वैश्विक स्तर पर नया आकार ले रहा है भारत का सांस्कृतिक वैभव
महाकुंभ 2025 के कुंभ कॉन्क्लेव के आयोजन में विद्वानों ने रखे अपने विचार
कुंभ कॉन्क्लेव
की
थीम
’महाकुम्भ
: अमूर्त
संस्कृत
धरोहर,
भारतीय
दर्शन
और
परंपरा
में
वैश्विक
शांति
के
सूत्र’
25 से 27 अक्टूबर को
प्रयागराज
में
होगा
कुंभ
कांक्लेव
का
आयोजन
सुरेश गांधी
वाराणसी। अगले साल जनवरी 2025 में प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन होने वाला है। 45 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में संस्कृति, इतिहास का उत्सव, एआर व वर्चुअल रियलिटी के जरिए महाकुंभ की विशेषताएं दिखाई जाएंगी। इसमें काशी की सांस्कृतिक विरासत व संस्कृति की झलक देखने को मिलगी। इसकी तैयारियां शुरु हो गयी है। इंडिया थिंक काउंसिल द्वारा विश्व भर में आयोजित किए जा रहे कुंभ कॉन्क्लेव के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को भी संस्थागत भागीदार के रूप में सम्मिलित किया गया है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित वैदिक विज्ञान केंद्र में गुरुवार को आयोजित कुंभ कॉन्क्लेव की थीम ’महाकुम्भ : अमूर्त संस्कृत धरोहर, भारतीय दर्शन और परंपरा में वैश्विक शांति के सूत्र’ विषयक संगोष्ठी में मंदिर प्रशासन की तरफ से भी प्रस्ताव रखा गया है।
कुंभ कॉन्क्लेव भारत
के सबसे प्रतिष्ठित संवादों
में से एक है,
जिसे 2019 के प्रयागराज कुंभ
के दौरान प्रयागराज कुंभ मेला प्राधिकरण
और उत्तर प्रदेश पर्यटन के सहयोग से
शुरू किया गया था।
उत्तर प्रदेश पर्यटन और प्रयागराज मेला
प्राधिकरण कुंभ 2019, प्रयागराज और कुंभ हरिद्वार
2021 के दौरान प्रमुख कार्यक्रम भागीदार थे। इसी क्रम
में इस वर्ष भी
25 विभिन्न महानगरों एवम 7 विदेशी स्थलों में कुंभ कॉन्क्लेव
आयोजित किए जा रहे
हैं। यह आयोजन भारत
सरकार के पर्यटन एवम
संस्कृत मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मार्थ कार्य
विभाग, संस्कृत विभाग एवम पर्यटन विभाग
द्वारा भारत के अग्रणी
वैश्विक थिंक टैंक संस्थान
इंडिया थिंक काउंसिल के
माध्यम से किया जा
रहा है। आज काशी
कुंभ कॉन्क्लेव का आयोजन इसी
उपक्रम का महत्वपूर्ण घटक
है।
गोष्ठी की शुरुवात सायं
02ः30 बजे दीप प्रज्जवलन
व स्वस्तिवाचन मंत्रोच्चार से किया गया।
इसके बाद वैदिक विज्ञानं
केंद्र के संयोजक, प्रो
उपेन्द्र त्रिपाठी द्वारा सभा की औपचारिक
शुरुवात की गयी। तदोपरांत
गोष्ठी के मुख्य बिन्दुओं
पर इंडिया थिंक काउंसिल के
डायरेक्टर सौरभ पाण्डेय द्वारा
परिचयात्मक उद्बोधन प्रस्तुत किया गया। पहला
कीनोट संबोधन केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन
संस्थान के कुलपति प्रो
वांगचुक दोरजी नेगी, दूसरा कीनोट संबोधन श्री कशी विश्वनाथ
मंदिर के संयुक्त निदेशक,
धर्मार्थ कार्य विभाग एवं मुख्य कार्यपालक
अधिकारी विश्व भूषण मिश्र व
एवं तीसरा कीनोट संबोधन काशी हिंदू विश्वविद्यालय
भारत अध्ययन केंद्र के संयोजक प्रो
सदाशिव द्विवेदी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
