दशम ताजपोशी: नितीश कुमार ने शपथ ली, 26 मंत्रियों में एक मुस्लिम, 3 महिलाएं और 3 फर्स्ट टाइमर
नीतीश मंत्रिमंडल
में
शामिल
हुए
10 नए
चेहरे
एनडीए की
बहुमत
सरकार
फिर
पटना
की
गरिमा
सुरेश गांधी
पटना. बिहार की राजनीति में
गुरुवार एक ऐतिहासिक दिन
रहा. यह दिन बेहद
अहम रहा, एनडीए को
चुनाव में मिली बंपर
जीत के बाद राजधानी
पटना में शपथ ग्रहण
का आयोजन हुआ. नीतीश कुमार
ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद
की शपथ ली. राज्यपाल
अरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें
पद और गोपनीयता की
शपथ दिलाई।
इस दौरान सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी उपमुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली. साथ ही एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली. जिनमें बीजेपी के 14 और जदयू के 8 मंत्री शामिल हैं. नए मंत्रियों में एक मुस्लिम, तीन महिलाएं और तीन नए विधायक भी शामिल हैं. पटना के गांधी मैदान में हुआ यह शपथ ग्रहण समारोह राजनीतिक रूप से खास रहा, क्योंकि इसमें न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे, बल्कि इस समारोह में मोदी-शक्ति की झलक भी दिखी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मोहन यादव, राजस्थान के भजनलाल शर्मा, गुजरात के भूपेंद्र पटेल समेत कई बड़े नेता मंच पर मौजूद रहे.
समारोह में प्रशासनिक तैयारी जितनी मजबूत थी, राजनीतिक संदेश उतने ही गहरे थे. मंच पर मोदी और नीतीश साथ बैठे दिखे. दोनों के बीच हुई गर्मजोशी भरी बातचीत और मुस्कुराते हुए तस्वीरें बिहार की नई राजनीतिक समझदारी का संकेत मानी जा रही हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मोहन यादव, राजस्थान के भजनलाल शर्मा, गुजरात के भूपेंद्र पटेल समेत कई बड़े नेता मंच पर मौजूद रहे. गांधी मैदान को पूरी तरह सजाया-संवारा गया था. हजारों की संख्या में जदयू-भाजपा कार्यकर्ता और आम लोग समारोह में शामिल हुए.कैबिनेट और गठबंधन का संतुलन
जनादेश और भविष्य की राह
इस बार के
विधानसभा चुनाव में एनडीए ने
243 सदस्यों में से 202 सीटें
जीतीं, जिससे इसे स्पष्ट जनादेश
मिला है। यह जनादेश
बताता है कि बिहार
की जनता ने विकास-वाद और सुशासन
को प्राथमिकता दी है। नितीश
कुमार की वापसी केवल
राजनीतिक पुनरावृत्ति नहीं है, यह
गठबंधन की मजबूत पकड़
और बड़े राजनीतिक अनुभव
का संकेत है। उनका दसवां
कार्यकाल यह दर्शाता है
कि वे न सिर्फ
सत्ता में लौटे हैं,
बल्कि बिहार के “नए विकास
अध्याय” के सूत्रधार बनना
चाहते हैं।
चुनौतियाँ और उम्मीदें
बिहार के सामने पहले
जैसे विकास-कार्य और सुशासन के
मॉडल को फिर से
परिभाषित करने की जरूरत
है। नए मंत्रिमंडल पर
दबाव रहेगा कि वे अपने
वादों को जमीन पर
उतारें, खासकर बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय
जैसे मुद्दों पर।
गठबंधन में संतुलन बनाए रखना होगा
विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक
समूहों के बीच भरोसे
की एक नाजुक गठबंधन
है, जिसे सावधानी से
संभालना होगा। नितीश कुमार की दसवीं बार
मुख्यमंत्री बनने की दिलचस्प
कहानी सिर्फ सत्ता की वापसी नहीं
है, बल्कि वह बिहार की
राजनीति में अनुभव, गठबंधन
और उम्मीदों का नया संयोजन
है। यह नया सरकार
वादा करती है कि
पिछली सफलताओं को दोहराने के
साथ-साथ बिहार को
विकास की नई ऊंचाइयों
की ओर ले जाएगी।
लेकिन चुनौतियां बड़ी हैं, और
जनता की निगाहें इस
सरकार पर होंगी, क्या
यह नया सफर “स्वर्णिम
बिहार” की परिकल्पना को
हकीकत में बदल पाएगा?
