अपहरण मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह दोषी करार, आज होगी सजा पर सुनवाई
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का अपहरण कराने, रंगदारी मांगने, षड्यंत्र तथा गालियां और धमकी देने का है आरोप
धनंजय सिंह
व
उनके
सहयोगी
संतोष
विक्रम
है
दोषी
सुरेश गांधी
जौनपुर। पूर्व
सांसद धनंजय सिंह की मुश्किलें
एक बार फिर बढ़
गई हैं। मंगलवार को
जौनपुर के लाइन बाजार
थाना क्षेत्र के 10 मई 2020 को हुए अभिनव
सिंघल के अपहरण के
मामले में पूर्व सांसद
धनंजय सिंह व संतोष
विक्रम को अपर सत्र
न्यायाधीश शरद त्रिपाठी ने
दोषी करार दिया गया
है। इस मामले में
सजा को लेकर 5 मार्च
को सुनवाई होगी।
मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को थाना लाइनबाजार
में अपहरण रंगदारी व अन्य धाराओं
में धनंजय सिंह व उनके
साथी विक्रम पर मुकदमा दर्ज
कराया था। आरोप लगाया
था कि संतोष विक्रम
दो साथियों के साथ वादी
का अपहरण कर पूर्व सांसद
के आवास पर ले
गए थे। वहां धनंजय
सिंह पिस्टल लेकर आए और
गालियां देते हुए वादी
को कम गुणवत्ता वाली
सामग्री की आपूर्ति करने
के लिए दबाव बनाए।
इंकार करने पर धमकी
देते हुए रंगदारी मांगी।
मुकदमा होने के बाद
इस मामले में पूर्व सांसद
गिरफ्तार हुए और बाद
में जमानत उच्च न्यायालय इलाहाबाद
से हुई। पिछली तारीख
पर धनंजय व संतोष विक्रम
ने आरोप मुक्ति प्रार्थना
पत्र दिया था। इसमें
कहा था कि वादी
पर दबाव डालकर मुकदमा
दर्ज करवाया गया। उच्चाधिकारियों के
दबाव में कोर्ट में
केस डायरी दाखिल की गई। वादी
ने पुलिस को दिए बयान
व धारा 164 के बयान में
घटना का समर्थन नहीं
किया है।
शासकीय अधिवक्ता ने लिखित आपत्ति
किया कि वादी की
लिखित तहरीर पर मुकदमा दर्ज
हुआ। सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, व्हाट्सएप मेसेज, गवाहों के बयान के
आधार पर आरोपियों के
खिलाफ अपराध साबित है। वादी पर
मुकदमा वापस लेने का
दबाव बनाया गया। कोर्ट ने
दोनों पक्षों की दलील सुनने
के बाद आरोपियों का
प्रार्थना पत्र निरस्त कर
दिया था। अगली तिथि
पर दोनों आरोपी न्यायालय में उपस्थित हुए
और आरोप तय हुआ
था। कोर्ट ने वादी अभिनव
को गवाही के लिए तलब
किया था।
धनंजय पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं
सांसद धनंजय सिंह का राजनीतिक
सफर काफी मुश्किलों भरा
रहा है। वह 2002 में
पहली बार रारी विधानसभा
से निर्दलीय विधायक चुने गए। दुबारा
2007 के आम चुनाव में
लोजपा के टिकट पर
विधानसभा पहुंचे। धनंजय सिंह 2009 में बसपा के
टिकट पर चुनाव जीते।
2009 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रिक्त
हुई विधानसभा सीट पर अपने
पिता राजदेव सिंह को खड़ा
किया और जितवाने में
सफल रहे। तत्कालीन सपा
महासचिव अमर सिंह से
मुलाकात के बाद 21 सितंबर
2011 को बसपा ने धनंजय
सिंह को पार्टी से
निलंबित करने का ऐलान
कर दिया था। निलंबन
का सांसद ने खुला विरोध
किया। इस बीच 26 सितंबर
को सीबीसीआईडी ने बेलांव घाट
के डबल मर्डर की
दोबारा जांच शुरू कर
दी। 20 नवंबर को सांसद की
बसपा में वापसी हो
गई। 11 दिसंबर 2011 को सांसद को
बेलांव घाट के दोहरे
हत्याकांड में गिरफ्तार कर
लिया गया। यह गिरफ्तारी
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले
की गई। पुलिस ने
गैंगस्टर भी तामील करा
दिया। विधानसभा चुनाव बीतने के बाद मार्च
में उच्च न्यायालय से
जमानत हुई। वर्ष 2012 में
विधानसभा के आम चुनाव
में मल्हनी विधानसभा क्षेत्र से अपनी पत्नी
डॉ. जागृति सिंह को निर्दल
प्रत्याशी के रूप में
उतारा। उन दिनों वह
जेल में थे। चुनाव
में सपा उम्मीदवार और
मौजूदा उद्यान मंत्री पारसनाथ यादव से डॉ.
जागृति का मुकाबला हुआ।
सांसद के जेल में
होने के बावजूद डॉ.