तत्पश्चात काशी कुंभ कॉन्क्लेव
गोलमेज सम्मेलन को विषय विशेषज्ञों
द्वारा संबोधित किया गया। प्रो
गिरिजा शंकर शास्त्री, आचार्य,
ज्योतिष विभाग, काहिंविवी, प्रो
कमलेश झा, पूर्व संकायाध्यक्ष,
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान’ एवं
प्रो दिनेश चंद्र राय, कुलपति, डॉ
बी आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय,
मुजफ्फरपुर, बिहार’ द्वारा विशेषज्ञ संबोधन प्रस्तुत किए गए। तत्पश्चात
सभा की अध्यक्षता कर
रहे ’प्रो आनंद कुमार
त्यागी, कुलपति, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी’
द्वारा अध्यक्षीय संबोधन दिया गया। अंत
में गोष्ठी का समापन ’प्रो
ब्रज भूषण ओझा, न्यास
सदस्य, श्री काशी विश्वनाथ
मंदिर’ के धन्यवाद ज्ञापन
के साथ संपन्न हुआ।
सभा का संचालन इंडिया
थिंक काउंसिल के निदेशक श्री
सौरभ पाण्डेय ने किया।
इस दौरान वक्ताओं
ने कहा कि भारत
का सांस्कृतिक वैभव वैश्विक स्तर
पर नया आकार ले
रहा है। भारतीय सनातन
संस्कृति, सभ्यता और परम्पराएं विश्व
में सबसे अधिक प्राचीन
मानी जाती है। भारतीय
संस्कृति को विश्व की
अन्य संस्कृतियों की जननी भी
माना गया है। भारत
की संस्कृति और सभ्यता आदि
काल से ही अपने
परम्परागत अस्तितिव के साथ अजर
अमर बनी हुई है।
भारत में गीत संगीत,
नाटक परम्परा, लोक परम्परा, धार्मिक
संस्कार, अनुष्ठान, चित्रकारी और लेखन के
क्षेत्र में एक बहुत
बड़ा संग्रह मौजूद है जो मानवता
की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में
जाना जाता है। इसे
संजोने, संवारने और निखारने का
महती प्रयास हाल ही के
समय में बहुत मजबूती
के साथ किया जा
रहा है। विशेष रूप
से पिछले एक दशक में
भारत की संस्कृति के
प्रचार प्रसार के लिए निरंतर
प्रयास किए गए हैं
जिससे न केवल विश्व
के लोगों को देश के
माटी की सौंधी खुशबू
मिली है बल्कि पूरी
दुनिया भारतीय संस्कृति को जानने एवं
समझने का प्रयास भी
कर रही है। भारत
का अतीत वर्तमान से
भी सुंदर एवं प्रभावशाली रहा
है।
तैयारियां तेज
इस बार कुंभ
मेले में 75 देशों के अलावा भारत
के कोने कोने से
50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं
के आने का अनुमान
है। 30 भव्य गेट थीम
आधारित बनेंगे और 20 स्टॉल हस्तकला व शिल्प के
लगेंगे। साथ ही कुंभ
मेले में 14 रत्नों के कथा पर
आधारित द्वार भी होंगे। इसी
कड़ी में यहां आध्यात्म
व संस्कृति के मेगा शो
केस के तौर पर
संस्कृति ग्राम बसाया जाएगा। 5 एकड़ में बसने
वाले इस ग्राम में
45 दिनों तक विभिन्न आयोजन
चलेंगे जिसमें सनातन परंपरा की झलक श्रद्धालुओं
को देखने को मिलेगी। संस्कृति
ग्राम में ऑग्मेंटेड रियलिटी(एआर) व वर्चुअल
रियलिटी (वीआर) के जरिए महाकुंभ
के विभिन्न सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक पहलुओं
को दर्शाया जाएगा। मेला क्षेत्र में
30 भव्य थीम आधारित गेट
का भी निर्माण होगा
जो कि त्रिशूल, स्वास्तिक,
कल्पवृक्ष, डमरू समेत विभिन्न
आध्यात्मिक संकल्पनाओं पर आधारित होगा।
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