मोदी कैबिनेट में महेंद्र और राजनाथ को जगह मिलने पर झूमी
काशी
सुरेश
गांधी
वाराणसी।
उत्तर प्रदेश
के चंदौली
जिले से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे
मंत्रिमंडल में भाजपा के प्रदेश
अध्यक्ष डॉ
महेंद्रनाथ पांडेय और राजनाथ सिंह
के कैबिनेट
मंत्री पद
की शपथ
लेते ही
जिले के
लोग खुशी
से झूम
उठे। जिले
से दो-दो कैबिनेट
मंत्री होने
से लोगों
को भरपूर
विकास की
उम्मीद है।
लोगों ने
मिठाई बांटकर
एक-दूसरे
को बधाई
दी है।
कार्यकर्ताओं ने खुशी के माहौल
में पटाखे
भी फोड़े।
महेंद्रनाथ पांडेय को कौशल विकास
और उद्यमिता
मंत्री बनाया
गया है
तो वहीं
राजनाथ सिंह
को रक्षा
मंत्री का
पदभार संभालने
के लिए
दिया गया
है। लोकसभा
चुनाव के
दौरान यूपी
में कमल
खिलाने की
जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के
साथ-साथ
पार्टी के
प्रदेश अध्यक्ष
महेंद्रनाथ पांडे के कंधों पर
भी थी।
आरएसएस से
जुड़े महेंद्रनाथ
पांडेय का
राजनीतिक सफर
संघर्षों से
भरा है।
उन्होंने अपने
जीवन में
कई उतार-चढ़ाव भरे
दौर देखे
हैं। गाजीपुर
के पखनपुर
गांव के
मूल निवासी
डॉ. महेंद्र
नाथ पांडेय
का जन्म
15 अक्टूबर 1957 को हुआ था। उन्होंने
एमए, पीएचडी
के साथ
ही मास्टर
ऑफ जर्नलिज्म
की भी
डिग्री हासिल
की है।
उनकी पूरी
शिक्षा-दीक्षा
वाराणसी में
हुई है।
महेंद्र नाथ
पांडे ने
छात्र जीवन
से ही
राजनीति में
कदम रख
दिया था।
बीएचयू छात्रसंघ
में महामंत्री
भी रह
चुके हैं।
सीएम एंग्लो
बंगाली इंटर
कालेज में
वह 1973 में
अध्यक्ष चुने
गए। इसी
कड़ी में
वह 1978 में
बीएचयू में
छात्र संघ
चुनाव जीतकर
महामंत्री बने. इसी के बाद
से मुख्य
राजनीति में
कदम रखा।
महेंद्र नाथ
पांडे आपातकाल
से लेकर
राम मंदिर
आंदोलन तक
से नाता
रहा है।
आपातकाल में
डॉ. महेंद्र
नाथ पाण्डेय
ने पांच
माह जेल
में गुजारे
थे।रामजन्म भूमि आंदोलन में मुलायम सिंह यादव की सरकार में इन्हें रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया था। महेंद्र नाथ पांडे पहली बार रामंदिर आंदोलन के दौरान 1991 में बीजेपी से विधायक चुने गए। इसके बाद वो नगर आवास राज्य मंत्री, नियोजन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रदेश में वे पंचायती राज मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी रहे। बीजेपी संगठन में उन्हें क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत प्रदेश के महामंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। 2014 के लोकसभा चुनाव मे पार्टी ने इन्हें चंदौली लोकसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतारात्र। मोदी लहर में उन्होंने बसपा के अनिल मौर्य को करीब ढाई लाख मतों से मात देकर सांसद बने और मोदी सरकार में राज्यमंत्री चुने गए थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए लगातार दूसरी बार सांसद बने डॉ पांडेय के मंत्री बनने पर उनके गोद लिए गांव जरखोर में भी जश्न का माहौल रहा।
राजनाथ सिंह
प्रधानमंत्री मोदी के बाद शपथ
लेने वालों
के क्रम
में
दूसरे नंबर पर रहे। भाजपा
के कद्दावर
