चार सालः
26 करोड़
23 लाख
श्रद्धालु,
4500 करोड़
से
ऊपर
का
कारोबार...
श्री काशी विश्वनाथ धाम... जहां आस्था बढ़ी, काशी निखरी और जगा सनातन
पर्यटन से
मालामाल
हुई
धार्मिक
राजधानी
मोदी - योगी
सरकार
की
दूरदृष्टि
: बदलते
काशी
के
केंद्र
में
‘व्यवस्था’
कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर
और
धर्म-संस्कृति
ने
बदली
काशी
की
अर्थव्यवस्था
सुरेश गांधी
वाराणसी. उत्तर वाहिनी गंगा के पावन
तट पर अवस्थित श्री
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण
को चार वर्ष पूरे
होने को हैं। ये
चार वर्ष केवल किसी
संरचनात्मक विस्तार के नहीं, बल्कि
एतिहासिक रूप से पुनर्जीवित
उस आध्यात्मिक चेतना के भी साक्षी
हैं, जिसने काशी को एक
बार फिर विश्व धार्मिक
पर्यटन के केंद्र में
प्रतिष्ठित कर दिया है।
13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी द्वारा लोकार्पित नव्य-भव्य-दिव्य
धाम ने न सिर्फ
बाबा विश्वनाथ मंदिर की सांस्कृतिक गरिमा
को पुनर्स्थापित किया, बल्कि यह साबित किया
कि जब विकास दूरदृष्टि
से संचालित हो तो वह
परंपरा को नया जीवन
देता है, उसे लीलता
नहीं।
चार वर्षों की
इस यात्रा में लगभग 26 करोड़
23 लाख से अधिक श्रद्धालुओं
ने बाबा के दरबार
में सिर नवाया, यह
आंकड़ा न केवल रिकॉर्ड
है, बल्कि यह सनातन आस्था
के विश्वव्यापी पुनरुत्थान की कथा भी
कहता है। खास यह
है कि इसी अवधि
में चढ़ावा लगभग 175 करोड़ से अधिक
का रहा, जबकि धाम
और पर्यटन से जुड़े सेक्टरों
में लगभग 4500 करोड़ रुपये से
अधिक की आर्थिक गतिविधियां
दर्ज की गईं। यह
आंकड़े काशी को न
सिर्फ धार्मिक राजधानी बनाते हैं, बल्कि तेजी
से उभरते आर्थिक केंद्र के रूप में
स्थापित करते हैं। मतलब
साफ है विश्वनाथ धाम
का पुनरुद्धार केवल वास्तु विस्तार
नहीं, बल्कि एक ऐसे धार्मिक-सांस्कृतिक परिसर का निर्माण है
जिसमें भक्तों के लिए सुगमता
सर्वोपरि है।
धाम के मुख्य
कार्यपालक अधिकारी
विश्व भूषण मिश्र बताते
हैं, “
सावन हो या
चिलचिलाती गर्मी,
हर मौसम में
भक्तों के लिए छाया,
कूलिंग,
ड्रिंकिंग वाटर,
मैट,
ओआरएस,
प्राथमिक
चिकित्सा,
गोल्फ कार्ट,
व्हीलचेयर और जर्मन हैंगर
जैसी व्यवस्थाएँ मंदिर न्यास की प्राथमिकता में
हैं।”
धाम पहुंचने वाला
हर शिवभक्त यह अनुभव करता
है कि सुविधा और
व्यवस्था की यह परिकल्पना
आधुनिक भारत के धार्मिक
आधारभूत ढांचे का नया मानक
है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की
निरंतर उपस्थिति और समीक्षा ने
काशी के इस परिवर्तन
को गति दी है।
शहर की कनेक्टिविटी,
फ्लाईओवरों
का जाल,
मल्टी-
लेवल
पार्किंग,
चौड़ी सड़कें,
घाटों
का सौंदर्यीकरण,
गंगा पथ,
इन
सभी ने मिलकर बनारस
को एक आधुनिक धार्मिक
पर्यटन नगर के रूप
में विकसित किया है,
जहां
परंपरा और आधुनिकता साथ-
साथ चलती हैं।
