खेसारी के साथ बिहार में जे भइल, वही हाल अब यूपी में अखिलेश के होइ...जनता खेल समझेले, खेलाड़ी बदलेले!
आजमगढ़
में
भोजपुरी
स्टार
और
पूर्व
सांसद
दिनेश
लाल
यादव
‘निरहुआ’
से
सीनियर
रिपोर्टर
सुरेश
गांधी
से
विशेष
बातचीत
में
राजनीति
का
एक
ऐसा
बेबाक
और
आक्रामक
चेहरा
सामने
आया,
जिसने
बिहार
की
जीत
से
लेकर
यूपी
की
राजनीति
तक
कई
तीखे
संकेत
दे
दिए।
निरहुआ
ने
साफ
कहा
कि
बिहार
में
एनडीए
की
ऐतिहासिक
जीत
विपक्ष
की
हार
नहीं,
बल्कि
विकास,
सुरक्षा
और
मोदी,
नीतीश
की
विश्वसनीयता
की
प्रचंड
जीत
है।
ईवीएम
हैकिंग
और
वोट
चोरी
के
आरोपों
पर
उन्होंने
विपक्ष
को
करारा
जवाब
देते
हुए
कहा,
“अगर
वोट
चोरी
होती
तो
मैं
आजमगढ़
से
क्यों
हारता?”
लालू
परिवार
में
टूट
और
रोहिणी
आचार्य
के
घर
छोड़ने
को
उन्होंने
राजनीति
का
सबसे
दुखद
संकेत
बताया,
जबकि
तेजस्वी
पर
बिना
नाम
लिए
कहा
कि
“जो
परिवार
न
संभाल
सके,
वह
राज्य
क्या
संभालेगा?”
खेसारी
की
हार
को
उन्होंने
राम
मंदिर
और
सनातन
पर
टिप्पणी
का
परिणाम
बताया
और
चेतावनी
दी,
“खेसारी
के
साथ
जे
भइल,
वही
हाल
यूपी
में
अखिलेश
के
होई।”
अखिलेश
द्वारा
“वोट
चोरी”
के
बयान
पर
उन्होंने
कहा
कि
यह
जनता
नहीं,
सिर्फ
हारे
हुए
नेता
का
बहाना
है।
साथ
ही
आजमगढ़
- दिल्ली
ट्रेन,
रिंग
रोड
और
रेललाइन
जैसे
विकास
कार्यों
की
प्रगति
भी
साझा
की।
खास
यह
है
कि
इस
पूरी
वार्ता
में
निरहुआ
ने
यह
स्पष्ट
कर
दिया,
“जनता
बहाना
नहीं,
काम
और
संस्कार
देखकर
सरकार
चुनती
है।”
सुरेश गांधी
आजमगढ़ की हवा में
ठंडक है, पर राजनीति
का तापमान चरम पर। भंवरनाथ
मंदिर में दर्शन के
बाद भोजपुरी सुपरस्टार, पूर्व सांसद और भाजपा के
तेजतर्रार स्टार प्रचारक दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’
जब हमारे वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गांधी के सामने बैठे,
तो यह सिर्फ बातचीत
नहीं, बल्कि एक धारदार राजनीतिक
चौपाल बन गई। चेहरे
पर वही भोजपुरी मुस्कान,
पर शब्दों में अचूक प्रहार।
प्रस्तुत है निरहुआ एवं
सुरेश गांधी विशेष वार्ता, जो न सिर्फ
बिहार की जीत का
विश्लेषण है, बल्कि यूपी
की राजनीति पर एक सटीक
भविष्यवाणी भी।
सवाल
: निरहुआ जी, बिहार में
एनडीए की प्रचंड जीत
पर विपक्ष लगातार ईवीएम हैकिंग और वोट चोरी
का रोना रो रहा
है। आपकी क्या प्रतिक्रिया
है?
