर्ण जीवन में हंसना जरूरी है। कुछ लोगों ने तो पार्कों में योग के दौरान हंसना अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिएं हैं। क्योंकि हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है, जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और शांतिपूर्ण बनाने के सभी तत्व उपस्थित रहते हैं। हंसने से बीमारियां भी दूर भागती हैं। हंसना सभी के शारीरिक व मानसिक विकास में अत्यंत सहायक है। जापान के लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हंसते रहने की शिक्षा देते हैं। 
ठहाके से जीती जा सकती है हर मुश्किलें 
          सच मानिए कि हंसी सबसे सस्ती है। इसलिए हर किसी को हंसते-हंसते जीना चाहिए। खुशनुमा रहने में ही असल जिन्दगी का मजा है। वैसे भी हंसी और खुशी का चोली-दामन का साथ होता हैं। दोनों का साथ रहना न सिर्फ हमारे लिए सुकूनदायक होता है बल्कि यह वह अहसास है जो हमें आत्मिक आनंद देता है। संतुष्टि देता है कि हम हंसी-खुशी जी रहे हैं और दुसरों के लिए भी यही कामना करते हैं। वाकई हंसी सेहत के लिए टाॅनिक या यूं कहे संजीवनी का ही काम करती हैं। हंसना-मुस्कराना कुदरत का वो अनमोल तोहफा और इंसानी व्यवहार का सबसे पाॅजिटिव इमोशन है। मन की उलझन हो या शारीरिक परेशानी, यह हर मर्ज का इलाज है। कहा भी जाता है हंसी की एक खुराक सौ दवाओं के बराबर होती है। यही वजह है कि इसे योग का दर्जा मिल चुका है। लाफ्टर मेडिटेशन और लाफ्टर योग अब हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन रहे हैं। योग के दुसरे तरीकों से अलग इसमें इंसान को खुश रहना और जी खोलकर हंसना सिखाया जाता है। तभी तो हंसी को प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत कहा जाता है। लेकिन साधारण से चलते अपने जीवन को हमने खुद ही लग्जरी चीजों को पाने की लालसा में इतना व्यस्त बना लिया है कि हमकों हंसने का समय ही नहीं मिलता है। दूसरों की चीजों को देखकर ईष्र्या करके हम सिर्फ कुढ़ना जाने हैं। जबकि जिस तरह खाने में स्वाद के लिए समय-समय पर तड़के की आवश्यकता होती है उसी तरह जिन्दगी को भी नीरसता से बचाएं रखने के लिए हंसी के तड़के की जरुरत पड़ती है। ताकि जीवन न सिर्फ सुचारु रुप स ेचल सके बल्कि उसे आनंदमय सुकून की प्राप्ति भी हो सके। 
जीवन की दिनचर्या है हंसी 
         वास्तव में यदि पूछा जाय कि यह हंसी आती कहां से है तो मैं कहूंगा कि यह हंसी जिन्दगी से आती है, आपसी संवाद से आती है जहां चार लोग बैठ जाते हैं वहीं हंसी का माहौल बन जाता है। संवेदना के आईने से देखेंगे तो विडम्बनाओं और विसंगतियों में भी हास्य छुपा रहता है। हंसी ऐसी चीज है जो हर जगह मौजूद हैं। जहां जीवंत माहौल होगा, वहीं हंसी का झरना फूट पडेगा। हंसी, मुस्कराहटे साथ जीने और रहने की दिनचर्या में भी आनंद भरती है जो कम्पलीट वेलनेस का मंत्र हैं। मतलब साफ है हंसी जिन्दगी का वो अनमोल उपहार है जो बेरंग जिन्दगी को खुशियों से भर देती हैं। जिसे महंगा मोल चुकाकर भी नहीं पाया जा सकता। सच मानिएं हंसी सबसे सस्ती है, इसलिए हर किसी को हंसते-हंसते जीना चाहिए। खुशनुमा रहने में ही असल जिन्दगी का मजा है। किसी ने सही कहा है हंसने में कुछ नहीं जाता बल्कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इसलिए खूब हंसना चाहिए, क्योंकि हंसी मुफ्त में मिलती है, मिलावट का कोई डर नहीं और ना ही किसी साइड इफेक्ट का ही डर और ना ही समय की पाबंदी ही होती है। 
