मोदी से मिले सीईपीसी अध्यक्ष कुलदीप राज वट्टल, बोले— ‘हैंडमेड इन इंडिया बने वैश्विक पहचान’
भारतीय हस्तनिर्मित
कालीन
उद्योग
को
अति-विशेष
दर्जा
व
नीतिगत
सहयोग
की
मांग,
प्रधानमंत्री
ने
दी
सहायता
का
आश्वासन
सुरेश गांधी
वाराणसी। भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग के लिए सोमवार
का दिन ऐतिहासिक साबित
हुआ, जब कालीन निर्यात
संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के अध्यक्ष श्री
कुलदीप राज वट्टल को
प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित
उच्च-स्तरीय बैठक में माननीय
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी
के समक्ष उद्योग की स्थिति और
संभावनाओं को प्रस्तुत करने
का अवसर मिला। यह
बैठक चुनिंदा निर्यात संवर्धन परिषदों (EPCs) और उनके अध्यक्षों
के साथ राष्ट्र के
निर्यात क्षेत्र की दिशा तय
करने के लिए आयोजित
की गई थी। बैठक
में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री
श्री पीयूष गोयल तथा केंद्रीय
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण भी उपस्थित थीं।
श्री वट्टल ने
प्रधानमंत्री के समक्ष भारत
के हस्तनिर्मित कालीन उद्योग की सामाजिक-आर्थिक
महत्ता को रेखांकित किया,
जो भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, जयपुर, पानीपत, आगरा और श्रीनगर
जैसे प्रमुख क्षेत्रों में 25 लाख से अधिक
कारीगरों—जिनमें बड़ी संख्या में
महिलाएं शामिल हैं—को रोजगार
प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह उद्योग
न केवल ग्रामीण भारत
की आत्मा को संजोए हुए
है, बल्कि हर वर्ष लगभग
2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात
के साथ विश्व बाजार
में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी
रखता है। श्री वट्टल
ने कहा, “यह समय है
जब भारत का ‘हैंडमेड
इन इंडिया’—विश्व की नई पहचान
बने।”
सीईपीसी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के समक्ष कई महत्वपूर्ण नीतिगत सिफारिशें रखीं
हस्तनिर्मित कालीन क्षेत्र को अति-विशेष दर्जा (Special Status) मिले। फोकस प्रोडक्ट योजना लाभ और ब्याज अनुदान योजना को पुनः लागू किया जाए। “हैंडमेड इन इंडिया – क्राफ्टिंग स्टोरीज” अभियान के तहत वैश्विक ब्रांडिंग की जाए। निर्यात प्रोत्साहन सहायता में वृद्धि की जाए। धारा 43B(H) के तहत राहत दी जाए और एमएसएमई निर्यातकों के लिए ईसीजीसी प्रीमियम बोझ कम किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ विज़न के अनुरूप यह उद्योग भारत की “हस्तशिल्प क्रांति” का नेतृत्व करने को तैयार है। श्री वट्टल ने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और उनके द्वारा हस्तशिल्प कारीगरों की आकांक्षाओं पर व्यक्तिगत ध्यान देने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार के सहयोग से भारतीय कालीन उद्योग न केवल ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ को और मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भी “हैंडमेड इन इंडिया” को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाएगा। बैठक के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त किया कि सरकार शीघ्र ही कालीन उद्योग की आवश्यकताओं और सुझावों पर ठोस कदम उठाएगी।

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