निरहुआ (हंसते हुए, लेकिन आक्रमक लहजे में) : देखीं सर, ईवीएम-वीवीएम के बहाने हार का मातम मनाना विपक्ष की पुरानी आदत बा। अगर वोट चोरी होता, “तो हम आजमगढ़ से हारते कैसे? हम अपने लोगन से छुपा के बोलतानी?” विपक्ष के पास न जनाधार बाचल, न मुद्दा। बस ईवीएम का राग। जनता पूछती है, “अरे भाई, जब सरकार बनावे खातिर लागल ईवीएम खराब, त तोहरा जीतावे खातिर काहे ना खराब भईल?” सच बात ई है कि बिहार में एनडीए की जीत मोदी - नीतीश के विकास और गुंडाराज से मुक्ति की चाहत पर मुहर बा। बाकि ईवीएम हैकिंग... “ई सब अखिलेश : तेजस्वी के राजनीति छोड़ने के बहाना बा।”
सवाल
: तेजस्वी यादव के परिवारिक
विवाद पर आपकी टिप्पणी
काफी चर्चा में है। क्या
आपको लगता है कि
परिवार टूटता है तो राजनीति
भी टूट जाती है?
निरहुआ
: देखीं, राजनीति के स्कूल में
पहला पाठ ई सिखावल
जात बा, “परिवार साथ
होई, त जनता भी
साथ होई।” लालू जी का
परिवार बिखर रहा है,
रोहिणी आचार्य का घर छोड़ना
दुखद है। तेजस्वी जी
को छोड़कर पूरा कुनबा परेशान
है। जवन आदमी अपना
घर न सम्हार सके,
ऊ राज्य का भविष्य का
सम्हारेगा? हम त लालू
जी के बहुत नजदीक
रहनी, आज भी समय
मिले त आशीर्वाद लेके
आवतानी। पर राजनीति का
स्तर इतना गिर जाए
कि बहिन भाई से
अलग हो जाए, ई
ठीक नइखे।
सवाल
: खेसारी लाल यादव की
हार और आपकी वह
टिप्पणी, “खेसारी के साथ जे
भइल, वही हाल अखिलेश
के होई”, इस पर विस्तार
से बताएं।
निरहुआ (कड़क आवाज में) : देखीं, राजनीति कोई फ़िल्मी सेट नइखे। जनता सब देख लेती है, कौन राम में विश्वास रखता है, कौन सनातन पर वार करता है। खेसारी जी से जनता नाराज़ हो गई, राम मंदिर और सनातन पर जो बयानबाज़ी भईल, ऊ बिहार की जनता के पसंद ना पड़ी। बहारेल वोट। अखन ई बात यूपी में लागू होई। अखिलेश जी हर बात में सनातन को कटघरे में खड़ा करते हैं। राम मंदिर पर तंज मारते हैं। और फिर कहते हैंकृवोट चोरी! हम साफ बोल देतानी, “जे राम के ना माने, जनता ओकरा के ना माने।” अखिलेश जी का हाल, “खेसारी के बिहार वाला, समझ ल दीजिए... जनता दुई बेर गलती ना करे।”
सवाल
: महिलाओं को 10,000 रुपये देने वाली नीतीश
सरकार की योजना पर
विपक्ष कहता है कि
इसी लालच में जीत
मिली।
निरहुआ
: अरे बाबू, ई विपक्ष का
बचकानी सोच बा। जनता
खैरात पर वोट नहीं
देती, सुरक्षा और सम्मान पर
देती है। बिहार में
लोगन का ग़ुस्सा था,
“राजद के गुंडाराज वापस
आ जाई।” चुनाव शुरू होते ही
गली : मोहल्ला में धमकियां, दादागिरी,
पुराना जंगलराज का ट्रेलर फिर
से दिखने लगा। बिहार की
जनता पहले ही समझ
चुकी थी, “तेजस्वी आयेंगे
त जंगलराज-2 आएगा।” इसलिए जनता ने सुरक्षित
हाथों में सत्ता दी।
विकास, सुरक्षा और मोदी, नीतीश
के भरोसे पर मुहर लगाई।
सवाल
: आज़मगढ़ के लिए आपने
कई विकास कार्यों की घोषणा की
है। इनके बारे में
विस्तार से बताएं।
निरहुआ
: हमार आजमगढ़... हम इस माटी
के कर्ज़दार बानी। जल्दी ही आजमगढ़ - दिल्ली
नई ट्रेन के लिए रेल
मंत्रालय से बात अंतिम
चरण में है। वाराणसी
: गोरखपुर रेललाइन (वाया आजमगढ़) के
काम में तेजी आई
है। हारदृजीत से हम ना
रुकतानी। “जनता हमें सांसद
न बनावे, पर हम जनता
का सेवक त बन
ही सकते हैं।”
सवाल
: अखिलेश यादव कहते हैं,
“वोट चोरी हुआ है।”
क्या यह आरोप टिकता
है?
