दीपों के संग छलकी समृद्धि : लक्ष्मी के आगमन से दमकी काशी, बाजारों में बरसा धन
जमकर हुई खरीदारी, घरों, मंदिरों व प्रतिष्ठानों में जलाएं गए खुशियों के दीप
बरतनों की
छनक
और
सिक्कों
की
खनक
से
गूंजे
बाजार,
सराफा
में
भी
भीड़
रात तक
चली
खरीदारी,
लक्ष्मी-गणेश
के
सिक्कों
से
लेकर
बरतनों,
आभूषणों
और
वाहनों
की
जमकर
बिक्री,
दीपोत्सव
की
हुई
शानदार
शुरुआत
सुरेश गांधी
वाराणसी। शनिवार को धनतेरस के
शुभ अवसर पर काशी
के बाजारों में धन की
वर्षा सी हो गई।
सुबह से ही बाजारों
में रौनक दिखने लगी
और देर रात तक
ग्राहकों की भीड़ उमड़ती
रही। दीपोत्सव पर्व की शुरुआत
धनतेरस के साथ ही
उल्लास और समृद्धि के
संग हुई। मां महालक्ष्मी
के आगमन के प्रतीक
इस दिन घरों से
लेकर बाजारों तक सजावट, दीपदान
और खरीदारी की चमक देखते
ही बन रही थी।
मतलब साफ है धनतेरस
ने इस वर्ष न
केवल बाजारों को चमकाया बल्कि
शहर के मनोबल को
भी उजाला दिया। दीपों, उल्लास और आस्था के
संग वाराणसी ने ‘प्रकाश पर्व’
की शुभ शुरुआत कर
दी है, अब बारी
दीपावली की जगमगाहट की
है।
शहर के लहुराबीर,
पांडेयपुर, माडल हाउस, गोलगड्डा,
मैदागिन, लंका, शिवपुर और गिलट बाजारों
में सुबह से ही
रौनक रही। एल्यूमिनियम, स्टील,
पीतल और तांबे के
बर्तनों की दुकानों पर
ग्राहकों की लंबी कतारें
लगीं। कई स्थानों पर
‘बतख’ (शुभ प्रतीक बर्तन
मॉडल) की विशेष खरीदारी
हुई। सर्राफा बाजार में सोने-चांदी
के सिक्कों, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों,
और आभूषणों की बिक्री में
रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई।
जौहरी संघ के अनुसार
इस बार बिक्री पिछले
वर्ष से लगभग 30 प्रतिशत
अधिक रही।
इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी चमक
धनतेरस पर वाहन खरीदना
शुभ माना जाता है।
कैंट, लंका और अशापुर
के ऑटोमोबाइल शोरूमों पर सुबह से
ही ग्राहकों की भीड़ लगी
रही। सैकड़ों दोपहिया और चारपहिया वाहनों
की डिलीवरी के बीच पूजन-अर्चन का दौर चलता
रहा। इलेक्ट्रॉनिक बाजारों में टीवी, फ्रीज,
वॉशिंग मशीन और मोबाइल
की बिक्री ने भी रफ्तार
पकड़ी। दुकानदारों के अनुसार, इस
बार ऑनलाइन के मुकाबले ऑफलाइन
बिक्री कहीं अधिक रही।
पूजन सामग्री, गोबर दीये और साज-सज्जा की भी रही धूम
घर की सजावट
और पूजन सामग्री की
दुकानों पर भी भीड़
उमड़ी। मिट्टी के दीयों, गोबर
से बने पारंपरिक दीपों
और रंग-बिरंगी झालरों
की बिक्री खूब हुई। फल,
फूल और प्रसाद की
दुकानों पर भी रौनक
छाई रही। कई महिलाओं
ने शुभ मुहूर्त में
भगवान गणेश, कुबेर और मां लक्ष्मी
की पूजा कर समृद्धि
की कामना की।
दीपों की जगमगाहट से सजा पूरा शहर
वाराणसी के प्रमुख मार्गों
पर तिरंगी और सतरंगी रोशनी
ने दीपोत्सव का स्वागत किया।
दुकानों, प्रतिष्ठानों, मंदिरों और घरों में
विशेष विद्युत सजावट की गई। बाजारों
में थीम आधारित डेकोरेशन
और आकर्षक लाइटिंग लोगों के आकर्षण का
केंद्र बनी रही। हर
तरफ दीपों की उजास और
हर्ष का आलोक छाया
रहा।
व्यापारियों के चेहरे पर लौटी मुस्कान
व्यापार मंडल के पदाधिकारियों
ने बताया कि इस बार
धनतेरस पर शहर में
करीब 1500 करोड़ रुपये का
कारोबार हुआ है। यह
अब तक का सबसे
उत्साहजनक कारोबार बताया जा रहा है।
व्यापारियों ने कहा, “ऐसी
रौनक और खरीदारी बरसों
बाद देखने को मिली है।
दीपोत्सव की शुरुआत सचमुच
‘धन’ से हुई।”
लक्ष्मी पूजन के साथ बाजारों में छलकी समृद्धि और घरों में झिलमिलाए दीप
शनिवार की सुबह जब
काशी के आकाश में
हल्की सुनहरी किरणें फैलीं, उसी क्षण से
मानो समृद्धि का आह्वान शुरू
हो गया। धनतेरस का
शुभ दिन था, लक्ष्मी-कुबेर के पूजन का,
उजास और वैभव का
प्रतीक दिवस। सुबह से ही
बाजारों में ऐसी हलचल
रही मानो स्वयं मां
लक्ष्मी नगर भ्रमण पर
हों। हर गली, हर
चौक, हर बाजार में
रौनक और उल्लास का
मेला लगा था। गोदौलिया
से लेकर लहुराबीर, लंका
से लेकर मैदागिन तक
हर बाजार लोगों की चहक से
गूंज उठा। दुकानों के
बाहर झिलमिल करती झालरों और
पुष्प सज्जा के बीच ग्राहक
उमड़ पड़े। महिलाओं के
चेहरों पर दीयों सी
चमक थी और बच्चों
के मन में दीपावली
की कल्पना का उत्साह।
दीपदान और पूजन से घरों में फैली आस्था की आभा
शहरभर के मंदिरों और
घरों में शुभ मुहूर्त
में भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और
कुबेर की पूजा-अर्चना
हुई। महिलाओं ने शाम होते
ही दीपदान कर घर-आंगन
को आलोकित किया। गोबर से बने
पारंपरिक दीप, मिट्टी के
दीये, पुष्पमालाएँ, रंगोली और कलशों से
सजे द्वार, हर घर दीपोत्सव
की कहानी कहता दिखा।




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