ज्ञानवापी के मलवे में छिपा है विशेश्वरनाथ के सबूतों का भंडार
ज्ञानवापी
मामले
में
कमीश्नर
की
सर्वे
रिपोर्ट
की
मानें
तो
इसके
मलवे
में
ही
छिपा
है
भगवान
भोलेनाथ
के
विशेश्वर
शिवलिंग।
ज्ञानवापी
की
दीवारों
में
मौजूद
देवी-देवताओं
की
कलाकृतियां
सहित
शेषनाग,
नागफनी,
कमल,
डमरू,
त्रिशूल,
घंटी
चीख-चीख
कर
गवाही
दे
रहे
है
कि
हम
ही
है
भगवान
विशेश्वरनाथ।
यह
अलग
बात
है
कि
आवैसी,
अखिलेश,
मायावती
पी
चितम्बर
और
अशोक
गहलोत
जैसे
सियासतदानों
को
शिवलिंग
और
देवी-देवताओं
के
कलाकृतियों
की
जगह
वोटबैंक
दिख
रहा
है,
और
शायद
यही
वजह
है
कि
न्यायपालिका
भी
इस
मामलें
में
फूंक- फूंक
कर
कदम
रख
रहा
है।
ज्ञानवापी
परिसर
में
शिवलिंग
मिलने
के
दावे
सहित
सभी
मुद्दों
पर
आपत्ति
तलब
कर
निपटारे
के
लिए
अदालत
में
गुरुवार
की
सुनवाई
टाल
दिया
गया।
अगली
सुनवाई
अब
23 मई
सोमवार
को
होगी।
उधर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
भी
जुमे
की
नमाज
को
देखते
हुए
20 मई
शुक्रवार
को
सायं
3 बजे
तक
के
लिए
सारी
सुनवाईयों
पर
रोक
लगा
दी
है
सुरेश गांधी
फिरहाल, कमिश्नर विशाल सिंह एवं उनके सहयोगियों द्वारा न्यायालय में दाखिल सर्वे रिपोर्ट की मानें तो
शिवलिंग व फव्वारे का
जिक है। इसके साथ ही कथित मस्जिद
के अंदर सनातन धर्म के कई प्रतीक
चिन्ह (जैसे- कमल, त्रिशूल, डमरू आदि) मिलने का दावा किया
गया है। बेसमेंट की दीवार पर
भी सनातन धर्म के चिन्ह मिलने
की बात सर्वे रिपोर्ट में कही गई है। खास
बात यह है कि
कोर्ट कमिश्नर ने वीडियोग्राफी व
फोटोग्राफी की चिप भी
कोर्ट में जमा कर दी है।
हालांकि इससे पहले पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने 6 और 7 मई की सर्वे
रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी. सूत्रों के मुताबिक, इस
सर्वे रिपोर्ट में खंडित ममूर्तियां, देवताओं की कलाकृतियां, कमल
की कलाकृति, शेषनाग की कलाकृति, नागफनी
की आकृति, दीवार में ताखा और दीये के
सबूत मिलने का दावा किया
गया है। ये सबूतों की
वो सूची है जो अब
सर्वे रिपोर्ट में दर्ज होकर अदालत के रिकार्ड में
आ चुकी है। देखा जाएं तो रिपोर्ट में
भगवान विशेश्वरनाथ के होने की
सबूतों की झड़ी है
और दावों की भरमार है।
रिपोर्ट में दावा है कि उत्तर
से पश्चिम दीवार के कोने पर
पुराने मंदिरों का मलबा मिला
है।
मलबे में मिले पत्थरों पर देवी-देवताओं
की कलाकृति दिखीं, कुछ शिलाओं पर कमल की
कलाकृतियां भी देखी गई
और उत्तर से पश्चिम की
तरफ की शिला पर
शेषनाग की कलाकृति मिली.
