डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल को मिले ‘भारतरत्न’ : मनोज
जायसवाल क्लब ने केक काटकर मनाया 138वां जन्मोत्सव, साहित्यकार, पत्रकार सहित कई विभूतियों को किया गया सम्मानित
सुरेश गांधी
वाराणसी।
जायसवाल क्लब के
तत्वावधान में बुधवार
को जगतगंज स्थित
क्लब कार्यालय में
महान इतिहासकार, कानूनविद,
मुद्राशास्त्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
व पुरातत्व के
अर्न्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान
व जायसवाल समाज
के गौरव डॉ.
काशीप्रसाद जायसवाल की 138वां
जयंती धूमधाम से
मनाया गया। इस
मौके पर न
सिर्फ केक काटा
गया, बल्कि साहित्यकारों,
पत्रकारों सहित कई
महान विभूतियों को
सम्मानित करने के
साथ ही जायसवाल
क्लब की पुस्तिका
एवं कैलेंडर का
विमोचन भी किया
गया। इस दौरान
जायसवाल क्लब के
राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल
ने भारत सरकार
से मांग की
है कि डॉ.
काशीप्रसाद जायसवाल को मरणोपरान्त
भारत का सर्वोच्च
सम्मान भारत रत्न
प्रदान किया जाएं।
जन्मोत्सव कार्यक्रम का
शुभारंभ भगवान राजराजेश्वर सहस्त्रबाहु
के जयकारे के
बीच डॉ. काशी
प्रसाद जायसवाल के चित्रों
पर माल्यार्पण एवं
दीप प्रज्जवलित कर
किया गया। इस
अवसर पर मुख्य
अतिथि स्वामी ओमप्रकाश
जायसवाल ने स्वजातिय
बंधुओं को संबोधित
करते हुए आह्वान
किया कि न
सिर्फ डॉ. काशीप्रसाद
जायसवाल के आदर्शो
को अपनाएं बल्कि
उनके जैसे अपने
बच्चों को भी
बनाने का प्रयास
करे। यह तभी
संभव हो पायेगा
जब सच्चे मन
से इस कार्य
में लगे। जायसवाल
क्लब के राष्ट्रीय
अध्यक्ष मनोज जायसवाल
ने डॉ. काशी
जायसवाल के जीवन
वृतान्त पर प्रकाश
डालते हुए बताया
कि जायसवाल भारतीय
इतिहास के ज्योतिर्धर
थे। उन्होंने इतिहास
लेखन के माध्यम
से सामाजिक जीवन
में, राष्ट्रीय चेतना
का संचार किया।
आपका जन्म 27 नवंबर,
1881 को उप्र की
पावन माटी मिर्जापुर
में बाबू महादेव
प्रसाद जायसवाल के परिवार
में हुआ। आपके
पिता लाह और
चिवड़े के विख्यात
व्यापारी थे। आपके
पिता का व्यापार
बिहार राज्य में
भी फैला हुआ
था। डॉ. काशी
प्रसाद की प्रारम्भिक
शिक्षा एक निजी
शिक्षक की देख-रेख में
घर पर ही
हुई।
फिर वे
मिर्जापुर के लंदन
मिशन हाईस्कूल के
छात्र रहे। 1906 में
डॉ. जायसवाल जी
मात्र 25 वर्ष की
अवस्था में वह
इंग्लैण्ड रवाना हुए और
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला
पाया। वहां से
उन्होंने डेबिस सकॉलर के
रूप में चीनी
भाषा का अध्ययन
किया। अफसोस है
कि ऐसे महान
विभूति के इतिहास
को दबाकर रखा
गया। लेकिन अब
समाज जागरुक हो
गया है और
उन्हें सर्वोच्च सम्मान दिलाने
के लिए सड़क
से संसद तक
दिलाने के लिए
संघर्ष करेंगे। इसके लिए
देश के हर
जिले में समाज
की ओर से
डीएम को ज्ञापन
सौपा जायेगा। इसके
अलावा आज के
दिन को इतिहास
दिवस के रुप
में घोषित करने,
जिलों में उनकी
मूर्ति लगाने, राजधानी से
लेकर जिलों में
उनके नाम पर
सड़क का नामकरण
करने व उनके
नाम पर मुद्रा
के रुप में
क्वाइन जारी करने,
स्कूल, कालेज, विश्व विद्यालय
खोलने, एनसीआरटी में उनकी
जीवनी को पढ़ाने
की भी मांग
प्रदेश व केन्द्र
सरकार से करेगा।
उन्होने कहा कि
आज अगर देश
के कोने में
जायसवाल समाज का
डंका बज रहा
है तो यह
पहला नाम डाक्टर
काशी प्रसाद जायसवाल
ने ही दी
थी।
इसके अलावा
29 फरवरी को उनके
नाम पर सामूहिक
विवाह का आयोजन
किया जायेगा। इसमें
कम से कम
51 जोड़ों की शादी
होगी। इस शादी
का पूरा खर्च
जायसवाल क्लब वहन
करेगा। इस मौके
पर सम्मानित होने
वालों में बिहार
से आएं स्वामी
ओमप्रकाश जायसवाल, कोलकाता से
आएं गगन जायसवाल,
कृष्णकांत जायसवाल, क्लब के
राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल,
रमेश जायसवाल, विजय
प्रकाश जायसवाल, सीनियर पत्रकार
सुरेश गांधी, सीनियर
फोटोग्राफर एवं काशी
पत्रकार संघ के
पूर्व अध्यक्ष बीडी
यादव, प्रिती जायसवाल
व बबिता जायसवाल
को जायसवाल क्लब
के स्मृति चिन्ह,
अंगवस्त्रम, पुस्तिका व कैलेंडर
सौंप कर सम्मानित
किया गया।
इस मौके
पर क्लब के
प्रदेश नंदलाल जायसवाल ने
कहा कि समाज
के हर व्यक्ति
को अपने समाज
के विभुतियों व
उनके किए गए
कार्यो को समाज
के हर व्यक्ति
तक पहुंचाने का
दायित्व होना चाहिए।
जिससे उनके कार्यो
को लोग जान
सके। इनके विचारों
को अंतरआत्मा में
उतारने की जरूरत
है। आज राष्ट्र
अपने गौरवमयी इतिहास
के बल पर
विश्वगुरु कहलाने की बात
करता है लेकिन
उसका श्रेय काशी
प्रसाद जायसवाल को जाता
है। कार्यक्रम का
संचालन मुरलीधर व अध्यक्षता
कांतिलाल जायसवाल ने की।
इस मौके पर
विजय जायसवाल, धरमेन्द्र
जायसवाल, प्रशांत जायसवाल, शरद
जायसवाल, अजय जायसवाल,
छेदीलाल जायसवाल, लक्ष्मीशंकर जायसवाल,
नीरज जायसवाल, प्रदीप
जायसवाल, प्रमोद जायसवाल आदि
ने डा काशी
जायसवाल के जीवन
पर प्रकाश डाला।