Thursday, 28 March 2019

काशी पत्रकार संघ ने धूमधाम से मनाया गया होली मिलन समारोह


काशी पत्रकार संघ ने धूमधाम से मनाया गया होली मिलन समारोह
गायक कलाकार श्रद्धा पान्डेय और रजत तिवारी के मस्ती गीत परखूब लगे ठहाके
               सुरेश गांधी
वाराणसी। शहर के पराड़कर भवन में गुरुवार को काशी पत्रकार संघ के तत्वावधान में होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पत्रकारों ने धर्म, जाति, के बंधन को भूल-भालकर एक-दुसरे को टोपी पहनाकर एवं पुष्प अर्पित कर होली की मुबारकवाद दी। इस दौरान क्रिकेट टीम में शामिल विजेताओं को पुरस्कार वितरीत किया गया। इसके बाद हास्य-संगीत का दौर शुरु हुआ तो लोगों ने खुब लुत्फ उठाया। गायिका श्रद्धा पान्डेय और गायक रजत तिवारी ने एक से बढ़कर एक मस्ती गीत सुनाकर कलमकारों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। होली खेले मशाने में, गीत पर हरहर महादेव के नारे लगे, जिससे माहौल शिवमय हो गया।
समारोह में बडी संख्या में गणमान्य लोगो सहित उपस्थित पत्रकारो ने एक दूसरे को रंगो से सरोबर कर होली की शुभकामनायें दी। सभी पत्रकारों ने एक दूसरे को रंग अबीर लगाकर होली की बधाई दी। इस दौरान खेल पत्रकार कनिस्कदेव गोरावाला की स्मृति में होने वाले कनिस्क सनबीम मीडिया क्रिकेट स्पर्धा के पुरस्कार संघ के पूर्व अध्यक्ष केडीएन राय ने वितरण किया गया। काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष राजनाथ तिवारी ने कहा कि संघ द्वारा पत्रकारों के हित में काफी बेहतर काम किया जा रहा हैं। संघ के सदस्य स्वच्छ पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं। यहीं संघ की असली ताकत है। पत्रकारों के सम्मान के लिए गलत तत्वों से हमेशा दूर रहें। संघ द्वारा हर साल की तरह इस बार भी समाज द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। उन्होंने समाज के लोगों से कहा कि होली भाईचारे का पर्व है। आपस में मिल-जुलकर होली मनाने में सुखद अनुभूति होती है। साथ ही समाज में भाईचारा भी कायम रहता है।
इस मौके पर कांग्रेस नेता अजय राय, मनीष चैबे, कौशलेन्द्र चैबे, सीनियर पत्रकार पद्मपति शर्मा, देव कुमार केशरी, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, कमलेश चतुर्वेदी, महामंत्री मनोज कुमार श्रीवास्तव, मंत्री पुरूषोत्तम चतुर्वेदी, आनन्द कुमार मौर्य, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, शशि कुमार श्रीवास्तव, लोकनाथ पाण्डेय, सुनील शुक्ला, आर संजय, प्रमिला तिवारी, अशफाक सिद्दीकी, राजेन्द्र यादव, रमेशचन्द्र राय, लक्ष्मीकांत द्ववेदी, पूर्व अध्यक्ष सुभाषचन्द्र सिंह, पूर्व महामंत्री अत्रि भारद्वाज, केडीएन राय, दीन बंधु राय, प्रेस क्लब के अध्यक्ष चन्दन रूपानी, कोषाध्यक्ष शंकर चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष सन्दीप गुप्ता, मंत्री पंकज त्रिपाठी, संयुक्त मंत्री सुधीर कुमार गणोरकर, अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, हरिबाबू श्रीवास्तवअन्नू, पंकज कुमार मिश्र, उमेश गुता, सुरेन्द्र नारायण तिवारी, विनय शंकर सिंह आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रेस क्लब के अध्यक्ष चन्दन रूपानी ने किया।