साथ ही नागफनी जैसी
आकृति मिलने का भी दावा
किया गया है. सर्वे में देव विग्रह भी मिले जिनमें
4 मूर्तियों की आकृति दिखाई
दे रही है. मूर्तियों पर सिंदूरी रंग
लगा हुआ भी मिला. दीया
रखने वाला एक ताखा मिलने
का भी दावा है.
सर्व टीम का दावा है
कि उसे सिलावट मिली जो लंबे वक्त
से जमीन पर पड़े हुए
प्रतीत हो रहे थे,
ऐसा लग रहा था
जैसे किसी बड़े भवन को तोड़ा गया
हो. मस्जिद की पश्चिम दीवार
के करीब मलबे का ढेर मिलने
का भी दावा है.
ये भी दावा है
कि मलबे में पत्थर के ढेर और
शिला पट दिखाई दिए.
कहा जा सकता है
ज्ञानवापी में शिवलिंग है या फव्वारा?
इसकी सच्चाई अब सबके सामने
है। जहां तक फव्वारें का
सवाल है तो कोर्ट
कमिश्नर ने भी अपनी
रिपोर्ट में सवाल किया है कि अगर
फव्वारा है तो फिर
पहले तल पर स्थित
इस वजूखाने में पानी का स्रोत क्या
है? पानी कहां से आता है
और इस वज़ूखाने जमा
पानी आखिर कैसे निकलता है? कुछ ऐसे ही सवाल हिन्दू
पक्षकारों व अधिवक्ताओं का
भी है।
जांच-पड़ताल में बताया गया है कि पहले
तल्ले पर पानी का
आना तो सामान्य बात
है लेकिन यह पानी जब
जमा हो जाता है,
तब थोड़ा -थोड़ा पानी टैंकर के जरिए बाहर
निकाला जाता है. जिला प्रशासन के एक अधिकारी
के मुताबिक, मस्जिद तल पर बने
इस वजूखाने में कई नल लगे
है, जिसमें वाराणसी नगर निगम पानी भेजता है और वजू
करने के लिए नमाजी
इससे अपना हाथ पाव धोते रहे हैं. नल से आने
वाले पानी से जब वजू
होता है तो वही
पानी इसमें जमा हो जाता है.
यह करीब 25Û25 फीट का है. सिर्फ
मस्जिद कमेटी के लोग साल
में इसकी सफाई कराते हैं. वही जानते हैं कि इसके भीतर
शिवलिंग जैसा एक पत्थर है,
जिसे वो पुराना फव्वारा
कहते हैं. कोर्ट कमिश्नर की टीम ने
भी पहले इस कुंड के
पानी को कम कराया
फिर बाहर से उस गोल
घेरे तक सीढ़ी लगाई
गई और झांक कर
देखा गया तो ये शिवलिंग
जैसी आकृति मिली, जिसकी पूरी फोटोग्राफी की जा चुकी
है. जानकारी के मुताबिक, सफाई
के दिनों के अलावा कभी
पूरा पानी नहीं निकाला जाता.चूंकि इसमें मछलियां भी होती है
इसलिए पूरा पानी सिर्फ साल में एक बार सफाई
के लिए निकाला जाता है. इसमें पानी हर वक्त लगभग
भरा होता है और वजूखाने
के बीचों बीच गोल कुआंनुमा एक गहरा कुंड
है जिसमें शिवलिंग जैसी आकृति मिली है. चूंकि पानी भरा होता है इसलिए गोल
कुंड भी पूरे साल
पानी के भीतर डूबा
रहता था।
कोर्ट कमिश्नर की टीम ने
जब मुआयना किया तो हिंदू पक्ष
ने दावा किया कि यहां भी
मंदिर के प्रमाण हो
सकते हैं इसलिए तल पर करीब
1 फुट छोड़कर बाकी पानी कम कराया गया.
