‘जयचंदों’ के भरोसे कब तक टिकेंगे ‘इमरान’?
कभी
आतंकी
सरगना
मसूद
मारा
गया,
तो
कभी
किडनी
फेल्योर
की
अफवाहे,
तो
कभी
कार्रवाई
करते
हुए
कठोर
कदम
उठाने
की
बातें
करना
इन
दिनों
पाकिस्तान
पीएम
इमरान
खां
का
शगल
बन
गया
है।
माना
कि
यह
सब
आंतकवाद
के
मसले
पर
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
की
पहल
पर
दुनियाभर
के
देशों
की
कसते
शिकंजे
का
असर
है।
लेकिन
एक
के
बाद
एक
वारदातों
के
जरिए
भारत
के
सेना
पर
अटैक
करने
की जो घिनौनी
हरकते
कर
रहे
है,
वो
पाकिस्तन
के
लिए
खतरे
की
घंटी
है।
भारत
द्वारा
की
जा
रही
जबरदस्त
कार्रवाईयों
व
विश्वमंच
की
घेराबंदी
से
उन्हें
अब
तक
तो
समझ
में
आ
ही
जाना
चाहिए
कि
अब
झूठ,
फरेब,
मक्कारी
नहीं
चलेगी।
भारत
के
टुकड़ों
पर
पल-बढ़
रहे
कुछ
जयचंदों
के
जरिए
मोदी
पर
फर्क
नहीं
पड़ने
वाला।
लेकिन
बड़ा
सवाल
तो
यही
आखिर
कब
होगी
भारतीय
जयचंदों
पर
कार्रवाई,
जो
इमरान
खा
के
लिए
कभी
सबूत
मांगकर
तो
कभी
पुलवामा
को
दुर्घटना
बताकर
धुआधार
बैटिंग
कर
रहे
है?
सुरेश गांधी
फिरहाल, दुनियाभर के
वो सभी देश
भारत के साथ
है जो शांति
चाहते है। अब
वे आतंकवाद का
समर्थन करने वाले
पाकिस्तान से रिश्ता
नहीं रखना चाहते।
क्योंकि इरान का
हश्र दुनिया देख
चकी है। सीरिया
भी उसी रास्ते
पर है। अब
नंबर पाकिस्तान का
है। उसकी धरती
पर फल-फूल
रहे आतंकी संगठन
अब उसकी बर्बादी
का कारण बनेंगे।
पाकिस्तान उस स्थिति
तक पहुंच चुका
है, जहां से
वो चाहकर भी
पीछे नहीं लौट
सकता। रहा सवाल
भारतीय गद्दारों या जयंचंदो
का तो उसका
हिसाब किताब भारतीय
जनता ही कर
देगी। ऐसे में
पाकिस्तान को अब
समझना होगा कि
पहले जैसे हिन्दुस्तान
नहीं रह गया
है। अब वह
पीएम नरेन्द्र मोदी
की अगुवाई में
हर उस चाल
को मात देगी,
जो भारत की
सरजमी पर अंजाम
देने की कोशिश
करेगी। भारत इतना
मजबूत हो चुका
है कि आतंकवाद
से निपटने की
दिखावे वाली नौटंकी
के झांसे में
दुनिया अब नहीं
आएंगी। आतंकवाद को पालने-पोसने वाली काली
करतूत वाली चेहरा
बेनकाब हो चुका
है। अब कोई
भी साजिश, बयान
या सत्ता की
खतिर भारत में
तू-तू, मैं-मैं व
गलत बयानी कर
रहे कुछ जचंदो
के डोजियर सिर्फ
और सिर्फ हास्यास्पद
ही माना जायेगा।
पुलवामा आतंकी हमले
में पाकिस्तानी संगठन
जैश-ए-मोहम्मद
वीडियों के जरिए
होने की बात
कबूल की है।
दुनिया इस कायराना
हरकत के लिए
तुम्हें कोस रहा
है। दुनिया ने
यह भी देखा
कि भारत की
ऐअर स्ट्राइक आतंकी
कैंपो पर थी,
लेकिन जवाबी हमले
किस तरह अमेरिका
लडाकू विमान एफ-16
का भारत पर
हमला किया गया।
किस तरह भारतीय
वायु जाबांजों ने
तहस-नहस किया।
अफसोस तो तब
है कि जब
पूरी दुनिया पाकिस्तान
की धरती से
आतंक को समाप्त
करने की दबाव
बना रहा है
तो कार्रवाई के
बजाय राजस्थान में
बीकानेर स्थित भारत-पाकिस्तान
