Tuesday, 3 January 2023

आरईवीएम चुनाव आयोग की एक और क्रांति

आरईवीएम चुनाव आयोग की और क्रांति

मतदान को चुनाव आयोग लोकतांत्रिक बनाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटा है। देखा जाएं तो लोकतंत्र का हित भी इसी में है। खासकर तब इसकी महत्ता में चार चांद लगेगा जब घरेलू प्रवासी भी घर बैठे मतदान कर सकेंगे। इससे सिर्फ मतदान से दूर रहने की समस्या का समाधान होगा, बल्कि वोट प्रतिशत में भी इजाफा होगा। मतलब साफ है लोकतंत्र की मजबूती की दृष्टि से आयोग का पहल शानदार रहने वाला है। भारत की इस बड़ी पहल से सिर्फ दुनिया की चुनाव प्रक्रिया को एक नई रोशनी मिलेगी, बल्कि इससे भारत का लोकतंत्र अधिक सशक्त, निष्पक्ष एवं प्रभावी बनकर उभरेगा। जन प्रतिनिधित्व एवं सत्ता तक पहुंचने के रास्तों को अधिक कारगर, निष्पक्ष एवं बहुसंख्य मताधिकार पूर्ण बनाने में सहयोग मिलेगा। कहा जा सकता है रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरईवीएम) चुनावों के दौरान होने वाली सिर्फ धांधली पर नकेल कसेगा बल्कि उन घरेलू प्रवासियों के लिए वरदान साबित होगी, जो शिक्षा और रोजगार के सिलसिले में अपने चुनाव क्षेत्रों से बाहर रहते हैं। यह अलग बात है कि धांधली बूथ कैपचरिंग कर पाने वाले राजनेता या उनकी पार्टियां आज भी इवीएम का रोना रोते रहती है

सुरेश गांधी

हो जो भी सच तो यही है कि तमाम जागरुकता अभियान के बावजूद 60 से 65 फीसदी मतदान हो पाता है। या यूं कहे कई चुनाव क्षेत्रों में तकरीबन आधी आबादी की मतदान में सहभागिता नहीं हो पाती है। इसकी बड़ी वजह है कि अधिकांश मतदाता किसी किसी बीमारी, समस्या, शिक्षा या रोजगार आदि के सिलसिले में बाहर रहते है। लेकिन अब यदि आयोग मशीन को त्रुटिहीन बनाते हुए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरईवीएम) सिस्टम लागू किया तो यह चुनाव आयोग की क्रांतिकारी पहल कहलायेगी। या यूं कहे शत-प्रतिशत मतदान के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाबी मिलेगी। बता दें, किसी भी राष्ट्र के जीवन में चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण है। या यूं कहे लोकतंत्र की मजबूती का रीढ़ होता है। इसमें राष्ट्र के प्रत्येक मतदाता को अपना संविधान प्रदत्त नेता चुनने की आजादी होती है। यह तभी संभव है जब शत-प्रतिशत मताधिकार का प्रयोग हो, लेकिन इसे संयोग कहें या दुर्भाग्य 50 से 60 फीसदी मतदाता ही इस महायज्ञ में शामिल हो पाते है। लेकिन अब चुनावों के दौरान यह मशीन उन घरेलू प्रवासियों के लिए वरदान साबित होगी, जो शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के सिलसिले में अपने चुनाव क्षेत्रों से बाहर रहते हैं। आरईवीएम को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने के बाद जो प्रवासी जहां है, वहीं से मतदान कर सकेगा। निश्चित ही इसके लागू होने से मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा एवं लोकतंत्र में जनभागीदारी अधिकतम होने लगेगी।

चुनाव आयोग के मुताबिक अपने चुनाव क्षेत्रों से बाहर रहने के कारण करीब 30 करोड़ मतदाता मतदान से वंचित रह जाते हैं। शिक्षा या रोजगार की व्यस्तता के कारण उनके लिए अपने क्षेत्र में पहुंचकर मतदान करना सुविधाजनक नहीं होता। आरईवीएम के जरिए ऐसे मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल कर मतदान प्रतिशत बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी, जो भारतीय लोकतंत्र को अधिक सशक्त एवं प्रभावी बना सकेगा। चुनाव आयोग 16 जनवरी को नई दिल्ली में इस मॉडल का प्रदर्शन कर राजनीतिक पार्टियों से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करेगा। इसके बाद देश में चुनाव प्रक्रिया के एक और क्रांतिकारी कदम की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। इसी तरह की क्रांति की शुरुआत 1982 में हुई थी, जब केरल के एक विधानसभा क्षेत्र में पहली बार ईवीएम का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल किया गया था। जिस तरह ईवीएम ने चुनाव प्रक्रिया की तस्वीर बदली, उसी तरह का बड़ा बदलाव आरईवीएम का दौर शुरू होने के बाद देखने को मिलेगा। यह अलग बात है कि धांधली बूथ कैपचरिंग कर पाने वाले राजनेता या उनकी पार्टियां आज भी इवीएम का रोना रोते रहती है। और शायद यही ववज भी हो कि राजनीतिक पार्टियां आयेग के इस ऐतिहासिक फैसले पर नुख्ती-चीनी करे। मतलब साफ है आयोग को इस कड़े फैसले के लिए माता सीता जैसी इन राजनीतिक दलों के समक्ष अग्नि परीक्षा देनी पड़े। ठीक उसी तरह जैसे नोटबंदी मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोडऩे के दौरान हुआ था।