नेताओं में
केंद्रीय गृहमंत्री
राजनाथ सिंह
का भी
नाम आता
है। मौजूदा
समय में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी
अध्यक्ष अमित
शाह के
बाद पार्टी
में सबसे
पावरफुल और
जनाधार वाले
नेता माने
जाते हैं।
राजनाथ सिंह
के राजनीतिक
कद का
अंदाजा इस
बात से
लगाया जा
सकता है
कि अटल
बिहारी वाजपेयी
और लाल
कृष्ण आडवाणी
के बाद
ऐसे नेता
हैं जो
पार्टी की
कमान दो
बार संभाल
चुके हैं।
ऐसे में
2019 के लोकसभा
चुनाव में
लोगों की
नजर राजनाथ
सिंह के
ऊपर भी
थी। लखनऊ
सीट पर
भाजपा प्रत्याशी
और गृह
मंत्री राजनाथ
सिंह गठबंधन
की तरफ
से लड़
रहीं सपा
प्रत्याशी पूनम सिन्हा को करीब
तीन लाख
40 हजार वोटों
से हराकर
संसद पहुंचे
हैं। चंदौली
जिले में
जन्मे राजनाथ
सिंह एक
कुशल प्रशासक
के रूप
में जाने
जाते रहे
हैं। राजनाथ
सियासत में
कदम रखने
से पहले
मिर्जापुर के कॉलेज में प्रोफेसर
रहे हैं।
लेकिन बचपन
से संघ
के आंगन
में पले
बढ़े हैं।
बीजेपी के
मातृ संगठन
के रूप
में मशहूर
आरएसएस से
राजनाथ की
करीबी जगजाहिर
है।आरएसएस के साथ उनके बेहतर रिश्ते का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के बाद संघ ने राजनाथ को ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद दूसरी बार बीजेपी की कमान राजनाथ सिंह ने तब संभाली थी जब पूर्ती मामले में नितिन गडकरी का नाम सामने आया था। दिलचस्प बात ये है कि राजनाथ सिंह ने अध्यक्षकाल में ही 2013 में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगी थी। हालांकि पार्टी के कई नेता इस बात पर सहमत नहीं थे, लेकिन राजनाथ सिंह ने आगे आकर उनके नाम को बढ़ाया है। 10 जुलाई 1951 को जन्मे राजनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी विषय में प्रोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। उसके बाद 1971 में केबी डिग्री कॉलेज में वह प्रोफेसर नियुक्त किए गए। इमरजेंसी के दौरान कई महीनों तक जेल में बंद रहने वाले राजनाथ सिंह को 1975 में जनसंघ ने मिर्जापुर जिले का अध्यक्ष बनाया।
यूपी में
शिक्षा मंत्री
के तौर
पर किए
गए कामों
को लेकर
आज भी
राजनाथ सिंह
का फैसला
काबिल-ए-तारीफ है।
1991 में उन्होंने
बतौर शिक्षा
मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट
लागू करवाया
था। साथ
ही वैदिक
गणित को
पाठ्यक्रम में भी शामिल करवाने
का श्रेय
उन्हीं को
जाता है।
राजनाथ सिंह
20 अक्टूबर 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री
बने। हालांकि
उनका कार्यकाल
2 साल से
भी कम
समय के
लिए रहा।
केंद्र में
जब वाजपेयी
की अगुवाई
वाली एनडीए
की सरकार
बनी तब
राजनाथ सिंह
को कृषि
मंत्री बनाया
गया था।
इसके बाद
2014 में नरेंद्र
मोदी की
सरकार बनी
तो देश
के गृहमंत्री
बने। वे
मोदी कैबिनेट
में दूसरे
नंबर के
नेता हैं।
राजनाथ के
दूसरी बार
शपथ ग्रहण
करने के
बाद चकिया
तहसील के
राजनाथ सिंह
के भभौरा
गांव में
भी जश्न
का माहौल
है। राजनाथ
के प्रयास
से चकिया
में सीआरपीएफ
के ग्रुप
भर्ती सेंटर
की सौगात
मिली।


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