हास्य योग की डिमांड 
          माना कि हास्य योग करने के बाद हो सकता है आपका वजन कम न हो लेकिन आपके दिमाग से ये खयाल जरुर निकल जायेगा कि आप मोटे हैं। लोग इसलिए इसकी क्लास में आते हैं क्योंकि ये एक तरह की कसरत है। लोग इसे करते हैं और खुद को खुश रखते हैं। गहरी सांस लेना, शरीर को खींचने के साथ-साथ हंसी का मेल हास्य योग में सिखाया जाता है। हास्य योग का मूल विचार यह है कि शरीर असली और कृत्रिम हंसी में फर्क नहीं कर सकता। हम हंसी का रसायन पैदा करने के लिए हंसी की चाल पकड़ते हैं। हास्य योग का मकसद मांसपेशियों को मजबूत करना नहीं है, बल्कि कठिन सोच से छुटकारा पाना हैं। हास्य योग की एक घंटे की कक्षा में 20-40 सेकेन्ड तक के छोटे-छोटे सेशन होते हैं। इसमें एक बार हो-हो करना सिखाया जाता है तो दुसरी बार हा-हा करने के लिए कहा जाता है। हर दिन 10 से 15 मिनट तक हंसने में 10 से 40 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती हैं। इससे काफी तनाव निकल जाता हैं। शुरुवात में थोड़ा असहज लगता है लेकिन बाद में हंसी को रोकना कठिन हो जाता हैं। यू ंतो हंसी लाने के लिए कोई बहाने नहीं ढूढ़े जाते बल्कि यह अचानक ही हमारी जिन्दगी में ऐसी जगह बना लेती है जिसके बिना कभी-कभी रहना मुश्किल हो जाता है। वाकई यह वो झरना है जो स्वतः ही हमारे से निकलता है। ईश्वर ने सिर्फ इंसानो को इस सौगात से नवाजा है। जरुरी है इस अनमोल का उपहार का मोल समझें और हंसी को खोने ना दें। हंसी-हंसाने का सबसे सुखद पहलू यही है कि यह हर हालत में जीवन को नया रंग, नया उत्साह देता है। हंसी बांटने का भाव खुशियों को और विस्तार देता हैं। हंसने से चेहरा ही नहीं मन भी खिल उठता हैं। निराशा और पीड़ा के साये दूर होते हैं। 
दिमागी टशन होगा छूमंतर 
          इसके बावजूद रोजमर्रा के कामों की व्यस्तता में हम ठहाके लगाना भूल जाते हैं। जरा याद कीजिए पिछली बार आप खुलकर कब हंसे थे? यह सवाल केल इसलिए क्योंकि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अतने व्यस्त और तनावग्रस्त है कि हंसना भूलता जा रहे हैं। किसी मामलूी सी बात पर क्राधित होकर दुसरों पर चिल्लाना या नाराजगी में बातचीत बंद कर देना लोगों की आदत में शुमार होता जा रहा है। ऐसी मनोदशा का व्यक्ति के निजी ओर प्रोफेसनल रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ता है। जबकि हंसिए कि हंसने से सारे रंज मिट जाते हैं, सेहत ठीक रहती है, अपनों का साथ और मजबूती पाता हैं, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है और दिमागी टशन भी छूमंतर हो जाता है। कहा भी गया है कि विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसंनता है। हंसी और ठहाके उम्र और समय के साथ बदलते हमारे व्यवहार को भी जिंदादिल रखते हैं। हमारा बचपना बनाएं रखती है हंसी। आमतौर पर देखने में आता है कि इंसान जैसे-जैसे उम्रदराज होता है । समझदारी व परिपक्वता उसके व्यवहार की हिस्सा बन जाती है। लेकिन जिन्दगी को बोझिल बनाने के बजाय हंसने-हंसाने के मौके तलाशते रहना चाहिए। यही इंसान के जीवंत व्यक्तित्व की पहचान हैं। 