Friday, 22 March 2019

शान-ओ-शौकत से निकली काशी के जैतपुरा की होली बारात


शान--शौकत से निकली काशी के जैतपुरा की होली बारात
दिखा गंगा-जमुनी तहजीब का नजारा, चप्पे-चप्पे पर तैनात रहे सुरक्षा के जवान
होली बारात का शुभारंभ विधायक रवीन्द्र जायसवाल एवं दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र ने फीता काटकर किया 
सुरेश गांधी
वाराणसी। देश भर में रंगों का त्योहार होली की धूम है। भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी से लेकर भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा वृंदावन सहित पूरे देश में होलिका जलने के साथ होली का उत्सव शुरू हुआ तो थमने का नाम ही नहीं लिया। लोगों ने अपने-अपने इलाके में एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाया, मिठाइयां खिलाईं तथा ढोल नगाड़े के साथ एक दूसरे को बधाई दी। खासकर विदेशियों सैलानियों के लिए होली आकर्षण का केंद्र बनी रही। लोग रंग, गुलाल से सराबोर रहे। हैं।
शहर के जैतपुरा मुहल्ले से परंपरागत तरीके से नए रंग-रोगन, साज-सज्जा और पूरे शानो-शौकत के साथ निकाली गई। बारात में सभी समुदायों के लोगों ने मिलकर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की। घोड़ा, ऊंट के साथ ढोल-नगाड़े, डीजे बैंड, रोड लाइट की चकाचैंध में कोई ठुमक-ठुमक कर तो कोई नाचते-गाते चल रहा था। होली बारात का शुभारंभ शहर उत्तरी के भाजपा विधायक रवीन्द्र जायसवाल एवं दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र उर्फ दयालू गुरु ने फीता काटकर किया।
बारात शीतला माता मंदिर से उठकर जैतपुरा, डिगिया, औसानगंज, डीएबी कालेज, ईश्वरगंगी लालकुआं, रसूलपुरा होते हुए बड़ी बाजार पहुंचकर समाप्त हो गया। इसके पहले अनूठी परंपरा के तहत मंत्रोच्चार के बीच दूल्हे राजा का अज-गजब श्रृंगार किया गया। मूसल नचाए गए और लोढ़ा घुमावन हुआ। दूल्हे की आरती उतारी गई तो सूप लोकावन के साथ राई-मिर्च से नजर भी उतारी गई। कुछ ऐसा ही दुल्हन की डोला भी भव्यता के साथ सजाई गयी। इसके बाद बारात चलना शुरु हुई तो हजारों की संख्या में लोग शामिल हो गए
होली की उल्लास के बीच बारात में फिल्मी गीतों पर बाराती नाचते-गाते चल रहे थे। इससे पूरा माहौल रंगीन हो गया। हर कोई एक ही रंग में रंगे नजर रहे थे। हर किसी के सिर पर केशरिया टोपी था। यह नजारा यहां हर साल दिखता है। लोगों को बधाई दे रहे सैकड़ों लोग एक-दूसरे से अनजान थे। फिर भी एक साथ त्योहार मनाने का जज्बा दिखा। लोक गायकों एवं नृतकों की टोलीमशाने में खेले होलीसमेत फिल्मी गीतों, ढोल और ताशों के बीच फाग गाकर आनंद को दोगुना कर रही थी। बारात में रथ पर दूल्हा-दुल्हन की झांकी के बीच शिव तांडव, शंकर पार्वती भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े विभिन्न प्रसंग जीवंत करते कलाकारों ने दर्शकों पर ऐसी छाप छोड़ी कि वह भक्ति रस में घंटों गोता लगाते नजर आएं। होलियारों की बारात जब बड़ी बाजार से डीएवी कालेज की ओर बढ़ी, तो उसकी छटा निराली थी।
रास्तेभर सडक के दोनों छोरों पर बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों ने अबीर गुलाल एवं फूलों की पंखुड़ियों की वर्षा की। भांग-बुटी चढ़ाएं मदमस्त बाराती ढोल-नगाड़े डीजे की धून पर खूब थिरके। बैण्डबाजे के साथ बग्घी पर दूल्हा-दुल्हन और घोड़े पर देवी-देवताओं के स्वरूपों की झांकियां सजीं थीं। बारात में शामिल झांकियां बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ, भारतीय सैनिक के आतंकवाद से मुकाबले एवं सामाजिक चेतना पर जीवंत जागृति प्रस्तृत कर रहे थे। बारात में प्रमुख रूप से अमित जायसवाल, शैलेन्द्र जायसवाल, मनोज जायसवाल, सुभाष चंद्र जायसवाल, रमेश कुमार, नरेन्द्र गुप्ता, पार्षद असलम, मुन्ना शाह, सरदार निजामुद्दीन अंसारी, अनिसुर्रहमान अंसारी, रमेश कुमार, ईश्वर लाल जायसवाल, कृष्णलाल गुप्ता, राजकुमार गुप्ता, सुधीर जायसवाल, अनिल यादव, आनंद जायसवाल, शरद जायसवाल, विनोद केसरवनी समेत क्षेत्र के दोनो संम्प्रदायो की भारी संख्या रही।   

Monday, 18 March 2019

‘बोट यात्रा’ से कांग्रेस की ‘कश्ती’ बचायेंगी प्रियंका?