जब सीएम नीतीश कुमार ने छुए पीएम मोदी के पैर
नीतीश कुमार ने एक बार
फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद
की शपथ ली. शपथ
ग्रहण समारोह मेप्रधानमंत्री मोदी भी शामिल
हुए. इस कार्यक्रम के
खत्म होने के बाद
सीएम नीतीश प्रधानमंत्री मोदी को पटना
एयरपोर्ट छोड़ने गए. पटना एयरपोर्ट
पर प्रदेश की नई राजनीति
का सबसे प्रतीकात्मक दृश्य
देखने को मिला. प्रधानमंत्री
के जाने के समय
नीतीश ने उनके चरण
छुए, लेकिन मोदी ने स्नेह
पूर्वक उन्हें रोक लिया, यह
पल राजनीतिक शिष्टाचार और आपसी सम्मान
का प्रतीक बण्न गया
मंत्रिमंडल में 10 नए चेहरे
रामकृपाल
यादव
श्रेयसी
सिंह
रमा
निषाद
लखेन्द्र
रौशन
अरुण
शंकर प्रसाद
संजय
सिंह टाइगर
संजय
सिंह
संजय
पासवान
दीपक
प्रकाश
प्रमोद
चंद्रवंशी
जानें नए मंत्रियों के बारे में
रामकृपाल यादव दानापुर सीट
से चुनाव जीते हैं। वह
बीजेपी के कोटे से
मंत्री बने हैं। उन्होंने
आरजेडी के रीतलाल यादव
को 29133 वोट से हराया। एक
समय पर वे लालू
यादव के बेहद करीबी
माने जाते थे। लालू
को सजा हुई तो
राजद ने राम कृपाल
को टिकट नहीं दिया।
वह निर्दलीय चुनाव लड़े और पाटिलपुत्र
से जीते। बाद में बीजेपी
में शामिल होकर केंद्र में
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बने।
श्रेयसी सिंह ने कॉमनवेल्थ
गेम्स में शूटिंग में
गोल्ड मेडल जीता था।
वह दिल्ली युनिवर्सिटी से पढ़ी हैं।
वह पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी
हैं। उनकी मां और
दादा भी बड़े नेता
थे।
रमा निषाद मुजफ्फरपुर
के औराई से पहली
बार विधायक बनी हैं। वह
पूर्व सांसद अजय निषाद की
पत्नी हैं। उन्हें मंत्री
रामसूरत राय की जगह
टिकट मिला था। उनकी
निषाद वोटों पर मजबूत पकड़
है।
लखेन्द्र रौशन वैशाली की
पातेपुर सीट से चुनाव
जीते हैं। वह आरजेडी
की पारंपरिक सीट से जीते
हैं। वह बीजेपी के
युवा विधायकों में शामिल हैं।
वह दलित और सवर्ण
को एकजुट करने में कामयाब
रहे।
अरुण शंकर प्रसाद
मधुबनी की खजोली विधानसभा
से लगातार दूसरी बार विधायक बने
हैं। पीजी तक पढ़े
अरुण शंकर एक सफल
व्यवसायी माने जाते हैं।
अब वह राजनीति में
आकर क्षेत्र का विकास करने
के लिए तत्पर हैं।
संजय सिंह टाइगर
पहली बार विधायक बने
हैं और मंत्रिमंडल में
शामिल हो गए हैं।
वह बचपन से ही
आरएसएस की विचारधारा से
प्रभावित थे और जनसेवा
में आने का फैसला
किया। उन्होंने पटना के एएन
कॉलेज से पढ़ाई पूरी
की, लेकिन शादी नहीं की।
वह बेहद सादा जीवन
जीते हैं। दरी पर
सोते हैं और शुद्ध
शाकाहारी भोजन करते हैं।
संजय कुमार सिंह
राजपूत जाति से आते
हैं। वह महुआ (वैशाली)
से जीते हैं। उन्होंने
तेज प्रताप यादव को हराया
है। वह चिराग के
करीबी माने जाते हैं।
इसी वजह से उन्हें
मंत्रिमंडल में जगह मिली
है।
संजय पासवान बखरी
सीट से विधायक हैं।
वह पहली बार विधायक
बने और उन्हें मंत्री
पद भी मिल
गया। शांत स्वभाव के
संजय 2015 में लोजपा से
जुड़े थे। रामविलास पासवान
के निधन के बाद
पार्टी में उठापटक के
दौरान उन्होंने चिराग का साथ दिया
और अब उन्हें इसका
इनाम मिला है।
उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक
प्रकाश अभी विधायक नहीं
है। बाद में उन्हें
डस्ब् बनाकर विधानसभा में भेजा जाएगा।
उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता
कुशवाहा सासाराम से चुनाव जीती
हैं लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने उनकी जगह
बेटे को मंत्री बनाने
का फैसला किया है।
प्रमोद चंद्रवंशी 2023 में बीजेपी में
शामिल हुए थे। उन्होंने
आरजेडी के साथ मिलकर
सरकार बनाने पर नीतीश कुमार
की जमकर आलोचना की
थी।
नीतीश का पूरा मंत्रिमंडल
बीजेपी कोटे
से
मंत्री
1 सम्राट चौधरी
2 विजय कुमार सिन्हा
3 दिलीप जायसवाल
4 मंगल पांडेय
5 रामकृपाल यादव
6 संजय सिंह
7 नितिन नवीन
8 अरुण शंकर प्रसाद
9 सुरेंद्र मेहता
10 रमा
निषाद
11 लखेंद्र
पासवान
12 नारायण
प्रसाद
13 श्रेयसी
सिंह
14 प्रमोद
कुमार
जेडयू कोटे
से
मंत्री
1 विजय कुमार चौधरी
2 विजेंद्र यादव
3 अशोक चौधरी
4 श्रवण कुमार
5 लेसी सिंह
6 प्रमोद कुमार
7 जमा खान
8 मदन सहनी
एलजेपीआरवी कोटे
से
मंत्री
1 संजय कुमार
2 संजय सिंह
एचएएम कोटे
से
मंत्री
संतोष
सुमन
आरएलएम कोटे
से
मंत्री
दीपक प्रकाश
अनुभव का फिर एक दशक
20 नवंबर 2025 का दिन बिहार
की राजनीति के इतिहास में
एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप
में दर्ज होगा। गांधी
मैदान, पटना में आयोजित
भव्य समारोह में नितीश कुमार
ने दसवीं बार मुख्यमंत्री के
रूप में शपथ ली। इस
उपलब्धि ने न सिर्फ
उनकी राजनीतिक धैर्य और परिपक्वता को
दोबारा स्थापित किया, बल्कि यह संकेत भी
दिया कि उनका “सुषासन-मॉडल” अभी भी उनकी
ताकत है और जनता
में उसकी स्वीकार्यता बरकरार
है। उनका यह ताज पहनना,
एक तरह से, उनके
लंबे सफर, गठबंधन राजनीति
की जटिलता और रणनीतिक संतुलन
की कला का प्रतीक
है — और इस बात
की गवाही भी, कि बिहार
की सत्ता में उनकी मौजूदगी
केंद्रीय भूमिका निभाती रही है।
जनादेश का मापदंड: चुनाव और भारी बहुमत
नवीन मुख्यमंत्री पद
की शुरुआत, पिछले हफ्ते हुए बिहार विधानसभा
चुनावों की एक असरदार
जीत की प्रतिफल है।
एनडीए ने 243-सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटें जीतकर शानदार बहुमत हासिल किया है। यह मतदान परिणाम
दर्शाता है कि बिहार
की जनता ने विकास-वाद, सत्ता-स्थिरता
और अनुभव की उस रूपरेखा
को भरोसे के साथ चुना,
जिसे नितीश कुमार पिछले दशकों से देश के
सामने पेश करते आए
हैं। यह जनादेश राजनीतिक बयानबाज़ी से कहीं अधिक
है — यह जनता की
उम्मीदों, आकांक्षाओं और बिहार में
“परिवर्तन लेकिन सुशासन” की मांग का
प्रदर्शन है।
प्रतीक और शक्ति का संगम
यह समारोह सिर्फ
एक औपचारिकता नहीं थी; यह
एक सियासी संदेश था कि नितीश
कुमार का नेतृत्व फिर
से प्राथमिकता पाकर आया है
— और यह गठबंधन (एनडीए)
के अंदर उनकी केंद्रीय
भूमिका को पुनः पुष्ट
करता है। यह मंत्रिमंडल
जातीय और सामाजिक विविधता
का प्रतिबिंब है: आठ मंत्री
उच्च जाति से, पांच
दलित और 14 OBC/EBC हैं। कुछ नाम
पुराने और अनुभवी हैं,
जबकि कई नए चेहरे
पहली बार सरकार में
शामिल हो रहे हैं
— यह “अनुभव + ताजगी” वाला संयोजन माना
