आस्था और सौंदर्य का अद्भुत संगम बनेगी काशी, दीपों की लहर से दमकेगी काशी की आत्मा
मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ
होंगे
मुख्य
अतिथि,
घाटों
पर
17 लाख
दीपों
से
नहाएगी
गंगा
शिववास योग
और
बव
करण
संयोग
में
मनेगी
देव
दीपावली
घाटों पर
लाखों
दीपों
की
रोशनी,
लेजर
शो
और
कोरियोग्राफ
ग्रीन
क्रैकर्स
शो
पर्यटकों
और
श्रद्धालुओं
को
मुग्ध
करेंगे
हर-हर
शंभू,
शिव
तांडव
और
हे
शिवा
शिवा...
पर
थिरकेंगी
रोशनी
की
लहरें
सुरेश गांधी
इस वर्ष देव
दीपावली का पर्व 5 नवंबर
2025 (बुधवार) को मनाया जाएगा,
जब काशी सचमुच देवों
की नगरी बन जाएगी।
इस भव्य आयोजन में
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य
अतिथि के रूप में
शामिल होंगे। मुख्यमंत्री पांच नवंबर को
दोपहर बाद बाबतपुर एयरपोर्ट
पहुंचेंगे। यहां से पुलिस
लाइन और फिर सर्किट
हाउस पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। इसके
बाद शाम को क्रूज
से वह देव दीपावली
का नजारा देखेंगे। इसी से वह
गंगा आरती देखेंगे। देव
दीपावली कार्यक्रम के बाद श्रीकाशी
विश्वनाथ और बाबा काल
भैरव का दर्शन पूजन
करेंगे। छह नवंबर की
सुबह वह प्रधानमंत्री के
आगमन की तैयारियों को
परखेंगे और शाम को
लखनऊ के लिए रवाना
हो जाएंगे। उनके आगमन को
लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी
हैं।
दशाश्वमेध घाट से लेकर
अस्सी घाट तक, और
राजघाट से लेकर पंचगंगा
तक, काशी का हर
घाट इस बार 17 लाख
दीपों की उजास से
जगमगाएगा। गंगा सेवा निधि,
पर्यटन विभाग, नगर निगम और
विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से
घाटों को दीपमालाओं, पुष्प
सजावट और रंगीन झालरों
से दुल्हन-सा संवारा जा
रहा है। देव दीपावली
की रात गंगा आरती,
लेज़र शो और भव्य
आतिशबाज़ी का अद्भुत संगम
होगा। आकाश में जब
रंग-बिरंगे फूल खिलेंगे और
गंगा पर दीपों की
लहरें थिरकेंगी, तब काशी साक्षात्
“देवताओं की नगरी” प्रतीत
होगी। काशी की धरती
एक बार फिर देवों
के स्वागत के लिए सज
चुकी है।
गंगा की लहरें
दीपों से लदीं हैं,
घाट आरती की गूंज
से निखर रहे हैं,
और पूरा नगर दिव्य
ज्योति से आलोकित होने
को आतुर है। देव
दीपावली वह रात है
जब देवता स्वयं गंगा के तट
पर उतरकर दीप जलाते हैं।
इस दौरान हर-हर शंभू,
शिव तांडव और हे शिवा
शिवा... जैसे भजनों की
ताल पर डमरुओं की
थाप और सतरंगी रोशनी
के संगम से घाटों
का वातावरण भक्तिमय हो उठेगा। पौराणिक कथा
के अनुसार, इसी दिन भगवान
शिव ने त्रिपुरासुर का
वध किया था। देवताओं
ने प्रसन्न होकर काशी में
दीप प्रज्ज्वलित किए कृ तभी
से यह परंपरा चली
आ रही है। इस
वर्ष वाराणसी के 100 से अधिक घाटों,
कुंडों और मंदिरों पर
17 लाख दीपक प्रज्ज्वलित किए
जाएंगे। घाटों पर दीपों की
पंक्तियाँ ऐसे प्रतीत होंगी
जैसे गंगा के गले
में चंद्रहार दमक रहा हो।
वाराणसी प्रशासन ने इस बार
देव दीपावली को अभूतपूर्व स्वरूप
देने की तैयारी की
है। लेज़र शो और
आतिशबाज़ी से गंगा तट
