Tuesday, 31 March 2020

‘आपदा’ को भी ‘भूनाने’ में जुटे है ‘ठग’


आपदाको भीभूनानेमें जुटे हैठग
कोरोना रुपी मौत घर की देहरी तक दस्तक दे चुकी है। अमीर हो या गरीब, युवा हो या बुजुर्ग सभी को अपना निशाना बना रही है। उसके आतंक से हर कोई डरा-सहमा है लेकिन एक तबका ऐसा भी है जो संकट में भी नहीं चूक रहा है, वो है ठग। चाहे वो पीएम, सीएम राहत कोष हो या समाजसेवा के नाम पर गठित संस्थाएं संगठन सबके सब अपने स्तर से जुट गए है। रुपए ठगने के लिए बाकायदा डोमेन तक रजिस्टर्ड करा चुके है
सुरेश गांधी
जी हां, एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोरोना के प्रकोप से जूझ रहे देश को बचाने का बीडा उठाएं हुए है। इटली के प्रधानमंत्री की तरह सार्वजनिक पराजय स्वीकार कर बैठ जाने के बजाय सबको हिम्मत के साथ युद्ध के लिए प्रेरित करते नजर रहे है। मौत रुपी कोरोना पर विजय पताका फहराना चाहते है। उनके इस प्रयास में बड़ी संख्या में लोग सक्रिय होकर हर तरह से साथ खड़ा है। तमाम मुसीबतों को झेलते हुए लॉकडाउन का पालन कर रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी है समाजसेवा के नाम पर संगठन और संस्था खड़ा कर लोगों को ठगने से भी बाज नहीं रहे है। हाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सहयोग करने की अपील को भी भुनाने में जुट गए है। इसके लिए पीएम केयर्स फण्ड तक का रजिस्ट्रेशन कराकर लोगों को ऐठ रहे है.....
कोरोना से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपील किया था कोई भी सहयोग करने वाला व्यक्तिपीएम केयर्स फंडमें सहायता राशि दे सकता है। इस अपील के बाद देशभर के कई उद्योगपतियों समेत अन्य वर्ग के लोगों ने मदद करना शुरू कर दिया है। पीएम रिलीफ फण्ड में सहायता राशि पहुंच भी रही है। लेकिन इस दौरान शातिर ठग भी सक्रिय हो गए हैं। पीएम रिलीफ फण्ड में सहायता राशि डालने वाले लोगों से ठगी का मकड़जाल बुन दिया है। साइबर ठगों ने कोरोना और पीएम केयर्स के नाम से करीब डेढ़ से दो हजार डोमेन रजिस्टर्ड करा लिए हैं। ऐसे में अब यदि आप पीएम रिलीफ फण्ड में सहयोग करें तो सतर्कता के साथ करें नहीं तो आप इन शातिर ठगों की ठगी का शिकार हो सकते हैं। कुछ ऐसा ही सामाजिक संगठनों संस्थाओं का है। वे भी कहीं पीएम के राहत कोष तो कहीं गरीबों में राशन सामाग्री भोजन बाटने के नाम पर धन बटोर रहे है।
हालांकि सभी ऐसा नहीं कर रहे है पर कुछ धुर्त शराब माफिया, ठेकेदार कालाबाजारी करने वाले व्यापारी है जो प्रशासन सरकार की निगाह में धर्मात्मा दानदाता बनने के लिए चेक लाखों में काटकर समचार पत्रों की सुर्खिया बने है लेकिन इस धन को अपने दो चार चहेतो में बाटकर बाकी धन से अपनी तिजोरी की शोभा बढ़ा रहे है। मतलब साफ है एक ओर कोरोना के कारण पूरी मानवता संकटों से घिरी हुई है दूसरी ओर ऐसे कठिन समय में भी ये ठग आमजनमानस की संवेदनाओं से खिलवाड़ करने से बाज नहीं रहे हैं। ठगी और धोखा धोखाधड़ी के नए-नए तरीके खोजकर वह येनकेन प्रकारेण पीड़ितों की मदद के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेलकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। या यूं कहे ये ठग जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने के लिए फर्जी राहत कोष बनाकर जिस तरह धन इकठ्ठा कर रहे है, वह किसी राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है। इसमें व्यापारी संगठन, समचार पत्रों के मालिकान अन्य संगठनें शामिल है।
