Wednesday, 31 January 2024

ज्ञानवापी : व्यास जी तहखाने में मिला पूजा का अधिकार

ज्ञानवापी : व्यास जी तहखाने में मिला पूजा का अधिकार

कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह सप्ताहभर में ज्ञानवापी के तहखाने में सिर्फ व्यास परिवार, बल्कि सभी को नियमित पूजा करवाने की व्यवस्था करे

पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा

ज्ञानवापी के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने से रास्ता खोला जाएगा

कोर्ट परिसर में हिंदू पक्षकारों ने मिठाई खिलाकर दी एक-दुसरे को जीत की बधाई

सुरेश गांधी

वाराणसी। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब वाराणसी को लेकर हिंदू समुदाय के पक्ष में कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हिंदू समाज को बुधवार को ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में नियमित पूजा करने का अधिकार दे दिया है. लंबे कानूनी दांव-पेंचों के बाद कोर्ट ने ज्ञानवापी के तहखाने में नियमित पूजा करने की हिंदू समुदाय की मांग मंजूर कर ली है. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह सप्ताहभर में ज्ञानवापी के तहखाने में सिर्फ व्यास परिवार बल्कि सभी को नियमित पूजा करवाने की व्यवस्था करे. पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा. मतलब साफ है ज्ञानवापी के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने से रास्ता खोला जाएगा. इसके लिए बेरिकेडिंग काटकर रास्ता बनाया जाएगा।

हिंदू पक्ष को भगवान की नियमित पूजा के आदेश की प्रति डीएम को भेज दी गई है। इसके साथ ही नवंबर 1993 से बंद तहखाने में पूजा की तैयारी शुरू कर दी गई है। वाराणसी डीएम को फैसला ईमेल कर दिया गया है। जिला अदालत का फैसला आने पर मुस्लिम पक्ष ने इस मामले में हाईकोर्ट जाने की बात कही है. कोर्ट में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सात दिनों के भीतर पूजा शुरू हो जाएगी. सभी को पूजा करने का अधिकार होगा. उन्होंने बताया कि लीगल काम हमने पूरा किया है. अब 7 दिन के अंदर तहखाने में पूजा शुरू हो जाएगी. अब सभी को अंदर जाने की इजाजत होगी. ये इस केस का एक ऐतिहासिक आर्डर है. ज्ञानवापी मामले पर आए फैसले पर रामजन्म भूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने भी खुशी जताई है. सत्येंद्र दास ने कहा, जो सत्य था वही सत्य रहेगा. अब पूजा होगी. पूजा रोका जाना गलत था. बहुत प्रसन्नता और आनंद है. विष्णु शंकर जैन ने कहा, अगर मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट जाते हैं तो हम भी वहां मौजूद रहेंगे. हम वहां कैवियट दाखिल करेंगे, जिससे हमारी बात सुने बिना कोर्ट एकतरफा फैसला जारी कर दे. इस बारे में हमारी पूरी तैयारी है. 31 साल का इंतजार खत्म हुआ है। नंदीजी के सामने से रास्ता बनाया जाएगा। इसके बाद शिवभक्त व्यासजी तहखाने में पूजा कराया जाएगा।

मुलायम ने 1993 में बंद करवा दी थी पूजा

हिंदू पक्ष ने कोर्ट में अर्जी देकर सोमनाथ व्यास परिवार को तहखाने में पूजा पाठ करने की अनुमति मांगी थी. सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में नियमित रूप से पूजा पाठ करता रहा था. लेकिन वर्ष 1993 के बाद तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के आदेश पर तहखाने को बंद कर बैरिकेडिंग कर दी गई थी. इसके साथ ही हिंदू समुदाय की ओर से ज्ञानवापी में पूजा बंद कर दी गई थी. लंबी अदालती लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया था. इस दौरान तहखाने की साफ-सफाई करवाकर 17 जनवरी 2024 को जिला प्रशासन ने उसे कोर्ट के आदेश पर सील करके अपने कब्जे में ले लिया था. अब जिला अदालत ने जिला प्रशासन को आदेश दिया है कि वह 7 दिन के दिन के अंदर तमाम बाधाओं को दूर करके व्यास परिवार को नियमित पूजा करवाने का अधिकार बहाल करे.

