12 को श्री स्वर्ण महालक्ष्मी पीठ में अन्नकूट–श्रृंगार महोत्सव
महालक्ष्मी दरबार
में
भक्ति
का
महापर्व
: दिव्य श्रृंगार
से
सजेगा
माता
का
दरबार
भजनों
से
गुंजायमान
होगा
परिसर
सुरेश गांधी
वाराणसी भक्ति, श्रृंगार और समर्पण का
अद्भुत संगम—श्री शक्ति
श्री पीठ श्री स्वर्ण
महालक्ष्मी माता में इस
वर्ष भी वार्षिक अन्नकूट–श्रृंगार महोत्सव पूरे वैभव और
विधि-विधान के साथ 12 दिसंबर,
शुक्रवार को मनाया जाएगा।
काशी की सांस्कृतिक धड़कनों
में रचा-बसा यह
महोत्सव हर वर्ष भक्तों
को दिव्य अनुभूति से सराबोर कर
जाता है। इस बार
भी मंदिर परिसर में ऐसे आयोजन
की तैयारी है जिसमें भक्त
केवल दर्शन ही नहीं, बल्कि
भक्ति की ऊर्जा को
महसूस करेंगे।
प्रातःकाल से ही मंदिर
परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार,
शंखध्वनि और घंटारव की
पावन गूँज के साथ
महालक्ष्मी माता का अलौकिक
श्रृंगार प्रारंभ होगा। स्वर्णिम आभा से दमकता
दरबार जब सुगंधित पुष्पों,
रोली-कुमकुम और चंदन से
सुशोभित होगा तो वातावरण
में भक्ति का ऐसा रस
घुलेगा जिसे शब्दों में
बाँध पाना कठिन है।
मंदिर के पुजारी अविनाश
जी के अनुसार, मुख्य
श्रृंगार के साथ-साथ
प्रांगण में विराजमान समस्त
देवी–देवताओं का विशेष पूजन,
अभिषेक और अलंकरण किया
जाएगा। भक्तों को पूरे दिन
मंदिर में विभिन्न स्वरूपों
के दर्शन कराने की व्यवस्था की
गई है।
अन्नकूट दर्शन : सम्पन्नता और कृतज्ञता का पर्व
अन्नकूट वह पर्व है
जहाँ भक्त अपनी मेहनत,
अन्न और समृद्धि के
प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इस
अवसर पर विविध प्रकार
के प्रसाद, नैवेद्य, मिठाइयाँ और व्यंजनों से
भरा अन्नकूट माता महालक्ष्मी को
अर्पित किया जाएगा। मंदिर
के पुजारी अविनाश जी का कहना
है कि अन्नकूट महोत्सव
अर्पण की संस्कृति है,
जहाँ भक्त अपने मन
की समृद्धि माता के चरणों
में समर्पित करते हैं। दर्शन
के लिए आने वाले
श्रद्धालुओं के लिए पूरे
परिसर को रंग-बिरंगी
रोशनियों और फूलों से
सजाया जा रहा है,
ताकि भक्त केवल दर्शन
ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आलोक का भी
अनुभव कर सकें।
कन्हैया दुबे ‘केडी’ की भजन संध्या बनेगी मुख्य आकर्षण
संध्या काल में आयोजित
होने वाली भजन संध्या
में प्रसिद्ध भजन गायक कन्हैया
दुबे ‘केडी’ माता की महिमा
का गुणगान करेंगे। उनकी मधुर आवाज
और भक्ति-रस से परिपूर्ण
प्रस्तुति सदैव भक्तों के
हृदय में अद्भुत भाव-जागरण का संचार करती
है। भजन संध्या में— जय महालक्ष्मी
माता, माँ की चौखट
पर आएं हम, सौभाग्य
प्रदायिनी लक्ष्मी जैसे मंत्रमुग्ध करने वाले भजनों
से पूरा परिसर भक्तिरस
में डूब जाएगा।
भक्तों के स्वागत को तैयार पूरा मंदिर परिसर
मंदिर प्रबंध समिति ने श्रद्धालुओं की
सुविधा के लिए विशेष
व्यवस्थाएँ की हैं। दर्शन
के लिए अलग–अलग
कतारें. प्रसाद वितरण की सुचारु व्यवस्था.
सुरक्षा व व्यवस्था हेतु स्वयंसेवक तैनात.
पार्किंग से लेकर जल–व्यवस्था
तक सभी इंतज़ाम. मंदिर परिसर
में पूरे दिन धार्मिक
वातावरण का अनुभव मिलेगा।
समृद्धि–शांति की कामना से जुड़ेगा हर भक्त
यह महोत्सव केवल
एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आस्था का
जीवंत उत्सव है। माता महालक्ष्मी
का यह श्रृंगार-दर्शन
न केवल घरों में
सुख–समृद्धि का संदेश देता
है, बल्कि व्यक्ति के भीतर की
शांति को भी स्पर्श
करता है। 12 दिसंबर को हजारों श्रद्धालुओं
के माता के दरबार
में पहुँचने की उम्मीद है।
काशी का यह पावन
दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक
ऊर्जा से भरपूर एक
अविस्मरणीय अनुभव बनने जा रहा
है।

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