प्रस्ताव पर सवाल उठे थे, उसी तरह अब आरईवीएम को लेकर भी विपक्षी दल शंकाएं उठा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है,‘अगर विभिन्न क्षेत्रों की ईवीएम दूसरे स्थानों पर होंगी तो संदेह पैदा हो सकता है। इससे लोगों का चुनाव प्रणाली में भरोसा कमजोर होगा।दूसरी तरफ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने इसे शानदार पहल बताते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि आयोग यह सब लोकतांत्रिक तरीके से कर रहा है। लोकतंत्र का हित इसी में है कि घरेलू प्रवासियों के मतदान से दूर रहने की समस्या के समाधान के लिए नकारात्मक की बजाय सकारात्मक रवैया अपनाया जाए। मेरा माना है कि बूथ कैपचरिंग मतदाताओं को धमकी देकर बूथ तक पहुंचने देने शराब-शवाब नोटो का सब्जबाग दिखाकर मतदान को प्रभावित करने वाले नेता या उनकी पार्टी कभी नहीं चाहेंगे चुनाव प्रक्रिया साफ सुथरी हो। हालांकि 80 फीसदी मतदाता यही चाहता है कि चुनाव स्वच्छ हो। उसका कहना है कि आरईवीएम की शुरुआत से चुनाव प्रक्रिया की तस्वीर बदलेगी, मतदाता जहां ज्यादा जागरूक होगा, राजनीतिज्ञ भी ज्यादा समझदारी से चुनाव में हिस्सेदारी करेंगे।


भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. इसकी जनसंख्या भी काफी ज्यादा है लेकिन चुनावी रजिस्ट्रेशन और वोटर्स में बढ़ोतरी होने के बावजूद वोटिंग प्रतिशत में गिरावट एक मुख्य समस्या बनी हुई है. इसका कारण प्रवासी मतदाता हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 45.36 करोड़ भारतीय (37 प्रतिशत) प्रवासी हैं, जो काम या किसी अन्य कारण के चलते अपने घरेलू निर्वाचन क्षेत्र से दूर रह रहे हैं. हालांकि चुनाव आयोग के समक्ष ऐसे लोगों की पहचान करने में समस्या आड़े आयेगी जो बाहर रह रहे है या वहां मतदान केंद्र की स्थापना करना। लेकिन मेरा मानना है आयोग यदि ऑनलाइन वोटिंग सिस्टम कर दें तो समस्या काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए आयोग को चाहिए कि जिस तरह वह मतदान से पूर्व घर-घर पर्ची भेजती है उसी तरह बंद पर्ची के साथ लोगों को मतदान के लिए यूजर्स एवं पासवर्ड देकर मतदान की समयावधि सुनिश्चित कर दें और जो बाहर है वे अपना मतदान पहचान पत्र दिखाकर उस इलाके के बीएलओं या संबंधित मतदान कर्मी से यूजर्स एंड पासवर्ड हासिल कर लें। फिरहाल इस बड़ी बाधा को दूर करना चुनाव आयोग के सम्मुख एक बड़ी चुनौती होगी।

सिख नेता एवं व्यापारी नेता अजीत सिंह बग्गा कहना है कि जनतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पहलू चुनाव है, जनतंत्र में स्वस्थ मूल्यों को बनाये रखने के साथ उसमें सभी मतदाताओं की सहभागिता को सुनिश्चित करना जरूरी है। इसके लिये आरईवीएम के प्रयोग का प्रस्ताव सैद्धांतिक तौर पर एक सराहनीय एवं जागरूक लोकतंत्र की निशानी है। क्योंकि आजादी के बाद से ही जितने भी चुनाव हुए है, उनमें लगभग आधे मतदाता अपने मत का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, ऐसा हर चुनाव में होता आया है। इसलिए लंबे समय से मांग उठती रही थी कि ऐसे लोगों के लिए मतदान का कोई व्यावहारिक एवं तकनीकी उपाय निकाला जाना चाहिए। उसी के मद्देनजर निर्वाचन आयोग के द्वारा घरेलू प्रवासियों के लिए आरवीएम का प्रस्ताव एक सूझबूझभरा एवं दूरगामी सोच एवं विवेक से जुड़ा उपक्रम है। जरूरत है राजनीतिक दल ऐसे अभिनव उपक्रम का विरोध करने या अवरोध खड़ा करने की बजाय उसका अच्छाइयों को स्वीकार करते हुए स्वागत करें। चुनाव आयोग को चाहिए कि ईवीएम की तरह आरवीएम में भी होने वाले भ्रम को दूर कर इसे भी पारदर्शी बनाने की पहल करें। आरवीएम को भी ईवीएम की तरह भरोसेमंद बनाना होगा।