यही वजह है कि
विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ी
है और काशी अब
‘
वैश्विक संस्कृति एवं आस्था राजधानी’
के रूप में उभर
रही है।
13
दिसंबर 2021
का वह शुभ
क्षण जब नव्य-
भव्य-
दिव्य धाम का लोकार्पण
हुआ था,
आज चार
वर्ष बाद ऐसा प्रतीत
होता है मानो उसने
काशी की नियति ही
बदल दी हो। धर्म,
संस्कृति,
पर्यटन,
अर्थव्यवस्था और शहरी विकास,
हर क्षेत्र में काशी नई
ऊंचाइयों को छू रही
है। यह धाम केवल
मंदिर नहीं,
बल्कि भारत की अस्मिता,
आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक नेतृत्व
का जीवंत प्रतीक बन चुका है।
मतलब साफ है काशी
विश्वनाथ धाम की यह
चार वर्ष की यात्रा
इस बात का प्रमाण
है कि आस्था जब
विकास के साथ जुड़ती
है,
तो परिणाम केवल
धार्मिक नहीं,
बल्कि सभ्यतागत होते हैं। बाबा
का आशीष और व्यवस्थाओं
का विस्तार,
दोनों ने काशी को
वह स्थान दिलाया है जहां अब
दुनिया श्रद्धा के साथ नजरें
उठाकर देख रही है।
13
दिसंबर 2025
को जब धाम
अपने लोकार्पण के चार वर्ष
पूरे करेगा,
तब काशी केवल
उत्सव नहीं मनाएगी,
वह
एक नए युग का
स्वागत करेगी,
जिसमें सनातन की ज्योति पहले
से अधिक प्रखर,
जीवंत
और विश्वपथ को आलोकित करती
हुई आगे बढ़ रही
है।
3,000 वर्गफुट से 5 लाख वर्गफुट तक... धाम का विराट विस्तार
पहले जहां मंदिर
परिसर महज 3,000 वर्गफुट में सिमटा था,
वहीं आज यह करीब
पाँच लाख वर्गफुट में
फैला है, एक ऐसा
विस्तार जिसे देखकर पहली
बार आने वाला हर
श्रद्धालु विस्मित हो उठता है।
मां गंगा के निकट
तक बना विशाल कॉरिडोर,
सुव्यवस्थित प्रवेश मार्ग, खुली हवा वाला
परिक्रमा क्षेत्र, ये सभी बाबा
के भक्तों के लिए आध्यात्मिक
अनुभव को और गहन
बनाते हैं।
चार वर्षों में बढ़ता सैलाब : वर्षवार आंकड़ों में धाम की बुलंदी
वर्ष श्रद्धालुओं की
संख्या
2021 (13 से 31 दिसंबर) 48,42,716
2022 7,11,47,210
2023 5,73,10,104
2024 6,23,90,302
2025 (2 दिसंबर तक) 6,66,66,511
यह आंकड़ा केवल
बढ़ती संख्या नहीं, बल्कि विश्वास की वह धारा
है जिसमें हर दिन करोड़ों
लोग डुबकी लगा रहे हैं।
पर्यटन का ‘कुम्भ’ दैनिक डेढ़ लाख श्रद्धालु तक पहुंचे
कवि-कल्पना नहीं,
आंकड़े खुद बताते हैं
कि विश्वनाथ धाम के पुनर्विकास
ने काशी में धार्मिक
पर्यटन को विश्व स्तर
पर नई पहचान दी
है। मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक धाम
में औसतन रोजाना 1 से
1.5 लाख श्रद्दालु दर्शन-पूजन के लिए
आते हैं। सावन, माघ
और प्रमुख पर्वों पर यह संख्या
कई गुना बढ़ जाती
है।
महाकुंभ में भी रिकॉर्ड तोड़ भीड़
महाकुंभ 2025 के दौरान काशी
में आस्था का अभूतपूर्व प्रवाह
देखने को मिला। केवल
45 दिनों में 2 करोड़ 67 लाख 13 हजार 004 श्रद्धालुओं ने धाम में
दर्शन कर नया रिकॉर्ड
बनाया। 1 जनवरी से 28 फरवरी के बीच कुल
