Wednesday, 22 October 2025

अन्नकूट महोत्सव में झिलमिलाया श्री काशी विश्वनाथ धाम

रजत चल-प्रतिमा की शोभायात्रा बनी आकर्षण का केंद्र

अन्नकूट महोत्सव में झिलमिलाया श्री काशी विश्वनाथ धाम 

21 क्विंटल मिष्ठानों से हुआ बाबा विश्वेश्वर का दिव्य श्रृंगार, भक्ति और कृतज्ञता में डूबी सम्पूर्ण काशी

अन्नकूट : समरसता, सेवा और सनातन एकता का प्रतीक

सुरेश गांधी

वाराणसी. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर जब संपूर्ण काशी दीपों की उजास में नहाई हुई थी, तब श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्नकूट महोत्सव का भव्य आयोजन श्रद्धा, उत्साह और आध्यात्मिक गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। 

यह महोत्सव केवल आस्था का उत्सव था, बल्कि यह अन्न के प्रति कृतज्ञता, सहयोग और सनातन संस्कृति की आत्मा का प्रतीक भी बना।

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की स्मृति में मनाया जाने वाला यह पावन पर्वअन्नकूटप्रकृति और ईश्वर के प्रति आभार का प्रतीक है। बाबा विश्वनाथ के दरबार में जब अन्न और मिठाई के 21 क्विंटल प्रसाद से श्रृंगार हुआ, तब पूरा धाम दिव्यता से आलोकित हो उठा। 

21 क्विंटल मिष्ठानों से सजा बाबा का दरबार

धाम के गर्भगृह से लेकर गलियारों तक, हर ओर भक्ति और उल्लास की तरंगें उमड़ रही थीं। भगवान श्री विश्वेश्वर महादेव का श्रृंगार 21 क्विंटल विविध मिष्ठानों से किया गया, जिनमें छेना, बूंदी लड्डू, काजू बर्फी, मेवा लड्डू, पेड़ा और पारंपरिक मिठाइयां प्रमुख थीं। सुगंधित धूप और पुष्पमालाओं से सजे धाम में घंटियों की अनुगूंज औरहर-हर महादेवके जयघोष ने वातावरण को अलौकिक बना दिया। 
धाम
प्रशासन की ओर से व्यवस्था और सुरक्षा की विशेष तैयारियां की गई थीं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद हर दिशा में अनुशासन और श्रद्धा का समावेश दिखाई दिया।

रजत चल-प्रतिमा की शोभायात्रा बनी आकर्षण का केंद्र 

प्रातःकालीन बेला में महंत परिवार के आवास टेढ़ीनीम से भगवान श्री विश्वनाथ, माता गौरी और गणेश जी की पंचबदन रजत चल-प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा प्रारंभ हुई। शहनाई, डमरू और शंखनाद की गूंज के बीच जब चल-प्रतिमा गर्भगृह पहुंची, तो पूरा धाम भक्तिरस से सराबोर हो उठा। 

वैदिक मंत्रोच्चारण और दीपों की पंक्तियों के बीच जब बाबा विश्वनाथ की मध्याह्न भोग आरती सम्पन्न हुई, तब ऐसा प्रतीत हुआ मानो काशी में स्वयं देवताओं का आगमन हो गया हो।

भोग और प्रसाद वितरण : आस्था का उत्सव

भोग आरती के पश्चात भगवान विश्वेश्वर को अन्न, फल, मिष्ठान और पंचामृत अर्पित किया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया, जिसमें खिचड़ी, पूड़ी, सब्ज़ी, मिठाई और पंचामृत शामिल थे। सैकड़ों भक्तों ने अन्नदान का संकल्प लिया। 

अनेक सामाजिक संस्थाओं और सेवाभावी संगठनों ने मंदिर परिसर में निशुल्क भोजन वितरण कर इस परंपरा को जीवंत किया। अन्नकूट पर्व की यह परंपरा इस भाव को प्रकट करती है कि अन्न केवल जीवन का आधार नहीं, बल्कि दान और कृतज्ञता का माध्यम भी है।

अन्नकूट : समरसता, सेवा और सनातन एकता का प्रतीक

अन्नकूट पर्व सनातन समाज की एकता और आध्यात्मिकता का जीवंत प्रतीक है। इस दिन सभी वर्ग, जाति और समुदाय के लोग एक साथ आकर अन्न, भक्ति और आनंद का उत्सव मनाते हैं। 

यह पर्व यह संदेश देता है कि सच्ची भक्ति केवल आराधना नहीं, बल्कि सेवा, सहयोग और प्रेम का भाव है। भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन लीला की स्मृति में मनाया जाने वाला यह पर्व प्रकृति, अन्न और जीवों के प्रति सम्मान का अद्भुत उदाहरण है।

काशी की आत्मा में बसता है अन्नकूट 

दीपों की पंक्तियों में झिलमिलाती गलियाँ, फूलों से सजे द्वार और हर दिशा में गूंजताहर-हर महादेव”, यह दृश्य केवल आयोजन नहीं, बल्कि काशी की आत्मा का उत्सव था। धूप, गंगाजल और मंत्रों की सुवास में डूबे श्रद्धालुओं ने जब बाबा के चरणों में सिर झुकाया, तो उनके चेहरे भक्ति और संतोष से आलोकित हो उठे।  अन्नकूट महोत्सव ने एक बार फिर सिद्ध किया कि काशी केवल एक नगर नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का जीवंत तीर्थ है, जहाँ भक्ति, दान और कृतज्ञता जीवन का अंग हैं।

अन्नकूट” : अन्न के प्रति आभार, जीवन के प्रति प्रेम

अन्नकूट का संदेश स्पष्ट है, अन्न केवल पेट की भूख नहीं मिटाता, यह आत्मा की तृप्ति भी देता है। भगवान विश्वेश्वर के चरणों में अर्पित यह अन्न समर्पण और सेवा की भावना का प्रतीक है। काशी विश्वनाथ धाम में संपन्न यह अन्नकूट महोत्सव इस वर्ष भी उसी संदेश के साथ समाप्त हुआ, “जहाँ अन्न है, वहाँ अन्नदाता का आशीर्वाद है, और जहाँ भक्ति है, वहाँ बाबा विश्वनाथ का सान्निध्य।

समर्पण : श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्नकूट महोत्सव श्रद्धा, समर्पण और कृतज्ञता की अद्भुत मिसाल, 21 क्विंटल मिष्ठानों से सजे बाबा के दरबार में हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजी काशी. 

दीपों से जगमगाया विश्वनाथ धाम : अन्नकूट महोत्सव के अवसर पर पुष्प और दीपों से सजा मंदिर परिसर।

मिष्ठानों से श्रृंगारित बाबा विश्वेश्वर : 21 क्विंटल विविध मिठाइयों से हुआ भगवान का दिव्य श्रृंगार।

रजत चल-प्रतिमा की शोभायात्रा : शहनाई और डमरू की मंगलध्वनि के बीच गर्भगृह तक पहुँची चल-प्रतिमा।

भक्तों की उमड़ी भीड़ : दर्शन और प्रसाद ग्रहण के लिए सुबह से लगी रही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें।

भोग आरती का दृश्य : वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच बाबा विश्वेश्वर को अर्पित किया गया अन्नकूट भोग।

प्रसाद वितरण का पुण्य अवसर : श्रद्धालुओं को वितरित किया गया खिचड़ी और पूड़ी का प्रसाद, वातावरण गूंजाहर-हर महादेवके जयघोष से।

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