मछलीशहर : ‘जातियता’ के ‘जकड़न’ में ‘देशभक्ति’ का ‘छौंका’
तापमान भले ही 45 डिग्री से ऊपर हो, लेकिन चुनावी माहौल ठंडा है। गांवों में न चुनाव कार्यालय दिख रहे है न झंडे-बैनर। किसान खेत खलिहानों में फसल निकालने में जुटा है, तो कार्यकर्ता जीत की बाजी अपने पक्ष में करने के लिए हाडतोड मेहनत कर रहे हैं। यह अलग बात है कि दो धुर विरोधी दलों के एक हो जाने से पिछली बार मुकाबले से बाहर रहे सपा-बसपा गठबंधन भाजपा को सीधी टक्कर दे रही है। यही वजह है कि कार्यकर्ता हो या आम मतदाता सबकी जीत की गणित जाति ही है और इसी जातियता को तोडने के लिए भाजपाई लोगों में एअर सर्जिकल स्ट्राइक की दुहाई देकर देशभक्ति की अलख यहकर जगा रहे है कि ‘मोदी है तो सब मुमकिन है’
सुरेश
गांधी
फिरहाल,
मतदाता
मौन
है,
लेकिन
मुद्दों
की
बात
करने
पर
सलीम
कहते
है
लोकसभा
में
स्थानीय
मुद्दे
ज्यादा
मायने
नहीं
रखते।
आम
मतदाता
राष्ट्रीय
सुरक्षा,
महंगाई,
भ्रष्टाचार,
कालाधन,
तीन
तलाक,
नोटबंदी,
आरक्षण,
जीएसटी
जैसे
मुद्दों
पर
ही
भाजपा
व
सपा
बसपा
गठबंधन
की
सोच,
नीतियों
और
घोषणाओं
को
परख
रहा
है।
लेकिन
पखवारे
भर
पहले
बसपा
से
नाता
तोडकर
आएं
बीपी
सरोज
(भोला
प्रसाद)
पर
भाजपा
ने
मछलीशहर
(सु)
क्षेत्र
से
टिकट
देकर
बड़ा
दांव
खेला
है।
भाजपा
को
उम्मींद
है
कि
2014 में
दुसरे
नंबर
रहे
श्री
सरोज
के
लगातार
पांच
साल
तक
क्षेत्र
में
बने
रहने
से
दलितों
के
वोट
तो
बरसेंगे
ही
मोदी
की
लोकप्रियता
और
देशभक्ति
कार्ड
के
सहारे
उसकी
नैया
पार
हो
सकती
है।
बीपी सरोज मुगराबादशाहपुर
के
मादरडीह
गांव
के
निवासी
हैं।
जबकि
गठबंधन
से
आएं
बसपा
के
पूर्व
विधायक
टीराम
को
मायावती
ने
प्रत्याशी
घोषित
किया
है।
मूलरुप
से
गाजीपुर
निवासी
त्रिभुवन
राम
वाराणसी
के
सुरक्षित
विधानसभा
अजगरा
से
बसपा
के
विधायक
रहे
है।
इनकी
तबियत
बिगड़ने
पर
सपा
मुखिया
अखिलेश
यादव
ने
इलाज
के
लिए
लक
से
हटकर
मदद
की
थी।
इलाजके
लिए
सिंगापुर
भेजा
था।
इन
पर
कुल
22 लाख
24 हजार
764 रुपये
खर्च
हुए
थे।
हालांकि
ये
खुद
दौलत
वाले
है।
इनकी
दो
बहुए
विदेश
में
रहती
है।
खुद
लोकनिर्माण
के
अधिशासी
अभियंता
रह
चुके
है।
आरोप
है
कि
इनकी
दौलत
पर
ही
मेहरबान
होकर
पार्टी
ने
इन्हें
अपना
प्रत्याशी
बनाया
है।
ग्रामसभा
कुरनीपुर
के
दिवाकर
यादव
इनकी
जीत
का
दावा