यह अलग बात है कि प्रदेशभर में साइबर थानों में तैनात पुलिसकर्मी कोरोना के नाम पर आमजन को ठगी का शिकार होने से बचाने के लिए लगातार प्रयासरत है। उनके मुताबिक पीएम केयर्स/एसबीआई के नाम से यूपीआई आईडी बनाया गया है जो सही है जबकि ठगों ने इस यूपीआई में ही एक अक्षर ज्यादा कम आगे-पीछे कर यूपीआई कोड बनाए हैं। इसके अलावा गूगल पर फेक लिंक भी बनाए हैं। सर्च करने पर सबसे ज्यादा यही दिखते हैं। ऐसे में ठगी से बचने के लिए पीएम इंडिया वेबसाइट पर जाकर ही डोनेशन करें, तभी आप ठगी से बच सकते हैं। पुलिसकर्मियों का कहना है कि अगर आपकों फोन करने वाला या अपने आप संस्था या संगठन का हवाला देकर कहत है कि अमूक मुहल्ले में गरीबों का परिवार भूखा प्यासा मर रहा है या पीएम के राहत कोष में धन भेजने की जरुरत है तो तत्काल इसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए। पुलिस ने ही बताया कि कुछ ऐसे भी है जो गरीबी का रोना रोकर घरों में ढेरों राशन सामाग्री रोजमर्रा के सामान इकट्ठा किए हुए है। इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। खासकर कुछ छुटभैये नेता प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री जिलाधिकारी के राहत कोष होते हुए भी उनके नाम पर लोगों से पैसा इकट्ठा करने में लगे हैं।
कहा जा सकता है आपदा की इस घड़ी में ऐसे लोगों की तो बाढ़ गई है जो सिर्फ अखबारों में फोटो छपवाने और सोशल मीडिया पर प्रचार पाने के लिए कुछ पूडी सब्जी के डिब्बे, बिस्कुट आदि के पैकेट बांटते हुए फोटो और सेल्फी खिंचवा ऐसे पोस्ट कर रहे है, जैसेसबसे बड़े दानदाता यही है। कुछ तो इस सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए समाचार पत्रों के भी चक्कर काट रहे है। कुछ पत्रकारों की भी मानों लाटरी लग गयी है। फिरहाल, धन और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए जन भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले ऐसे लोगों से आमजनमानस को सावधान रहना होगा। समझना होगा कि कहीं हम भावनात्मक ठगी का शिकार होकर किसी की जेबे या तिजोरी तो नहीं भर रहे हैं। सरकारों को भी ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के साथ यथाशीघ्र ऐसे नियम बना कर यह तय करना होगा कि कौन जनता से पैसा इकट्ठा करें और कौन नहीं। बता दें, कोरोनावायरस का कहर दुनिया पर इस तरह भारी पड़ेगा शायद ही किसी ने सोचा हो। दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मरीजों की संख्या समूची मानवता के लिए गंभीर चुनौती से कम नहीं है। हालांकि दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत अब तक संभला हुआ है लेकिन भाभी खतरों से निपटने की तैयारी पूरी रखने की जरूरत है। अमेरिका की तरह ना तो इसे हल्के में लेने की भूल कर नहीं चाहिए और ना ही अति विश्वास में रहना चाहिए। केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें इस संकट से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
चिकित्सा से लेकर आवश्यक खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए तैयार रहना होगा। मजदूरों की परेशानियों को समझते हुए उनके ठहरने खाने पीने की चाक चौबंद व्यवस्था करनी होगी। क्योंकि उनके कारण रोजी-रोटी चले जाने से वे खासा परेशान है। उनकी छोटी सी लापरवाही महामारी को गांव तक पहुंचाने में बड़ी मददगार साबित हो सकती है। दवाइयों के साथ खाने पीने की वस्तुओं की आपूर्ति के लिए कालाबाजारी रोकने की दिशा में भी चौकसी बरतनी होगी। क्योंकि यह चुनौती बड़ी है। यह समय अपने बचाने के साथ-साथ दुनिया को दिखाने का भी है कि हमें संकट से जुझना आता है।
