‘जाति जुगलबंदी’ व ‘राष्ट्रवाद’ के पेच में उलझा ‘ऊर्जांचल’
यूपी
समेत
बिहार,
छत्तीसगढ़,
मध्य
प्रदेश
और
झारखंड
तक
को
रोशन
करने
वाला
सोनभद्र
सरकार
को
भरपूर
राजस्व
देता
है,
लेकिन
विकास
के
नाम
पर
सरकारें
सिर्फ
और
सिर्फ
झुनझुना
ही
पकड़ाते
है।
यह
अलग
बात
है
कि
दमकती
चमकती
सड़के
और
ओवरब्रिजों
के
जरिए
दूरियां
कम
कर
लोगों
की
खर्च
में
कटौती
करने
का
प्रयास
जरुर
किया
गया
है,
लेकिन
ग्रामीण
इलाके
आज
भी
मूलभूत
सुविधाओं
शिक्षा,
स्वास्थ्य,
पेयजल,
सड़क,
नक्सली
समस्या,
पिछड़ेपन
से
जूझ
रहे
हैं।
हालांकि
योगीराज
में
एक
एक
कर
समस्याओं
का
निपटारा
किया
जा
रहा
है।
दुद्धी
के
बनवारी
कोल
अपनी
नाराजगी
जताते
हुए
कहते
है
चुनाव
के
वक्त
तो
नेता
खूब
बड़ी
कड़ी
बाते
करते
है।
विकास
की
दुहाई
देते
है,
लेकिन
जीतने
पर
भूल
जाते
है।
नक्शल
पनपने
में
क्षेत्र
की
उपेक्षा
एक
बड़ी
वजह
है।
जबकि
रेनुकूट
के
रामशकल
कहते
है
इकास
विकास
कुछो
नाहीं
ये
बार
दुश्मनों
के
घर
में
घुसकर
मारने
वालों
को
जीतावल
जाई
सुरेश गांधी
यूपी के
अंतिम छोर
पर विन्ध्य
और कैमूर
की पहाड़ियों
के बीच
बसा सोनभद्र
का रॉबर्ट्सगंज
संसदीय क्षेत्र
अपने आंचल
में कई
खासियतों को
समेटे सबसे
कमाऊ जिला
है। यह
न सिर्फ
पूरे यूपी
को बल्कि
देश के
अन्य राज्यों
को भी
भरपूर बिजली
देता है।
ऊर्जांचल के
नाम मशहूर
इस ज़िले
में प्राकृतिक
संसाधनों की
कोई कमी
नहीं है।
यहां की
पहाड़ियों में
चूना और
कोयला होने
की वजह
से इसे
उद्योग का
स्वर्ग भी
कहा जाता
है। यहां
देश की
सबसे बड़ी
और
हाइड्रो बिजली
घर, एलुमिनियम
और केमिकल
की कई
फैक्ट्रियां है। रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र जिले
का मुख्यालय)
है और
इसी नाम
से संसदीय
क्षेत्र की
पहचान भी
है। इसका
नाम अंग्रेज
अफ़सर फेड्रिक
रोबर्ट्स के
नाम पर
राबर्ट्सगंज पड़ा है। इस बार
भाजपा ने
यह सीट
अपने सहयोगी
अपना दल
(सोनेलाल) को दे दिया है।
जबकि इस
सीट पर
उसी का
कब्जा है
और छोटेलाल
खरवार सांसद
है।
दुबारा मौका
न मिलने
से नाराज
चल रहे
छोटेलाल मोदी
की सभा
के बाद
से पार्टी
व अपना
दल के
गठबंधन उम्मीदवार
पकौड़ी लाल
कोल को
जिताने में
दिन रात
एक कर
दिया है।
पकौड़ी लाल
कोल का
मुकाबला सपा
बसपा गठबंधन
के भाईलाल
कोल से
है। कांग्रेस
ने पूर्व
विधायक भगवती
प्रसाद चौधरी
को मैदान
में उतारा
है। 2014 में
बीजेपी के
छोटेलाल खरवार
को 3,78,211 मत मिले थे। उन्होंने
बसपा के
शारदा प्रसाद
को 1,90,486 मतों से हराया था।
शारदा प्रसाद