करते
हुए
कहते
है
जाति
समीकरण
में
इनकी
जीत
पक्की
है।
इन्हें
मुस्लिम
यादव
के
अलावा
अन्य
पिछड़ी
जातियों
का
भरपूर
समयर्थन
मिल
रहा
है।
उनके
मुताबिक
2014 के
सपा
बसपा
के
वोट
को
मिल
दिया
जाएं
तो
भाजपा
को
अपनी
सीट
बचाना
मुश्किल
होगा।
अमरनाथ कन्नौजिया
कहते
है
मुददों
की
बात
करें
तो
यहां
बिजली
कटौती,
उबड
खाबड़
सडके,
बेरोजगारी,
कल
कारखानों
का
अभाव,
उच्चशिक्षा
की
कमी
सहित
समस्याएं
कई
है।
लेकिन
अब
जाति
व
व्यक्ति
आधारित
वोट
मिलते
है।
इसलिए
प्रत्याशी
की
कर्मठता
व
योगदान
को
देखकर
ही
वोट
करेंगे।
गोपालापुर
के
उमाकांत
बरनवाल
कहते
है
वास्तव
में
यहां
जातिवादी
राजनीति
का
गणित
चलेगा।
लंबे
समय
में
यहां
कोई
बड़ा
कल
कारखाना
नहीं
लगा
है।
लेकिन
चुनाव
के
समय
मुद्दे
गायब
हो
जाते
है,
जातिवादी
ही
चलती
है।
पटेल
बाहुल
क्षेत्र
होने
के
चलते
इस
सीट
पर
भाजपा
का
पलड़ा
भारी
रहेगा।
क्योंकि
भाजपा
से
गठबंधन
करने
वाली
अपना
दल
की
अनुप्रिया
पटेल
का
समर्थन
है।
बनिया,
ठाकुर,
ब्राह्मण,
पासी,
मौर्या
आदि
वोट
भाजपा
के
पक्ष
में
जा
सकता
है।
वैसे
भी
चुनाव
में
राष्ट्रीय
नेताओं
और
मुद्दों
पर
ही
वोट
डाले
जायेंगे।
जलालपुर
के
संजीव
यादव
कहते
है
निर्वतमान
सांसद
ने
अपेक्षा
के
अनुरुप
विकास
में
रुचि
नहीं
दिखाई,
लोकसभा
में
मुद्दे
भी
नहीं
उठाई,
लेकिन
जनता
मोदी
के
नाम
पर
वोट
करेगी।
उनका
कहना
है
कि
पहली
बार
देश
को
ऐसा
जांबाज
प्रधानमंत्री
मिला
है
जो
पाकिस्तान
में
घुस
कर
मारा।
दुनिया
में
भारत
का
न
सिर्फ
मान
सम्मान
बढ़ाया
है
बल्कि
दबाव
बनाकर
सैकड़ों
लोगों
की
जान
लेने
वाले
कुख्यात
आतंकी
मसूद
अजहर
को
यूएन
से
पाबंदी
भी
लगवाई
है।
बगल
में
खडे
सोनू
पटले
कहते
है
क्या
नहीं
कराया
है
सांसद
ने।
बिजली
कटौती
से
मुक्ति
मिली
है।
सड़के
लहक
दहक
रही
है।
सांसद
निधि
से
शत
प्रतिशत
काम
हुआ
है।
लोगों
को
मकान
शौचालय,
गैसे
कनेक्शन
सबकुछ
तो
मिला
है।
विरोधी
कुछ
भी
कहें
लेकिन
जीतेगी
भाजपा
ही।
बता दें, जौनपुर जिले में शामिल मछलीशहर
यूपी
के
80 संसदीय
क्षेत्रों
में
से
एक
है।
इस
क्षेत्र
को
व्यापार
के
लिहाज
से
प्रदेश
का
अहम
क्षेत्र
माना
जाता
ह।
इसे
तहसील
का
दर्जा
प्राप्त
है।
पश्चिम
में
प्रतापगढ़,
रायबरेली
और
लखनऊ
को
मछलीशहर
से
जोड़ता
है।
जबकि
पूर्वी
तरफ
से
जौनपुर
और
वाराणसी
से
जुड़ा
हुआ