इसलिए लॉकडाउन का पालन जरुरी है। माना कि इससे आवाजाही बाधित हुई है और सामान्य गतिविधियां ठप हैं। लोगों, विशेष रूप से गरीबों और निम्न आय वर्ग, को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन हमें यह भी जानना होगा कि दो चार दस हजार लाख को बचाने के चक्कर में सवा सौ करो़ लोगों पर आफत जायेगी। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे कड़े कदम से होने वाली परेशानियों के लिए माफी भी मांगी है, लेकिन यह समूचे देश को मालूम है कि हमारे पास महामारी को टालने का इससे बेहतर कोई उपाय नहीं है। कोरोना का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं चीन ने इस पर काफी हद तक काबू पा लिया। यहां जीवन तेजी से सामान्य हो रहा है। एक माह पहले जहां भय और आशंका पसरी थी वहां अब चहल-पहल लौट रही है। इसके पीछे 2 बड़े कारण हैं वो है उनकी तत्परता और तकनीक। शुरुआत में उन्होंने वुहान में जो कुछ हुआ उसे छिपाया लेकिन मामला जअ आगे बढ़ा तो पूरे चीन को संक्रमित होने से रोकने के लिए जो इलाज किया वह काफी चौकाने वाला रहा। वहां इसके खिलाफ गजब की तेजी दिखी, शहर के शहर साफ कर दि गए। तकनीकी मदद से ऐसे एप्स का ईजाद किया जिसके जरिए स्थान मरीज दोनों को चिन्हित किया जहां वायरस का प्रभाव ज्यादा था। इस ऐप के जरिए चाहे हो वो हाउसिंग या सोसायटी हो माल और होटल्स सब में एंट्री ब्लॉक कर दी।
भारत में संक्रमण के मामले 147 से 1000 तक पहुंचने में 12 दिन लगे। जबकि मौत के आंकड़े 3 से 43 हो गए। ब्रिटेन में 12 दिन में मामले 164 से बढ़कर करीब 2600 हो गए थे। फ्रांस में 12 दिन में मामले 191 से बढ़कर करीब 4500 हो गए थे। इटली में 12 दिन में मामले 155 से बढ़कर करीब 4600 हो गए थे। दक्षिण कोरिया में 111 से बढ़कर करीब 5100 मामले हो गए थे। अमेरिका में 159 से बढ़कर 6300 मामले हो गए थे। स्पेन में 12 दिन में मामले 165 से बढ़कर करीब 8 हज़ार हो गए थे। ये विकसित देशों का हाल है, जहां संसाधन बहुत हैं, पैसा बहुत है, इसके बावजूद वो संक्रमण की स्पीड को रोक नहीं पाए। लेकिन भारत अपने संयम और संकल्प से कोरोना संक्रमण के सामने स्पीड ब्रेकर की तरह गया। भारत में अब तक करीब 38 हज़ार 400 टेस्ट हुए हैं। हर एक हज़ार टेस्ट पर भारत में करीब 27 पॉजिटिव केस मिले हैं। जबकि ब्रिटेन में हर एक हज़ार टेस्ट में 141 पॉजिटिव केस मिले। अमेरिका में ये आंकड़ा 148, जर्मनी में 76 और इटली में 215 है। यानी अभी हमारे यहां टेस्ट करने पर औसतन कम पॉजिटिव केस मिल रहे हैं। इसीलिए हम ये कह सकते हैं कि अभी हम संक्रमण की तीसरी स्टेज में नहीं हैं।
तीसरी स्टेज में संक्रमण उन व्यक्तियों में होने लगता है, जो ना तो कभी विदेश गए, ना विदेश गए व्यक्ति के संपर्क में आए। इस स्टेज में सोर्स का पता ही नहीं चलता कि किससे किसको संक्रमण फैल गया। इस स्टेज में संक्रमण कम्युनिटी लेवल पर होने लगता है। वायरस संक्रमण की चौथी स्टेज भी होती है, जिसमें महामारी किसी के कंट्रोल में नहीं आती। इस स्टेज में ये नहीं कहा जाता सकता कि महामारी कब और कैसे खत्म होगी। दुनिया का हाल ये है कि 24 घंटे में 1 लाख से ज़्यादा नए मामले गए हैं। 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में 39 हज़ार नए मामले आए हैं, 845 लोगों की जान गई। इटली में करीब 5 हज़ार नए मामले आए और करीब साढ़े 7 सौ लोगों की जान गई। स्पेन में करीब 13 हज़ार नए मामले आए और कल से आज तक करीब 1600 लोगों की जान जा चुकी है। फ्रांस में करीब 3600 नए मामले आए और 300 लोगों की मौत हुई है। दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने नहीं दिया है। भारत में अब तक करीब 1300 लोग संक्रमित पाए गए हैं। करीब 43 लोगों की जान गई है।

निजीकरण के विरोध में वाराणसी के हजारों कर्मी लखनऊ बिजली पंचायत में होंगे शामिल

निजीकरण के विरोध में वाराणसी के हजारों कर्मी लखनऊ बिजली पंचायत में होंगे शामिल  आज होगा संघर्ष के कार्यक्रमों का ऐलान ...