बाहर से लगाई गई
सीढ़ियों के जरिए गोल
घेरे तक पहुंचे हिंदू
पक्ष के वकील विष्णु
जैन ने सबसे पहले
वहां जाकर देखा था. इसके बाद विष्णु जैन ने बताया कि
घेरे के भीतर कोई
पानी का स्रोत नही
नहीं था, न ही कोई
पाइप लगाया गया था, नीचे तहखाने से भी उन्हें
ऊपर जाती कोई पाइप नहीं दिखाई दी थी. जबकि
अंजुमन इंतजामियां कमेटी के वकील मेराजुद्दीन
ने कहा था कि यह
फव्वारा है लेकिन वो
नहीं जानते कि ये काम
कैसे करता है क्योकि ये
काफी पुराना है. हिन्दू पक्षकार सोहनलाल आर्य ने बताया कि
वे खुद गोल घेरे में मौजूद शिवलिंग नुमा आकृति को देखा है.
उनके मुताबिक यह एक सम्पूर्ण
शिवलिंग है, बिना किसी जोड़ का एक सम्पूर्ण
पत्थर जिससे कुछ और नहीं जुड़ता
है, इससे छेड़छाड़ की कोशिश जरूर
हुई है. बहरहाल इस वजूखाने को
जानने और देखने वाले
ये तो मानते हैं
कि नगर निगम के नल 25 बाई
25 के इस वजूखाने के
किनारे-किनारे लगे हैं, जो वज़ू के
लिए हैं लेकिन बीच में मौजूद उस गोल घेरे
में स्वतः पानी का कोई स्रोत
नहीं है, ना तो मस्जिद
कमेटी की तरफ से
वहां कोई पाइप मिला है ना ही
कोई प्राकृतिक स्रोत।
कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट के
मुताबिक नगर निगम के कर्मचारी को
सीढ़ी लिटाकर बीचों-बीच भेजा और पानी कम
कराकर मछलियों को सुरक्षित रखने
के लिए मत्स्य पालन अधिकारी को मौके पर
बुलाकर सलाह ली गई. मत्स्य
पालन अधिकारी ने कहा कि
2 फीट तक पानी लेवल
में रहने तक मछलियां जीवित
रहेंगी. सलालाह के मुताबिक पानी
कम किया गया। पानी कम करने पर
काली गोलाकार पत्थरनुमा आकृति दिखाई दी. इसकी ऊंचाई करीब 2.5 फीट रही होगी. इसके टॉप पर कटा हुआ
गोलाकार पत्थरनुमा आकृति दिखाई दी. इसकी ऊंचाई करीब 2.5 फीट रही होगी. इसके टॉप पर कटा हुआ
गोलाकार डिजाइन का अलग सफेद
पत्थर दिखाई पड़ा. पत्थर के बीचों-बीच
आधे इंच से थोड़ा कम
का गोल छेद था. इसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहरा पाया गया. इसकी गोलाकर आकृति नापी गई तो बेस
का व्यास करीब 4फीट पाया गया. वादी पक्ष के अधिवक्तागण इस
काले पत्थर को शिवलिंग कहने
लगे. प्रतिवादी संख्या 4 के वकील ने
कहा कि यह फव्वारा
है. सर्वे टीम ने इसकी पूरी
फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की.
जो रिपोर्ट के साथ सील
बंद है. सर्वे टीम ने अंजुमन इंताजामिया
के मुंशी एजाज मोहम्मद से पूछा कि
यह फव्वारा कब से बंद
है. उन्होंने कहा कि काफी समय
से बंद है. पहले कहा 20 साल से, फिर कहा कि 12 साल से बंद है.
सर्वे टीम ने जब फव्वारा
चालू करके दिखाने के लिए कहा
तो मुंशी ने असमर्थता जाहिर
की. आकृति की गहराई के
बीचों बीच सिर्फ आधे इंच से कम का
एक छेद मिला. जो 63 सेंटीमीटर गहरा था. फव्वारे के हिसाब से
पाइप घुसाने का स्थान नहीं
मिला. वजू के तालाब को
नपवाया गया. जो 33 गुणा 33 फीट का निकला. इसके
अंदर ही पत्थरनुमा गोलाकार
आकृति पाई गई. काली पत्थरनुमा आकृ की सतह पर
अलग तरह का घोल चढ़ा
हुआ प्रतीत हो रहा था.
