Wednesday, 18 March 2020

कोरोना के कहर से एटलांटा का भी ‘कारपेट फेयर’ टला


कोरोना के कहर से एटलांटा का भीकारपेट फेयरटला 
800 करोड़ के कारोबार पर लगा ब्रेक, 25 से 29 अप्रैल तक होने वाला था दुनिया का सबसे बड़ा कारपेट फेयर
अब अप्रैल के बाद ही होगा नई तारीखों का ऐलान
सुरेश गांधी
वाराणसी। दुनियाभर में मौत का दुसरा नाम बन चुका कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से होता हुआ जानलेवा बना कोरोना वायरस अब पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। इसका सबसे ज्यादा असर उद्योग टूरिज्म पड़ रहा है। एक तरफ जहां इस कोरोना से उद्योग धंधे चौपट हो रहे है तो दुसरी तरफ लोगों का आवागमन भी ठप है। कोरोना के कहर से ही ऐशिया का सबसे बड़ा हाई प्वांइट कारपेट फेयर, जो एटलांटा में होता है, वह भी अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है। कारोबारियों की माने तो यह फेयर 25 से 29 अप्रैल तक आयोजित था। इस फेयर में जर्मनी, ब्राजील, हांगकांग, टर्की, फ्रांस सहित कई देशों के खरीदार पहुंचते थे। इस फेयर के टलने से तकरीबन 800 करोड का कारोबार प्रभावित होगा। अब यह फेयर 12 से 14 जून को होगा। यानी पांच दिन की जगह अब तीन का होगा। अब शनिवार से बुधवार तक होने वाला यह फेयर अब शुक्रवार से रविवार तक ही होगा।
कालीन निर्यात परिषद के प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता संजय गुप्ता ने बताया कि दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस के चलते दहशत का माहौल है। कारपेट फेयर में भाग लेने वाले खरीदार तो खौफ में है ही निर्यातक भी भयाक्रात है। अमेरिका के अटलांटा में होने वाले इस फेयर में इंडिया से करीब 100 निर्यातक भाग लेते थे। जबकि उससे अधिक अन्य देशों के विदेशी खरीदार पहुंचते हैं। कोरोना वायरस को देखते हुए अब वे यात्रा करने से डर रहे हैं। इसमें स्वास्थ्य के अलावा वीज़ा और उड़ानों की उपलब्धता जैसे अन्य मुद्दे भी हैं। कोरोना वायरस के कारण वर्तमान परिदृश्य को मद्देनजर रखते हुए परिषद् ने 40 वां इंडिया कारपेट एक्सपो को पहले से ही स्थगित किया हुआ है। परिषद  आने वाले समय मे स्थिति की समीक्षा करने के पश्चात् 30 अप्रैल, 2020 के बाद 40 वें इंडिया कारपेट एक्सपो की नई तारीखों की घोषणा करेगी। बता दें, चीन से कच्चे माल यानी सिल्क, धागा अन्य की सप्लाई ठप होने से उत्पादन पर भी खासा प्रभाव पड़ा है। मतलब साफ है कोरोना के आतंक से निर्यात और घरेलू उद्योग दोनों पर विपरीत असर होगा। कालीन निर्यातकों के मुताबिक विदेशी ग्राहकों ने नए आर्डरों को देना बंद तो किया ही है, पुराने आर्डरों को भी लेने से भी इंकार कर दिया है। इसे लेकर निर्यातकों में हड़कंप मच गया है। यूपी के भदोही-मिर्जापुर, आगरा, राजस्थान के जयपुर, पानीपत, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में बनने वाली कालीनें शत् प्रतिशत निर्यातपरक है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद की मानें तो कारपेट इंडस्ट्री को अब तक 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। बड़ी संख्या में सिर्फ आर्डर कैंसिल हो रहे हैं बल्कि खरीदारों ने भी भारत आने से मना कर दिया है। सीईपीसी के प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता के मुताबिक भारत सरकार ने कई देशों के खरीदारों का बीजा तो रद्द किया ही है, आयातकों ने भी भारत आने से मना कर दिया है।

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