रंगीन होगा। घाटों की सजावट में
स्थानीय कलाकारों और कारीगरों की
मेहनत झलकेगी। 5 लाख से अधिक
श्रद्धालु और पर्यटक काशी
पहुंचने की संभावना है,
जिनमें लगभग 10,000 विदेशी पर्यटक भी शामिल होंगे।
गंगा आरती के दौरान
सुरक्षा हेतु एनडीआरएफ, पुलिस
बल और ड्रोन निगरानी
की व्यवस्था की गई है।
अलकनंदा क्रूज से जुड़े सूत्रों
के अनुसार, इस बार प्रशासन
ने दो बड़े रो-रो क्रूज ‘विवेकानंद’
और ‘मानेकशॉ’ को वीवीआईपी अतिथियों
के लिए आरक्षित किया
है।
तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय संयोग
कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ : 4 नवंबर,
रात 10ः36 बजे
तिथि समाप्ति : 5 नवंबर,
शाम 6ः48 बजे
आरती का शुभ
मुहूर्त (प्रदोषकाल)ः शाम 5ः15
से 7ः50 बजे तक
विशेष योगः शिववास योग
और बव करण, दोनों
अत्यंत मंगलकारी माने गए हैं।
ज्योतिषाचार्यों का मत है
कि इस दिन दीपदान,
गंगा स्नान और शिव-पूजन
करने से जीवन के
सभी अंधकार दूर हो जाते
हैं और सौभाग्य की
वृद्धि होती है।
श्रद्धा और पर्यटन का अनूठा संगम
इस बार पांच
लाख से अधिक श्रद्धालु
और पर्यटक काशी आने की
संभावना है। घाटों पर
सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन
के लिए विशेष इंतज़ाम
किए जा रहे हैं।
शहर के लगभग सभी
होटल और गेस्ट हाउस
फुल बुक हैं। घाट
किनारे बने लग्जरी सुइट
की कीमतें डेढ़ लाख रुपये
तक पहुँच चुकी हैं। देव
दीपावली का सबसे अद्भुत
नज़ारा गंगा की धारा
में तैरती नौकाओं से देखने को
मिलेगा। नाविकों और मल्लाहों ने
विशेष सजावट की है। पर्यटक
बिना कीमत की परवाह
किए नौकायन के लिए अग्रिम
बुकिंग करा रहे हैं।
गंगा बोलेगी, हर हर गंगे!
जब मंत्रोच्चार के
बीच हजारों श्रद्धालु अपने दीप प्रवाहित
करेंगे, तो गंगा की
धाराएं ज्योति से लबालब हो
उठेंगी। उस क्षण ऐसा
लगेगा जैसे काशी की
आत्मा स्वयं दीपों के स्वर में
बोल उठी हो, “हर
हर गंगे!”
गंगा के आंचल में जगमग होगी काशी
शाम ढलते ही
काशी की फिज़ा बदल
जाती है। देव दीपावली
की पूर्व संध्या पर अस्सी घाट
से लेकर पंचगंगा तक
गंगा की लहरें दीपों
से सजी दुल्हन जैसी
लग रही हैं। हर
घाट, हर सीढ़ी पर
जलते दीपक जैसे देवताओं
के स्वागत में मुस्कुरा रहे
हों। हवा में चंदन,
घी और फूलों की
खुशबू घुली है। आरती
की थाप, शंख की
गूंज और जलती लौओं
का कंपन ऐसा अनुभव
कराता है मानो स्वयं
देवता गंगा के आंचल
में अवतरित हो गए हों।
अस्सी घाट पर आस्था का समंदर
अस्सी घाट पर कदम
रखते ही चारों ओर
बस एक ही दृश्य,
दीपों का सागर। लहरों
पर तैरते दीयों से पूरा आकाश
प्रतिबिंबित हो रहा है।
स्थानीय पंडित वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर
रहे हैं, वहीं आरती
मंडलियों की स्वर-लहरियाँ
वातावरण में कंपन पैदा
कर रही हैं। आरती
के समय गंगा के
ऊपर उड़ते ड्रोन दीपों
की छटा कैद कर
रहे हैं, और तट
पर मौजूद लाखों श्रद्धालु उस क्षण को
अपनी आंखों में बसाने की
कोशिश में हैं। ऐसा
लगता है जैसे धरती
नहीं, स्वयं स्वर्ग उतर आया हो.
