Sunday, 26 October 2025

खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु, आज अस्ताचलगामी सूर्य को देंगे अर्घ

छठी मइया आयीं अंगना, भइल सोनवां जइसन उजियारा...”

खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु, आज अस्ताचलगामी सूर्य को देंगे अर्घ 

संयम, श्रद्धा और आत्मशुद्धि के बीच गूंजेछठी मइया के गीत’, घर-घर महका गुड़-चावल की खीर का सुगंध 

खीर-रोटी, केला और नैवेद्य अर्पित कर आराधना में लीन हुईं व्रतियां

घाटों, आंगनों और छतों पर टिमटिमाए दीप, गूंजे लोकगीत

छठ घाटों पर सुरक्षा, सफाई और प्रकाश की विशेष व्यवस्था

शहर के मंदिरों, तालाबों और गलियों में छठ की भक्ति का उल्लास

सुरेश गांधी

वाराणसी. लोक आस्था के महापर्व छठ का दूसरा दिन रविवार को खरना के रूप में भक्ति, अनुशासन और आत्मसंयम की अनुपम छटा लेकर आया। प्रातः से ही व्रतियों ने पूर्ण संयम के साथ निर्जला उपवास का संकल्प लिया और सूर्यास्त के समय खरना पूजा-अर्चना कर भगवान सूर्य को नैवेद्य अर्पित किया। इस पवित्र क्षण में आस्था, शुद्धता और आत्मनियंत्रण का संगम दिखाई दिया, हर घर, हर घाट और हर हृदय सूर्य की भक्ति में झूम उठा। मिट्टी के चूल्हों पर आम की लकड़ियों से जब खीर चढ़ी तो पूरे मोहल्ले में गुड़ और चावल की मीठी सुगंध फैल गई। इससे पूरा वातावरण आस्था में सराबोर दिखा. वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया और भदोही के घाटों पर भी व्रती परिवार कल से सांझ-अर्घ्य की तैयारी में जुट गए हैं। घाटों की सफाई, सजावट और दीयों की पंक्तियाँ इस बात की गवाही दे रही हैं कि कल डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के समय पूरी धरती सूर्य के रंग में रंगी होगी।

संध्या बेला में जब व्रतियों ने वस्त्र घारण कर दीयों की पंक्तियों के बीच सूर्यदेव को नमन किया, तो हर घर से लोकगीतों की गूंज सुनाई दी, “छठी मइया आयीं अंगना, भइल सोनवां जइसन उजियारा...” उनके होंठों पर भक्ति का संगीत था, “कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगिया लचकत जाय...” “पानी में डूबल सुरज देव, सुन ले अरज हमर...” चारों ओर दीपों की पंक्तियां टिमटिमा रही थीं और वातावरण में गूंज रहा था छठी मइया का जयगान। प्रसाद ग्रहण कर व्रतियों ने उसे परिवार और पड़ोस में बांटा, इसी के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास, जो अब उगते सूरज की आराधना तक चलेगा। सोमवार को व्रतियां अस्ताचलगामी सूर्य को और मंगलवार की भोर में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी। इसी के साथ छठ महापर्व की पवित्र परिक्रमा पूर्ण होगी।

शहर से लेकर देहात तक में भक्ति और उल्लास का वातावरण व्याप्त है। इस अवसर पर हर घाट और हर तालाब आस्था की रोशनी से जगमगा उठा है। जिन घरों में छठ का व्रत रखा गया है, वहां दीप-सजावट, रंगोली और पूजा की तैयारियों से आंगन निखर उठे हैं। हर गली, हर घाट, हर आंगन में आज भक्ति का उजास फैला है। बाजारों में भी दिनभर रौनक रही। लोगों ने केला, नारियल, केतारी, गन्ना और पूजा-सामग्री की खरीदारी की। महिलाएं गीत गुनगुनाते हुए उत्साह से प्रसाद की तैयारी में लगी रहीं। घाट, तालाब, नदी जैसे प्रमुख छठ स्थलों को दीपों, पताकाओं और फूलों से सजाया गया है। नगर प्रशासन ने घाटों की सफाई, चेंजिंग रूम, पेयजल और प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की है। गहरे पानी वाले स्थानों को लाल फीते से बेरिकेट किया गया है ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा बनी रहे।

खरना केवल भोजन या व्रत का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, संयम और सादगी का अनुष्ठान है। खरना वह क्षण है जब मनुष्य अपने भीतर झांकता है, अपनी इच्छाओं को साधता है और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि भक्ति केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि अनुशासन, त्याग और प्रेम में बसती है। दिनभर निर्जला रहकर शाम को जब व्रती प्रसाद ग्रहण करती हैं, तो यह केवल व्रत का समापन नहीं, बल्कि नई ऊर्जा का आरंभ होता है। प्रसाद के रूप में बनी खीर-रोटी और केले को सभी परिवारजनों और पड़ोसियों में बांटना, सामाजिक एकता और साझेपन की उस परंपरा को जीवित रखता है, जो छठ को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि लोक-सांस्कृतिक उत्सव बनाता है। गांव से लेकर शहर तक आज हर आंगन में श्रद्धा की लौ जली। गंगा तटों पर साफ-सफाई, सजावट और दीपों की पंक्तियां कल के सांझ-अर्घ्य की तैयारी का संकेत दे रही हैं। व्रती परिवार कल सूर्यास्त के समय जब अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे, तब पूरा पूर्वांचल एक साथ सूर्योपासना में नतमस्तक होगा।

No comments:

Post a Comment

छठ पर सुरक्षा का कवच : गंगा तटों पर सतर्क प्रहरी बने पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल

छठ पर सुरक्षा का कवच : गंगा तटों पर सतर्क प्रहरी बने पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल  श्रद्धालुओं की सुरक्षा , सुविधा और सुगम...