ज्ञानवापी: अब बदलेगा सील कपड़ा, डीएम और दोनों पक्षों की मौजूदगी में होगा कार्य
29 अक्तूबर को बुलाया
गया
निरीक्षण,
अदालत
ने
हिंदू
पक्ष
की
मांग
को
माना
सुरेश गांधी
वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर से जुड़ा मामला
एक बार फिर कानूनी
व सामाजिक विमर्श के केंद्र में
है। शुक्रवार को वाराणसी के
जिला जज संजीव शुक्ला
की अदालत में हुई सुनवाई
के दौरान सील वजूखाने पर
लगे कपड़े को बदलने की
अनुमति दे दी गई
है। अदालत ने यह निर्देश
दिया है कि 29 अक्तूबर
को जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार तथा दोनों पक्षों—हिंदू और मुस्लिम—की
उपस्थिति में यह कार्य
किया जाएगा।
दरअसल, ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने को सुप्रीम कोर्ट
के आदेश पर सील
किया गया था। बरसात
और नमी के कारण
सील किया गया कपड़ा
अब गलने और फटने
की स्थिति में पहुंच गया
है। हिंदू पक्ष ने दलील
दी थी कि कपड़े
का जर्जर होना सुरक्षा और
गोपनीयता दोनों के लिए खतरा
उत्पन्न कर रहा है,
इसलिए इसे बदलना आवश्यक
है। वहीं, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इस मांग
पर आपत्ति दर्ज की थी।
उनका कहना था कि
सील हटाने या बदलने की
किसी भी कार्रवाई से
पहले न्यायालय की स्पष्ट अनुमति
जरूरी है। अदालत ने
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने
के बाद कपड़ा बदलने
की अर्जी को स्वीकार कर
लिया।
सुनवाई के दौरान अदालत
ने उस याचिका पर
भी चर्चा की जो आदि
विश्वेश्वर विराजमान पक्ष की ओर
से दाखिल की गई थी।
इस याचिका में मस्जिद परिसर
में मिले शिवलिंग की
पूजा-अर्चना की अनुमति देने
के साथ ही पूजा
में बाधा डालने वालों
के प्रवेश पर रोक लगाने
की मांग की गई
है। न्यायालय का यह निर्णय
अब इस पूरे विवादित
परिसर की भावी स्थिति
पर भी असर डाल
सकता है। कपड़ा बदलने
की प्रक्रिया को प्रशासनिक निगरानी
में कराए जाने का
निर्णय यह संकेत देता
है कि अदालत सतर्कता
और पारदर्शिता दोनों पर समान रूप
से बल दे रही
है।
ज्ञानवापी विवाद पिछले तीन वर्षों से
देशव्यापी विमर्श का विषय रहा
है। इस दौरान अदालत
के आदेशों और सर्वेक्षण रिपोर्टों
के चलते परिसर के
धार्मिक स्वरूप, इतिहास और संवेदनशीलता को
लेकर कई महत्वपूर्ण प्रश्न
उठे हैं। अब जब
अदालत ने सील कपड़ा
बदलने की अनुमति दे
दी है, तो एक
बार फिर पूरे देश
की निगाहें 29 अक्तूबर को होने वाली
उस प्रक्रिया पर टिकी रहेंगी,
जिसमें प्रशासनिक उपस्थिति के बीच ज्ञानवापी
परिसर का सील कपड़ा
बदला जाएगा।

No comments:
Post a Comment