ठंड ने बढ़ाई जनजीवन की मुश्किलें, सुबह कुहासा, शाम को कनकनी तेज
पशु-पक्षियों
ओं
पर
भी
असर,
गौशालाओं
में
बढ़ी
चिंता
सुरेश गांधी
वाराणसी. पूर्वांचल में मौसम लगातार
करवट बदल रहा है।
सुबह हल्का कुहासा और दिन में
छिटपुट बादलों के बीच तापमान
तेजी से गिर रहा
है।
पछुआ हवा के कारण सुबह-शाम की कड़ाके की ठंड ने जनजीवन प्रभावित कर दिया है। गुनगुनी धूप दिन में राहत देती है, लेकिन सूर्यास्त के साथ ही ठिठुरन इतनी बढ़ जाती है कि घरों के अंदर भी तापमान नीचे आने लगता है। ठंड का असर बच्चों, बुजुर्गों, किसानों और पशुओं, सभी पर दिखाई दे रहा है। वहीं विवाह मुहूर्त के चलते हो रही लगातार शादियों में भी ठंड ने व्यवस्थाओं की चुनौती बढ़ा दी है।
मतलब साफ है नवंबर के अंत से ही जिस ठंड ने दस्तक दी थी, अब वह अपना असली रूप दिखाने लगी है। दिन में धूप भले राहत देती हो, पर रात और सुबह की ठंड अब शीतलहर जैसी तीक्ष्ण हो रही है। आने वाले दिनों में यह तापमान और गिर सकता है। शादी-ब्याह की रौनक, किसानों की चुनौतियाँ, बच्चों की दिक्कतें और अस्पतालों की बढ़ती भीड़, सभी संकेत देते हैं कि ठंडी सर्दियों का असली दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। बता दें, पछुआ हवा के झोंकों ने ठंड की तीक्ष्णता को अचानक बढ़ा दिया है। दिन में जरूर गुनगुनी धूप कुछ राहत देती है, परंतु सूरज ढलते ही कनकनी ऐसी बढ़ जाती है मानो मौसम एकाएक बर्फीली पहाड़ियों का अहसास कराने लगा हो।
तापमान में जारी गिरावट
ने वातावरण को पूरी तरह
अपने प्रभाव में ले लिया
है, और इसका असर
मनुष्यों के साथ-साथ
पशुओं पर भी साफ
दिखाई दे रहा है।
शाम होते ही घरों
के भीतर का तापमान
भी तेजी से नीचे
आने लगा है, वहीं
अस्पतालों में सर्दी-जुकाम,
बुखार, उल्टी-दस्त और पेट
दर्द के मरीजों की
संख्या बढ़ती जा रही
है। मौसम विशेषज्ञों के
अनुसार, आने वाले दिनों
में पूर्वांचल में ठंड और
तेज हो सकती है।
वाराणसी में सुबह दृश्यता
केवल 600 मीटर दर्ज की
गई, जिससे साफ है कि
धुंध की परत और
घनी हो सकती है।
उत्तरी-पश्चिमी हवाएं इन दिनों प्रदेश
भर में बह रही
हैं। पहाड़ों से उतरने वाली
बर्फीली हवा मैदानी क्षेत्रों
में ठंडक और अधिक
बढ़ा रही है। सुबह-शाम की ठिठुरन
अब सामान्य ठंड से ऊपर
उठकर शीतलहर जैसी अनुभूति देने
लगी है। स्कूली बच्चों
को सुबह की ठंड
सबसे अधिक परेशान कर
रही है। कोचिंग और
ट्यूशन के समय निकलना
कठिन होता जा रहा
है। बुजुर्ग और बीमार लोग
ठंड की वजह से
घरों में दुबकने को
मजबूर हैं। किसानों को
रबी की बुवाई और
धान की अंतिम कटाई
प्रभावित होने की चिंता
सताने लगी है।
हालांकि कृषि वैज्ञानिकों का
कहना है कि शुरुआती
ठंड फसलों के लिए बेहतर
होती है, बीज का
अंकुरण अच्छा होता है, परंतु
अगर ठंड तेजी से
और बढ़ी, तो यही
ठंड खेती पर प्रतिकूल
असर डाल सकती है।
ठंडी
रातों ने दुधारू पशुओं
को भी प्रभावित करना
शुरू कर दिया है।
पशु चिकित्सकों ने रात में
गौशालाओं की खिड़कियाँ-दरवाजे
बंद रखने और जानवरों
को जूट की बोरी
या कंबल से ढककर
रखने की सलाह दी
है। अगर पशु पागुर
करना बंद कर दे
या उदास दिखे, तो
तत्काल उपचार कराना आवश्यक है। सुबह की
धूप इन दिनों पशुओं
के लिए भी औषधि
के समान है।
शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त और बढ़ी अफरातफरी
इन दिनों शुभ
विवाह मुहूर्त चल रहे हैं,
ऐसे में ठंड और
धुंध ने लोगों की
मुश्किलें और बढ़ा दी
हैं। सायं बारात निकालना
कठिन होता जा रहा
है. देर शाम की
रौनक ठंडी हवा में
सुन्न, सजावट, कैटरिंग और टेंट में
आग के प्रबंध की
अतिरिक्त जरूरत, बुजुर्गों और बच्चों की
देखभाल का दबाव बढ़ा.
फिर भी, शादी-ब्याह
की धूम जारी है।
मंडपों में अलाव से
लेकर हीटर तक के
इंतज़ाम किए जा रहे
हैं। परंतु ठंड की वजह
से मेहमानों की आवाजाही पर
हल्का असर देखने को
मिल रहा है।
अस्पतालों में मरीजों की भीड़, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
मौसम के उतार-चढ़ाव से रोगियों
की संख्या बढ़ती जा रही
है। सर्दी-जुकाम, वायरल बुखार, सिरदर्द, उल्टी-दस्त, बच्चों में खांसी और
सांस का संक्रमण, अस्पतालों
में इन शिकायतों के
मरीज लगातार पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों
का कहना है कि
यह संक्रमण आने वाले सप्ताह
में और बढ़ सकता
है।
सावधानियाँ
मौसम विभाग और
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को
सतर्क रहने की अपील
की है, सुबह-शाम
गर्म कपड़े अवश्य पहनें,
ठंडे पानी से स्नान
व सेवन से बचें,
बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को
विशेष संरक्षण दें, घरों में
अलाव या हीटर का
सुरक्षित इस्तेमाल करें, पशुओं को रात में
ढककर रखें, सुबह धूप अवश्य
दिलाएं.


No comments:
Post a Comment