वाराणसी में एशिया का पहला अर्बन रोपवे : शहरी परिवहन का नया युग
गंगा की
नगरी
में
नई
क्रांति
: शहर
में
अब
हवा
में
सफर
संभव
कैंट से
गोदौलिया
तक
3.8 किमी
की
उड़ान
में
कुल
5 स्टेशन
और
29 टावर्स
होंगे
96,000 यात्रियों की
क्षमता
वाला
रोपवे
प्रोजेक्ट
पर्यटन, रोजगार
और
आर्थिक
विकास
का
खोलेगा
नया
द्वार
सुरेश गांधी
वाराणसी : गंगा घाटों और प्राचीन गलियों की नगरी अब आधुनिक परिवहन के क्षेत्र में भी अपने नाम को रोशन करने जा रही है। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्वतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत एशिया के पहले अर्बन रोपवे प्रोजेक्ट का शुभारंभ वाराणसी में किया है। यह केवल एक साधन नहीं, बल्कि शहर के आर्थिक, सामाजिक और पर्यटन ढांचे में नए आयाम जोड़ने वाला परिवर्तन है।
यह रोपवे प्रोजेक्ट
केवल अर्बन ट्रांसपोर्ट का साधन नहीं,
बल्कि शहर के पर्यटन,
रोजगार और आर्थिक विकास
का नया द्वार खोलेगा।
गंगा की लहरों और
प्राचीन गलियों के बीच, अब
आधुनिकता की यह धारा
भी बहेगी दृ जिससे वाराणसी
का नाम स्मार्ट शहरों
की दुनिया में गर्व के
साथ लिया जाएगा।
वाराणसी कैंट स्टेशन से
गोदौलिया तक फैले इस
रोपवे में कुल 5 स्टेशन
और 29 टावर्स होंगे। विद्या पीठ और रथयात्रा
इंटरमीडिएट स्टेशन यात्रियों की सुविधा बढ़ाएंगे,
जबकि गिरजाघर तकनीकी स्टेशन के रूप में
काम करेगा। कुल लागत ₹815.58 करोड़
निर्धारित की गई है,
जिसमें 15 वर्षों का ऑपरेशन और
मेंटेनेंस (ओ एंड एम)
भी शामिल है।
प्रोजेक्ट की महत्ता और लागत के कारण
1. उच्च क्षमता
का
रोपवे
डिज़ाइन
इस रोपवे की
क्षमता 3000 पीपीएचपीडी (प्रति घंटे प्रति दिशा)
है, अर्थात 16 घंटे के दैनिक
संचालन में लगभग 96,000 यात्रियों
को सेवा दी जा
सकेगी। इसके लिए 150 गोंडोला
लगाए जाएंगे। यह क्षमता भारत
के सबसे बड़े गुलमर्ग
रोपवे से 2.5 गुना अधिक है।
बड़ी क्षमता के कारण बड़े
डायामीटर की रोप्स, हाई
पावर ड्राइव्स, एडवांस्ड कंट्रोल और कम्युनिकेशन सिस्टम,
तथा बेहतर रेस्क्यू और इवैक्यूएशन प्रावधान
आवश्यक हुए।
2. आर्थिक मॉडल
और
स्टेशन
विकास
सिर्फ ट्रांजिट पॉइंट के रूप में
नहीं, बल्कि मल्टी स्टोरीड कमर्शियल स्पेस, बजट होटल्स और
ऑफिस स्पेस के रूप में
स्टेशनों का विकास किया
जा रहा है। लगभग
2,00,000 स्क्वायर फीट का निर्माण
इस उद्देश्य से होगा। इससे
रोपवे स्वयं वित्तीय रूप से सक्षम
(सेसटेनेबल) होगा और शहर
की आर्थिक गतिविधियों व रोजगार में
वृद्धि होगी।
3. ग्लोबल स्टैंडर्ड्स
ऑफ़
सेफ्टी
रोपवे में सीइएन स्टैंडर्ड्स
के अनुसार उच्च गुणवत्ता और
नवीनतम तकनीक का उपयोग किया
जा रहा है। सभी
गतिविधियाँ और सेफ्टी पैरामीटर्स
24 घंटे एडवांस्ड कंट्रोल रूम से मॉनिटर
होंगे। आपातकालीन स्थिति में तीन-स्तरीय
सुरक्षा सुनिश्चित की गई है
:
1. गोंडोला अपने
आप
नज़दीकी
स्टेशन
तक
पहुंचेगी।
2. ऑक्सिलरी मोटर्स
और
क्ळ
सेट
हमेशा
उपलब्ध
रहेंगे।
3. प्रशिक्षित दल
द्वारा
वर्टिकल
रेस्क्यू
व्यवस्था
रहेगी।
चार स्तर का
सेफ्टी सर्टिफिकेशन भी प्रोजेक्ट की
विश्वसनीयता को सुनिश्चित करेगा।
4. भू-तकनीकी चुनौतियाँ
घनी आबादी वाले
शहरी क्षेत्र और मौजूदा बिल्डिंग्स
के ऊपर से गुजरते
हुए रोपवे के टावर्स की
ऊँचाई और फाउंडेशन में
विशेष ध्यान रखा गया। सबसे
ऊँचा टावर : 160 फीट, फाउंडेशन गहराई
: 80 से 100 फीट। कैंट स्टेशन
में लगभग 500 पाइल्स, अन्य स्टेशनों में
300 से अधिक पाइल्स का
निर्माण किया जा रहा
है।
5. ओ एंड एम
लागत
कुल परियोजना लागत
में 15 वर्षों का ऑपरेशन और
मेंटेनेंस शामिल है। इसमें ऑपरेशन,
विद्युत आपूर्ति, जनसेट, मैनपावर, सिक्योरिटी, सफाई और उपकरणों
की मेंटेनेंस सम्मिलित हैं।
6. विस्तृत फिज़िबिलिटी
स्टडी
रोपवे की योजना बनाते
समय मेट्रो और अन्य परिवहन
विकल्पों के मुकाबले वाराणसी
की शहरी परिस्थितियों में
रोपवे सबसे उपयुक्त और
किफायती विकल्प पाया गया।


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