केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया 13वें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन का उद्घाटन
राष्ट्रीय बीज सम्मेलन ज्ञान, साझेदारी और बीज प्रणाली को मजबूत करने व नवाचार को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण मंच है : शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि
मंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान
ने
किया
13वें
राष्ट्रीय
बीज
सम्मेलन
का
उद्घाटन
तीन दिवसीय
सम्मेलन
में
700 से
अधिक
प्रतिनिधि,
जिसमें
विशेषज्ञ,
नीति
निर्माता,
उद्योग
जगत
के
नेता,
शोधकर्ता
और
किसान
शामिल
हैं
सुरेश
गांधी
वाराणसी।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज
सिंह चौहान ने गुरुवार को
13वां राष्ट्रीय बीज सम्मेलन का
वर्चुअली उद्घाटन किया। कृषि और किसान
कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा
अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइएसएआरसी), वाराणसी में आयोजित तीन
दिवसीय सम्मेलन में 700 से अधिक प्रतिनिधि,
जिसमें विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योग
जगत के नेता, शोधकर्ता
और किसान शामिल हैं, बीज क्षेत्र
से जुड़े प्रमुख मुद्दों
और प्रगति पर चर्चा किया
जा रहा है। इस
मौके पर शिवराज सिंह
चौहान ने वैश्विक बीज
क्षेत्र में भारत की
बढ़ती भूमिका को रेखांकित करते
हुए कहा कि “राष्ट्रीय
बीज सम्मेलन ज्ञान साझा करने, साझेदारी
को बढ़ावा देने और बीज
प्रणाली को मजबूत करने
के लिए नवाचार को
बढ़ावा देने का एक
महत्वपूर्ण मंच है।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा
जैसी चुनौतियों का सामना करने
के लिए भारत की
जैव विविधता, अनुसंधान क्षमता और नवीन तकनीकों
का लाभ उठाने पर
जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह
सम्मेलन भारत की खाद्य
सुरक्षा सुनिश्चित करने, जलवायु चुनौतियों का सामना करने
और छोटे किसानों को
गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने
की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने विशेषज्ञों और प्रतिभागियों से
ऐसे रणनीतिक कदम विकसित करने
का आग्रह किया, जो बीजों को
अधिक सुलभ, किफायती और प्रभावशाली बनाएं।“
इस अवसर पर एब्स्ट्रैक्ट
कॉम्पेंडियम और चावल की
परती (फेलो) वेबपेज और एटलस का
भी शुभारंभ किया गया। चावल
की परती (फेलो) वेबपेज और एटलस एक
अग्रणी पहल है, जो
पूर्वी भारत के परती
भूमि क्षेत्रों का नक्शा बनाने
और उनका विश्लेषण करने
के लिए भू-स्थानिक
प्रौद्योगिकी का उपयोग करता
है। शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं
के सहयोग से विकसित, यह
उपकरण फसल योजना को
अनुकूलित करने, प्रणाली की तीव्रता बढ़ाने
और क्षेत्र की खाद्य सुरक्षा
में सुधार करने के लिए
व्यावहारिक समाधान प्रदान करता है।
कृषि मंत्री सूर्य
प्रताप शाही ने इस
ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी करते
हुए राज्य की कृषि उपलब्धियों
और भविष्य की योजनाओं पर
जोर दिया। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश
कृषि को आगे बढ़ाने
की समृद्ध परंपरा रखता है और
वाराणसी में इस सम्मेलन
की मेजबानी करके सम्मानित महसूस
कर रहा है। यह
कार्यक्रम हमें नवीन तकनीकों
के साथ अपने प्रयासों
को संरेखित करने और टिकाऊ
कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने
का अवसर प्रदान करता
है, जो प्रत्येक किसान
तक पहुंचे। उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश
के कृषि मंत्री सूर्य
प्रताप शाही, कृषि सचिव डॉ.
देवेश चतुर्वेदी, महानिदेशक डॉ. यवोन पिंटो,
अतिरिक्त सचिव श्रीमती शुभा
ठाकुर, डॉ. उप महानिदेशक
(अनुसंधान) अजय कोहली एवं
निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह
समेत अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य
व्यक्तियों ने भाग लिया।
यह सम्मेलन 28 से 30 नवंबर तक आयोजित है।
पहले सत्र में वैश्विक बीज क्षेत्र में भारत की भूमिका एवं अवसर और अपेक्षाएं पर चर्चा की गयी। इस सत्र में भारत के वैश्विक बीज बाजार में नेतृत्व और सार्वजनिक-निजी सहयोग के अवसरों को विस्तार से बताया गया। दूसरे सत्र में बीज क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विकासशील देशों के बीच साझेदारी और बीज प्रौद्योगिकी में नवाचार की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। तीसरे सत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से बीज क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए सरकारी और निजी संस्थाओं के सहयोग से बीज की गुणवत्ता और किसानों की पहुंच बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई।
राइस
की परती (फेलो) और प्रणाली की
तीव्रता पर भू-स्थानिक
तकनीक का उपयोग” शीर्षक
से एक महत्वपूर्ण सत्र
आयोजित किया गया, जिसकी
अध्यक्षता शुभा ठाकुर, अतिरिक्त
सचिव (फसल), ने की। यह
सत्र पूर्वी भारत में कृषि
परिवर्तन के लिए नवीन
दृष्टिकोणों पर केंद्रित था।
इसके अलावा, “उभरती बीज प्रौद्योगिकी, गुणवत्ता
आश्वासन और नियामक मानक”
पर तकनीकी सत्र में बीज
उद्योग को आकार देने
वाले नवीनतम प्रगति और नियामक ढांचे
पर चर्चा हुई। 13वें राष्ट्रीय बीज
सम्मेलन 2024 का उद्घाटन दिवस
सफल रहा, जिसमें सार्थक
सहयोग और नवाचार नीतियों
की नींव रखी गई।
सम्मेलन अगले दो दिनों
में बीज प्रणाली के
भविष्य को आकार देने
के लिए महत्वपूर्ण विषयों
का पता लगाएगा।
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