राष्ट्र रक्षा कट्टरता नहीं दृढ इच्छा शक्ति से होगी : रितेश्वरजी महराज
सच्चे ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने के लिए लोगों को आध्यात्म से जुड़ने की जरुरतसुरेश गांधी
वाराणसी। शहर के पहड़िया
स्थित नंदगांव में काशी पहंचे
वृंदावन के श्री आनंदम
धाम ट्रस्ट के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर
महाराज ने सैकड़ों सनातनियों
को गर्व से जीने
की राह बतायी। उन्होंने
अपने प्रवचन में बांग्लादेश के
हालिया बर्बरता का जिक्र करते
हुए कहा, बच्चा तुम
पैदा करों और रक्षा
साधु-महत्ता करें, ये विकृत मानसिकता
की सोच है। अपना
व अपने बच्चों सहित
आने वाली पीढ़ियों की
रक्षा स्वयं करनी होगी। इसके
लिए कट्टर बनने के बजाय
अपने भीतर दृढ़ इच्छा
शक्ति जागृत करनी होगी। दृढ़
इच्छा शक्ति से ही राष्ट्र
रक्षा संभव है। प्रवचन
के अंत में बाबा
विश्वनाथ व राधारानी के
सुरमयी संगीतों के बीच राधाजन्म
भी धूमधाम से मनाया गया।
सद्गुरु रितेश्वर जी ने कहा
चिंता एक ऐसा जहर
है, जो तंदरुस्त व्यक्ति
को भी बीमार और
बेकार बना देता है।
जिसके पास स्वस्थ तन,
प्रसन्न मन और तनावमुक्त
जीवन है, वह व्यक्ति
दुनिया का सबसे सुखी
शख्स होता है। हांलाकि,
आजकल की व्यस्त दुनिया
में अधिकांश व्यक्ति बेवजह की चिंताओं से
घिरा हुआ है और
यह एक बड़ी वजह
है जिसके कारण लोगों को
कम उम्र में कई
बीमारियों को सामना करना
पड़ रहा है। चिंता
के चलते निराशा, अवसाद
या डिप्रेशन हो जाता है,
जिससे अच्छा भला इंसान भी
गंभीर रोग का शिकार
हो सकता है। ऐसे
में अगर आपको हर
वक्त चिंतामुक्त और खुशमिजाज होने
का रहस्य पता चल जाए,
तो जिंदगी बेहद आसान हो
जाएगी।
सद्गुरु रितेश्वरजी ने भगवान श्री राम को जन-जन की आस्था का केन्द्र बताते हुए कहा कि सच्चे ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने के लिए लोगों को आध्यात्म से जुड़ने की जरुरत है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य नहीं, राष्ट्र रक्षा के समान कोई व्रत नहीं, राष्ट्र रक्षा के समान कोई यज्ञ नहीं; अतः राष्ट्र रक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा हेतु शास्त्र एवं शस्त्र दोनों जरूरी है। यह हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है।
मात्र एक में महारत होने से हम राष्ट्र और धर्म की रक्षा करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि क्षमा रुपी गुण ग्रहण करने से व्यक्ति को अगले जन्म में भी सुख मिलता है। साथ ही जीवन में कभी क्रोध नहीं करने की सीख दी।
उन्होंने मोक्ष प्राप्ति के उपाय तत्व
और उनके अर्थ के
साथ ही ज्ञान का
अर्थ व मर्म को
भी समझाया। उन्होंने कहा राधा नाम
के जाप से भक्त
को शक्ति और भक्ति के
साथ ही मक्ति की
भी प्राप्ति होती ह। भगवान
राधा कृष्ण के प्रेम को
सांसारिक प्रेम से परे पवित्र,
आध्यात्मिक और दैविय प्रेम
का प्रतीक माना गया है।
इस अवसर पर एमएएलसी
वीनित सिंह, भाजपा महानगर महामंत्री जगदीश त्रिपाठी, करुणेश शर्मा, पंकज चौबे आदि
मौजूद थे।
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