को कुल
1,87,725 मत मिले थे। जबकि सपा
के पकौड़ी
लाल कोल
को 1,35,966 वोट मिले थे। अगर
सपा बसपा
के वोटो
को जोड़
दे तो
2,96,452 के मुकाबले बीजेपी का तब
भी 81,759 वोट ज्यादा है। कांग्रेस
के भगवती
प्रसाद चौधरी
को 86,235 वोट मिले थे। इस
बार भी
वे चुनाव
मैदान में
है। मतलब
साफ है
बाजी अब
भी भाजपा
की सहयोगी
अपना दल
के पक्ष
में ही
है। लेकिन
पकौड़ी लाल
कोल के
पाला बदलने
से जातीय
समीकरण उलट
पलट गया
है।
माना जा
रहा था
छोटेलाल के
मैदान में
न होने
से खरवार
जाति बिदक
गयी थी।
लेकिन प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी
की सभा
के बाद
छोटेलाल खरवार
खुद प्रचार
की कमान
संभाल लिए
है। अगर
कोई बड़ी
उलटफेर नहीं
हुआ तो
अपना दल
के पकौड़ी
लाल कोल
गठबंधन के
भाईलाल कोल
को कड़ी
टक्कर देने
की स्थिति
में आ
गए है।
यह अलग
बात है
कि उन्हें
अपने ही
दल के
असंतुष्टों का अब भी सामना
करना पड़
रहा है।
हालांकि दुद्धी
विधायक चूर
भी अब
उनके साथ
है। इस
क्षेत्र के
उद्योगों को
पुनर्जीवित करने का वादा कर
लोगों की
सहानुभूति पकौड़ी कोल हासिल कर
रहे हैं।
इस तरह
वह अन्य
उम्मीदवारों से कुछ हद तक
मजबूत दिख
रहे हैं।
माना जा
रहा है
कि खरवार,
कोल समेत
अन्य आदिवासी
एवं सवर्णो
के साथ
पिछड़ी जातियों
के सहारे
वे जीत
सकते है।
बशर्ते पार्टी
में भीतरघात
ना हो।
जबकि सपा
के भाईलाल
कोल रोजी
रोटी से
जुड़े मुद्दो
को हवा
दे रहे
है। वे
गांवों की
खस्ताहाल सड़कें,
साफ और
स्वच्छ पानी
का मुद्दा
जोरशोर से
उठा रहे
है। उन्हें
भरोसा है
कि सपा
बसपा के
परंरागत वोटो
के सहारे
उनकी जीत
तय है।
उनके जातीय
समीकरण के
आगे भाजपा
अपना दल
का राष्ट्रवाद
रसातल में
चला जायेगा।
ओबरा के
आदिवासी बिन्दूलाल
कहते हैं
-’ऐसी दुइ
बरस में
गांव के
अन्दर काम
ठीक-ठाक
भवा है।
एइसी दुई
साल में
गांव की
सूरत बदली
है। डाला
के राम
खेलावन कहते
हैं -’न
तो कोई
अच्छा स्कूल
और न
ही कोई
और आधुनिक
सुविधाएं। सालों से ऐसे ही
गुजर-बसर
हो रही
है। जांबर
के रवींद्र
कहते हैं
कि पकौड़ी
कोल ज्यादा
मजबूत लड़
रहे हैं।
वह पांचों
सीटों पर
भाजपा का
विधायक होने
की बात
कहकर अपने
तर्क देते
हैं। दुद्धी
के बालकृष्ण
जायसवाल कहते
है कि
कुछ भी
हो मोदी
का प्रभाव
ही उनकी
पार्टी को
लड़ा रहा
है। पुलवामा
हमला और
फिर उसका
जोरदार बदला।
ऐसा किसी
और प्रधानमंत्री
ने पहली
बार करने
की हिम्मत
दिखाई। किसानों
को दो-दो हजार
रुपये और
उज्ज्वला योजना।
इनका जिक्र
करते हुए
विमला उत्साहित