यह बाते 72 वर्षीय बुजुर्ग तीर्थयात्री रामजी दुबे ने कही,
जो पिछले तीस वर्षों से
हर देव दीपावली पर
वाराणसी आते हैं।
नाविकों के चेहरे पर दीयों की खुशी
गंगा के बीचोंबीच
खड़े सैकड़ों नावों पर पर्यटकों का
सैलाब है। अलकनंदा, विवेकानंद,
मानेकशॉ जैसे क्रूज और
छोटी-छोटी लकड़ी की
नावें गंगा की लहरों
पर झूमती हैं। नाविक रामलाल
यादव हंसते हुए कहते हैं,
आज का दिन हमारा
दीपावली है, बाबा विश्वनाथ
का आशीर्वाद मिलता है और पेट
का भी दीप जलता
है। नाविक समुदाय ने घाटों की
सजावट में भी बड़ा
योगदान दिया है। हर
नाव दीपों से सजी है,
और नाविक आरती के समय
शंख बजाकर अपनी श्रद्धा अर्पित
करते हैं।
विदेशी पर्यटक हुए मंत्रमुग्ध
दूर-दूर से
आए विदेशी पर्यटक इस अद्भुत दृश्य
को देखकर मंत्रमुग्ध हैं। इटली से
आई पर्यटक सारा रॉसी ने
कहा, मैंने पूरी दुनिया में
फेस्टिवल देखे, लेकिन ऐसा दिव्य उत्सव
कहीं नहीं देखा। यहां
हर दीप में जीवन
की प्रार्थना जलती है। अमेरिका
के पर्यटक जॉन मेसन ने
गंगा तट पर मिट्टी
का दीप जलाकर कहा,
काशी ने मुझे सिखाया
कि रोशनी बाहर नहीं, भीतर
भी जलती है।
घाटों की शोभा और सांस्कृतिक संगम
देव दीपावली पर
केवल अस्सी घाट ही नहीं,
बल्कि चेतसिंह, दशाश्वमेध, मणिकर्णिका और पंचगंगा घाट
भी दीपों की श्रृंखला से
जगमगा उठे। सांस्कृतिक मंत्रालय
की ओर से आयोजित
‘दीपोत्सव सांस्कृतिक संध्या’ में पद्मश्री मालिनी
अवस्थी के भजन और
हंसराज रघुवंशी के गायन से
वातावरण भक्तिरस में डूब गया।
लेज़र शो में त्रिपुरासुर-वध और काशी
के दिव्य इतिहास को दृश्य रूप
में दिखाया गया, दर्शक झूम
उठे।
प्रकाश से चमकी अर्थव्यवस्था
देव दीपावली ने
काशी की अर्थव्यवस्था में
भी नई ऊर्जा भरी
है। गंगा किनारे होटल,
गेस्टहाउस और नावों की
बुकिंग फुल हैं। विदेशी
पर्यटक दो घंटे के
क्रूज के लिए ₹15,000 तक
खर्च कर रहे हैं।
घाट किनारे होटलों की सुइट बुकिंग
₹1.5 लाख तक पहुँच चुकी
है। हस्तशिल्प, बनारसी साड़ी और पूजा
सामग्री की बिक्री में
200 फीसदी तक बढ़ोत्तरी दर्ज
की गई है। व्यापारी
शिवराम अग्रवाल बताते हैं देव दीपावली
केवल आस्था नहीं, व्यापार का भी उत्सव
है। हर दुकान दीप
की तरह जल उठती
है।
स्वच्छता और सेवा की मिसाल
इस वर्ष “स्वच्छ
घाट : पवित्र गंगा” अभियान के तहत हजारों
स्वयंसेवक घाटों पर सक्रिय हैं।
स्कूली बच्चे, एनसीसी कैडेट और सामाजिक संगठन
दीपदान से पहले घाटों
की सफाई में जुटे
रहे। पर्यावरण प्रेमी समूहों ने पर्यावरण अनुकूल
मिट्टी के दीपक और
घी के विकल्प के
रूप में सरसों के