सबसे बड़ा विरोध कांग्रेस की ओर से इसके भरोसेमंद एवं निष्पक्ष होने के लेकर है, जाहिर है, कांग्रेस के साथ-साथ दूसरे दलों की तरफ से भी ऐसे एतराज उठने की संभावना है। मगर यह प्रस्ताव अगर किन्हीं वजहों से व्यावहारिक रूप नहीं ले पाता, तो ऐसे करोड़ों लोगों का मताधिकार फिर अंधेरों में रहेगा। तमाम अपीलों और जागरूकता अभियानों के बावजूद हर चुनाव में कई निर्वाचन क्षेत्रों में पचास प्रतिशत से भी कम मतदान हो पाता है। इस तरह जन प्रतिनिधित्व का मकसद ही अधूरा हो जाता है। इसे दूर करना जितना निर्वाचन आयोग का नैतिक और संवैधानिक दायित्व है, उतना ही राजनीतिक दलों को भी इसे सुनिश्चित करने में अपनी सकारात्मक पहल करनी चाहिए। 

अब प्रवासी वोटर्स भी दे सकेंगे वोट

बता दें, चुनाव आयोग घरेलू प्रवासी वोटर्स के लिए नई सुविधा शुरू करने जा रहा है. इसके तहत अब चुनाव के दौरान प्रवासी मतदाताओं को वोट डालने के लिए गृह राज्य जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. चुनाव आयोग इसके लिए रिमोट वोटिंग सिस्टम शुरू करने जा रहा है. इसके लिए चुनाव आयोग ने दूरस्थ ईवीएम का प्रोटोटाइप तैयार किया है. योग ने 16 जनवरी को सभी पार्टियों के लिए इसका लाइव डेमो भी रखा है. चनाव आयोग के मुताबिक घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए मल्टी कॉन्सिट्यूएंसी रिमोट ईवीएम तैयार की है. यह एक सिंगल रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों को संभाल सकती है. इसके अंतर्गत यानी रिमोट वोटिंग सिस्टम से कहीं से भी मतदाता वोट डाल सकेंगे। इसकी मदद से प्रवासी मतदाताओं को वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अपने गृह राज्य आने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन

यह मौजूदा ईवीएम का ही मॉडिफाइड वर्जन है. इसकी मदद से अब प्रवासी दूर रहकर भी अपने घरेलू निर्वाचन क्षेत्र के चुनावों में वोट डाल सकेंगे. चुनाव आयोग अब एक बहु-निर्वाचन क्षेत्र आरवीएम को पायलट करने के लिए तैयार है जिसमें रिमोट कंट्रोल यूनिट, रिमोट बैलट यूनिट, रिमोट वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल, निर्वाचन क्षेत्र कार्ड रीडर, पब्लिक डिस्प्ले कंट्रोल यूनिट और रिमोट सिंबल लोडिंग यूनिट शामिल हैं. इसकी मदद से रिमोट पोलिंग बूथ पर 72 निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाला जा सकेगा. ’रिमोट कंट्रोल यूनिटहर एक निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्येक उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं ये रिकॉर्ड करेगी, जो गृह रिटर्निंग अधिकारियों के साथ शेयर किए जाएंगे. प्रवासी मतदाताओं को मतदान के दिन अपने वर्तमान निवास स्थान से अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र में अपने वोट डालने की सुविधा देगा. चुनाव आयोग चुनाव से पहले प्रवासी मतदाताओं को अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र आरओ में ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करके वोट डालने के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा. वोटर की डिटेल्स को गृह निर्वाचन क्षेत्र में वेरीफाई किया जाएगा. वेरिफिकेशन के बाद प्रवासी को रिमोट वोटर की केटेगरी में डाल दिया जाएगा. यह एक स्टैंडअलोन, नॉन-नेटवर्क सिस्टम है जिसमें मौजूदा ईवीएम जैसी ही सुरक्षा फीचर्स हैं और इसकी मदद से प्रवासी उसी प्रकार वोट डाल पाएंगे जैसे वह ईवीएम का इस्तेमाल कर डालते हैं. चुनाव आयोग ने इसे दो पब्लिक सेक्टर्स की यूनिट के साथ मिलकर तैयार किया है, जिसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) शामिल हैं.