जा सकता है। इस
मंत्रिमंडल संतुलन का मकसद सिर्फ
राजनीतिक शक्ति बांटना नहीं है, बल्कि
विकास और शासन-नीति
को सामाजिक समूहों के बीच भरोसे
से जोड़ना भी है।
नितीश कुमार की यात्रा : राजनीति, परिवर्तन और स्थिरता
यह दसवीं बार
मुख्यमंत्री बनने का सफर
नितीश कुमार की राजनीतिक यात्रा
का एक महत्वपूर्ण पड़ाव
है। उनका करियर उतार-चढ़ाव, गठबंधन-राजनीति, विफलताओं और जीत का
मिश्रण रहा है। राजनीतिक
रणनीति और टिकाऊ नेतृत्व
: नितीश कुमार को “सुषासन बाबू”
के रूप में जाना
जाता है — वे विकास-संवाद और सुशासन का
चेहरा रहे हैं, और
यह छवि जनता के
बीच अभी भी गहरे
पैठी है। उन्होंने गठबंधन
राजनीति में अपनी चतुरता
दोबारा साबित की है: समय-समय पर फैसले
बदलकर, लेकिन लोक-हित की
तकदीर को सत्ता में
बनाए रखने में सफलता
पाई है।
उनकी
राजनीतिक निरंतरता और अनुभव बिहार
जैसे राज्य के लिए भरोसेमंद
विकल्प के रूप में
काम करता है — जहां
विकास, बुनियादी ढांचा और सामाजिक समावेशन
जैसी प्राथमिकताएं गूंजती हैं।
राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मायने : नितीश की वापसी और NDA की ताकत
नितीश कुमार का दसवां मुख्यमंत्री
बनना सिर्फ बिहार मामले का नहीं है
— इसका राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक
महत्व भी है। राष्ट्र में
सन्देश: उनकी वापसी यह
संकेत देती है कि
गठबंधन-नेतृत्व मॉडल अभी भी
प्रभावी है। जब एक
स्थापित नेता इतनी बार
पुन: सत्ता में आता है,
तो वह राजनीतिक स्थिरता
और नेतृत्व में भरोसे का
प्रतीक बन जाता है।
एनडीए का मजबूत हाथ : एनडीए ने न केवल
विधानसभा में भारी बहुमत
हासिल किया है, बल्कि
नितीश जैसा अनुभवी गठबंधन
नेता भी उनके साथ
है। इससे यह गठबंधन
राज्य में ही नहीं,
बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी
अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
भविष्य-राजनीति का दायरा: बिहार
में इस सरकार की
कार्यशैली और नीति-विकास
मॉडल पूरे देश के
लिए एक उदाहरण बन
सकता है। यदि यह
सफल रहा, तो विकास-गठबंधन मॉडल को अन्य
राज्यों में भी बढ़ावा
मिल सकता है।
दशम दौर, नई जिम्मेदारी
नितीश कुमार का दसवाँ मुख्यमंत्री
पारा एक राजनीतिक कहानी
ही नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की
नई परिकल्पना की शुरुआत है।
यह सिर्फ उनका एक और
कार्यकाल नहीं है — यह
जनता की उन उम्मीदों
का पुनर्जीवित प्रतिबिंब है, जिन्होंने उन्हें
विकास, अनुभव और सुशासन के
रहबरी चेहरे के रूप में
चुना है। यह सरकार
अगर सफल होती है,
तो वह न सिर्फ
बिहार में मददगार बदलाव
ला सकती है बल्कि
राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन-शक्ति और राजनीतिक स्थिरता
का मॉडल पेश कर
सकती है। लेकिन उसके
सामने चुनौतियाँ भी उतनी ही
बड़ी हैं: विकास का
दायित्व, सामाजिक विविधता का संतुलन, और
जनता के भरोसे को兑现
करने का दबाव। नितीश कुमार
की यह नई पारी,
बिहार और भारत की
राजनीति में क्या नया
अध्याय लिखेगी, यह आने वाले
महीनों में साफ होगा।




No comments:
Post a Comment