तेल के प्रयोग को
बढ़ावा दिया। ‘स्वच्छ
घाट, पवित्र गंगा’ अभियान के तहत स्वयंसेवक
घाटों को सजाने और
साफ रखने में जुटे
हैं। घरों से महिलाएं
दीप लाती हैं, बच्चे
मंत्रोच्चार करते हैं और
गंगा तट पर लाखों
दिलों की आस्था एक
साथ धड़कती है।
काशी का दीप, दुनिया का संदेश
जब दीपों का
प्रकाश गंगा की लहरों
पर फैलेगा, मानो स्वयं भगवान
शिव ने धरती को
आशीर्वाद दिया हो। देव
दीपावली एक बार फिर
यह संदेश देंगी जहाँ गंगा है,
वहां जीवन है, जहां
दीप है, वहां उम्मीद
है। मतलब साफ है
काशी की देव दीपावली
केवल दृश्य नहीं, अनुभव है, जहां हर
दीप में भक्ति की
लौ जलती है, हर
लहर पर गंगा का
आशीर्वाद बहता है, और
हर दिल में यह
विश्वास धधकता है कि अंधकार
चाहे जितना गहरा हो, एक
दीपक काफी है उसे
मिटाने को।
200 मीटर ऊंचाई तक 10 मिनट तक होगी आतिशबाजी
देव दीपावली पर
इस बार काशी में
फिर से दिव्यता, भव्यता
और आधुनिकता का अद्भुत उदाहरण
दिखाई देगा। घाटों पर लाखों दीपों
की रोशनी, लेजर शो और
कोरियोग्राफ ग्रीन क्रैकर्स शो पर्यटकों और
श्रद्धालुओं को मुग्ध करेंगे।
शिव भजनों की धुन पर
करीब 10 मिनट तक चलने
वाला ग्रीन एरियल फायर क्रैकर शो
रात 8 बजे शुरू होगा।
हर-हर शंभू, शिव
तांडव और हे शिवा
शिवा... जैसे भजनों की
ताल पर डमरुओं की
थाप और सतरंगी रोशनी
के संगम से घाटों
का वातावरण भक्तिमय हो उठेगा। वहीं,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देव दीपावली
को लाइव देखेंगे। गंगा
पार रेती का क्षेत्र
कोरियोग्राफ और सिंक्रोनाइज ग्रीन
क्रैकर्स शो की रंगीन
रोशनी से नहाया हुआ
नजर आएगा। यह शो श्रीकाशी
विश्वनाथ धाम के गंगा
द्वार के सामने होगा,
जो आधुनिक तकनीक फायर वन फायरिंग
सिस्टम के माध्यम से
प्रस्तुत किया जाएगा। करीब
एक हजार फीट लंबी
रेत के स्ट्रेच पर
होनी वाली आतिशबाजी के
पटाखे 200 मीटर ऊंचाई तक
रोशनी बिखेरेंगे। इनका रंगीन प्रकाश
घाटों, गंगा की लहरों
और दूर-दूर तक
फैले क्षेत्र को आलोकित कर
देगा। खास बात यह
है कि यह आतिशबाजी
ग्रीन क्रैकर्स से होगी। लेजर
शो भी पूर्णिमा की
रात में गंगा के
ऊपर के आसमान को
रंग-बिरंगी किरणों से सजाएगा। जब
ये किरणें गंगा के जल
पर झिलमिलाती दिखेंगी, तब संपूर्ण काशी
एक दिव्य स्वप्न लोक जैसी प्रतीत
होगी।
25 मिनट का काशी कथा का दिव्य थ्रीडी शो
देव दीपावली पर
चेतसिंह घाट पर 25 मिनट
का ‘काशी कथा’ थ्रीडी
प्रोजेक्शन मैपिंग व लेजर शो
होगा। यह शो एक
घंटे के अंतराल पर
तीन बार रात 8ः15,
नौ और 9ः35 बजे
तक होगा। इस भव्य थ्रीडी