आज से शुरू हो सकती है पूजा, शुद्धिकरण के बाद होगा रुद्राभिषेक

ज्ञानवापी व्यासजी तहखाने में गुरुवार से पूजा शुरू कराई जा सकती है। इसका स्वरूप भी सामने सकता है। कोर्ट के फैसले के बाद भगवान शिव की पूजा की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। तहखाना में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाएगा। सबसे पहले तहखाना का शुद्धिकरण किया जाएगा। गणेश पूजन के साथ तहखाने में भगवान शिव की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाएगी। पूजा के दौरान भगवान सूर्य समेत पांच देवताओं की पूजा की जाएगी।

आस्था का सम्मान हुआ है : केशव मौर्या

कोर्ट का आदेश आते ही कोर्ट परिसर में हर कोई हर हर महादेव के साथ बम- बम बोलने लगे। हिंदू पक्षकार ने कहा कि आज बम- बम बोल रहा है काशी। वहीं, हिंदू वकील ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की ओर से भले ही ऊपरी कोर्ट में फैसले को चुनौती दी जाएगी। लेकिन, फर्स्ट इंप्रेशन ही लास्ट इंप्रेशन होता है। हमारे भगवान शंकर का 31 साल का इंतजार खत्म होगा। कोर्ट का फैसला आते ही यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने प्रतिक्रिया देते हए कहा कि काशी आज बम- बम बोल रहा है। कोर्ट में आस्था का सम्मान हुआ है। कोर्ट के फैसले ने हिंदुओं की आस्था का सम्मान किया है। यह हार्दिक स्वागत वाला फैसला है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कोर्ट का आदेश स्वागतयोग्य है। संतों ने इस फैसले पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि अब बाबा भोले का मंदिर बनेगा।

ज्ञानवापी में है 10 तहखाने

ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के अलावा भी कई और तहखाने हैं। इसका खुलासा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया है। ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से हुए सर्वे में परिसर में छह तहखाने खुले पाए गए। यहां एएसआई की टीम भी पहुंची थी। चार और तहखानों की पुष्टि हुई है। सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि दक्षिण में जो तहखाने हैं, उनमें हिन्दू धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्ह मिले हैं। ऐसे ही उत्तर में भी तहखाना मौजूद है, जो दिखाई नहीं दे रहा। जीपीआर सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया कि चबूतरे के नीचे प्लेटफार्म क्षेत्र में तहखानों की छत है। इसका ऊपरी हिस्सा खुला है, मगर नीचे की परत मलबे से भरी है। पाया गया कि इसमें मलबा भरकर इसे बंद किया गया है। मंच के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में कई खोखले या आंशिक रूप से भरे हुए तीन मीटर चौड़े तहखाने हैं। इनमें नौ वर्गमीटर आकार के कमरे हैं, जिनकी दीवारें एक मीटर चौड़ी हैं। दक्षिणी दीवार की ओर खुले स्थान हैं, जिन्हें अब सील कर दिया गया है, क्योंकि जीपीआर सिग्नलों में 1-2 मीटर चौड़े अलग-अलग पैच देखे गए हैं। तहखाने के उत्तर की ओर खुले कार्यात्मक दरवाजे हैं। पूर्वी हिस्से में 2 मीटर चौड़ाई के 3 से 4 तहखाने हैं। पूर्वी दीवार की मोटाई अलग-अलग है। गलियारे क्षेत्र से सटे, मंच के पश्चिमी किनारे पर 3 से 4 मीटर चौड़े तहखाने की दो पंक्तियां देखी गईं हैं। तहखाने के भीतर छिपे हुए कुएं दो मीटर चौड़ा है। दक्षिणी तरफ एक अतिरिक्त कुएं के निशान मिले हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि तहखाने की दीवारों की जीपीआर स्कैनिंग से छिपे हुए कुएं और गलियारे के अस्तित्व का भी पता चलता है। जीपीआर में दिखाया गया कि दक्षिणी तहखाने का दरवाजा एक दीवार से ढका हुआ है।

प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व होने का था दावा

शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से बीते साल 25 सितंबर को वाद दाखिल कर दावा किया गया था कि ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर से मौजूद इमारत में तहखाना है। यह प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी व्यास परिवार की मुख्य गद्दी है। इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यास जी ब्रिटिश शासनकाल में भी वहां काबिज थे और दिसंबर 1993 तक वहां पूजा-अर्चना की है। वहां हिंदू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री वहां मौजूद हैं।

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