है।
2011 की
जनगणना
के
आधार
पर
मछलीशहर
तहसील
की
आबादी
7 लाख
से
ज्यादा
(7,36,209) है,
जिसमें
महिलाओं
(3,75,252) की
संख्या
पुरुषों
(7,36,209) से
ज्यादा
है।
इस
संसदीय
क्षेत्र
का
लिंगानुपात
प्रदेश
के
उन
चंद
संसदीय
क्षेत्रों
में
शामिल
है
जहां
महिलाओं
की
संख्या
पुरुषों
से
अधिक
है।
एक
हजार
पुरुषों
की
तुलना
में
महिलाओं
की
संख्या
1,040 है।
यहां
की
साक्षरता
दर
70.81 प्रतिशत
है।
जातिगत
आधार
पर
यहां
की
आबादी
पर
नजर
डाली
जाए
तो
इस
संसदीय
क्षेत्र
में
22.7प्रतिशत
आबादी
(166,766) अनुसूचित
जाति
की
है,
जबकि
अनुसूचित
जनजाति
यहां
की
कुल
आबादी
का
0.1 फीसदी
(625) ही
है।
धार्मिक
आधार
पर
90.61 फीसदी
आबादी
हिंदुओं
की
है,
जबकि
मुस्लिम
समाज
के
18.9 प्रतिशत
है।
मछलीशहर
रिजर्व
लोकसभा
सीट
है
जिसके
तहत
पांच
विधानसभा
क्षेत्र
मछलीशहर,
मरियाहू,
जफराबाद,
केराकत
और
पिंडरा
आते
हैं।
जिसमें
2 सीट
अनुसूचित
जाति
के
लिए
रिजर्व
है।
संसदीय क्षेत्र
के
साथ-साथ मछलीशहर
विधानसभा
क्षेत्र
भी
अनुसूचित
जाति
के
लिए
आरक्षित
है।
यहां
से
समाजवादी
पार्टी
का
कब्जा
है।
2017 के
विधानसभा
चुनाव
में
सपा
के
जगदीश
सोनकर
ने
भाजपा
की
प्रत्याशी
अनिता
रावत
को
4,179 मतों
के
अंतर
से
हराया
था।
मडियाहू
विधानसभा
क्षेत्र
से
अपना
दल
(सोनेलाल)
की
लीना
तिवारी
विधायक
हैं,
जिन्होंने
सपा
की
श्रद्धा
यादव
को
11,350 मतों
के
अंतर
से
हराया
था।
वहीं
मछलीशहर
के
तीसरे
विधानसभा
सीट
जाफराबाद
से
भाजपा
के
डॉ
हरेंद्र
प्रसाद
सिंह
ने
सपा
के
सचिंद्र
नाथ
त्रिपाठी
को
24 हजार
से
ज्यादा
मतों
के
अंतर
से
पराजित
किया
था।
अनुसूचित
जाति
के
लिए
रिजर्व
केराकत
विधानसभा
क्षेत्र
से
भाजपा
के
दिनेश
चौधरी
विधायक
हैं।
उन्होंने
सपा
के
संजय
कुमार
सरोज
को
हराया
था।
पिंडरा
से
भाजपा
के
अवधेश
सिंह
विधायक
हैं।
पिंडरा
वाराणसी
जिले
के
अंतर्गत
आता
है,
लेकिन
यह
मछलीशहर
संसदीय
क्षेत्र
में
शामिल
है।
विधानसभा
चुनाव
के
परिणाम
के
आधार
पर
देखा
जाए
तो
यहां
पर
एनडीए
की
पकड़
मजबूत
है।
5 में
से
4 सीट
(3 भाजपा
और
1 अपना
दल)
पर
उसका
कब्जा
है।
जबकि
एक
पर
सपा
ने
जीत
हासिल
की
है।
जहां तक संसदीय क्षेत्र
का
सवाल
हैं
तो
इस
सुरक्षित
सीट
पर
2014 के
लोकसभा
चुनाव
में
भाजपा
के
रामचरित्र
निषाद
ने
अपने
निकटतम
प्रतिद्वंद्वी
सपा
के
भोलानाथ
