Tuesday, 4 November 2025

अलीनगर की जंग : मिथिला की धरती पर परंपरा बनाम बदलाव की टक्कर

अलीनगर की जंग : मिथिला की धरती पर परंपरा बनाम बदलाव की टक्कर 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रण अब निर्णायक चरण में पहुंच चुका है। मिथिलांचल की धरती पर स्थित अलीनगर विधानसभा क्षेत्र (दरभंगा जिला) इस बार पूरे प्रदेश में सुर्खियों में है। यहां मुकाबला सिर्फ दो प्रत्याशियों के बीच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं, दो पीढ़ियों और दो राजनीतिक शैलियों के बीच है, एक ओर अनुभवी राजद नेता बिनोद मिश्र, तो दूसरी ओर भाजपा की नई और चर्चित चेहरा लोकगायिका मैथिली ठाकुर। खास यह है कि भाजपा यदि ब्राह्मण, ओबीसी और युवा वर्ग को एकजुट कर पाती है, तो उसे बढ़त मिल सकती है। राजद यदि मुस्लिम - यादव समीकरण को अटूट रख पाती है, तो परिणाम उसके पक्ष में जा सकता है। मतदान प्रतिशत इस बार निर्णायक भूमिका निभाएगा, अनुमान है कि 60 फीसदी से अधिक मतदान हुआ तो युवा वोटिंग भाजपा के पक्ष में झुक सकती है। बेनीपुर के इम्तियाज कहते है अलीनगर में अब हवा नहीं, सोच चल रही है। जो जनता के मुद्दे को बोलेगा, वही जीतेगा। मतलब साफ है अलीनगर की हवा किस ओर बह रही है? कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन अलीनगर की जंग सिर्फ एक सीट की नहीं, बल्कि मिथिला की आत्मा की जंग है। यहां तय होगा कि क्या परंपरागत राजनीति को जनता दोहराएगी, या फिर सांस्कृतिक और युवा बदलाव को मौका देगी। भाजपा के लिए यह सीटइमेज बिल्डिंगका अवसर है, जहां मैथिली ठाकुर का चेहरा युवाओं और महिलाओं को आकर्षित कर सकता है। वहीं राजद के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है, जो यह तय करेगी कि क्या उसका पारंपरिक वोट बैंक अब भी अक्षुण्ण है 

सुरेश गांधी

अलीनगर विधानसभा क्षेत्र मिथिलांचल के उस भूभाग में आता है, जहां संस्कृति और राजनीति का गहरा संगम देखने को मिलता है। यहां ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाता तीनों ही निर्णायक भूमिका में हैं। इस क्षेत्र की आबादी में ब्राह्मणों का प्रभाव स्थानीय प्रशासनिक तंत्र और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा है, जबकि यादव और मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से राजद के साथ जुड़े रहे हैं। 2020 में एनडीए ने यादव और ओबीसी वोटों में सेंध लगाकर बाजी मारी थी, परंतु इस बार समीकरण एकदम अलग है। भाजपा ने मैथिली ठाकुर को प्रत्याशी बनाकर केवल एक नया चेहरा पेश किया है, बल्किमिथिला गौरवऔरयुवा बदलावकी भावना को भी हवा दी है। मैथिली ठाकुर को मिथिला की बेटी कहा जाता है। सोशल मीडिया पर लाखों अनुयायियों वाली इस लोकगायिका ने राजनीति में उतरते ही कहा था, “मैं अपनी मिट्टी की सेवा के लिए आई हूं, अलीनगर को विकास और संस्कृति दोनों में मिसाल बनाऊंगी।भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर युवाओं, महिलाओं और संस्कृतिकर्मी मतदाताओं को साधने की बड़ी कोशिश की है। पार्टी का मानना है किमैथिली गौरवको राजनीतिक पूंजी में बदलकर मिथिलांचल में एक नई लहर चलाई जा सकती है। हालांकि, अंदरखाने में भाजपा कार्यकर्ताओं का एक वर्ग उन्हेंपैराशूट उम्मीदवारबताकर असंतोष भी जता रहा है। स्थानीय संगठन को डर है कि लोकप्रियता और राजनीतिक अनुभव के बीच संतुलन साधना मैथिली ठाकुर के लिए चुनौती साबित हो सकता है।