निरहुआ
(प्रहार करते हुए) : अखिलेश
जी का राजनीति अब
ट्वीट्र ट्रेंड पर टिकी है,
जनता पर नहीं। वो
कह रहे हैं वोट
चोरी... हम पूछते हैं,
“कौन कह रहा है?
जनता? जनता तो चुप
है। उल्टे जनता पूछ रही
है, किसके घर में डाका
पड़ा?” अगर वोट चोरी
हुआ होता, तो जनता आंदोलन
में उतरती, सड़कों पर आती। पर
जनता जानती है, “यह हार
नहीं, उनकी जिद का
परिणाम है।” अखिलेश जी
को सलाह, “हार मानना भी
एक राजनीति है, पर हार
पचा लेनाकृयह चरित्र है।” अभी भी
अगर नहीं समझे, “त
भगवान ही मालिक हैं।
जनता अगिला चुनाव में राह अलग
कर दी।”
सवाल
: क्या यूपी में भी
बिहार जैसा परिणाम देखने
को मिलेगा?
निरहुआ
(दृढ़ता
से)
: बिलकुल मिलेगा। यूपी में जनता
देख चुकी है, कौन
विकास करता है और
कौन ट्वीट, राजनीति। भोजपुरी में एक कहावत
बा, “जे काम ना
कर सके, ऊ बहाना
खोजे।” अखिलेश जी अब बहाने
के सहारे राजनीति चला रहे हैं।
और जनता अब बहाने
से नहीं, विकास, संस्कार, सनातन के आधार पर
सरकार चुनती है। “याद रखीं,
खेसारी के साथ जे
भइल, वही हाल अब
यूपी में अखिलेश जी
के होई।”
प्रश्न
: अखिलेश यादव लगातार कह
रहे हैं कि उनका
वोट चोरी हुआ। इसका
क्या जवाब देंगे?
निरहुआ
(सीधे,
आक्रामक
अंदाज़
में)
: “अखिलेश यादव अब भी
सपने देख रहे हैं.
उन्हें जनता ने बार-बार जगाया, पर
जाग नहीं रहे। वोट
चोरी नहीं हुई, उनकी
लोकप्रियता चोरी हो गई
है!” उन्होंने कहा, “जब जनता ही
नहीं कह रही कि
वोट चोरी हुआ, तो
अकेले अखिलेश का रोना किस
काम का? इसी तरह
फालतू मुद्दों पर राजनीति करेंगे
तो यही दुर्गति होगी।
अभी भी होश में
नहीं आए तो भगवान
मालिक है।”
फिरहाल, निरहुआ की वाणी में
भोजपुरी की माटी है,
पर शब्दों में राजनीतिक निशाना।
उन्होंने साफ : साफ कहा, विपक्ष
का ईवीएम रोना एक राजनीतिक
पलायन है। तेजस्वी का
परिवार टूट रहा है,
नेतृत्व बिखर रहा है।
अखिलेश की राजनीति सनातन
विरोध और बहानेबाजी पर
टिकी है। जनता अब
शोर नहीं, विकास और सुरक्षा की
भाषा समझती है। और सबसे
सटीक भविष्यवाणी, “खेसारी की तरह अखिलेश
भी जनता के सामने
फेल होंगे, क्योंकि जनता खेल समझती
है, नेता बदलती है।”





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