धनवर्षा का अबूझ मुहूर्त : आज जगमगाएंगे बाजार, चमकेगी लक्ष्मी कृपा
चहुंओर जलगा
समृद्धि,
श्रद्धा
और
शुभता
का
प्रथम
दीप
गुरु गोचर
के
दुर्लभ
संयोग
में
होगा
शुभारंभ,
देवगुरु
बृहस्पति
बनाएंगे
केंद्र-त्रिकोण
योग,
अबूझ
मुहूर्त
में
जगमगाएंगे
बाजार
धन्वंतरि, लक्ष्मी
और
कुबेर
की
आराधना
से
खुलेगा
सौभाग्य
का
द्वार
बर्तनों से
लेकर
सोने-चांदी
तक
खरीदारी
का
रहेगा
उत्सव
पूर्वांचल में 35000 करोड़
से अधिक के कारोबार होने के आसार : अजीत सिंह बग्गा
सुरेश गांधी
वाराणसी. धनतेरस का पर्व इस बार शनिवार, 18 अक्तूबर को मनाया जा रहा है, जो दीपोत्सव की छह दिवसीय श्रृंखला की शुरुआत का प्रतीक है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दोपहर 12ः18 बजे से आरंभ होकर अगले दिन 1ः51 बजे तक रहेगी। अबूझ मुहूर्त में खरीदारी के लिए यह दिन अत्यंत मंगलकारी माना गया है। धनतेरस केवल खरीदारी का पर्व नहीं, यह श्रद्धा और समृद्धि का संगम है। जब देवगुरु का आशीष, लक्ष्मी की कृपा और दीपों की ज्योति एक साथ मिलती है, तब संसार नहीं, जीवन स्वयं उजियारा बन जाता है।
शहर के चौक,
गलियों और मंदिरों में
दीपमालाएं सजाई जा रही
हैं। चारदीवारी क्षेत्र में थीम-आधारित
लाइटिंग की गई है,
वहीं कई कॉलोनियों में
अयोध्या की तर्ज पर
दीपोत्सव मनाने की तैयारियाँ हैं।
गृह प्रवेश, वाहन पूजन और
नवनिर्मित मकानों में शुभारंभ के
कार्यक्रमों की भी बाढ़
है। धनतेरस केवल खरीदारी नहीं,
श्रद्धा और समृद्धि का
संगम है। इस दिन
जब देवगुरु का योग, लक्ष्मी
का आशीर्वाद और दीपों की
लौ मिलती है, तब घर
ही नहीं, जीवन भी जगमगा
उठता है।
शहर के सभी
प्रमुख बाजार दीपावली की सजावट में
नहाए हुए हैं। बर्तनों
की दुकानों से लेकर आभूषण
बाजार तक रोशनी से
जगमगा उठे हैं। व्यापारी
मुन्नालाल यादव के अनुसार,
इस बार हल्के वजन
और आकर्षक डिजाइन वाले बर्तनों की
मांग सबसे अधिक है।
परिवारों के छोटे होने
के कारण छोटे आकार
के स्टील, पीतल और तांबे
के बर्तन तेजी से बिक
रहे हैं। ₹400 से लेकर हजारों
रुपये तक के बर्तनों
की रेंज में ग्राहक
अपनी पसंद के अनुसार
खरीदारी कर रहे हैं।
त्योहार के मौसम में
इलेक्ट्रॉनिक, वाहन, आभूषण, कपड़े और प्रॉपर्टी
सेक्टर में भी खरीदारी
की बाढ़ आ गई
है। पिछले वर्ष धनतेरस पर
₹35,000 करोड़ का कारोबार हुआ
था, जबकि इस बार
आंकड़ा इससे काफी आगे
निकलने की उम्मीद है।
वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा का कहना है कि इस बार के छह दिवसीय दीपोत्सव के पर्व पर पूर्वांचल में
35000 करोड़ से अधिक के कारोबार होने के आसार है.
दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग
इस वर्ष धनतेरस
के दिन देवगुरु बृहस्पति
मिथुन राशि से कर्क
राशि में प्रवेश करेंगे।
यह कर्क राशि उनकी
उच्च राशि मानी जाती
है, जिसके कारण केंद्र-त्रिकोण
योग और ब्रह्म योग
का निर्माण हो रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह
योग 12 वर्षों बाद बन रहा
है और इसमें की
गई पूजा, खरीदारी एवं दान अद्भुत
फल देती है। इसके
साथ ही शिववास योग
और शनि प्रदोष व्रत
का भी संयोग बन
रहा है, जिससे भगवान
शिव की उपासना विशेष
फलदायी मानी गई है।
इस दिन किए गए
पूजन से संतान संबंधी
चिंताओं से मुक्ति और
स्वास्थ्य-समृद्धि की प्राप्ति होती
है।
शुभ मुहूर्त और चौघड़िया
मुख्य खरीदारी
मुहूर्त
: सुबह 8ः50 बजे से
10ः33 बजे तक
सुबह
11ः43 बजे से दोपहर
12ः28 बजे तक
शाम
7ः16 बजे से रात
8ः20 बजे तक
शुभ चौघड़िया
मुहूर्त
: शुभ कालः 7ः49 बजे से
9ः15 बजे तक
लाभ
कालः 1ः32 बजे से
2ः57 बजे तक
अमृत
कालः 2ः57 बजे से
4ः23 बजे तक
चर
कालः 12ः06 बजे से
1ः32 बजे तक
इन
मुहूर्तों में की गई
खरीदारी लक्ष्मी कृपा को स्थायी
बनाने वाली मानी गई
है।
क्या खरीदें धनतेरस पर
धार्मिक मान्यतानुसार, धनतेरस पर सोना-चांदी,
पीतल के बर्तन, मां
लक्ष्मी-कुबेर की प्रतिमाएं, और
पीली कौड़ी घर लाना
शुभ माना जाता है।
ऐसा करने से घर
में सुख-समृद्धि और
धनवृद्धि होती है। इस
बार चांदी के सिक्कों, स्वर्ण
आभूषणों और धातु के
बर्तनों की बिक्री में
पिछले वर्ष की तुलना
में 20 फीसदी से अधिक वृद्धि
की संभावना है।
जगमगाएगा शहर, बढ़ेगी रौनक
धनतेरस का नाम आते
ही बाजारों में चहल-पहल
बढ़ जाती है। शहर
के चौक, गलियों और
बाजारों में दीपों की
झिलमिलाहट फैल चुकी है।
बर्तनों की दुकानों में
ग्राहकों की भीड़ है,
तो ज्वेलरी शोरूम में चमकती मुस्कानें
हैं। से योग में
किया गया दान, पूजन
और क्रय अत्यंत फलदायी
होता है। इसके साथ
ही शिववास योग और शनि
प्रदोष व्रत का संयोग
भी बन रहा है,
जिससे भगवान शिव की आराधना
से संतान और स्वास्थ्य संबंधी
कष्टों का निवारण होगा।
धनतेरस की संध्या को
जब पहली दीपशिखा जलती
है, तो वह केवल
घर को नहीं, मन
को भी आलोकित करती
है। शहर के चौक-घाट, मंदिर और
गलियां दीपमालाओं से जगमगा उठी
हैं। कई स्थानों पर
अयोध्या की तर्ज पर
दीपोत्सव की तैयारी है।
धनतेरस का पूजन और अर्थ
यह पर्व भगवान
धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और
कुबेर देव की आराधना
का प्रतीक है। यह केवल
धन की वृद्धि नहीं,
बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और शुभता का
संदेश देता है। शास्त्रों
में कहा गया है,
“धनं धर्मेण संचितम्, आरोग्यं परं सुखम्।” धनतेरस
का सच्चा अर्थ है, वह
धन जो धर्म से
अर्जित हो, और वह
जीवन जो आरोग्य से
पूर्ण हो। इस दिन
बर्तनों में जल भरकर
दीप जलाने की परंपरा भी
है। यह न केवल
शुद्धता का प्रतीक है,
बल्कि धन्वंतरि देव की कृपा
का स्मरण भी कराती है।


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