Sunday, 7 December 2025

बिजली : स्मार्ट सुविधाएं... पर छिपा ‘वैंपायर लोड’!

बिजली : स्मार्ट सुविधाएं... पर छिपावैंपायर लोड’! 

हमारे घर तेजी से स्मार्ट होते जा रहे हैं. स्मार्ट टीवी, स्मार्ट कैमरा, स्मार्ट बल्ब, प्लग, चार्जर और वॉयस असिस्टेंट अब शहरी जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। सुविधा, सुरक्षा और नियंत्रण की दृष्टि से ये डिवाइस आधुनिक जीवन को सहज बनाते हैं, लेकिन इसी आधुनिकता के पीछे ऊर्जा की एक अदृश्य खपत लगातार बढ़ रही है, जिसकी ओर लोगों का ध्यान कम ही जाता है। यह छिपी हुई खपतस्टैंडबाय पावरयावैंपायर लोडकहलाती है, जो बंद दिखने के बावजूद स्मार्ट डिवाइसों द्वारा 24 घंटे बिजली खींचने की प्रक्रिया है। ऊर्जा विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में एक औसत शहरी परिवार अपनी कुल बिजली खपत का 20 से 30 फीसदी तक हिस्सा सिर्फ स्टैंडबाय मोड में गंवा देता है। स्मार्ट टीवी का वॉयस कंट्रोल, कैमरों का नाइट विज़न मोड, चार्जरों का प्लग में लगा रहना, और स्मार्ट प्लग - बल्ब की लगातार इंटरनेट निर्भरता, ये सब मिलकर हर महीने के बिजली बिल में अनदेखा लेकिन भारी बोझ डालते हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने दुनिया में हर साल अरबों डॉलर की ऊर्जा सिर्फ इनघोस्ट डिवाइसोंके कारण बर्बाद होने का अनुमान लगाया है। भारत में 2024 - 25 के दौरान स्मार्ट डिवाइसों का बाजार 15 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ा है, लेकिन ऊर्जा जागरूकता उसी गति से नहीं बढ़ पाई। नतीजतन, सुविधाएं बढ़ रही हैं, लेकिन घरों का बिजली बिल भी चुपचाप बढ़ रहा है। यह स्थिति सिर्फ उपभोक्ता के लिए चुनौती है, बल्कि राष्ट्रीय ऊर्जा खपत पर भी असर डालती है। ऐसे में समय की मांग है कि स्मार्ट तकनीक के साथ स्मार्ट उपयोग और ऊर्जा अनुशासन को अपनाया जाए, ताकि आधुनिकता का लाभ मिल सके, लेकिन अनावश्यक बिजली व्यर्थ जाएं 

सुरेश गांधी

भारत में स्मार्ट होम तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो रही है। स्मार्ट टीवी, कैमरा, वॉयस असिस्टेंट, स्मार्ट बल्ब, प्लग और ऐप-आधारित चार्जिंग सिस्टम घरों को आधुनिक, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाते हैं। लेकिन हर सुविधा की एक कीमत होती है और स्मार्ट गैजेट्स की सबसे बड़ी छिपी कीमत हैस्टैंडबाय पावर’, जिसे ऊर्जा विशेषज्ञ वैंपायर लोड या घोस्ट एनर्जी कहते हैं। स्मार्ट डिवाइस बंद दिखते हैं, लेकिन पूरी तरह बंद नहीं होते। वाई-फाई से कनेक्टिविटी, वॉयस सेंसर, बैकग्राउंड अपडेट और आइडल मोड इन्हें लगातार चालू रखते हैं। नतीजतन ये 24×7 बिजली खपत करते हैं और महीने का बिल 20 से 30 फीसदी तक बढ़ा देते हैं। ऊर्जा मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट (2024 के ऊर्जा दक्षता दिशानिर्देश) के अनुसार, शहरी परिवारों की कुल बिजली खपत में स्टैंडबाय लोड का औसत योगदान 10 से 25 फीसदी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आईईए (इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी) के मुताबिक विश्व में हर साल स्टैंडबाय मोड की वजह से 65 अरब डॉलर की बिजली बर्बाद होती है, जो भारत जैसे विकासशील देशों पर भारी बोझ है। भारत स्मार्ट टेक्नोलॉजी का तेजी से उभरता बाजार है, लेकिन ऊर्जा-जागरूकता में अभी भी काफी कमी है। यही कारण है कि स्मार्ट डिवाइस सुविधाओं के साथ एक छिपा हुआ खर्च भी जोड़ रहे हैं, जिसे समझना और नियंत्रित करना वक्त की जरूरत है। 

स्मार्ट डिवाइस क्यों खाते हैंछिपी बिजली’?