जो कहीं-कहीं से थोड़ा चटका
हुआ था. पानी में डूबा रहने के कारण इस
पर काई जमी थी।
मुस्लिम परस्ती वाले सियासतदान वोटबैंक साधने में जुटे
ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट
आने के बाद सच्चाई
को झुठलाने में जुटी गैर भाजपा दल अब अपने
अपने वोटबैंक साधने में जुट गए है और
नफा-
नुकसान के आंकलन के
बाद बयानबा दे रहे है।
जबकि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान शिवलिंग
मिलने का दावा हिंदू
पक्ष कर रहा तो
मुस्लिम उसे फव्वारा बता रहे हैं.
अब मामला सुप्रप्रीम
कोर्ट पहुंच चुका है। मतलब साफ है अयोध्या के
राम मंदिर का मुद्दा सुलझने
के बाद अब काशी और
मथुरा को लेकर सियासत
तेज हो गई है.
काशी के ज्ञानवापी का
मामला तब और भी
गर्मा गया जब मस्जिद परिसर
में सर्वे के दौरान हिंदू
पक्ष की ओर से
दावा किया गया कि मस्जिद के
भीतर वजूखाने में शिवलिंग मिला है.
वहीं,
मुस्लिम पक्ष का दावा है
कि वजूखाने में मिला शिवलिंग नहीं फव्वारा है.
ऐसे में ऑल मुस्लिम पर्सनल
लॉ बोर्ड से लेकर राष्ट्रीय
स्वंय सेवक तक नजर बनाए
हुए है तो अयोध्या
मामले पर अपना सियासी
रोटी सेकने में जुट गए है। देखा
जाएं तो अयोध्या के
राममंदिर आंदोलन के वक्त से
आज के दौर की
राजनीति बिल्कुल अलग है.
नरेंद्र मोदी के केंद्र की
सत्ता में आने के बाद हिंदू
वोट बैंक लगातार कंसोललिडेट हो रहा है.
बीजेपी की लगातार मिल
रही जीत में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण एक
बड़ा फैक्टर माना जाता है.
बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर
जिस आक्रमक अंदाज में मुखर रहती है,
उसके सामने कोई दूसरे दल नहीं टिकते
हैं.
बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व
की पॉलिटिक्स के जबाव में
कांग्रेस,
सपा,
आरजेडी,
बसपा और एनसीपीजैसी तमाम
पार्टियां सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीतिक करती
नजर आती हैं.
इसके बावजदू मुस्लिम परस्ती के आरोपों के
चलते इन दलों से
हिंदू वोट बैंक खिसका है,
जिसके चलते उन्हें सत्ता से भी दूर
होना पड़ा है.
ऐसे में ये पार्टियां ज्ञानवापी
मस्जिद के मामले में
एकबार फिर मुस्लिम वोटबैंक को साधने में
जुट गए है। क्योंकि
चुप रहे वोटों के खिसकने का
खतरा जो है.
