ज्ञानवापी परिसर की एएसआई सर्वे रिपोर्ट में हिन्दू मंदिर होने के कई साक्ष्य मिले
ज्ञानवापी : अयोध्या की तरह काशी के ज्ञानवापी में भी मिला मंदिर का ढांचा
17वीं शताब्दी में
तोड़ा
गया
था
मंदिर
जिला जज
की
अदालत
ने
सील
वजूखाने
को
छोड़कर
पूरे
ज्ञानवापी
परिसर
की
सर्वे
रिपोर्ट
सार्वजनिक
की
हिंदू पक्ष
ने
खुशी
जताई
है,
जबकि
मुस्मिल
पक्ष
ने
कानूनी
लड़ाई
को
आगे
बढ़ाने
की
बात
कही
है
ज्ञानवापी परिसर
के
एएसआई
सर्वे
रिपोर्ट
को
मुकदमे
के
पांच
वादियों
को
दिया
गया
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी
परिसर की भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट
गुरुवार की देर शाम
को जिला जज डॉ अजय
कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने
सार्वजनिक कर दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी
में मंदिर का ढ़ावा मिला
है। इस पर हिंदू
पक्ष ने खुशी जताई
है। उनका कहना है कि बाबा
मिल गए हैं। सर्वे
रिपोर्ट से सब कुछ
साफ हो गया। मंदिर
तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता
चल गया। अब हिंदुओं को
पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी
चाहिए। दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष
ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने
का एलान किया है।
गुरुवार को ज्ञानवापी मामले
से जुड़े पांच लोगों को एएसआई की
रिपोर्ट की हार्ड कॉपी
मिली है। देर रात नौ बजे के
बाद सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद हिंदू
पक्ष के वकील विष्णु
शंकर जैन ने बताया कि
मंदिर तोड़ कर बनाई मस्जिद
गयी है। हिंदू मंदिर होने का दावा करते
हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा ढांचे
के निर्माण से पहले वहां
एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह एएसआई सर्वे
का निर्णायक निष्कर्ष है। एएसआई ने ये पाया
है कि हिन्दू मंदिर
का स्ट्रक्चर 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है और मस्जिद
बनाने में मलबे का उपयोग किया
गया है। तहखाना में अरधा, के अलावा दीवार
पर त्रिशूल की आकृति मौजूद
है। इसके अलावा हनुमान, गणेश की खंडित मूर्तियां
भी मिली है। मस्जिद में औरंगजेब काल का शिलापट्ट भी
मिला है। शिलापट्ट फारसी में लिखा हुआ है। पश्चिमी दीवार नागर शैली में बनी है। 5000 साल के पहले का
है दीवार निर्माण दो तहखानों में
हिन्दू देवी-देवताओं का मलबा मिला
है। एएसआई की रिपोर्ट में
ये पाया गया है कि मस्जिद
की पश्चिमी दीवार एक हिन्दू मंदिर
का भाग है। पत्थर पर फारसी में
मंदिर तोड़ने में आदेश और तारीख मिली
है। महामुक्ति मंडप लिखा पत्थर भी मिला है।
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि
वजू खाने के सर्वे के
लिए मांग करेंगे। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु
जैन ने रिपोर्ट के
हवाले से बताया कि
रिपोर्ट में कहा गया कि ज्ञानवापी की
पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का हिस्सा है।
अंदर के पिलर भी
हिंदू मंदिर के खंभे थे,
जिन्हें बाद में बदल गया है।
उन्होंने दावा किया कि एसएसआई
के मुताबिक वर्तमान जो ढांचा है
उसकी पश्चिमी दीवार पहले के बड़े हिंदू
मंदिर का हिस्सा है.
यहां पर एक प्री
एक्जिस्टिंग स्ट्रक्चर है उसी के
ऊपर बनाए गए. मस्जिद के पिलर्स और
प्लास्टर को थोड़े से
मोडिफिकेशन के साथ मस्जिद
के लिए के लिए फिर
से इस्तेमाल किया गया है. हिंदू मंदिर के खंभों को
थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के
लिए इस्तेमाल किया गया. पिलर के नक्काशियों को
मिटाने की कोशिश की
गई. यहां पर 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं जो पुराने हिंदू
मंदिर के हैं. देवनागरी
ग्रंथतेलुगू कन्नड़ के शिलालेख मिले
हैं. हिंदू पक्ष वकील ने दावा किया
कि महामुक्ति मंडप यह बहुत ही
महत्वपूर्ण शब्द है जो इसके
शिलालेख में मिला है. सर्व.के दौरान एक
पत्थर मिला शिलालेख मिला जिसका टूटा हुआ हिस्सा पहले से ।ैप् के
पास था. पहले के मंदिर के
पिलर को दोबारा से
इस्तेमाल किया गया है. तहखाना में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली
हैं, जिन्हें तहखाना के नीचे मिट्टी
से दवा दिया गया था. पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का ही हिस्सा
है यह पूरी तरीके
सेस्पष्ट है. 17वीं शताब्दी में हिंदू मंदिर को तोड़ा गया
और इसके विध्वंस किए हुए मलबे से ही वर्तमान
ढांचे को बनाया गया.
मंदिर के पिलर को
रेस्क्यू किया गया है।
हार्डकापी मिली
क्या
है पूरा मामला
ज्ञानवापी
मामले में अदालत ने एएसआई के
निदेशक को चार अगस्त
तक सर्वे के संबंध में
रिपोर्ट देने का आदेश दिया
था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट गया। जिसके बाद दोबारा चार अगस्त 2023 से सर्वे शुरू
हुआ, जो दो नवंबर
तक पूरा हो सका। 18 दिसंबर 2023 को
सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी।
इसके बाद से ही हिंदू
पक्ष रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर
रहा था। हिंदू पक्ष का कहना था
कि सर्वे में हिंदू पक्ष की दलीलों को
माना गया है। आज इस सर्वे
रिपोर्ट के कुछ अंश
सामने आए हैं जिन्होंने
एक बार अयोध्या फैसले की याद दिला
दी है। सर्वे में इस बात का
दावा किया गया है कि मस्जिद
के पहले यहां मंदिर था और उसकी
संरचना के सबूत प्राप्त
हुए हैं। हिंदू पक्ष ने आवेदन के
निस्तारण पर बल दिया
तो मसाजिद कमेटी ने आपत्ति के
लिए समय मांगा और 14 जुलाई की तिथि सुनवाई
के लिए नियत की गई। सुनवाई
के दौरान केंद्र सरकार की ओर से
अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव भी अदालत में
मौजूद रहे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने
के बाद जिला जज की अदालत
ने 14 जुलाई को आदेश के
लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी।
शुक्रवार को अपराह्न बाद
जिला जज की अदालत
ने मसाजिद कमेटी की आपत्ति को
खारिज करते हुए हिंदू पक्ष का आवेदन स्वीकार
करते हुए एएसआई से सर्वे का
आदेश दिया था।
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