बोट यात्रासे कांग्रेस कीकश्तीबचायेंगी प्रियंका? 
मैं आया, मुझे भेजा गया, मां गंगा ने बुलाया मुझे।ये बाते आज से ठीक पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वक्त कहीं थी जब वे लोकसभा चुनाव 2014 में वाराणसी सीट से नामांकन कर रहे थे। उन्होंने अपने को मां गंगा का बेटा बताया था। कुछ उसी अंदाज में 2019 फतह करने निकली प्रियंका गांधी बांड्रा कहती है। वे भी अपने को गंगा की बेटी बताकर प्रयागराज से ‘बोटयात्रापर निकली है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या मोदी की तर्ज पर प्रियंका पर बरसेंगे वोट? बोट यात्रा से मिलेंगे वोट? क्या कांग्रेस की कश्ती बचायेगी प्रियंका की बोट यात्रा? क्या 2019 की रण में राहुल की सारथी बनेगी प्रियंका? क्या राहुल के बाद अब मंदिर मंदिर घूमकर प्रियंका बजायेंगी कांग्रेस की जीत का डंका? क्या वाड्रा मां गंगा के सहारे सूबे में पार्टी की नैया पार लगाना चाहती हैं?
सुरेश गांधी
बेशक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में खुद को मां गंगा का बेटा बताकर लोगों की संवेदनाओं को छूने का काम किया था। अब उसी गंगा मैया के सहारे प्रियंका गांधी भी कांग्रेस में जान फूंकने चुनावी समर में उतरी हैं। वे प्रयागराज से नाव पर सवार गंगा में वोट यात्रा के जरिए एक साथ कई निशाने साध रही हैं। उनकी ये वोट यात्रा सिर्फ पार्टी को सॉफ्ट हिंदुत्व बताने, बल्कि इसके जरिए कांग्रेस मोदी सरकार के वादों का खोखलापन और विकास की असलियत भी जनता के सामने लाने की कोशिश कर रही है। लेकिन वे भूल रही है जिस गंगा में नाव पर सवार हो वो मोदी को घेरने निकली है, उस गंगा में नाव चलने लायक मोदी ने ही बनाया है। पूरा ना सही लेकिन गंगा काफी हद तक निर्मल हो चली है, इसकी जानकारी कुंभ में डूबकी लगा चुके 15 करोड़ से भी अधिक वोटर को मालूम है। 
बता दें, 2014 के आम चुनाव में गंगा चुनाव प्रचार का केंद्र बन गई थी। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जब बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई तो सरकार की प्राथमिकता में भी गंगा दिखाई जाती रही। अब जबकि मोदी सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है और नई सरकार के चयन के लिए चुनाव प्रचार जारी है तब भी गंगा सियासत का हॉट टॉपिक बनी हुई है। बीजेपी के साथ-साथ इस बार गंगा को भुनाने के लिए कांग्रेस में मैदान में उतर गई है। शुरुआत पार्टी की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी बोट यात्रा से की है। गंगा उत्तराखंड के गंगोत्री से निकलकर 2,525 किमी दूरी तय करते हुए पश्चिम बंगाल की खाड़ी में गिरती है। 
इस दौरान गंगा देश के पांच राज्यों के होकर गुजरती है। इनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल है। इन राज्यों की करीब 80 लोकसभा सीटों पर गंगा का सीधा प्रभाव है। यूपी में गंगा कुल 1140 किमी के दायरे में बहती है। यही वजह है कि इस समय इसकी लहरों पर राजनीति तैर रही है। प्रियंका बांड्रा बोट से करीब 140 किमी यात्रा पर निकली हैं। ताकि वे गंगा की स्थिति जान सकें और गंगा के सहारे कांग्रेस के लिए प्रचार कर सकें। प्रियंका के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा की सफाई के लिए बनारस से ही गंगा एक्शन प्लान शुरू किया था। वाराणसी से ही 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद बने। फिर उनकी सरकार ने भी नमामि गंगे प्रोजेक्ट लॉन्च किया, ताकि गंगा साफ रहे।
