Saturday, 18 October 2025

स्वर्णमयी अन्नपूर्णेश्वरी : काशी के ईशान कोण से झरती समृद्धि की दिव्य गंगा

स्वर्णमयी अन्नपूर्णेश्वरी : काशी के ईशान कोण से झरती समृद्धि की दिव्य गंगा 

108 वर्षों बाद लौटी आस्था, धनतेरस पर झलका मां का स्वर्ण वैभव और भक्तिभाव का अन्नकूट, मां के कोष से धनवर्षा

सुरेश गांधी

वाराणसी. काशी आज एक बार फिर अन्न और प्रकाश की पुकार से आलोकित है। धनतेरस की भोर में जब शहर का हर कोना दीपों की उजास से जगमगाया, तब भगवान शिव को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णेश्वरी का स्वर्णमयी स्वरूप अपने दिव्य वैभव के साथ प्रकट हुआ। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के ईशान कोण में विराजमान मां अन्नपूर्णा का स्वर्णाभिषिक्त रूप देखकर श्रद्धालु निहाल हो उठे।

सुबह पाँच बजे से ही श्रद्धालुजय मां अन्नपूर्णाके उद्घोष के साथ कतारबद्ध होकर दर्शन को आतुर रहे। पूर्वांचल से लेकर दक्षिण भारत तक के भक्तों की भीड़ बांसफाटक, कोतवालपुरा गेट नंबर एक और ढुंढिराज गणेश मार्ग से होते हुए मंदिर में प्रवेश कर रही थी। पांच दिवसीय इस दिव्य दर्शन महोत्सव में 18 से 22 अक्तूबर तक भक्त मां के स्वर्णमयी विग्रह, भूमि देवी, महालक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे। प्रथम तल पर स्थित स्वर्णमयी माता के दरबार मेंखजानाऔरलावाप्रसाद के रूप में वितरित हो रहे हैं, जिसे पाकर भक्त निहाल हैं।

महंत शंकर पूरी द्वारा मंगल बेला में किए गए पूजन-अर्चन के पश्चात मंदिर के पट खुले और मां के दर्शन का अनवरत सिलसिला शुरू हुआ जो अब पांच दिनों तक चलेगा। मां के स्वर्णमयी विग्रह, भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन के साथ भक्तों कोखजानाऔरलावाका प्रसाद मिला। प्रसाद में शामिल लावा जैसे स्वयं माता के अन्नकूट का प्रतीक बनकर भक्तों के जीवन में समृद्धि का संदेश दे रहा था। भोर से ही मंदिर परिसर में घंटों की कतारें थीं। बांसफाटक से लेकर कोतवालपुरा तक श्रद्धालुओं का सैलाब जयकारों के साथ उमड़ पड़ा था।

सोने से लिपटी आस्था की काशी

वर्षों बाद काशी ने ऐसा अलौकिक दृश्य देखा है, जब मां का मंदिर शिखर से आधार तक स्वर्णमंडित हो उठा। छह किलोग्राम सोने से सुसज्जित यह प्राचीन पवित्र मंदिर अब स्वयं में धनतेरस और दीपावली का मूर्त रूप बन गया है। काशी खंड के अनुसार मां अन्नपूर्णा भगवान विश्वनाथ की अर्धांगिनी शक्ति हैं, जिन्होंने स्वयं महादेव को अन्न का दान दिया था। वही अन्न और वही कृपा अब स्वर्णमयी आभा में पुनः प्रकट हुई है।

चुराया गया वैभव, जो फिर काशी लौट आया 

मां अन्नपूर्णा का मूल स्वर्ण विग्रह औपनिवेशिक काल में चोरी हो गया था, जो लगभग 108 वर्षों तक कनाडा के संग्रहालय में रहा। भारत और कनाडा के विश्वविद्यालयों के संयुक्त प्रयास से इस प्रतिमा की पहचान हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से नवंबर 2021 में यह मूर्ति भारत लौटी, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यजमानी में शास्त्रोक्त विधि से श्री काशी विश्वनाथ के ईशान कोण में पुनः स्थापित की गई। अब 2025 में, जब मंदिर और मानवाकार प्रतिमा पूर्णतः स्वर्णमंडित हो चुकी है, तब यह केवल स्थापत्य सौंदर्य का अद्भुत उदाहरण है बल्कि भारत की आध्यात्मिक  पुनर्स्थापना का जीवंत प्रतीक भी बन गया है।

धनवर्षा, अन्नकूट और भक्तिभाव की अविरल धारा

18 अक्तूबर से 22 अक्तूबर तक प्रतिदिन 18 घंटे तक मां के दर्शन होंगे। मंदिर न्यास की ओर से सिक्कों की वर्षा और अन्नकूट प्रसाद वितरण का आयोजन चल रहा है। भक्तों पर बरसते सिक्के जैसे मां के आशीर्वाद का मूर्त प्रतीक बनकर समृद्धि की अनुभूति करा रहे हैं। काशी की गलियों में दीपों की रोशनी के साथ गूंज रही आरतियों और जयकारों के बीच हर कोई यही कह रहा है, “जिसने अन्न दिया, वही अब स्वर्ण बनकर लौटी है।

काशी का पुनरुत्थान : भक्ति और स्वर्ण का संगम

यह केवल मंदिर का स्वर्णमंडन नहीं, बल्कि काशी की आत्मा का पुनर्जागरण है। जहां एक ओर शिव के त्रिनेत्र से निकलती तपश्चरण की ज्वाला है, वहीं दूसरी ओर मां अन्नपूर्णा का अन्नपूर्ण आशीष, जो हर भक्त के जीवन में प्रकाश और समृद्धि का दीप जलाता है। इस धनतेरस पर जब काशी की वायु में सोने की चमक और मां के नाम का गान घुला है, तब यह अनुभव होता है कि अन्न ही असली धन है, और अन्नपूर्णा ही उसकी देवी।

काशी खंड में वर्णित दिव्यता का पुनरागमन

काशी खंड में उल्लेख है कि भगवान विश्वनाथ के ईशान कोण में विराजमान मां अन्नपूर्णा ही वह शक्ति हैं जिन्होंने स्वयं भगवान शिव को अन्न का दान दिया था। धनतेरस और दीपावली के पर्व पर उनके दर्शन से धन-धान्य, वैभव और समृद्धि प्राप्त होती है। इस बार जब काशी स्वर्णमयी मां के आलोक से जगमगा रही है, तो भक्तों की श्रद्धा भी उसी अनुपात में बह रही है। देर रात तक मां के जयकारे और आरती की गूंज से पूरा विश्वनाथ परिसर प्रकाश से आलोकित है।

मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी वैभव का कालक्रम

प्राचीन काल में भगवान विश्वनाथ के ईशान कोण में स्थापित मूल स्वर्ण विग्रह।

औपनिवेशिक काल में चोरी होकर कनाडा पहुँचा।

️ 108 वर्षों बाद 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत वापसी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यजमानी में पुनः प्राण प्रतिष्ठा।

️ 2025 में मंदिर मानवाकार प्रतिमा का स्वर्णमंडन पूर्ण।

धनतेरस 2025 से स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन आरंभ।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से सभी श्रद्धालुओं के धन-धान्य, समृद्धि और शक्ति वैभव में निरंतर वृद्धि की मंगलकामना की गई है।

मां अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णमयी दरबार से झर रही है आस्था, अन्न और आनंद की अखंड गंगा।

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