टशन से शरीर पर पड़ता है कुप्रभाव 
         चिकित्सकों की मानें तो जब हंसी नहीं रहती तब सिर्फ तनाव रहता है और तनावग्रस्त इंसान का सबसे पहले खाना-पीना, सोना खराब हो जाता है। पेट और दिल संबंधी कई बीमारियों का वह शिकार हो जाता है। ऐसी स्थिति में एकमात्र हंसी-खुशी ही संजीवनी बूंटी का काम करती हैं। यह सच है कि अत्यधिक विनोदप्रिय व्यक्ति अक्सर हंसी के पात्र बन जाते हैं। उनकी किसी बात को समाज में गंभीरता से नहीं लिया जाता। जबकि हंसी जीवन में तनाव या अवसाद को हिलाकर उसकी तारतम्यता को तोड़ता है। हंसते समय इंसान अपनी सब परेशानियां और तनाव भूल जाता है। वह तनाव की तारतम्यता को बाधित करके जीवन को अवसाद मुक्त करता है। फिरहाल, जीवन में हास्य के हा्रस की मुख्य वजह परिवारों का विघटन है। एकाकी परिवारों ने दादी-नाना-नानी के किस्से-कहानियों, हंसी-ठिठोली को लगभग समाप्त ही कर दिया है। हास्य की सबसे अधिक कमी बुजुर्गो को ही खलती है। खासकर उस वक्त जब बच्चों को बोर्डिंग में दाखिला करा दिया जाता है या पढ़-लिखकर नौकरी के लिए दूर चले जाते हैं। इससे वह पोते-पोतियों के प्यार से वंचित हो जाते हैं। इसलिए बुजुर्गो का खयाल रखा जाना बेहद जरुरी है। 
हंसी मजाक में भड़ास निकालने का मौका 
          जीवन दीप हास्पिटल के डा एके गुप्ता कहते है जब आप हंसते है तो दिमाग में बीटा एंडार्फिंस नामक केमिकल का स्राव बढ़ जाता हैं। यही नहीं हंसने से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। हंसने से रात में नींद भी अच्छी आती है। हंसने-हंसाने की आदत ब्रेन की सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। क्योंकि हंसने ब्रेन से सेरोटोनिन हार्मोंस का सिक्रीसन तेजी से होने लगता है। जो दर्द, तनाव ओर उदासी को दूर करने में साबित होता है। हंसने से स्ट्रेस पैदा करने वाले हार्मोंस का स्राव भी कम हो जाता है। इंसान के मन में कई ऐसी बाते दबी होती है जिन्हें वह सामाजिक दबाव या वर्जनाओं के कारण अभिव्यक्त नहीं कर पाता। अनजाने में ही सही ऐसी भावनाओं का प्रकटीकरण हंसी-मजाक के रुप में होता हैं। इससे अंर्तमन की ग्रंथ्यिां ठीक होती है। स्वस्थ हास्य कई तरह की कुंठाओं से निजात दिलाता है। हंसी-ठहाका एक तरह का डिफेंस मेकेनिज्म भी है। जब व्यक्ति निराश होता है तो अपनी खिसियाहट को मिटाने के लिए हंसता है, व्यंग करता है और खुद का मजाक उड़ता है। इसलिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्यों हंसते है। आप दिन भर में छोटे-छोटे टुकड़ों में भी हंस लेते हैं तो आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ जाता है। आप हंसी के माध्यम से लोगों के मन में पाॅजिटिव फिलिंग ला सकते हैं। हंसी दिमाग को खोलती है और सृजनात्मकता को बढ़ावा देती हैं। हंसने के लिए जरुरी है कि दिमाग को प्रसंन करने वाली फिल्में और आॅनलाइन वीडियो क्लीप देखें। बच्चों वाली कार्टून फिल्में हमारे आपके मन को प्रसंन रखने में सहायक होती हैं। इसके साथ ही खुश रहने वाले लोगों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं। ऐसे लोगों से फोन पर बात करें, जिनसे बात करने में आपको खुशी महसूस होती हो। 

सपा के वन डिस्ट्रिक्ट, वन माफिया को योगी ने किया खत्म : पीएम मोदी

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