Sunday, 28 September 2025

बनारस की दो संस्थाओं ने दिल्ली में गूंजाया समाजसेवा का बिगुल

बनारस की दो संस्थाओं ने दिल्ली में गूंजाया समाजसेवा का बिगुल 

रक्तदान से लेकर बाल शिक्षा तक : मानवता का संदेश लेकर लौटे काशी के नायक

रक्तदान केवल जीवनदान नहीं, बल्कि मानवता का सबसे बड़ा धर्म है 

सुरेश गांधी

वाराणसी। राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में शनिवार का दिन काशी के लिए गर्व का अवसर बन गया। समाजसेवा की नई मिसाल गढ़ने वाले दो नाम, बनारसी इश्क फाउंडेशन ट्रस्ट के संस्थापक रोहित कुमार सहानी और आद्या काशी फाउंडेशन की संस्थापक नेहा दुबे, ने अपने कार्य से बनारस का मान बढ़ाया।

रक्तदान के क्षेत्र में निरंतर सेवा और जन-जागरूकता फैलाने वाले रोहित कुमार सहानी को एनआईएफएए स्टेट यूथ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान केवल एक पदक या प्रमाणपत्र नहीं, बल्कि उस समर्पण का प्रतीक है, जिसने हजारों लोगों को जीवनदान के लिए प्रेरित किया। उन्हें 10,000 रुपये की पुरस्कार राशि भी प्रदान की गई।

वहीं, बनारस की युवा समाजसेवी नेहा दुबे को वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस इंग्लैंड और यंग कम्युनिटी चैंपियन अवॉर्ड से नवाज़ा गया। नेहा ने रक्तदान अभियानों के साथ-साथ बारह जरूरतमंद बच्चियों की शिक्षा का संपूर्ण दायित्व स्वयं उठाया हैकृउन बच्चियों का, जिन्हें परिवार की मजबूरियों ने स्कूल से दूर कर दिया था।

दोनों संस्थाएं मानती हैं किरक्तदान केवल जीवनदान नहीं, बल्कि मानवता का सबसे बड़ा धर्म है।यही विश्वास उन्हें दिन-रात समाज के बीच सक्रिय रखता है। 

समारोह से लौटते हुए रोहित और नेहा ने कहा कि यह उपलब्धि व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उन सभी सहयोगियों की निष्ठा का परिणाम है, जो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा-पथ पर चलते हैं।

काशी की गलियों से लेकर दिल्ली के भारत मंडपम तक गूंजा यह संदेश बताता है कि गंगा-जमुनी संस्कृति की यह धरती समाजसेवा को अवसर नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव मानती है।

काशी के गायघाट निवासी रोहित कुमार सहानी ऐसे शख्स है जो लॉकडॉउन में भी एक कॉल पर संकट में पड़े मरीजों को रक्तदान कर उन्हें नया जीवनदान देने में हर संभव कोशिश में जुटे रहे. कोरोना संकट में भी शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती दो दर्जन से अधिक मरीजों को रक्त देकर उनके परिवारों पर सिर्फ मुस्कान बिखेरी है बल्कि मानवता की एक अद्भूत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय मिसाल पेश की.

बता दें, शहर के एक हॉस्पिटल में भदोही के कटरा निवासी सभासद गिरधारी लाल जायसवाल के छोटे भाई मनोज जायसवाल की पत्नी का इलाज चल रहा था. उनकी दोनों किडनी फेल थी, हीमोग्लोबिन काफी गिर गया था, डायलिसिस जरुरी था. मगर ब्लड का इंतजाम नहीं हो पा रहा था. आधी रात जब डाक्टर ने कहा यदि सुबह तक ब्लड नहीं चढ़ाया गया तो हालत गंभीर हो सकती है। चूकि लॉकडाउन है और भदोही से बनारस आना काफी दुश्कर है। इसलिए सभासद ने पत्रकार सुरेश गांधी यानी मुझे फोन किया। सूचना मिलते ही मैने बिना समय गवाएं तत्कालबनारस इश्कके कर्ताधर्ता रोहित साहनी से संपर्क किया और सुबह होते ही उन्होंने रक्तदाता संदीप राय से संपर्क किया। संदीप राय इंसानियत और मानवता का परिचय देते हुए अस्पताल पहुंचे और रक्त दान कर महिला का जीवन बचाया। इस तरह एक नहीं अनेकों उदाहरण है जब रोहित संकट में परिवारों के लिए रक्त देकर संकटमोचक बने

साहनी का कहना है हर स्वस्थ्य व्यक्ति को रक्तदान करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वे 10 साल से लोगों की जान बचाने के लिए रक्तदान करते रहे हैं। रक्तदान एक ऐसा महादान है जिसकी अन्य किसी दान से तुलना नहीं की जा सकती। जरूरतमंद मरीज को समय पर अगर रक्त मिले तो उसकी जान पर बन आती है। अक्सर इस तरह के कई मामले भी सामने आते हैं, जिसमें समय पर ब्लड मिलने के कारण व्यक्ति की मौत हो जाती है। आज ऐसे कई लोग हैं जिनके अंदर अपना खून देकर दूसरों की जान बचाने का जुनून है, ऐसे रक्तदीपों में शामिल हैं भरत लाल बिंद, महिपाल सिंह राजपूत, अभिषेक सिंह, आशुतोष तिवारी, राहुल सिंह, चिंटू केसरवानी, दया शंकर तिवारी, जयन्त अग्रवाल, राहुल चौधरी, अंकित अग्रवाल, अनुपम सिंह, कृष्णा चौधरी, राज मौर्या, रामचंद्रा गोदरा, रमेश दुबे, रोशन कुँवर, प्रखर त्रिपाठी आदि। ये ऐसे रक्त दीप हैं जो लॉकडाउन में भी अपना सामाजिक दायित्व निभा रहे हैं।

खासतौर से तब जब शहर के अधिकांश ब्लड बैंक रक्त की उपलब्धता में असमर्थता जता रहे होते है। लेकिन ये रक्त दीप सूचना मात्र पर ही जरूरतमंदों के पास पहुंचकर उन्हें जिंदगी देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके लिए किसी को परिवार की नाराजगी तो किसी को प्रशासनिक परेशानी का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वे अपना दायित्व निभाने से पीछे नहीं हटे। इनका कहना है कि रक्तदान करना उन्हें अच्छा लगता है। किसी की जरूरत पर काम आना यही असली मानवता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि ऐसे नेक काम का मौका मुझे देता रहे। श्री साहनी ने बताया कि उन्होंनेबनारस इश्कनाम से फेसबुक पेज बनाया है। उनके डेढ़ लाख से अधिक फालोवर है। उन्होंने कहां कि यह कोई एनजीओ नहीं है। सब अपनी मर्जी से रक्त दान के लिए आगे आते हैं। लोग इस पेज के जरिए भी संवर्क करते है और हमारी टीम अचानक रक्त की जरूरत पड़ने पर बिना समय गंवाये रक्तदान कर किसी का जीवन बचाने में अपना सहयोग देते है। श्री साहनी लोगों से अपील करते है कि वे सभी यथासंभव रक्तदान अवश्य करें। साथ ही अपने सगे-संबंधियों और मित्र को भी इस पुण्य कार्य के लिए प्रेरित करें। एक स्वस्थ व्यक्ति एक वर्ष में अधिकतम चार बार रक्तदान कर सकता है। जबकि एक वर्ष में 24 बार भी प्लेटलेट्स दे सकता है।

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