Wednesday 30 November 2022

महज 32 घंटे में दंपत्ति ने नापा तमिलनाडु से काशी तक 1800 किमी

महज 32 घंटे में दंपत्ति ने नापा तमिलनाडु से काशी तक 1800 किमी

काशी तमिल संगमम् में हिस्सा लेने पहुंचा यह दंपत्ति तमिलनाडु के होशुर जिले के राजन और रमालक्ष्मी है

यात्रा के दौरान सिर्फ 2 जगहों पर विश्राम किया

उनके दिलों और दिमाग पर सिर्फ बाबा विश्वनाथ धाम रहे

सुरेश गांधी

वाराणसी। तमिलनाडू से काशी तक का 1800 किमी का सफर एक दपंत्ति ने बाइक से महज 32 घंटे में नाप दिया। काशी तमिल संगमम् में हिस्सा लेने पहुंचा यह दंपत्ति तमिलनाडु के होशुर जिले के राजन और रमालक्ष्मी है। राजन और रमालक्ष्मी के मुताबिक उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत तमिलनाडू से की। यात्रा के दौरान उन्होंने सिर्फ 2 जगहों पर विश्राम किया है। उनके दिलों और दिमाग पर सिर्फ बाबा विश्वनाथ की नगरी में आयोजित काशी तमिल संगमम में पहुंचने की थी। रास्तेभर सिर्फ एक ही लक्ष्य था कब बाबा विश्वनाथ धाम पहुंचे और दर्शन-पूजन करें।

बता दें, काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत के उद्देश्य से काशी तमिल संगमम् का आयोजन किया गया है। मकसद है भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत संबंधों के कई पहलुओं को जोड़ना। इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं (उत्तर एवं दक्षिण की) को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की समझ विकसित करने के साथ इन क्षेत्रों के लोगों के बीच संबंध को और मज़बूत करना है। यह शिक्षा मंत्रालय द्वारा अन्य मंत्रालयों जैसे संस्कृति, कपड़ा, रेलवे, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना और प्रसारण आदि तथा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

राजलक्ष्मी ने हर हर महादेव के नारे के साथ खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हम काशी पहुंचे हैं। काशी में आयोजित काशी तमिल संगम में हम शामिल होकर अपने आपको काफी खुशनसीब समझ रहे हैं। इस सुंदर कार्यक्रम के आयोजन के लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद करते हैं। राजन ने बताया कि हमारा यात्रा काफी यादगार रहेगा। हम दोनों पति-पत्नी ने हजारों किलोमीटर की यात्रा एक साथ तय की है। यात्रा में थोड़ी बहुत कठिनाइयां भी आई है। लेकिन यात्रा काफी अनुभव और सुखद रही है। इस तमिल संभवम में हम लोग पहुंचे हैं। यहां के विभिन्न स्थलों का भ्रमण करेंगे। यहां के सांस्कृतिक कार्यक्रम में हम हिस्सा लेंगे। राजन और रमालक्ष्मी ने बताया कि हम दोनों पति पत्नी है। हम यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। राजलक्ष्मी ने कहा हमारे पति एक बहुत ही अच्छे कूक भी हैं, जो दक्षिण के विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को बनाते हैं।

Saturday 19 November 2022

काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय और शक्तिमय : पीएम मोदी

काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय और शक्तिमय : पीएम मोदी

माह पर्यंत चलने वालेतमिल काशी संगममका उद्घाटन

तमिल की विरासत को बचाना 130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी- पीएम मोदी

दक्षिण भारत को जाने बिना देश को नहीं जान सकते

काशी तमिल संगममइस संकल्प के लिए एक प्लेटफॉर्म बनेगा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा

तमिल वेशभूषा के साथ संगमम कार्यक्रम में शामिल हुए पीएम मोदी

सुरेश गांधी

वाराणसी। एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेंटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है तो दूसरी ओर भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है. काशी औऱ तमिलनाडु दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के टाइमलेस सेंटर हैं. काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं. काशी और तमिलनाडु संस्कृति, सभ्यता के कालातीत केंद्र हैं. दोनों क्षेत्र संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र भी हैं. यह बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहीं। वे शनिवार को वाराणसी में आयोजित उत्तर और दक्षिण की संस्कृति को एकाकार करने वाले एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रमकाशी तमिल संगममका उद्घाटनोंपरांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

बता दें, पीएम मोदी ने हर हर महादेव, वणक्कम काशी और वणक्कम तमिलनाडु बोलकर अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने यूपी सरकार, तमिलनाडु सरकार, बीएचयू, आईआईटी मद्रास और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को इस भव्य आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम में तमिलनाडु के 2,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इस अवसर पर, दोनों क्षेत्रों के हथकरघा, हस्तशिल्प, पुस्तकों, वृत्तचित्रों, व्यंजनों, कलाकृतियों, पर्यटन स्थलों आदि की एक प्रदर्शनी भी बीएचयू के एम्फीथिएटर ग्राउंड में तमिलनाडु की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने के लिए 75 स्टाल लगाए गए हैं. कार्यक्रम की दो क्रियान्वयन एजेंसियां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास और काशी हिंदू विश्वविद्यालय हैं. इनमें तमिलनाडु के हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम से बने उत्पादों को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के विद्वानों, विद्यार्थियों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को एक मंच पर लाना तथा अपने श्रेष्ठ परंपराओं को साझा करना और एक दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करना है.