1.वाई-फाई कनेक्शन सबको चाहिए

बंद होने पर भी हर स्मार्ट गैजेट को लगातार इंटरनेट की आवश्यकता होती है। चाहे टीवी हो या कैमरा, ये खुद को लगातार अप टू डेट और कनेक्टेड रखने के लिए बिजली खींचते रहते हैं।

2. वॉयस असिस्टेंट 24 घंटे सुनता रहता है

एलेक्सा, गुगल होम, स्मार्ट टीवी आदि वॉयस कमांड फीचर के कारण हमेशाजिसेनिंग मोडमें रहते हैं।

3. नाइट विज़न और आईआर- एलईडी - सुरक्षा पर अतिरिक्त बोझ

स्मा       र्ट कैमरों में नाइट विज़न फीचर चलने से प्त्-स्म्क् रातभर जलती रहती है। ऐसे में कैमरा बंद दिखे, लेकिन पावर ड्रेन जारी रहता है।

4. चार्जर : सबसे बड़ा अदृश्य लोड

एडवांस चार्जर, मल्टी-पोर्ट चार्जर और फास्ट चार्जिंग सिस्टम प्लग में लगे रहने पर भी बिजली खपत करते रहते हैं।

कौन कितना बिजली चुपचाप खा रहा है?

1. स्मार्ट टीवी : बंद होकर भी चालू : हिंदुस्तान टेक रिपोर्ट की फील्ड स्टडी (नवंबर 202 - जनवरी 2025) के अनुसार, एक सामान्य स्मार्ट टीवी 3 से 5 वॉट, वॉयस असिस्टेंट वाले मॉडल 8 वॉट, हाई-एंड टीवी 10 वॉट तक स्टैंडबाय पावर लेते हैं। इस हिसाब से एक टीवी साल में 70 से 120 यूनिट बिजली बर्बाद कर देता है, बिल में 600 से 900 रुपये तक की अतिरिक्त मार। स्माधान : रिमोट से नहीं, स्विच से ऑफ करें, वॉयस कंट्रोल बंद रखें, स्मार्ट पावर स्ट्रिप का उपयोग करें.

2. स्मार्ट कैमरे : सुरक्षा जरूरी, पर खर्च समझदारी से, नाइट विज़न मोड, निरंतर रिकॉर्डिंग, क्लाउड बैकअप और 24×7 कनेक्टिविटी के कारण ये सबसे अधिक वैंपायर लोड पैदा करते हैं। एक स्मार्ट कैमरा रोज़ 4 से 6 वॉट, महीने में 100 से 150 वॉट और साल में 50 से 80 यूनिट बिजली खपत कर सकता है। कुछ हाई-रेंज कैमरे इससे अधिक भी दर्ज किए गए हैं। समाधान : केवल आवश्यक क्षेत्र में कैमरा लगाएं, मोशन डिडेक्शन - बेस्ड रिकार्डिंग वाला मॉडल चुनें, नाइट विज़न ऑटो मोड में रखें, पावर स्ट्रिप से कैमरा बंद करने की आदत बनाएं.

3. स्मार्ट बल्ब : प्लग और प्एलओटी डिवाइस : ये नए जमाने के घरों की नसें हैं, लेकिन अत्यधिक संख्या होने पर बड़ा खर्च जोड़ देते हैं। स्मार्ट प्लग : 1 से 3 वॉट (आइडल), स्मार्ट बल्ब : 0.5 से 2 वॉट, वाई-फाई एक्सटेंडर : 4 से 8 वॉट, सेंसर्स और एलओटी गैजेट : 0.2 से 1 वॉट. यदि घर में 10 से 15 एलओटी डिवाइस लगे हों, तो यह महीने में 10 से 15 यूनिट तक अतिरिक्त खपत कर सकते हैं। समाधान : सामान्य बल्बों को अनावश्यक रूप से स्मार्ट बनाएं, केवल आवश्यक उपकरणों को स्मार्ट प्लग से जोड़ें, एक्सटेंडर की संख्या सीमित रखें.

4. स्मार्ट चार्जर : छोटे दिखते हैं, पर बिल बढ़ाते हैं, 2025 में भारत में फास्ट चार्जिंग $ स्मार्ट चार्जिंग का चलन तेजी से बढ़ा। लेकिन यही सबसे बड़ाघोस्ट लोडबन रहा है। एक चार्जर, प्लग में बिना उपयोग पड़े रहने पर 0.3 से 1 वॉट, फास्ट चार्जर 2 से 3 वॉट, मल्टीपोर्ट चार्जर 3 से 5 वॉट, स्मार्ट टीवी के यूएसबी चार्जर 5 से 7 वॉट. हिसाब लगाएं तो एक परिवार में 4 से 5 चार्जर हर महीने 20 से 50 यूनिट तक बिजली खपत कर सकते हैं, जो बिल में 200 से 500 रुपये तक का अतिरिक्त भार है। समाधान : चार्जर को हमेशा प्लग में छोड़ें, घरेलू उपयोग के लिए लो पॉवर चार्जर चुनें, ऑटो शिड्यूल और स्टैंड बाई सिंक फीचर सीमित करें.

