शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन ही संघ का लक्ष्यः जयप्रकाश
काशी दक्षिण
में
विजयादशमी
उत्सव
और
पथसंचलन
कार्यक्रम
में
सामने
आया
संदेश
सुरेश गांधी
वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी
वर्ष के अवसर पर
काशी दक्षिण के कंदवा गेट-बरेका कार्यक्रम स्थल पर आयोजित
विजयादशमी उत्सव एवं पथसंचलन कार्यक्रम
में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक
प्रमुख जयप्रकाश ने स्वयंसेवकों को
पंच परिवर्तन को अपनाने का
संदेश दिया। जयप्रकाश, त्रिलोक और अजीत जैसे
वक्ताओं ने इस अवसर
पर स्पष्ट किया कि संघ
का उद्देश्य केवल संगठन निर्माण
नहीं है, बल्कि समाज
के प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रभक्ति और
संस्कारों को स्थापित करना
है।
जयप्रकाश जी ने संघ
के 100 वर्षों की यात्रा का
भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि संघ पर
पहले प्रतिबंध 1948 में गांधी जी
की हत्या के बाद लगे,
जिसमें सरसंघचालक श्री गुरु जी
को गिरफ्तार किया गया था।
हालांकि 11 जुलाई 1949 को संघ पर
से सभी प्रतिबंध हटा
दिए गए। उन्होंने 1975 के
आपातकाल का भी उल्लेख
करते हुए बताया कि
उस काल में कई
स्वयंसेवकों को जेल में
रखा गया और प्रताड़ित
किया गया, फिर भी
संघ ने अपनी यात्रा
को जारी रखा। आज
संघ कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक
से कटक तक व्यापक
रूप में सक्रिय है।
शस्त्र पूजन और पथसंचलन का उत्साह
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वकर्मा
नगर के संघ चालक
मुन्ना प्रसाद और मुख्य अतिथि
द्वारा शस्त्र पूजन के साथ
हुई। इसके बाद स्वयंसेवकों
ने पूर्ण गणवेश में दंड सहित
नगर के विभिन्न मार्गों
पर पथसंचलन निकाला। काशी दक्षिण के
संतरविदास नगर की जानकी
बस्ती में लगभग तीन
किलोमीटर का पथसंचलन आयोजित
किया गया। अनुशासन और
उत्साह के साथ सैकड़ों
स्वयंसेवकों ने भाग लिया,
जिनका स्थानीय नागरिकों ने पुष्प वर्षा
कर स्वागत किया। कार्यक्रम में भारतीय सेना
से सेवा निवृत कर्नल
भीम सिंह कार्यक्रम अध्यक्ष
रहे, जबकि मुख्य वक्ता
अजीत जी एवं काशी
प्रान्त के सह संपर्क
प्रमुख ने शस्त्र पूजन
कर पथसंचलन को उद्घाटित किया।
अजीत जी ने अपने
संबोधन में बताया कि
पिछले 100 वर्षों में संघ ने
समाज के हर क्षेत्र
में संगठन, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति के
संस्कार बोए हैं। उन्होंने
कहा, “संघ का उद्देश्य
केवल संगठन खड़ा करना नहीं
है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र समर्पित
करना है। परिवार से
लेकर समाज तक संस्कार
और समरसता का वातावरण बनाना,
तथा आत्मनिर्भर, शक्तिशाली और संस्कारित भारत
का निर्माण करना संघ का
लक्ष्य है।”
स्वतंत्रता संग्राम में संघ का योगदान
काशी दक्षिण भाग
के माधव नगर स्थित
सुंदरपुर बस्ती में विभाग संघचालक
त्रिलोक जी ने कहा
कि 1930 में सरसंघचालक के
दायित्व पर रहते हुए
भी डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार
जंगल सत्याग्रह में एक वर्ष
के लिए जेल गए
थे। उन्होंने जोर देकर कहा
कि जो लोग संघ
पर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान न
देने का आरोप लगाते
हैं, उन्हें यह तथ्य जानना
आवश्यक है। त्रिलोक जी
ने संघ के जन्म
और स्थापना की प्रक्रिया की
तुलना नवजात शिशु से करते
हुए कहा कि संघ
के अंग जैसे प्रार्थना,
आचार, विभाग, गणवेश आदि धीरे-धीरे
जुड़ते गए। संघ की
स्थापना का मूल कारण
हिंदुओं में एकता का
अभाव था, और डॉक्टर
हेडगेवार ने इसी एकता
के मंत्र को ध्यान में
रखकर संघ की नींव
रखी।
काशी दक्षिण की बस्तियों में संघ का संदेश
कार्यक्रम में रामनगर, रतन
बाग, शुल्टनकेश्वर नगर, रविदास नगर,
मानस नगर और शिव
धाम नगर की प्रमुख
बस्तियों में स्वयंसेवकों ने
पथसंचलन किया। विभिन्न बस्तियों में संघ के
इतिहास, पांच परिवर्तन और
आगामी शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों
को विस्तार से बताया गया।
सभी स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में दंड के
साथ घोष की धुन
पर पद संचलन करते
हुए, अनुशासन और उत्साह का
परिचय देते हुए आगे
बढ़े। स्थानीय नागरिकों ने उनके उत्साह
का सम्मान किया और पुष्प
वर्षा कर स्वागत किया।
शस्त्र पूजन और पथ संचलन में दिखाया अनुशासन और उत्साह
राष्ट्र सेविका समिति काशी दक्षिण भाग
का शस्त्र पूजन कार्यक्रम ब्रिज
एंक्लेव कॉलोनी स्थित मुंशी प्रेमचंद पार्क में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
डॉ. नीलम मिश्रा जी
थे, जबकि मुख्य वक्ता
के रूप में धार्मिक
विभाग प्रमुख आदरणीय वैदेही जी ने अपने
विचार साझा किए। कार्यक्रम
का संयोजन श्रीमती उर्मिला मिश्रा जी ने किया
और संचालन श्रीमती कविता मालवीय जी ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन जिला कार्यवाहिका श्रीमती
कल्पना विश्वकर्मा जी ने किया।
कार्यक्रम में श्रीमती किरण
पांडे जी, श्रीमती विभा
जी, श्रीमती मीना जी सहित
लगभग 50 बहनों ने मुंशी प्रेमचंद
पार्क से पथ संचलन
निकाला। सभी बहनों ने
अनुशासन और उत्साह के
साथ पथ संचलन में
भाग लिया, जिसे स्थानीय नागरिकों
ने पुष्प वर्षा कर सम्मानित किया।




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