बारिश की बूंदों में भी चमकी आस्था : महानवमी की रात काशी जागी, श्रद्धालुओं का उमड़ा रेला
काशी में
नवरात्र
उत्सव
में
जलभराव
और
आस्था
की
झड़ी,
512 पंडालों
में
भक्तों
की
महाफुलझड़ी
विंध्यवासिनी के
दरबार
में
अब
तक
25 लाख
से
अधिक
श्रद्धालुओं
ने
टेका
मत्था
सुरेश गांधी
वाराणसी। बंगाल की खाड़ी और
अरब सागर में बने
निम्न दबाव के क्षेत्रों
से लौटते मानसून ने इस बार
काशी और आसपास के
इलाकों को जमकर भिगो
दिया। बुधवार और मंगलवार की
तेज बारिश ने शहर के
कई हिस्सों में जलभराव उत्पन्न
कर दिया। मुख्य मार्ग और गलियां पानी
से भर गईं, जिससे
रस्ते अवरुद्ध हो गए। दशहरे
के लिए तैयार रावण,
कुंभकरण और मेघनाथ के
पुतले भी बारिश के
चलते खराब हो गए।
कई पंडालों की सजावट भी
प्रभावित हुई, लेकिन काशीवासियों
और श्रद्धालुओं की भक्ति और
उत्साह में कोई कमी
नहीं आई।
नवरात्र के अष्टमी और
नवमी के दिन आसमान
से बरसती बूंदों ने भक्तों की
श्रद्धा को और दैदीप्यमान
कर दिया। इस बार शारदीय
नवरात्र में विंध्य कॉरिडोर
में अब तक 25 लाख
से अधिक श्रद्धालुओं ने
मां विंध्यवासिनी के दरबार में
शीश नवाया। महाकुंभ पलट प्रवाह के
दौरान एक दिन में
10 लाख से अधिक भक्तों
ने दर्शन पूजन कर रिकॉर्ड
बनाया। श्री विंध्य पंडा
समाज के अध्यक्ष पंकज
द्विवेदी ने बताया, “चाहे
शारदीय नवरात्र हो या चैत्र
नवरात्र, लगातार श्रद्धालुओं की संख्या में
इजाफा हो रहा है।
चैत्र नवरात्र 2024 में लगभग 18 लाख
श्रद्धालुओं ने माता विंध्यवासिनी
के दरबार में दर्शन पूजन
किया था। शारदीय नवरात्र
2024 में यह संख्या बढ़कर
20 लाख से अधिक हो
गई, और इस वर्ष
महा नवमी तक 25 लाख
श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।”
512 पंडालों में उमड़ी भक्तों की भीड़
शहर के 512 पंडालों
में श्रद्धालुओं का रेला उत्तर
से दक्षिण तक फैल गया।
जैतपुरा में एआई थीम
पर सजाए गए पंडाल
में समुद्र मंथन और लेजर
एनीमेशन शो देखने के
लिए भक्तों की अच्छी खासी
संख्या रही। बंगाली टोला
में धुनुची नृत्य पर भक्त थिरकते
नजर आए। घौसाबाद की
लाडलीजी, लालकुआं के बालाजी मंदिर,
केदारघाट पर धूपम से
बनाई गई मां दुर्गा
की प्रतिमा, संकटा मंदिर की गली में
भूत बंगला और अर्दली बाजार
में सेना का बंकर
इस बार श्रद्धालुओं का
आकर्षण बने। शिवपुर मिनी
स्टेडियम स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी भक्तों
की भीड़ रही।
बारिश में भी श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार
बरसात के बावजूद श्रद्धालु
लगातार पंडालों की ओर बढ़ते
रहे। उन्होंने माता के दर्शन
कर अपनी आस्था को
निहारते हुए रात भर
जागरण किया। नवरात्र के अंतिम दिन,
महानवमी की रात काशी
पूरी तरह जागती रही।
हर पंडाल, हर गल्ली और
हर दरबार में श्रद्धालुओं की
मुस्कान और भक्ति का
आलोक झलक रहा था।
श्रद्धालुओं ने बताया, “बारिश
में माता के दर्शन
करने का अनुभव अद्भुत
था। आस्था और भक्ति ने
मौसम की बाधाओं को
भी पार कर दिया।”
सांस्कृतिक और धार्मिक संगम
इस बार पंडालों
की सजावट और कार्यक्रम भी
भव्य रहे। जैतपुरा स्थित
मां बागेश्वरी देवी मंदिर के
समीप एआई थीम पर
बने पंडाल में समुद्र मंथन
और लेजर एनीमेशन शो
को देखने के लिए श्रद्धालुओं
की भीड़ उमड़ी। वहीं,
बंगाली टोला में धुनुची
नृत्य का रंगारंग प्रदर्शन
भक्तों के मन मोह
रहा था। सड़कें भी
श्रद्धालुओं से भर गईं।
हथुआ मार्केट में मैसूर के
मुरुदेश्वर मंदिर में सेना को
नमन करते हुए ब्राह्मणों
की टोली और माता
के दिव्य स्वरूप को निहारने के
लिए श्रद्धालुओं की आतुरता देखते
ही बन रही थी।
रात के समय भी
श्रद्धालु पंडालों की ओर बढ़ते
रहे। सनातन धर्म इंटर कॉलेज
और हथुआ मार्केट के
पंडाल में भक्तों का
दबाव लगातार बढ़ता गया।
बारिश बन गई आस्था का प्रतीक
अष्टमी और नवमी के
दिन देवराज इंद्र के आशीर्वाद की
तरह आसमान से बरसती बारिश
ने श्रद्धालुओं की आस्था को
और दैदीप्यमान कर दिया। मंदिरों
के शहर में हर
पंडाल में भक्तों का
रेला उमड़ पड़ा। मौसम
ने भौतिक रूप से कुछ
बाधाएं खड़ी कीं, लेकिन
श्रद्धालुओं की आस्था ने
उन्हें मात दी। काशी
में यह दृश्य इस
बात का प्रतीक था
कि भले ही मौसम
साथ न दे, लेकिन
सच्ची भक्ति और श्रद्धा किसी
भी बाधा को पार
कर जाती है। महानवमी
की रात काशी पूरी
तरह जागृत रही। हर पंडाल
और गल्ली में भक्ति का
आलोक दिखाई दे रहा था।
बारिश ने शहर को
भीगा दिया, लेकिन भक्तों की आस्था और
श्रद्धा की बारिश कहीं
अधिक प्रचुर मात्रा में हुई।




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