घर का छिपा हुआस्टैंडबाय बिल

डिवाइस               स्टैंडबाय खपत  वार्षिक यूनिट     अतिरिक्त बिल (₹)

स्मार्ट टीवी             5 वॉट                     70 से 120              600 से 900

कैमरे                      6 वॉट                     50 से 80                 400 से 650

चार्जर                     1.5 वॉट                 20 से 50                 200 से 500

वाईफाई                 10-15 वॉट            40 से 60                 300 से 500

औसतन एक सामान्य शहरी परिवार 150 से 250 यूनिट/साल सिर्फ स्टैंडबाय मोड में खो देता है अर्थात 1500 से 2500 रुपये सालाना। कई घरों में ये आंकड़ा इससे दोगुना भी मिलता है।

ऊर्जा मंत्रालय की 2025 की चेतावनी

भारत सरकार कीऊर्जा दक्षता 2025“ पहल ने पहली बार घरेलू स्टैंडबाय लोड को गंभीर श्रेणी में रखा है। नए मानकों में यह शामिल है, सभी स्मार्ट गैजेट पर प्रमाणित स्टैंडबाय लोड लेवल लिखना, स्मार्ट टीवी और कैमरों के लिएअल्ट्रा लो स्टैंडबाईतकनीक, कम ऊर्जा खपत वाले घरेलू चार्जर का नया स्केल. सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक घरेलू बिजली की कुल खपत में स्टैंडबाय लोड को 10 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी किया जाए।

यूरोप : अमेरिका की नई पॉलिसी और भारत के लिए सबक

यूएई ने 2023 में स्मार्ट डिवाइसों के स्टैंडबाय मोड पर कड़े नियम लागू किए। अधिकतम 0.5 वॉट की अनुमति, कैमरों टीवी के लिए अनिवार्य ऑटो पॉवर डाउन फीचर, चार्जरों के लिए जीरो कंजस्पन मोड अनिवार्य. अमेरिका ने भी 2024 में स्मार्ट एनर्जी स्टारलेबल लागू किया है। भारत में भी इसी दिशा में कदम बढ़ रहे हैं, लेकिन उपभोक्ता जागरूकता अब भी कम है।

स्मार्ट तकनीक का स्मार्ट उपयोग, कैसे बचाएं 30 फीसदी बिजली?

1. पावर स्ट्रिप (स्वीचेबिल) का उपयोग करें : एक स्विच से 6 से 8 डिवाइस बंद किए जा सकते हैं। यह सबसे प्रभावी तरीका है।

2. वॉयस फीचर : जरूरी हो तो ऑफ रखें : टीवी, स्पीकर और कैमरा, तीनों में बिजली की बचत।

3. कैमरा : 24 घंटे नहीं, ज़रूरत के हिसाब से ऑन करें : मोशन डिटेक्शन, नाइट मोड ऑटो-ऑफ और स्लीप मोड अपनाएँ।

4. चार्जर प्लग में छोड़ें : यह सबसे आसान लेकिन सबसे जरूरी कदम है।

5. स्मार्ट बल्ब : हर कमरे में नहीं लगाएं, जहां जरूरत हो, वहीं उपयोग करें।

6. वाईफाई राउटर : रात में बंद करने की आदत डालें. रातभर में 30 से 40 फीसदी ऊर्जा बचाई जा सकती है।

7. कम एनर्जी वाले डिवाइस चुनें :अल्ट्रा लो स्टैंडबाईयाएनर्जी स्टारमॉडल लें।

स्मार्ट घर तभी स्मार्ट, जब ऊर्जा का भी सम्मान हो

स्मार्ट होम तकनीक आधुनिक जीवन की आवश्यकता बन चुकी है। सुरक्षा, सुविधा और नियंत्रण इसकी बड़ी खूबियां हैं। लेकिन सुविधा के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी है। आज भारत में हर शहरी परिवार कम से कम 10 से 15 स्मार्ट गैजेट का उपयोग करता है। अगर हम सिर्फ स्टैंडबाय मोड की अनदेखी बंद कर दें, तो हर घर 150 से 250 यूनिट बिजली बचा सकता है. साल में 1500 से 2500 रुपये तक बचत. राष्ट्रीय स्तर पर करोड़ों यूनिट ऊर्जा की बचत यानी समाधान बेहद सरल है, अनप्लग करें, पावर स्ट्रिप अपनाएँ और स्मार्ट डिवाइसों के प्रति जागरूक बनें। स्मार्ट टेक्नोलॉजी तभी सार्थक है, जब वह आपकी जेब पर हल्की और पर्यावरण पर जिम्मेदार हो।

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