वर्तमान
में
भाजपा
प्रत्याशी
को
1,72,155 मतों
के
अंतर
से
हराया
था।
रामचरित्र
को
43.91 फीसदी
और
भोलानाथ
को
26.66 फीसदी
वोट
मिले
थे।
2009 के
चुनाव
में
सपा
के
तूफानी
सरोज
ने
जीत
हासिल
की
थी
जो
2014 के
चुनाव
में
तीसरे
स्थान
पर
रहे
थे।
1962 से
लेकर
अब
तक
हुए
लोकसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
यहां
से
4 बार
जीत
चुकी
है,
उसे
आखिरी
बार
यहां
से
1984 में
जीत
मिली
थी।
तब
से
लेकर
उसे
यहां
पर
जीत
का
इंतजार
है।
1990 के
बाद
राष्ट्रीय
स्तर
पर
बीजेपी
ने
अपना
परचम
लहराया
और
पहली
बार
मछलीशहर
में
1996 में
जीत
मिली
तब
उसके
प्रत्याशी
रामविलास
वेदांती
विजयी
रहे
थे।
इससे
पहले
3 बार
(2 सपा
और
1 बसपा)
जीत
हासिल
कर
चुके
हैं।
1967 में परिसीमन
के
बाद
यह
सीट
सामान्य
श्रेणी
में
आ
गई।
1962 से
1971 तक
हुए
आमचुनावों
में
कांग्रेस
ने
लगातार
यहां
तीन
बार
जीत
दर्ज
की
थी।
1977 में
भारतीय
लोकदल
के
राजकेसर
सिंह
ने
जीत
दर्ज
करके
कांग्रेस
का
विजय
रथ
रोका
था,
1980 के
चुनावों
में
जनता
पार्टी(सेक्युलर)
ने
यहां
जीत
पाई
तो
वहीं
1984 में
कांग्रेस
ने
वापसी
की
और
श्रीपति
मिश्र
यहां
के
सांसद
निर्वाचित
हुए।
1989 और
1991 में
शिव
शरण
शर्मा
ने
जनता
दल
को
लगातार
दो
बार
जीत
दिलाई,
1996 में
राम
विलास
वेदांती
और
1998 में
चिन्मयानन्द
भाजपा
के
टिकट
पर
चुनाव
जीतकर
यहां
से
लोकसभा
पहुंचे।
1999 में
चन्द्रनाथ
सिंह
ने
भाजपा
के
रामविलास
वेदांती
को
हराकर
मछलीशहर
में
सपा
को
पहली
बार
जीत
दिलाई
थी।
2004 में
उमाकांत
यादव
ने
सपा
के
चन्द्रनाथ
सिंह
को
हराकर
मछलीशहर
में
बसपा
के
जीत
का
इंतज़ार
ख़त्म
किया।
2009 में
यह
सीट
फिर
से
अनुसूचित
जाति
के
लिए
आरक्षित
हो
गई,
तब
सपा
के
तूफानी
सरोज
ने
बसपा
से
2004 में
मिली
हार
का
बदला
ले
लिया।
लेकिन
साल
2014 में
यहां
से
भाजपा
के
राम
चरित्र
निषाद
सांसद
चुने
गए।
भाजपा
की
वापसी
काफी
हद
तक
इस
बात
पर
भी
निर्भर
करेगी
कि
यहां
निषाद
ने
कितना
विकास
कार्य
किया
है।
जबकि
विरोधी
दल
भी
यहां
जीतने
के
लिए
हर
संभव
कोशिश
करेंगे।
लेकिन
इस
खेल
में
बाजी
उसी
के
हाथ
लगेगी
जिसे
जनता
का
प्यार
और
साथ
मिलेगा,
अब
जनता
का
मू़ड
क्या
है,
ये
तो
लोकसभा
के
चुनावी
परिणाम
ही
बताएंगे।
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