2 करोड़ 87 लाख 11 हजार 233 श्रद्धालु काशी पहुंचे। औसतन
हर दिन 6.5 लाख से अधिक
दर्शनार्थियों ने बाबा विश्वनाथ
के दरबार में हाजिरी लगाई।
इंफ्रास्ट्रक्चर - आस्था : पर्यटन का नया पैमाना
काशी के विकास
मॉडल का सबसे बड़ा
आधार है, धर्म, संस्कृति
और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का संगम। साथ
ही कनेक्टिविटी और शहरी ढांचा
इस तरह विकसित हुआ
कि दुनिया के किसी भी
कोने से आने वाला
यात्री खुद को सहज
महसूस करे। इन्हीं सुधारों
ने काशी को विश्व
के धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर शीर्ष पर
पहुंचाया, गंगा क्रूज, विश्वप्रसिद्ध
गंगा आरती, घाटों का कायाकल्प, वाराणसी
की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक परंपराएं, बनारसी बुनकरों की कला, गुलाबी
मीनाकारी और स्थानीय शिल्प,
सुरक्षित, स्वच्छ और स्मार्ट मार्गदर्शन
व यातायात.
4500 करोड़ का आर्थिक इकोसिस्टम, काशी को मिला ‘डबल इंजन’ का लाभ
विश्वनाथ धाम के उद्घाटन
के बाद काशी का
पर्यटन आधारित कारोबार ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच
गया। चढ़ावा, होटल-टूरिज्म, ट्रांसपोर्ट,
फूड एंड क्राफ्ट मार्केट,
रियल एस्टेटकृसभी सेक्टरों में उछाल दिखा।
रोजगार
वृद्धि
(अनुमानित
औसत)
·
पर्यटन
क्षेत्र : 45 फीसदी वृद्धि
·
घाट
प्रबंधन : बढ़ा रोजगार
·
होटल
मालिकों की आय : 75 फीसदी
तक वृद्धि
·
दुकानदारों
की आय : 50 फीसदी वृद्धि
·
ई-रिक्शा चालकों की आय : 35 फीसदी
वृद्धि
·
टैक्सी
ऑपरेटर : 25 फीसदी तक वृद्धि
·
नाविक,
पूजन सामग्री, साड़ी व्यवसायी, मीनाकारी,
कारीगर : 55 फीसदी आय वृद्धि.
यह वृद्धि केवल
व्यावसायिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आस्था और सुविधाओं के
अनुकूलन का परिणाम है,
सुगम दर्शन से 99 फीसदी श्रद्धालु संतुष्ट पाए गए।
काशी बदल रही है भारत का पर्यटन भूगोल
चार वर्षों के
भीतर काशी विश्वनाथ धाम
ने आगरा और मथुरा
जैसे शहरों को पीछे छोड़
दिया है। पर्यटकों की
संख्या के मामले में
काशी देश की सबसे
अधिक विजिटेड धार्मिक नगरी बन चुकी
है। धार्मिक पर्यटन के इस उभार
से काशी के छोटे
दुकानदारों से लेकर होटलियर,
चालक, नाविक, बुनकर और कारीगर तककृहर
किसी की आर्थिक स्थिति
में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
अर्थव्यवस्था का इंजन
चार साल पहले
जब पीएम मोदी ने
धाम का लोकार्पण किया
था, उन्होंने कहा था, “यह
केवल धाम नहीं, काशी
के पुनर्जागरण का मार्ग है।”
आज ये आंकड़े उसी
पुनर्जागरण की कहानी कहते
हैं। धर्म और विकास
के संतुलित मॉडल ने काशी
को वह स्थान दिया
है, जो इसे आने
वाले वर्षों में केवल आध्यात्मिक
ही नहीं, बल्कि आर्थिक महाशक्ति बनाने की दिशा में
अग्रसर करता है। काशी
का विकास मॉडल, नव्य, भव्य, दिव्य, अब पूरे विश्व
के लिए एक आदर्श
बन रहा है।