सुनवाई टली
ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे सहित
सभी मुद्दों पर आपत्ति तलब
कर निपटारे के लिए अदालत
में आज सुनवाई होनी
थी। गुरुवार
को शासन की ओर से
डीजीसी सिविल ने अदालत में
अर्जी दी। तो वहीं प्रतिवादी
पक्ष ने ज्ञानवापी से
जुड़े तमाम मामलों में आपत्ति दाखिल कर दी है।
प्रतिवादी पक्ष ने शिवलिंग मिलने
के दावे पर कड़ी आपत्ति
जताई। वादी पक्ष और उनके अधिवक्ताओं
पर कई गंभीर आरोप
लगाए हैं। इसके साथ ही दोनों पक्षकारों
को सर्वे रिपोर्ट दी गई है।
इससे पहले विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता
आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने भी अपनी
सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने कहा कि
सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने से पहले दोनों
पक्ष के लोग कोर्ट
में मौजूद रहे। सर्वे रिपोर्ट 15 पेज की है। साथ
में नक्शानजरी और कार्रवाई
का विवरण भी दाखिल किया
गया। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे की पहली रिपोर्ट
बुधवार को तत्कालीन अधिवक्ता
आयुक्त अजय कुमार मिश्र ने सौंपी थी।
सोमवार का दिन हो सकता है बेहद अहम
वादी पक्ष की रेखा पाठक,
मंजू व्यास, सीता साहू की ओर से
मंगलवार को स्थानीय न्यायालय
में आवेदन दिया गया था कि शिवलिंग
की जगह पर दर्शन-पूजन
के साथ ही वजू स्थल
पर मिले शिवलिंग के नीचे और
नंदी महराज के सामने तहखाने
के उत्तरी और पूरब की
चुनी हुई दीवारों को तोड़कर सर्वे
करवाया जाए। परिसर में कई स्थानों पर
रखे बांस, बल्ली, ईंट व बालू का
मलबा हटवाकर भी सर्वे करवाने
की मांग की गई। इस
पर न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया
मसाजिद कमेटी सहित अन्य प्रतिवादियों से आपत्ति
मांगी थी। जो आज कोर्ट
में आज पेश कर
दी गई। अब माना
जा रहा है कि सोमवार को दोनों पक्षों
के साक्ष्य और सबूतों व
तर्कों पर न्यायालय अहम
निर्णय कर सकता है।
बता दें कि सात मई
को कमीशन की अधूरी कार्रवाई पर
12 मई को न्यायालय ने
अधिवक्ता आयुक्त के साथ ही
विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता
आयुक्त अजय प्रताप सिंह को नियुक्त किया
था। इसके बाद 17 मई को अदालत
ने अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को अधिवक्ता आयुक्त
के पद से मुक्त
कर दिया। आयुक्त ने बताया कि
शिलापट्ट पर चार देव
विग्रह दिखाई दे रहे हैं।
चौथी आकृति साफ तौर पर मूर्ति जैसी
दिख रही है और उस
पर सिंदूर का मोटा लेप
लगा हुआ है। इसके आगे दीपक जलाने के उपयोग में
लाया गया त्रिकोणीय ताखा (गंउखा) में फूल रखे हुए थे। बैरिकेडिंग के अंदर व
मस्जिद की पश्चिम दीवार
के बीच मलबे का ढेर पड़ा
है। बता दें कि 18 अगस्त, 2021 को पांच महिलाओं
राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक
ने सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत में
वाद दायर कर मां शृंगार
गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन की अनुमति देने
व अन्य विग्रहों को संरक्षित करने
की अपील की थी। वाद
में कहा गया था कि ज्ञानवापी
परिसर स्थित मस्जिद की पश्चिमी दीवार
के पीछे प्राचीन काल से मौजूद देवी
मां शृंगार गौरी की छवि है।
आठ अप्रैल 2022 को सिविल जज
ने अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर
नियुक्त करते हुए कार्यवाही की रिपोर्ट देने
को कहा था। एडवोकेट कमिश्नर ने कमीशन की
कार्यवाही के लिए छह
व सात मई की तिथि
निर्धारित की थी। छह
मई को दिन में
3.30 से 5.45 तक सर्वे हुआ
था। सात मई को मस्जिद
पक्ष के विरोध और
बड़ी संख्या में नमाजियों के जुट जाने
की वजह से कार्यवाही नहीं
हो पाई थी। ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में मुकदमे की वादी रेखा
पाठक, मंजू व्यास, सीता साहू ने मस्जिद के
तहखाने में रखे मलबे व कमरेनुमा संरचना
की दीवार हटाकर सर्वे कराने मांग की है। वहीं
शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडेय की ओर से
वजूखाने में मौजूद मछलियों को स्थानांतरित करने
समेत अन्य मांग संबंधित प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई
नहीं हुई।