यह सीट पिछले दो चुनावों से लगातार दिलचस्प बनती जा रही है। 2020 में जहां विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी घटक) के मिश्री लाल यादव ने राजद प्रत्याशी बिनोद मिश्र को मात्र 3101 मतों के अंतर से हराया था, वहीं 2015 में यही सीट अब्दुल बारी सिद्दीकी (राजद) के कब्जे में थी। इस तरह से अलीनगर की राजनीति हमेशा नजदीकी मुकाबलों की गवाह रही है। राजद प्रत्याशी बिनोद मिश्र अपने संगठन और जमीनी नेटवर्क के बूते पर आत्मविश्वास से भरे हैं। उनका कहना है अलीनगर की जनता विकास को भी चाहती है और अपने विश्वास को भी बनाए रखना चाहती है। हमने हमेशा जनता के साथ खड़े होकर काम किया है। राजद को अब भी मुस्लिम - यादव (एमवाई) समीकरण से मजबूत आधार प्राप्त है। मुस्लिम मतदाता भाजपा से दूरी बनाकर रखते हैं, जबकि यादव समुदाय की एकजुटता भी राजद के साथ परंपरागत रूप से जुड़ी हुई है। खास यह है कि यह लड़ाई चेहरे से ज्यादा भरोसे की है, और अलीनगर की जनता अब चुप नहीं, समझदार हो चुकी है। स्थानीय सर्वेक्षणों और जमीनी बातचीत से जो संकेत मिल रहे हैं, वे दिलचस्प हैं. तर्दीह के युवा मतदाता भानु यादव कहते है : हम अब जाति नहीं, विकास देखेंगे। मिथिला को आवाज देने वाली बेटी को मौका मिलना चाहिए। घनश्यामपुर के किसान मतदाता बनवारीराम कहते हैं : हर साल बाढ़ आती है, नेता आते हैं, लेकिन तो तटबंध बनते हैं, सड़कें। जो इसे सुलझाएगा, हम उसी को देंगे वोट। मोतीपुर की वृद्ध महली शकुंतला देवी कहती हैं : पहली बार कोई ऐसी उम्मीदवार आई है, जिसने हमारी बोली में हमसे बात की। जबकि मुस्लिम मतदाता शहनवाज कहते हैं : राजद ने हमें कभी पराया नहीं माना। लेकिन अब हम काम देखकर फैसला करेंगे। इन आवाज़ों से साफ झलकता है कि इस बार जनता जाति और धर्म से ऊपर उठकरकाम और चेहरेको देख रही है। फिरहाल, 14 नवंबर को जब नतीजे आएंगे, तो केवल एक विजेता घोषित होगा, बल्कि यह भी तय होगा कि मिथिला की धरती अब किस दिशा में बढ़ रही है, परंपरा की ओर या परिवर्तन की ओर।

जातीय समीकरण

यादव 24 फीसदी, मुस्लिम 17 फीसदी, ब्राह्मण 14 फीसदी, कुर्मी कोइरी इबीसी 20 फीसदी, दलित 12 फीसदी, अन्य 13 फीसदी. इस बार ओबीसी और ब्राह्मण मतदाताओं का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ता दिख रहा है, वहीं यादव-मुस्लिम मतदाता अब भी राजद के भरोसे हैं। कुल मिलाकर मुकाबला 50-50 की धार पर टिका हुआ है।

मुख्य मुद्दे

1. बाढ़ और जल निकासी की समस्या : अलीनगर में हर मानसून के साथ बाढ़ का संकट आता है। किसान, पशुपालक और मजदूर वर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।

2. सड़क, शिक्षा और बिजली : ग्रामीण इलाकों में विकास के नाम पर अब भी बहुत कुछ अधूरा है।

3. रोजगार और पलायन : युवाओं के बीच रोजगार का मुद्दा सबसे बड़ा है।

4. स्वास्थ्य सुविधाएं : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति कमजोर है, दवाओं और डॉक्टरों की कमी हमेशा चर्चा में रहती है।