होते हुए
बोलती है
कि भाजपा
ही सरकार
बनाएं। दुद्धी
बाजार में
आएं दिन
हो रही
घंटो जाम
की समस्या
को देखते
हुए ओवरब्रिज
की मांग
अरसे से
की जा
रही है।
लेकिन नेता
है जो
सुनते ही
नहीं। पकौड़ी
लाल कौल
का आश्वासन
है इस
बार प्राथमिकता
पर दुद्धी
बाजार ओवरब्रिज
का निर्माण
होगा। इनकी
बात को
काटते हुए
मजीद बोलते
हैं -भाईलाल
पकौड़ी कोल
को कड़ी
टक्कर दे
रहे हैं।
मुस्लिम के
साथ ही
दलित वोट
भी उनके
साथ है।
ग्रामीण इलाको
में उनका
अच्छा प्रभाव
है।
बता दें,
रॉबर्ट्सगंज, सोनभद्र का जिला मुख्यालय
है। सोन,
कर्मनाशा, चंद्रप्रभा, रिहंद, रेणू, घग्गर
नदियां इसके
ग्रामीण इलाकों
से होकर
बहती हैं।
देवकीनंदन खत्री के सुप्रसिद्ध उपन्यास
चंद्रकांता और चंद्रकांता संतति के
कथा की
पृष्ठभूमि विजयगढ़ है। विजयगढ़ का
किला, सोढरीगढ़
का किला,
वीर लोरिक
का पत्थर,
सलखन, जीवाश्म
पार्क, नगवा
बांध, लखनिया
दरी, रिहंद
बांध, अगोरी
दुर्ग, रेनुकूट
रेडूकेश्ववर मंदिर यहां के प्रमुख
पर्यटन स्थल
हैं। यहां
की गुफाओं
के भित्ति-चित्रों और
चट्टानों पर
उकेरी गई
चित्रकारी से इस बात के
प्रमाण मिलते
हैं कि
इसका प्रागैतिहासिक
काल से
रहा है।
आदिवासीय बाहुल्य
जिला होने
के चलते
इस सीट
को सुरक्षित
श्रेणी में
रखा गया
है। एनर्जी
कैपिटल आफ
इंडिया के
रूप में
मशहूर इस
जिले में
एनटीपीसी, लैंकों, उत्तर प्रदेश पावर
कारपोरेशन की कई बिजली इकाईयां
स्थापित हैं।
एक आंकडे़
के अनुसार
सभी इकाईयों
से यहां
पर लगभग
10 हजार मेगावाट
बिजली होता
है।
जनगणना के
मुताबिक इस
चुनाव में
कुल 16 लाख
92 हजार 608 मतदाता अपने मताधिकार का
प्रयोग करेंगे।
इसमें नौ
लाख 11 हजार
331 पुरुष व 7 लाख 81 हजार 232 महिला
मतदाता के
साथ ही
45 अन्य मतदाता
भी शामिल
हैं। जाति
आधार पर
देखा जाए
तो यहां
पर 59 फीसदी
यानी 5,31,075 लोग सामान्य वर्ग से
आते हैं,
जबकि 23 फीसदी
अनुसूचित जाति
और 18 फीसदी
अनुसूचित जनजाति
की संख्या
क्रमशः 2,08,257 और 1,62,498 है. क्षेत्र में
हिंदू बहुसंख्यक
हैं और
इनकी आबादी
8,40,814 है जबकि मुस्लिमों की आबादी
52,976 और ईसाई समाज के 1,191 लोगों
की है।
राबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा में कुल
पांच विधानसभा
राबर्ट्सगंज, घोरावल, ओबरा, दुद्धी व
चकिया शामिल
हैं।
चकिया व
घोरावल विधानसभा
क्षेत्र 2008 में अस्तित्व में आया।
इस सुरक्षित
सीट पर
भाजपा के
शरद प्रसाद
का कब्जा
है। उन्होंने
बसपा के
जीतेंद्र कुमार
को 20,063 मतों के अंतर से