प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे देश के संगमों की बड़ी महिमा बड़ा महत्व है. नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों और विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों संस्कृतियों के हर संगम को हमने सेलिब्रेट किया है. ये सेलिब्रेशन असल में भारत की विविधताओं और विशेषताओं का सेलिब्रेशन है. उन्होंने काशी और तमिलनाडु का नाता जोड़ते हुए कहा, भारत वो देश है जिसने हजारों सालों से सं वो मनांसि जानताम् के मंत्र से एक दूसरे के मनों को जानते हुए सम्मान करते हुए स्वभाविक सांसकृतिक एकता को जिया है. दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते. पीएम मोदी ने कहा, हमारे पास भी दुनिया की सबसे प्रचानी भाषा तमिल है. आज तक ये भाषा उतनी ही लोकप्रिय उतनी ही जीवित है. ये हम 130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी है कि हमें तमिल की इस विरासत को बचाना भी है और उसे समृद्ध भी करना है.

पीएम मोदी ने कहा कि तमिलनाडु ने काशी के विकास में बहुत अहम रोल अदा किया है. तमिलनाडु के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे. पीएम मोदी ने कहा कि मेरा अनुभव है, रामानुजाचार्य और शंकराचार्य से लेकर राजाजी और सर्वेपल्लि राधाकृष्णन तक, दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते. हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश का एकता सूत्र बनाना था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए. ‘काशी तमिल संगममइस संकल्प के लिए एक प्लेटफॉर्म बनेगा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा. कार्यक्रम में उप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.

काशी की गलियों में मिलेंगे तमिल संस्कृति के मंदिर

पीएम मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु का प्राचीन काल से संबंध हैं। इसका प्रमाण काशी की गलियों में मिलेगा। यहां आपको तमिल संस्कृति के मंदिर मिलेंगे। हरिश्चंद्र घाट और केदार घाट पर 200 से ज्यादा वर्ष पुराना मंदिर है। पीएम मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों संगीत, साहित्य और कला के स्त्रोत हैं। काशी में बनारसी साड़ी मिलेगी तो कांचीपुरम का सिल्क पूरे विश्व में मशहूर है। तमिलनाडु संत तिरुवल्लुवर की पुण्य धरती है। दोनों ही जगह ऊर्जा और ज्ञान के केंद्र हैं। आज भी तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र होता है। यह तमिलनाडु के दिलों में अविनाशी काशी के प्रति प्रेम है। यही एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना है जो प्राचीन काल से अब तक अनवरत बरकरार है।

संगमम में विशेष राग का वादन

काशी तमिल संगमम में पीएम मोदी के संबोधन से पहले मंच पर विशेष राग में शहनाई वादन हुआ। शहनाई वादक कासिम और बाबू संग तमिल के कलाकारों ने संगत की। तमिल के प्रसिद्ध संगीतकार राज्यसभा सांसद इळैयराजा और उनके शिष्य ने साज-सज्जा के साथ ऊँ, गणेश, शिव, शक्ति, समेत अन्य देवगणों का मंत्र स्तुति के साथ आह्वान किया। इस स्वरांजलि की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पीएम मोदी और सीएम योगी समेत तमाम मौजूद लोग ताली बजाते रहे।

13 भाषाओं में पुस्तक का विमोचन

तमिल समेत 13 भाषा में लिखी गई धार्मिक पुस्तक तिरुक्कुरल काशी-तमिल संस्कृति पर लिखी गईं किताबों का प्रधानमंत्री के हाथों विमोचन हुआ। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी तमिल संगमम का रिमोट दबाकर औपचारिक शुभारंभ किया। संगमम के आयोजन से संबंधित एक शॉर्ट फिल्म को दिखाया गया।

भगवान शिव के मुंह से जो दो भाषाएं निकलीं वह तमिल और संस्कृत थीं : सीएम योगी

सीएम योगी ने तमिल और काशी के बीच के संबंध बहुत पुराना बताते हुए कहा कि काशी और तमिलनाडु में धर्म, ज्ञान और संस्कृति के एक ही तत्व हैं। दोनों की अपनी प्राचीन संस्कृति है जो इसे विशेष बनाती है। यह मान्यता है कि भगवान शिव के मुंह से जो दो भाषाएं निकलीं वह तमिल और संस्कृत थीं। काशी तमिल संगमम के आयोजन से तमिलनाडु के अतिथि उत्तर और दक्षिण के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेंगे। इस आयोजन के जरिए तमिलनाडु के लोग काशी और उत्तर प्रदेश की समृद्धता के बारे में जानेंगे। उन्होंने धर्म, संस्कृति और शिक्षा की यह दो नगरी बहुत खास है। आजादी के अमृत काल महोत्सव को यह आयोजन जीवंत कर रहा है। तमिलनाडु में तेनकाशी नामक एक स्थान है जिसका मतलब दक्षिण का काशी है। इस दौरान तमिलनाडु से आए हजारों यात्री इस काशी तमिल संगमम में शामिल हुए.

 

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