5. सांस्कृतिक गौरव और मिथिला पहचान : मैथिली ठाकुर की उम्मीदवारी ने इस विषय को भी केंद्र में ला दिया है।

2020 के नतीजे

2020 में मिश्री लाल यादव वीपीआई (एनडीए) को 61,082 मत मिले, बिनोद मिश्र आरजेडी को 57,981 मत मिले, अंतर सिर्फ 3,101 वोटो का, 2015 में अब्दुल बारी सिद्दीकी आरजेडी को 78,565 वोट मिले जबकि अजय चौधरी बीजेपी को 63,894 वोट मिले, अंतर 14,671 वोटो का. इन परिणामों से स्पष्ट है कि अलीनगर में हर चुनाव नजदीकी होता है। जीत और हार का अंतर शायद ही कभी 3 से 4 हज़ार से अधिक गया हो। यही कारण है कि यह सीट राजनीतिक पर्यवेक्षकों के लिएसस्पेंस की धरतीकहलाती है।

कुल मतदाता

अलीनगर सीट में 2020 में लगभग 2,75,559 पंजीकृत मतदाता थे। इस बार के चुनाव में कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। 2020 में जीत सीमित था,  विजेता ने सिर्फ करीब 3,101 वोटों से जीत दर्ज की थी। क्षेत्र में मुख्य चुनौती है, मॉनसून-बाढ़, सड़क-पानी-विद्युत आदि बुनियादी विकास-मुद्दे। युवा एवं महिलाओं की सक्रियता दिख रही हैं, विकास-मुद्दे उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। युवा वोटर (उम्र 18-35) लगभग 35-40 फीसदी जबकि युवा बदलाव की उम्मीद में है. नए चेहरे विकास-अजेण्डा उनकी प्राथमिकता। महिलाओं का मत लगभग 48-52 फीसदी है. बाढ़-जलनिकासी ग्रामीण-इन्फ्रा प्रत्येक मानसून के बाद समस्या बनी रहती है। सड़क-पानी-विद्युत ग्रामीण इलाकों में अभी भी कमी। युवाओं में स्वरोजगार-आशा बढ़ी। यही वजह है लगभग 55 फीसदी मतदाता कहते हैं : “हम जाति-धर्म से ऊपर उठकर काम देखेंगे मुस्लिम मतदाताओं में 62 फीसदी ऐसा मानते हैं किपरंपरागत पक्ष हमें बेहतर संरक्षण दे सकता है ब्राह्मण-ओबीसी वर्ग में 48 फीसदी का झुकाव इस दिशा में कियुवा प्रत्याशी-नई ऊर्जालाभ दे सकती है।

क्या कहते है मतदाता

युवा और महिलाएं बदलाव-भाव में दिख रही हैं। इस वर्ग मेंपरिचित चेहरेकी अपेक्षाप्रभावी कामकी दिशा मे झुकाव दिखता है। मुस्लिम-यादव वोट बैंक अब केवल जातीय-आधारित नहीं रह गया है, सेवाओं-प्रदर्शन-दृष्टिकोण भी तय कर रहा है। वहीं ब्राह्मण-ओबीसी को भाजपा नई ऊर्जा सांस्कृतिक पहचान के माध्यम से जोड़ने की कोशिश में है। यदि भाजपा ब्राह्मण-ओबीसी $ युवा-महिला-वोट को सक्रिय कर दे, तो हर 20 वोटर में लगभग 10-11 भाजपा-झुकाव दिखा सकते हैं। यदि आरजेडी मुस्लिम-यादव-इबीसी ब्लॉक को 70 फीसदी सक्रियता दे सके, तो वह पलट सकती है। मतदान प्रतिशत यदि 65 फीसदी से ऊपर गया, तोबदलावका पक्ष मजबूत हो सकता है। दूसरी ओर मतदान कम ( 55-60 फीसदी) रहा तो परंपरागत वोट बैंक-वाले (आरजेडी) को लाभ मिल सकता है। मतलब साफ है यह चुनाव परंपरा बनाम परिवर्तन का टकराव है, जहाँ मतदाता अब सिर्फ पार्टी-नाम या जाति-वोट नहीं देख रहे, बल्कि प्रत्यक्ष विकास-प्रभाव, नए चेहरे और पहचान-भावना को भी तौल रहे हैं। अलीनगर में इस बार मतदाता-दायरे में तीन प्रमुख धारणाएँ हैं : अगर नए चेहरे से काम दिखेगा तो हम देंगे। अगर पुराना भरोसा वोट बैंक सुरक्षित रहेगा तो हम वहीं देंगे। हम अब जात-धर्म से ऊपर उठकर सुविधाओं-काम को महत्व देंगे। मतदाता-संख्या, सक्रियता, युवा-महिला हिस्सेदारी जात-वोट वितरण ये सारे कारक निर्णायक होंगे। कहा जा सकता है बहुदलीय समीकरण में भाजपा को हल्की बढ़त मिल सकती है, पर आरजेडी के लिए हार की संभावना अभी नहीं बनी है।