सीमा पर जब
पूरा देश भगवान
भोलेनाथ की आराधना
में लीन था
तो अपने टोही
वीमान के जरिए
एकबार भारतीय जवानों
पर हमले की
कोशिश की गयी।
यह अलग बात
है कि पाकिस्तान
के हर घिनौनी
चाल का जवाब
देने को तैयार
बैठे जवान सुखोई
विमान से धराशायी
कर दिया। हालांकि
एफ-16 की हमले
जैसे नापाक कोशिश
को टोही वीमान
वाली हमले को
भी पाकिस्तान ने
इनकार किया है।
सफाई में पाकिस्तानी
हुक्मरान इमरान खान कांग्रेस
सहित मोदी विरोधियों
के बयानों का
हवाला देकर दुनिया
को यह बताने
की कोशिश कर
रहा है कि
यह सब भारत
में होने वाले
चुनाव के मद्देनजर
किया जा रहा
है। पाकितान के
बालाकोट में हुई
ऐअर स्ट्राइक में
पेड़ गिरे है,
ऐसा भारत में
ही सिद्धू जैसे
लोग कह रहे
है और वहां
सबूत मांगा जा
रहा है। इसके
अलावा भारत के
एक पायलट को
मेरे द्वारा छोड़े
जाने की तारीफ
में मुझे शांति
का नोबेल पुरस्कार
देने की मांग
भारत में जोर-शोर से
की जा रही
है।
लेकिन, लगता है
इमरान की यही
भूल है। अगर
वे यह सोच
रहे है कि
भारत के कुछ
गद्दारों या जयचंदों
के भरोसे दुनिया
में भारत को
झूठा साबित कर
देंगे, तो उनकी
नादानी है। उन्हें
जनना होगा कि
पकिस्तान की सरजमी
पर पल-बढ़
रहे आतंकी भारत
के लिए नासूर
बन चुके है।
आतंकवाद को खात्मा
करने के लिए
भारत की बड़ी
आबादी प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी के साथ
है। साथ ही
भारत में पलबढ़
रहे गद्दारों को
भी समझ लेना
चाहिए कि पाकिस्तान
के पापों का
घड़ा अब पूरी
तरह भर चुका
है। इंतजार उसके
फूटने का है।
दुनियां की बड़ा
शक्तियां मोदी की
पहल पर उससे
मुंह फेर चुकी
है। अब तो
चीन भी उससे
कन्नी काटने लगा
है। इस्लामिक देशों
ने भी पिछले
दिनों पाकिस्तान को
उसकी हैसियत बता
दी है। वह
आर्थिक बदहाली की दौर
से गुजर रहा
है।
अब तो
लोगों ने शिक्षा
के नाम पर
देने वाले चंदे
को भी यह
कहकर रोक लगा
दी है कि
आतंक को पालने-पोसने के लिए
फंडिंग नहीं होगी।
जिन भारतीय गद्दारों
पर उन्हें फर्क
हो रहा है,
वो एक दिन
मोदी की बिछी
शतरंज में खुद
बेनकाब हो जायेगे।
हालांकि दुनिया इस बात
को समझ रही
है कि भारत
के कुछ गद्दार
अगर इमरान की
बोल बोल रहे
है तो इसके
पीछे उनका अपना
राजनीतिक स्वार्थ है। शायद
यही वजह है
कि एयर स्ट्राइक
पाकिस्तान में हुई
लेकिन सदमा भारत
में बैठे कुछ
गद्दारों को लगा
है, जो उल्टे-सीधे बयान
दे रहे है।
मोदी खुद ऐसे
गद्दारों को आवाम
के बीच बेनकाब
यह कह कर
कर रहे है
कि विपक्ष के
लोगों का चेहरा
देखिए, पिछले एक हफ्ते
से ऐसे मुंह
लटकाए हुए हैं,
मानो दुखों का
पहाड़ टूट पड़ा
हो। भारत ने
अब आतंकियों और
आतंक के सरपरस्तों
को डंके की
चोट पर कह
दिया है कि
अब उनके सामने
सुधरने के अलावा
कोई चारा नहीं
है।
अफसोस है कि