जागृति सिंह को 50,100 वोट
मिले। जबकि विजयी प्रत्याशी
पारसनाथ यादव को 81, 602 मत
मिले। 17 जनवरी, 2013 को बक्शा के
पूरा हेमू निवासी अनिल
मिश्रा हत्याकांड में सांसद के
खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
तत्कालीन एसपी मंजिल सैनी
ने विवेचना कराई तो पता
चला कि मर्डर अनिल
मिश्रा के गोल के
लोगों ने ही कराया
था। इस पर पुलिस
ने सांसद को क्लीनचिट दे
दी थी।
पुलिस ने मुठभेड़ में मारने का किया था दावा
पूर्व सांसद धनंजय सिंह की कहानी
बिल्कुल फिल्मी है। 1998 तक धनंजय का
नाम लखनऊ से लेकर
पूर्वांचल तक जरायम जगत
में सुर्खियों में आ चुका
था और उन पर
पुलिस की ओर से
50 हजार का इनाम घोषित
हो चुका था। अक्टूबर
1998 में पुलिस ने बताया कि
50 हजार के इनामी धनंजय
सिंह तीन अन्य बदमाशों
के साथ भदोही-मिर्जापुर
रोड पर स्थित एक
पेट्रोल पंप पर डकैती
डालने आए थे। पुलिस
ने दावा किया कि
मुठभेड़ में धनंजय सहित
चारों बदमाश मारे गए हैं।
हालांकि धनंजय जिंदा थे और भूमिगत
हो गए थे। फरवरी
1999 में धनंजय पुलिस के सामने पेश
हुए तो भदोही की
फर्जी मुठभेड़ का पर्दाफाश हुआ।
धनंजय के जिंदा सामने
आने पर मानवाधिकार आयोग
ने जांच शुरू की
और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे
34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज
हुए।
ऐसा रहा सफर
जौनपुर जिले के बनसफा
में सामान्य परिवार में जन्मे धनंजय
ने जौनपुर के टीडी कॉलेज
से छात्र राजनीति की शुरुआत की।
इसके बाद लखनऊ विश्विद्यालय
में मंडल कमीशन का
विरोध कर धनंजय ने
अपनी छात्र राजनीति को धार दी।
लखनऊ विश्विद्यालय में ही बाहुबली
अभय सिंह के संपर्क
में धनंजय आए और फिर
हत्या, सरकारी ठेकों से वसूली, रंगदारी
जैसे मुकदमों में नाम आने
की वजह से धनंजय
सुर्खियों में रहे। 2002 आते-आते धनंजय सिंह
और उनके बाहुबली दोस्त
अभय एक-दूसरे के
खिलाफ हो गए। नतीजतन,
अक्टूबर 2002 में बनारस से
जा रहे धनंजय के
काफिले पर नदेसर में
टकसाल टॉकीज के सामने गोलीबारी
हुई। नदेसर के लोगों ने
देखा था कि दोनों
तरफ से जमकर गोलियां
चली थीं। इस गोलीबारी
में धनंजय के गनर सहित
चार लोग घायल हुए
थे। प्रकरण को लेकर धनंजय
ने कैंट थाने में
अभय सिंह के खिलाफ
मुकदमा दर्ज कराया था।
बताते हैं कि 2002 में
जौनपुर में विनोद नाटे
नाम के एक बाहुबली
नेता हुआ करते थे।
विनोद को कुख्यात मुन्ना
बजरंगी का भी गुरू
कहा जाता है। विनोद
नाटे ने रारी विधानसभा
से चुनाव जीतने के लिए खासी
मेहनत की थी। इसी
बीच सड़क दुर्घटना में
विनोद की मौत हो
गई। इसके बाद धनंजय
ने विनोद की तस्वीर को
अपनी राजनीति का सहारा बनाया
और जगह-जगह उनका
जिक्र कर लोगों की
संवेदनाएं बटोरते हुए 2002 में वह रारी
से निर्दलीय विधायक बने। 2007 में धनंजय ने
जनता दल यूनाइटेड के
विधायक के तौर पर
जीत दर्ज की। 2008 में
धनंजय बहुजन समाज पार्टी में
शामिल हो गए और
2009 में बसपा के टिकट
पर जौनपुर से सांसद चुने
गए। 2011 में बसपा सुप्रीमो
मायावती ने उन्हें पार्टी
विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने
के आरोप में बाहर
का रास्ता दिखा दिया। 2012 के
विधानसभा चुनाव में धनंजय ने
अपनी पूर्व पत्नी डॉ. जागृति को
निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर
मल्हनी से उतारा लेकिन
वह हार गईं। 2014 में
जौनपुर से लोकसभा और
2017 में मल्हनी सीट से निषाद
पार्टी से विधानसभा चुनाव
में धनंजय ने किस्मत आजमाई
लेकिन सफलता नहीं मिली। धनंजय
सिंह का निजी जीवन
भी उथलपुथल भरा रहा और
उन्होंने तीन शादियां कीं।
उनकी पहली पत्नी ने
शादी के नौ महीने
बाद ही आत्महत्या कर
ली थी। दूसरी पत्नी
डॉ. जागृति सिंह घरेलू नौकरानी
की हत्या के आरोप में
नवंबर 2013 में गिरफ्तार हुई
थीं। इस मामले में
सबूत मिटाने के आरोप में
धनंजय भी नामजद हुए
थे। हालांकि बाद में जागृति
से उनका तलाक हो
गया। 2017 में धनंजय ने
दक्षिण भारत के एक
बड़े कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने
वाली श्रीकला रेड्डी से पेरिस में
तीसरी शादी रचाई।
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