अलीनगर की भौगोलिक संरचना

अलीनगर बिहार के दरभंगा जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी का विधानसभा क्षेत्र है, जो दरभंगा लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह अलीनगर, तर्दीह, घनश्यामपुर प्रखंडों और मोतीपुर पंचायत को सम्मिलित करता है. वर्ष 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इस सीट का गठन हुआ और 2010 में यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ. यह क्षेत्र ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाला है, जिन्होंने परंपरागत रूप से चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाई है. अलीनगर, दरभंगा जिला मुख्यालय से लगभग 38 किमी पूर्व में और पटना से लगभग 145 किमी उत्तर में स्थित है. यह सड़क मार्ग से मुजफ्फरपुर (78 किमी), समस्तीपुर (62 किमी), मधुबनी (40 किमी) और सीतामढ़ी (85 किमी) जैसे कई क्षेत्रीय केंद्रों से जुड़ा हुआ है. निकटतम रेलवे स्टेशन बेनीपुर है, जो लगभग 10 किमी दूर है. बावजूद इसके, क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जहां सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे की भारी कमी है. इस क्षेत्र में अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 2010 और 2015 में राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने जीत दर्ज की. 2020 में विकासशील इंसान पार्टी के उम्मीदवार मिश्री लाल यादव ने राजद के बिनोद मिश्रा को 3,101 वोटों के छोटे अंतर से हराया. यादव को 61,082 वोट (38.62 फीसदी) मिले, जबकि मिश्रा को 57,981 वोट (36.66 फीसदी) प्राप्त हुए. जन अधिकार पार्टी के संजय कुमार सिंह को 9,737 वोट (6.16 फीसदी) और लोजपा के राज कुमार झा को 8,850 वोट (5.6 फीसदी) मिले. उस चुनाव में मतदान प्रतिशत 57.4 रहा. मार्च 2022 में वीआईपी के एनडीए से अलग होने के बाद मिश्री लाल यादव भाजपा में शामिल हो गए. 2020 विधानसभा चुनाव में अलीनगर में 2,75,559 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 2,84,014 हो गए. चुनाव आयोग के अनुसार, इस दौरान 1,167 मतदाता बाहर चले गए. 2020 के आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जाति के लगभग 34,087 मतदाता (12.37 फीसदी) और मुस्लिम समुदाय के लगभग 58,418 मतदाता (21.2 फीसदी) थे। क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण है- यहां कोई भी शहरी मतदाता नहीं है. 2024 लोकसभा चुनाव में दरभंगा सीट से भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने अलीनगर विधानसभा क्षेत्र में राजद के ललित कुमार यादव पर 9,842 वोटों की बढ़त हासिल की. यह बढ़त 2020 की विधानसभा जीत की तुलना में अधिक थी, जिससे भाजपा को 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत स्थिति में माना जा रहा है. अलीनगर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. धान, गेहूं और मक्का यहां की प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र हर साल बाढ़ और खराब सड़क नेटवर्क जैसी समस्याओं से जूझता है, जो अक्सर चुनावी मुद्दा बनती रही हैं. डिग्री कॉलेज की अनुपस्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी मतदाताओं की प्रमुख चिंताओं में शामिल हैं.

1 comment:

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