प्रोजेक्शन मैपिंग शो के माध्यम
से काशी आने वाले
पर्यटक धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा
के साक्षी बनेंगे। शो की शुरुआत
शंखनाद और डमरू की
गूंज से होगी। इसके
बाद भगवान शिव-पार्वती विवाह,
भगवान श्रीहरि विष्णु के चक्र पुष्करिणी
कुंड, भगवान बुद्ध के धर्मोपदेश, संत
कबीर और गोस्वामी तुलसीदास
की भक्ति परंपरा और महामना मदन
मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय
की स्थापना तक की झलक
प्रस्तुत की जाएगी।
गंगा का क्षेत्र बना नो फ्लाईजोन, ड्रोन उड़ाने पर रहेगी रोक
गंगा घाटों पर
देव दीपावली पर जुटने वाली
भीड़ को देखते हुए
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
किए गए हैं। यहां
वॉच टावर से घाटों
की निगरानी होगी। वहीं सभी घाटों
पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व गोताखोर जवानों
की तैनाती होगी। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल और जिलाधिकारी सत्येंद्र
कुमार ने बैठक कर
तैयारियों का खाका खींचा।
बैठक में वीआईपी आगमन,
भीड़ प्रबंधन, नौका संचालन, यातायात
नियंत्रण और कानून-व्यवस्था
को लेकर निर्देशित किया।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के
लिए सभी प्रमुख घाटों
पर सुनियोजित बैरिकेडिंग करने, प्रवेश और निकास मार्ग
चिह्नित करने को कहा।
गंगा घाट क्षेत्र को
नो-फ्लाई जोन घोषित किया।
ड्रोन संचालन पर प्रतिबंध लगाया
गया। नौका संचालन को
लेकर नाविकों को निर्धारित सवारी
सीमा, नाव पर सवार
लोगों को लाइफ जैकेट
का अनिवार्य रूप से पालन
कराना है। पुलिस आयुक्त
ने अधिकारियों को अनुभवी नाविकों
की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश
दिया।
25 मिनट का काशी कथा का दिव्य थ्रीडी शो
देव दीपावली पर
चेतसिंह घाट पर 25 मिनट
का ‘काशी कथा’ थ्रीडी
प्रोजेक्शन मैपिंग व लेजर शो
होगा। यह शो एक
घंटे के अंतराल पर
तीन बार रात 8ः15,
नौ और 9ः35 बजे
तक होगा। इस भव्य थ्रीडी
प्रोजेक्शन मैपिंग शो के माध्यम
से काशी आने वाले
पर्यटक धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा
के साक्षी बनेंगे। शो की शुरुआत
शंखनाद और डमरू की
गूंज से होगी। इसके
बाद भगवान शिव-पार्वती विवाह,
भगवान श्रीहरि विष्णु के चक्र पुष्करिणी
कुंड, भगवान बुद्ध के धर्मोपदेश, संत
कबीर और गोस्वामी तुलसीदास
की भक्ति परंपरा और महामना मदन
मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय
की स्थापना तक की झलक
प्रस्तुत की जाएगी।



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