काशी : तमिल संगम का जीवंत दृश्य : महर्षि अगस्त्य वाहन रैली का भव्य स्वागत
महानगर अध्यक्ष
प्रदीप
अग्रहरि
व
महापौर
अशोक
तिवारी
के
नेतृत्व
में
‘वडक्कम
काशी’
के
नारों
से
गूंजा
लहरतारा
सुरेश गांधी
वाराणसी. काशी - तमिल संगमम 4.0 के
तहत निकाली गई महर्षि अगस्त्य
वाहन रैली सोमवार दोपहर
12.30 बजे जैसे ही वाराणसी
पहुंची, लहरतारा क्षेत्र में मानो उत्सव
सा माहौल बन गया। महानगर
अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि और महापौर अशोक
तिवारी के नेतृत्व में
नगर के कार्यकर्ताओं ने
रैली का जोशीला और
भव्य स्वागत किया। तमिलनाडु से आई इस
विशेष रैली में शामिल
अतिथियों का माला पहनाकर
अभिवादन किया गया, जिससे
आगंतुक विजिबली गदगद दिखे।
स्वागत स्थल पर कार्यकर्ता
सुबह से ही पूरी
उत्सुकता में जुटे रहे।
हरदृहर महादेव, मोडीदृमोडी, वडक्कम काशी, काशीदृतमिल एकता जिंदाबाद, भारत
माता की जय जैसे
नारों से पूरा वातावरण
गूंजता रहा। राहगीर भी
रुकदृरुककर ‘वडक्कम काशी’ के साथ संगम
की भावना में शामिल होते
दिखे। माहौल ऐसा था मानो
काशी और तमिल संस्कृति
एकाकार होकर अपनी परंपराओं
का साझा उत्सव मना
रही हों। स्वागत उपरांत
महानगर अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि ने लगभग 50 गाड़ियों
के काफिले के साथ रैली
को नमो घाट तक
पहुंचाया और हाथ जोड़कर
सभी अतिथियों का सम्मानपूर्वक अभिवादन
किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की प्रेरणा
से काशी - तमिल संगमम का
यह भव्य आयोजन संभव
हुआ है, जो उत्तर
और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक
एकता को नए आयाम
दे रहा है।
उन्होंने बताया कि अब स्थानीय
लोग दक्षिण भारतीय व्यंजनों को उतना ही
पसंद कर रहे हैं
जितना तमिल अतिथि यहाँ
की कचौड़ी, जलेबी, गोलगप्पा और बनारसी चाट
का स्वाद लेकर आनंदित हो
रहे हैं। संगमम के
तहत 300 छात्रों का दल तमिलनाडु
तमिल भाषा सीखने के
लिए जाएगा, वहीं तमिलनाडु से
आए शिक्षक यहां के विद्यालयों
में विद्यार्थियों को तमिल पढ़ा
रहे हैं। महानगर अध्यक्ष
ने इस रैली को
ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि
यह अभियान तेन काशी से
काशी तक की उस
सांस्कृतिक यात्रा का पुनरुत्थान है,
जिसे कभी पांड्य शासक
आदि वीर पराक्रम पांडियन
ने आरंभ किया था।
यह रैली महर्षि अगस्त्य
के प्राचीन मार्गों को पुनर्जीवित करते
हुए तमिलनाडु के सांस्कृतिक योगदान
को सम्मानपूर्वक प्रदर्शित करती है।
रैली के स्वागत
में प्रमुख रूप से महानगर
अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि, महापौर अशोक तिवारी, जिला
अध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज
विश्वकर्मा, चंद्रशेखर उपाध्याय, मधुकर चित्रांश, राकेश जायसवाल, प्रमोद यादव मुन्ना, अवधेश
राय, संजय कुमार, अजय
गुप्ता, राजेंद्र सिंह पटेल, योगेश
वर्मा, विनोद भारद्वाज, अमित खरे, वैभव
उपाध्याय, पंकज चतुर्वेदी, मधुप
सिंह, अखिलेश सिंह, मुन्ना लाल यादव, प्रदीप
जायसवाल पिंटू, दीपक राय, अशोक
कुमार पांडेय, प्रमील पांडेय सहित अनेक कार्यकर्ता
उपस्थित रहे। रैली के
स्वागत में उमड़ी भीड़
और ‘वडक्कम काशी’ की गूंज ने
एक बार फिर यह
सिद्ध कर दिया कि
भारत की सांस्कृतिक विविधता
जब संगम बनती है
तो उसका स्वरूप अद्भुत
और अनुकरणीय हो जाता है।

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