जहां तक सियासत का सवाल है तो यूपी होकर ही दिल्ली का रास्ता गुजरता है। यहां कुल 80 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से लगभग आधी सीटें गंगा से प्रभावित होती हैं। बिजनौर से निकली गंगा बलिया तक करीब 26 सीटों पर धार्मिक और आर्थिक तौर पर सीधा असर डालती हैं। इनमें से 70 सीटें बीजेपी के पास हैं, बाकी पर विपक्ष का कब्जा है। प्रियंका के गंगा दौरे से चुनाव में कितना असर पड़ेगा ये तो वक्त बतायेगा, लेकिन इसका धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर असर जरुर पड़ेगा। खास बात यह है कि देश में दूसरी बार नदी का सहारा लेकर बोट के जरिए प्रचार हो रहा है। 
इससे पहले नरेंद्र मोदी ने 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान साबरमती में बोट से प्रचार किया था। वैसे भी गंगा हिंदुओं के लिए आध्यात्म और आस्था का स्रोत है। प्रियंका खुद को गंगा की बेटी कहकर प्रचार कर रही हैं। उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत प्रयाग में हनुमान मंदिर का दर्शन करके की। फिर गंगा की पूजा की तब बोट पर निकलीं। मकसद है गंगा के सहारे प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी समेत पूर्वांचल के कौशांबी, फूलपुर, मछलीशहर, जौनपुर, सोनभद्र, चंदौली और गाजीपुर के लोगों को साधने की। इस दौरान प्रियंका गंगा किनारे गुजर-बसर कर रहे लोगों से भी करती दिखी। कहा, आज देश का संविधान संकट में है, इसी वजह से मुझे घर से बाहर निकला पड़ा। किसानों को फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा है। पिछले पांच साल में देश में बेरोजगारी बढ़ी है। इस चुनाव में राहुल गांधी को मजबूत करने के लिए वोट दें। राहुल गांधी ने नई राजनीति की शुरुआत करने के लिए ही उन्हें यूपी भेजा है। जहां तक मोदी के चैकीदार होने का सवाल है तो चैकीदार किसानों के नहीं, अमीरों के चैकीदार होते हैं।
गौरतलब है कि यूपी में मल्लाहों की आबादी 08 फीसदी है। इनमें निषाद, मल्लाह, केवट, कश्यप, मांझी, बिंद, धीमार जैसी कई उपजातियां हैं। इस समुदाय का प्रभाव करीब 20 सीटों पर है। ये जातियां हार-जीत में अहम भूमिका निभाती हैं। खास यह है कि ये जातियां गंगा के आसपास ही रहती है। अगर वे इन जातियों को रिझाने में सफल रही तो इसका असर पड़ेगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में गंगा के किनारे बसी पांच राज्यों की 80 संसदीय सीटों में से बीजेपी 52 सीटें जीतने में सफल रही थी। जबकि करीब 18 सीटों विपक्षी दलों को जीत मिली थी। उत्तराखंड में पांच सीटें हैं, जिनमें से 3 सीटें गंगा के प्रभाव वाली हैं। इन तीनों सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। यूपी में बिजनौर से गाजीपुर तक करीब 40 लोकसभा सीटों पर असर है। इनमें से 35 सीटें बीजेपी के पास हैं। बिहार में गंगा के प्रभाव वाली 15 सीटें हैं, जिनमें से 12 बीजेपी और 3 विपक्ष के पास हैं।
ऐसे ही झारखंड की 5 सीटें गंगा के असर वाली हैं। ये सभी सीटें बीजेपी के कब्जे में हैं। पश्चिम बंगाल की करीब 11 सीटें हैं, इनमें से बीजेपी महज एक सीट ही जीत सकी थी और बाकी 10 सीटें विपक्ष ने जीती थी। इसीलिए प्रियंका बोट यात्रा पर निकलने से पहले से संगम स्थित मंदिर में लेटे हनुमान के दर्शन किए। इसके बाद वह अक्षयवट भी गईं। गंगा पूजन भी किया। इस दौरान उन्होंने देश के उत्थान और शांति की दुआएं मां गंगा से मांगी। इस दौरान वह कार्यकर्ताओं और समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को भी साझा किया।

शताब्दी वर्ष में भारत की राह तय करेगा काशी

शताब्दी वर्ष में भारत की राह तय करेगा काशी  जब भारत अपनी आज़ादी   के 100 वर्ष पूरे करेगा , तब उसकी पहचान केवल आर्थिक शक्...