परंपरा और
आधुनिकता
का
संगम
बना
बीएचयू,
मेधावियों
की
मुस्कान
में
झलका
उज्ज्वल
भारत
का
भविष्य
काशी में चमका मेधावियों का भविष्य, छात्राओं का दबदबा, 33 में से 28 पदक झटके
बीएचयू का
105वां
दीक्षांत
: 29 टॉपरों
को
मिले
33 गोल्ड
मेडल
भारत मिसाइल
टेक्नोलॉजी
में
आत्मनिर्भर,
स्वदेशी
एयर
डिफेंस
सिस्टम
पूरी
तरह
सक्षम,
अग्नि
- 6 ज़रूरत
होगी
तब
बनेगी
: डॉ.
वी.के.
सारस्वत
कुलपति ने
दिलाई
सत्य
- निष्ठा
की
शपथ,
29 मेधावियों
को
स्वर्ण
पदक,
712 शोधार्थियों
को
मिली
पीएचडी
देश - विदेश
में
लाइव
देखा
गया
समारोह,
बीएचयू
में
बंटेगी
13,650 उपाधियाँ
सुरेश गांधी
वाराणसी. काशी की ज्ञान
- भूमि पर शुक्रवार का
दिन केवल एक शैक्षणिक
उत्सव नहीं था, बल्कि
भावनाओं, उपलब्धियों और नए संकल्पों
की उजली सुबह था।
बीएचयू का 105वां दीक्षांत समारोह
स्वतन्त्रता भवन में ऐसे
सजा कि मानो परंपरा
और आधुनिक शिक्षा एक ही सूत्र
में पिरोकर छात्रों की जीवन - यात्रा
को शुभाशीष दे रही हों।
मंच पर पवित्रता का
आभास, सभागार में उमड़ता उत्साह
और हजारों विद्यार्थियों के चेहरों पर
उजली उम्मीदें, यह सब मिलकर
वाराणसी को एक अद्भुत
अध्यात्मिक - शैक्षणिक उत्सव में बदल रहे
थे।
13,650 उपाधियां : ज्ञान के महासागर से निकली नई लहरें
इस वर्ष बीएचयू
ने कुल 13,650 डिग्रियां प्रदान कीं, 7449 स्नातक, 5889 स्नातकोत्तर, 712 पीएचडी, 4 एमफिल, 1 डीएससी. जो छात्र उपस्थित
नहीं हो सके, उनकी
उपाधियां एक महीने के
भीतर पंजीकृत डाक से उनके
घर पहुंचा दी जाएंगी। विश्वविद्यालय
के 16 संकायों में ज्ञानोत्सव का
यह विशाल आयोजन एक अद्भुत दृश्य
बनकर सामने आया।
पदक वितरण : छात्राओं का परचम, काशी के आकाश में चमके 29 सितारे
समारोह का सबसे उल्लासपूर्ण
क्षण तब था जब
मेधावियों को स्वर्ण पदक
प्रदान किए गए। कुल
29 टॉपर्स को 33 गोल्ड मेडल मिले, और
इस बार भी छात्राओं
ने शैक्षणिक उत्कृष्टता का परचम लहराया,
29 में से 20 मेधावी छात्राएं, 33 में से 28 पदक
छात्राओं के नाम, एक
छात्र अनुपस्थित, प्रमुख मेडल विजेता :- तुईन
पर बीपीए (इंस्ट्रूमेंटलदृबांसुरी), चांसलर मेडल, अनुराधा द्विवेदी एम.ए. संस्कृत,
चांसलर मेडल, उनके चेहरे पर
चमक और परिवारों के
आनंदित चेहरे बीएचयू के गौरव को
और ऊंचा कर रहे
थे।
कुलपति की सीख : सत्य, सेवा और संस्कृति से हो राष्ट्र का उत्थान
कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी
ने विद्यार्थियों को सत्य, नैतिकता,
सेवा और राष्ट्रहित को
सर्वोपरि रखने की शपथ
दिलाई। उन्होंने कहा बीएचयू के
विद्यार्थी जहां भी जाएं,
अपने ज्ञान, कर्म और संस्कृति
से देश का मान
बढ़ाएं। ये शब्द सभागार
में बैठे हर युवा
के भीतर एक नई
ऊर्जा और जिम्मेदारी जागृत
कर रहे थे।
आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक पुकार : डॉ. वी.के. सारस्वत
देश के प्रख्यात
रक्षा वैज्ञानिक और नीति आयोग
के सदस्य डॉ. वी.के.
सारस्वत ने मीडिया से
बातचीत में देश की
सुरक्षा, मिसाइल तकनीक और एयर डिफेंस
पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए, दिल्ली
सहित कई महत्वपूर्ण इलाकों
में घरेलू एयर डिफेंस सिस्टम
तैनात. उन्होंने कहा, भारत ने
मजबूत स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम
विकसित कर लिया है।
रूस की सहायता पूरक
है, पर देश की
स्वयं की क्षमता पूरी
तरह सशक्त है। रिसर्च संस्थान
और प्रोडक्शन एजेंसियां तेजी से आत्मनिर्भरता
की ओर बढ़ रही
हैं। अग्नि - 6 पर उन्होंने कहा,
जब जरूरत होगी, तब बनेगी. डॉ.
सारस्वत के अनुसार, मौजूदा
खतरे की प्रोफाइल में
अग्नि - 5 पर्याप्त
है। अग्नि - 6, 7 या 8 भविष्य की
सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुसार बनेंगी।
भारत ने पिछले दशक
में प्रलय, प्रहार, ब्रह्मोस (400 किमी) जैसी कई टैक्टिकल
मिसाइलें विकसित की हैं।
वैज्ञानिक सारस्वत का योगदान
उन्होंने पृथ्वी, धनुष, अग्नि - 5, दो-स्तरीय बैलिस्टिक
मिसाइल डिफेंस सिस्टम, आईएनएस अरिहंत, साइबर सुरक्षा ढांचा, सुपर, कंप्यूटिंग मिशन जैसी ऐतिहासिक
परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई है।
कैंपस में उत्सव का रंग, परिवारों की मुस्कान और साथियों की खुशियां
विश्वविद्यालय परिसर में उत्साह का
माहौल सुबह से ही
दिखाई दे रहा था।
मेधावियों की फोटो सेशन,
शिक्षकों की शुभकामनाएं, परिवारों
की गर्वभरी आंखें, दीक्षांत टोपी - पोशाक में छात्र - छात्राओं
का उल्लास, हर क्षण को
यादगार बना रहा था।
बीएचयू ने समारोह की
लाइव स्ट्रीमिंग अपने यूट्यूब और
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर की, जिसे
देश - विदेश से बड़ी संख्या
में लोगों ने देखा।
ज्ञान, परंपरा और नई दिशा का अद्भुत समागम
बीएचयू का 105वां दीक्षांत समारोह केवल उपाधि वितरण का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि महामना की परंपरा, आधुनिक शिक्षा की शक्ति और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का सजीव प्रतीक बनकर सामने आया। हजारों स्नातक छात्रों के लिए यह सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि उनकी जीवन - यात्रा की उजली शुरुआत थी, काशी की पावन भूमि से नए सपनों की उड़ान।


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