हराया था।
घोरावल सीट
पर भी
भाजपा के
अनिल कुमार
मौर्य का
कब्जा है।
उन्होंने सपा
के रमेश
चंद्र को
57,649 मतों के अंतर से हराया
था। रॉबर्ट्सगंज
में भी
बीजेपी का
ही कब्जा
है। भूपेश
चौबे ने
सपा के
अविनाश कुशवाहा
को 40,538 मतों के अंतर से
हराया था।
ओबरा से
बीजेपी के
संजीव कुमार
विधायक हैं।
उन्होंने सपा
के रवि
गोंड को
44,269 मतों से हराया था। सुरक्षित
सीट दुद्धी
से अपना
दल (सोनेलाल)
के हरिराम
विधायक हैं।
उन्होंने बसपा
के विजय
सिंह गोंड
को 1,085 मतों
से हराया
था। इस
लिहाज से
भी यहां
बीजेपी मजबूत
है।
जिले में
रिहंद जलाशय
की स्थापना
के बाद
पहली पन
बिजली परियोजना
भी स्थापित
हुई। आजादी
के बाद
से मिर्जापुर
सोनभद्र जिले
को मिलाकर
एक संसदीय
सीट राबर्ट्सगंज
हुआ करती
थी। यह
संसदीय क्षेत्र
1962 में अस्तित्व
में आया
और तब
से लेकर
अब तक
15 बार यहां
पर लोकसभा
चुनाव हो
चुके हैं
जिसमें 5-5 बार बीजेपी और कांग्रेस
ने कब्जा
जमाया है।
कांग्रेस को
आखिरी बार
यहां से
1984 में जीत
मिली थी
और इसके
बाद से
उसे यहां
पर जीत
नसीब नहीं
हुई। यहां
की खास
बात यह
रही है
15 चुनावों में सिर्फ एक बार
1984 में ही
यह सीट
सामान्य वर्ग
में शामिल
की गई
थी, इससे
पहले और
इसके बाद
यह हमेशा
सुरक्षित सीट
के रूप
में ही
रहा। रॉबर्ट्सगंज
से 2 लोगों
ने चुनावी
जीत की
हैट्रिक लगाई
है।
पहले कांग्रेस
के राम
स्वरुप ने
1962, 1967 और 1971 में चुनावी
जीत की
हैट्रिक बनाई,
इसके बाद
1996 से बीजेपी
के रामशकल
ने यह
कारनामा दोहराया।
1962 में कांग्रेस
के राम
स्वरुप ने
जनसंघ के
सरबजीत को
हराकर यहां
से सबसे
पहले सांसद
बनने का
गौरव हासिल
किया। 1967 के चुनाव में भी
यही परिणाम
रहा। 1984 तक एक तरह से
कांग्रेस का
यहां दबदबा
रहा क्योंकि
1962 से लेकर
1984 तक 6 चुनावों में 5 में जीत
हासिल की
थी। लेकिन
1989 में बीजेपी
ने कांग्रेस
से यह
सीट छीन
ली। बीजेपी
की ओर
से सूबेदार
प्रसाद ने
कांग्रेस के
तत्कालीन सांसद
राम प्यारे
पानिका को
हराया था।
हालांकि 1991 के चुनाव में सूबेदार
जनता दल
के उम्मीदवार
राम निहोर
से हार
गए। 56 साल
पुराने यहां
के संसदीय
इतिहास में
44 साल बाद
1996 में हैट्रिक
का कारनामा
दोहराया गया
जब किसी
ने यहां
पर चुनावी
जीत की
हैट्रिक बनाई
हो। बीजेपी
के रामशकल
ने लगातार
3 चुनाव जीतने
का रिकॉर्ड
बनाया। उन्होंने
1996, 1998 और 1999 में लोकसभा
चुनाव में
जीत हासिल
की।
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