जिस पार्टी ने
सबसे लंबे समय
तक देश पर
शासन किया, जिस
पार्टी के नेताओं
ने हमारी पराक्रमी
सेना के हाथ
बांधकर रखे, उसके
नेता अब हमारे
वीर जवानों के
सामर्थ्य पर सवाल
उठा रहे हैं।
चाहे दिग्विजय हो
या सिद्धू या
ममता, माया अखिलेश
सहित अन्य राजनीतिक
लोग सबको जनता
सबक सिखायेगी। इन
विरोधी नेताओ को आखिर
क्यों नहीं समझ
में आ रहा
है कि हमारी
एजेंसियों ने बालाकोट
में चल रही
गतिविधियों पर पैनी
निगाह रखी थी।
मसूद अजहर की
सूचना मिलने के
बाद ही बमबारी
की हो। उसके
आतंकी प्रशिक्षण केन्द्र
बालाकोट में चल
रहे है इसकी
खुफिया रिपोर्ट भारत ही
नहीं अन्य देशों
को भी थी।
बालाकोट में घुसकर
भारतीय वायु सेना
के जांबाजों ने
आतंकी मसूद अजहर
के जिस टेरर
कैंप को तबाह
किया, वो टेरर
कैंप थ्री स्टार
था। उसमें शीशमहल
और मस्कीन महल
थे। उसमें आतंकियों
के लिए हर
सुख सुविधा थी।
इतना ही नहीं
आतंकियों के टेरर
कैंप तक जाता
था एक नेशनल
हाईवे-15 और उसी
कैंप में होती
थी आतंकियों की
ट्रेनिंग। बालाकोट के आतंकी
कैंप के ध्वस्त
होने की ख़बर
सारी दुनिया ने
देखी। सबने देखा
कि कैसे वायु
सेना के जांबाजों
ने आतंक की
फैक्ट्री को धुआं
धुआं कर दिया
है।
अब तो
साफ हो गया
है कि पाकिस्तान
के मानसेहरा नारन
जलखांड रोड पर
मौजूद है जैश-ए-मोहम्मद
का टेरर कैंप।
और इसे कहते
हैं नेशनल हाईवे
15। इस आतंकी
ट्रेनिंग कैंप में
600 से ज्यादा आतंकी एक
साथ 5 से 6 बड़ी-बड़ी बिल्डिंग
में रहते थे।
इन आतंकियों को
मदरसा आयशा सादिक
की आड़ में
फ़िदायीन हमले करने
की ट्रेनिंग दी
जाती थी। इस
आतंकी कैंप में
जैश के मास्टरमाइंड
किस तरीके से
आतंकवादियों को ब्रेनवॉश
कर उनको आतंकी
ट्रेनिंग में शामिल
करते थे उसका
पूरा कच्चा चिट्ठा
भारतीय खुफिया एजेंसियों के
पास मौजूद है।
पाकिस्तान अब अपने
पालतू आतंकवादी मसूद
अजहर को बचाने
के लिए कोई
चाल चले, चाहे
उसे बीमार बताएं,
या मरने की
बात करें, उसकी
बात का कोई
भरोसा नहीं करेगा।
तकनीकी युग में
पूरी दुनिया को
पता है कि
मसूद अजहर पाकिस्तानी
सेना के हेडक्वॉर्टर
रावलपिंडी के आर्मी
बेस हॉस्पिटल में
अपना इलाज करवा
रहा है। उसका
लोकेशन लगातार पाकिस्तानी सेना
और आईएसआई द्वारा
बदल जा रहा
है। जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वॉर्टर
बहावलपुर से मसूद
अजहर को पहले
ही हटा दिया
गया था। हमें
नहीं लगता है
कि जयचंदो द्वारा
सबूत मांगे जाने
जैसे सवालों से
सेना के जवानों
का मनोबल कमजोर
होगा। मौजूदा संघर्ष
को देखते हुए
सेना हर मोर्चे
हर स्थिति से
निपटने के लिए
तैयार है। अब
पाकिस्तान की ओर
से किसी भी
आतंकवादी घटना का
जवाब भारत पाकिस्तान
में आतंकी अड्डों
को निशाना बना
कर दे सकता
है।
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