चुनाव आयोग की चिंता

आयोग के मुताबिक 2019 के आम चुनाव में वोटर टर्नआउट 67.4 फीसदी था। 30 करोड़ से ज्यादा वोटर्स ने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। चिंता की बात यही है। आयोग ने कहा, “वोटर नई जगह जाने पर कई वजहों के चलते वोटिंग रजिस्ट्रेशन नहीं करवाता और वोटिंग नहीं कर पाता। घरेलू प्रवासियों का वोटिंग करने में असमर्थ होना चिंताजनक था। इसलिए त्टड का प्लान बनाया गया।

आगामी चुनावों में हो सकता है ट्रायल

2023 में जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव भी होंगे। जिन राज्यों में चुनाव हैं उनमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और राजस्थान शामिल हैं। हालांकि आरवीएम सिस्टम का लागू होने डेमो, राजनीतिक दलों और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े लोगों की राय पर निर्भर करता है।

क्या है आरवीएम

आरवीएम अनिवार्य रूप से ईवीएम ही है, लेकिन इसमें नियमित बैलट यूनिट के बजाय एक इलेक्ट्रॉनिक डायनेमिक बैलट यूनिट, बैलट यूनिट ओवरले डिस्प्ले यानी बीयूओडी होता है। इसमें रिमोट बैलट यूनिट - केबल द्वारा पीठासीन अधिकारी की टेबल पर रिमोट कंट्रोल यूनिट यानी आरसीयू से जुड़ा होता है। रिमोट बैलट यूनिट उस निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवारों के नामों को दिखाता है। इसे बारकोड आधारितकांस्टीट्यूएंसी कार्ड रीडरयानी सीसीआर द्वारा चलाया जाएगा जो पीठासीन अधिकारी के पास रहेगा। यह सीसीआर रिमोट मतदाता के निर्वाचन क्षेत्र की संख्या को पढ़ेगा, इसे पब्लिक डिस्प्ले कंट्रोल यूनिट और आरबीयू पर एक साथ दिखाएगा। और इसके बाद रिमोट मतदाता हमेशा की तरह पसंदीदा उम्मीदवार के सामने बटन दबाकर मतदान कर सकता है। इसे रिमोट वीवीपैट पर भी सत्यापित किया जा सकता है जो निर्वाचन क्षेत्र संख्या और राज्य कोड के साथ एक पर्ची भी दिखाएगा। मतगणना के दिन रिमोट वोट की गिनती ईवीएम कीरिमोटकंट्रोल यूनिट यानी आरसीयू द्वारा की जाएगी जो प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए उम्मीदवार-वार कुल वोट दिखाएगी। इसके बाद यह परिणाम रिमोट आरओ द्वारा गृह निर्वाचन क्षेत्र आरओ के साथ साझा किया जाएगा।

रिमोट वोटिंग से फायदे

- सबसे बड़ा फायदा, आप जिस जगह पर हैं, वहां से ही वोट डाल सकते हैं। जो लोग पढ़ाई या नौकरी के चलते बाहर हैं, उनके लिए यह क़दम बहुत फायदेमंद होगा।

- लड़कियां तो शादी के बाद ससुराल चली जाती हैं, लेकिन उनका वोट अक्सर मायके में ही रह जाता है। उन्हें या तो अपना चुनाव क्षेत्र बदलना पड़ता है या फिर वोट मिस करना पड़ता है। रिमोट वोटिंग से यह परेशानी ख़त्म हो सकती है।

- कामकाजी वर्ग भी सिर्फ एक दिन के लिए अपने घर नहीं जा सकता। हर बार वोटिंग डे के आसपास छुट्टी मिलना संभव भी नहीं होता। लिहाजा, नौकरीपेशा व्यक्ति को अब इस झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।

- चुनाव आयोग की एक परेशानी वोटर्स का आलस भी रहा है, कि कौन एक दिन के लिए घर जाए और वोट डाले। अब अगर वोटर्स के पास बगल के ही रिमोट पोलिंग बूथ से अपने होमटाउन का नेता चुनने की सुविधा होगी, तो उनमें वोटिंग के प्रति पॉजिटिव अप्रोच देखने को मिल सकती है।

- चुनाव आयोग के अनुसार, हर तीन में से एक वोटर अपना वोट नहीं देता। रिमोट वोटिंग फैसिलिटी से वोटर टर्नआउट में सुधार होगा। चुनाव प्रक्रिया में मतदाताओं की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।

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