नवरात्र के तीसरे दिन भी माता की आराधना में लीन रहे बनारसी
मां विन्ध्यवासिनि
धाम
व
मंदिर
सहित
देवी
मंदिरों
में
लगी
भक्तों
की
कतार,
लगातार
हो
रहे
अनुष्ठान
सुरेश गांधी
वाराणसी-मिर्जापुर. शहर से लेकर देहात तक में मंगलवार को नवरात्र के तीसरे दिन भी मां के मंदिरों से लेकर घरों तक में पूजन-अर्चन का सिलसिला तड़के शुरु हुआ तो देर रात तक चला। मंदिरों के बाहर भक्तों की भीड़ कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार के बीच मां के जयकारे लगाते रहे। आज भी मां के भक्तों ने मां चंद्रघटा की पूजन-अर्चन के साथ व्रत रखा व दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। इस दौरान लोगों ने व्रत रखकर मां का पूजन अर्चन कर सुख समृद्धि की कामना की। नवरात्रि पर्व के मद्देनजर जिले के प्रमुख मंदिरों को काफी आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इसके साथ ही कुछ मंदिरों पर भारी भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
काशी के चौक
क्षेत्र में स्थित माता
चंद्रघंटा का प्राचीन मंदिर
श्रद्धालुओं से भरा रहा।
यहां भोर में मंगला
आरती के बाद से
भक्तगण दर्शन और पूजन में
लीन रहे। मंदिर में
मां का विशेष श्रृंगार
गुड़हल और बेला के
फूलों से किया गया।
इससे देवी का रूप
अत्यंत मनोहर दिखाई दिया। भोर में तीन बजे
से ही भक्तों की
लंबी कतारें माता के दर्शन
के लिए उमड़ पड़ीं।
जैसे ही सुबह की
आरती और श्रृंगार के
बाद मंदिर के पट खुले,
पूरा क्षेत्र माता के जयकारों
और "हर-हर महादेव"
के उद्घोष से गूंज उठा।
भक्तों ने मां चंद्रघंटा
के समक्ष श्रद्धा से शीश नवाया
और अपनी मनोकामनाओं को
पूरा करने की कामना
की। मां चंद्रघंटा धन,
ऐश्वर्य, शक्ति और मोक्ष की
अधिष्ठात्री देवी मानी जाती
हैं। देवी घंटे की
ध्वनि से असुरों का
संहार करती हैं। मान्यता
है कि उनकी पूजा
से भक्त को सांसारिक
सुखों की प्राप्ति होती
है और मृत्यु के
पश्चात मोक्ष का मार्ग प्रशस्त
होता है। देवी की
कृपा से शत्रुओं का
नाश होता है और
भक्त आध्यात्मिक तथा आत्मिक शक्ति
प्राप्त करता है।
मां विंध्यवासिनी धाम में लाखों भक्तों ने किए दर्शन
विंध्याचल धाम में मंगलवार
को भी भक्तों की
कतार लगी रही। माता
के जयकारे से पूरा धाम
गूंज उठा। आस्थावानों ने
दर्शन पूजन कर मंगल
कामना की। भोर में
दिव्य मंगला आरती और भव्य
श्रृंगार पूजन उपरांत विंध्यवासिनी
माता के अलौकिक स्वरूप
का दर्शन कर भक्त निहाल
हो उठे। देवी मंदिरों
में सुबह से देर
रात आदिशक्ति जगत जननी के
जय जयकार गूंजते रहे। चैत्र नवरात्र
मेला के तीसरे दिन
देश के कोने- कोने
से आए भक्तों ने
देवी दरबार में मत्था टेका।
गंगा स्नान कर घंटों कतार
में खड़े होने के
उपरांत धाम पहुंचे श्रद्धालु
माता के दिव्य स्वरूप
का दर्शन कर निहाल हो
उठे। विंध्य दरबार में महिला, पुरुष
और बच्चे माता की भक्ति
में तल्लीन नजर आए। मंदिर
पहुंचे श्रद्धालु माता की एक
झलक पाने को बेताब
दिखे। घंटा, घड़ियाल, शंख के साथ
बजते नगाड़े की धुन के
बीच पहाड़ावाली के जयघोष से
संपूर्ण मंदिर परिसर गुंजायमान हो रहा था।
धाम की छत पर
जगह- जगह आसन पर
बैठे साधकों का पूजन अनुष्ठान
अनवरत चलता रहा। वहीं
अष्टभुजा पहाड़ पर भी
दूरदराज से आए संत
महात्मा और साधक विविध
मंत्रों के बीच आदिशक्ति
के पूजन अनुष्ठान में
तन्मयता से तल्लीन नजर
आए। त्रिकोण परिक्रमा पथ पर विराजमान
महाकाली और मां अष्टभुजी
के दरबार में भी सुबह
से दर्शन पूजन का सिलसिला
अनवरत चलता रहा। श्रद्धालुओं
की मूलभूत
सुविधाओं के दृष्टिगत देवी
धाम क्षेत्र में प्रशासनिक तौर
पर बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही
है। गंगा घाटों पर
स्नान ध्यान करने के लिए
भक्तों का रेला लगा
रहा। मां विंध्यवासिनी का
दर्शन पूजन करने के
उपरांत श्रद्धालु गलियों में भ्रमण कर
सजी दुकानों से जरूरत के
सामानों की खरीदारी की।
दूसरे दिन मेला क्षेत्र
में सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत प्रशासन
की तरफ से बेहतर
इंतजाम नजर आए वहीं
श्री विंध्य पंडा समाज के
पदाधिकारी भी दर्शनार्थियों की
सेवा में जुटे रहे।
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