Tuesday, 2 December 2025

काशी के युवा ऋषि देवव्रत पर पीएम मोदी व सीएम योगी का स्नेह-आशीष

काशी के युवा ऋषि देवव्रत पर पीएम मोदी व सीएम योगी का स्नेह-आशीष 

19 वर्षीय वैदिक साधक की फोटो साझा कर पीएम ने कहा, “यह तपस्या आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा दीप

सुरेश गांधी

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी के 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे की अद्भुत वैदिक साधना पर केवल गर्व व्यक्त किया, बल्कि उनकी फोटो साझा कर देशभर में इस युवा तपस्वी की असाधारण उपलब्धि को सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा, देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों वालेदण्डकर्म पारायणम्को 50 दिनों तक बिना किसी अवरोध, बिना किसी विचलन के पूर्ण किया, यह जानकर मन प्रफुल्लित हो गया।

उन्होंने कहा कि देवव्रत की यह साधना उस गुरु, शिष्य परंपरा का सर्वोत्तम रूप है जिसने भारत की आध्यात्मिक परंपरा को सदियों तक जीवित रखा। एक किशोर आयु का युवक इतने कठोर अनुशासन, शुद्ध उच्चारण और निरंतर साधना के साथ दण्डकर्म पारायणम् पूर्ण करे, यह स्वयं में दुर्लभ, प्रेरक और अनुकरणीय है।

देवव्रत की वैदिक तपः सिद्धि पर प्रधानमंत्री मोदी गर्वित

काशी के सांसद के रूप में प्रधानमंत्री ने विशेष गर्व व्यक्त किया कि यह दिव्य साधना विश्व की आध्यात्मिक राजधानी, महादेव की नगरी काशी, की पवित्र भूमि पर संपन्न हुई। उन्होंने देवव्रत के परिवार, संत, समाज, वैदिक विद्वानों और उन सभी संस्थाओं को प्रणाम किया जिन्होंने इस कठिन और दिव्य साधना में सहयोग किया। देवव्रत की साधना की यह तस्वीर अब केवल एक फोटो नहीं, बल्कि नवयुग में वैदिक पुनर्जागरण की पहचान बन चुकी है। यह उपलब्धि केवल काशी का गौरव बढ़ाती है, बल्कि उस वैदिक परंपरा की पुनःस्थापना करती है जो सहस्रों वर्षों से भारत की आध्यात्मिक चेतना को प्रकाशमान करती आई है।

19 वर्षीय देवव्रत का दंडक्रम पारायण, 

सीएम योगी ने किया सम्मानित 

50 दिन तक अखंड 2000 वैदिक मंत्रों के पारायण से काशी बनी विश्ववैदिक साधना का केंद्र : योगी

सुरेश गांधी 

वाराणसी. नमो घाट पर मंगलवार को काशी तमिल संगमम के शुभारंभ अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। वैदिक साधना की जिस असाधारण उपलब्धि ने सार्थक चर्चा पैदा की है, उसमें देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा के लगभग 2000 मंत्रों से युक्त दंडक्रम पारायणम् को बिना किसी अवरोध के लगातार 50 दिनों में पूर्ण किया है।

बता दें, पूरी दुनिया में अब तक केवल दो बार दंडक्रम पारायण हुआ है। पहली बार लगभग 200 वर्ष पूर्व नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने इसे सम्पन्न किया था। दूसरी बार यह दुर्लभ और अत्यंत कठिन वैदिक साधना आज के समय में काशी में देवव्रत रेखे द्वारा सम्पन्न की गई। उन्होंने यह तप 2 अक्टूबर से 30 नवंबर 2025 तक वल्लभराम शालिग्राम सांगेद विद्यालय, रामघाट में किया, जिसकी पूर्णाहुति पिछले शनिवार को आयोजित हुई। युवक की विलक्षण साधना और अद्भुत अनुशासन को देखते हुए शृंगेरी शंकराचार्य के आशीर्वाद स्वरूप उन्हें सोने का कंगन और ₹1,01,116 की धनराशि प्रदान की गई। 

अतिदुर्लभ है दंडक्रम पारायण?

शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा के मंत्रों को दंडक्रम में गाया जाना वेदपाठ की सबसे कठिन विधा मानी जाती है। वेदपाठ की आठ विधाओं में से यह वह प्रकार है जिसमें, मंत्रों को जटिल स्वरदृक्रम और विशिष्ट ध्वन्यात्मक शैली में उच्चारित किया जाता है, शब्दों को आगेदृपीछे, उलटदृपलट कर, लयात्मक क्रम से पढ़ा जाता है, त्रुटिहीनता अनिवार्य होती है, और उच्चारण में जरा सा भी विचलन पूरा क्रम बिगाड़ सकता है।  इसीलिए दंडक्रम पारायण को वैदिक पाठ का मुकुट कहा जाता है।

काशी बनी वैदिक पुनर्जागरण की धुरी

देवव्रत की इस दिव्य साधना ने काशी को एक बार फिर भारतीय वैदिक परंपरा के केंद्र में स्थापित कर दिया है। जहाँ एक ओर तमिल संगमम उत्तर - दक्षिण सांस्कृतिक एकता का संदेश दे रहा है, वहीं दूसरी ओर युवा देवव्रत जैसे साधक यह प्रमाणित कर रहे हैं कि भारत की वैदिक चेतना आज भी जीवंत है, प्राणवान है और अगली पीढ़ी में निरंतर प्रवाहित हो रही है। काशी में सम्पन्न यह अद्भुत दंडक्रम पारायण न केवल धर्मपरंपरा का गौरव है, बल्कि युवा भारत की आध्यात्मिक शक्ति का भी सशक्त प्रमाण है।

No comments:

Post a Comment

डिजिटल युग में सुरक्षा का संकल्प : डीजीपी ने दी चेतावनी, वाराणसी पुलिस ने बढ़ाया साइबर जागरूकता अभियान

डिजिटल युग में सुरक्षा का संकल्प : डीजीपी ने दी चेतावनी , वाराणसी पुलिस ने बढ़ाया साइबर जागरूकता अभियान  लोभ , लापरवाही और ...