वाराणसी मंडल में कुल 28692 मीट्रिक टन डीएपी और एनपीके उपलब्ध
यूपी में खाद की कमी नहीं, 3.72 लाख टन उर्वरक उपलब्ध : शाही
सभी जनपदों
के
सेंटरों
पर
1.75 लाख
मीट्रिक
टन
डीएपी
और
1.97 लाख
मीट्रिक
टन
एनपीके
उपलब्ध
है
इजराइल युद्ध
के
कारण
खाद
समय
से
पहुंचने
में
थोड़ी
दिक्कत
जरुर
हो
रही
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के किसी भी जनपद में खाद की कमी नहीं है। जहां कहीं भी धांधली की शिकायत मिलेगी, अभियान चलाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। साथ ही आवश्यक मात्रा में सेंटरों पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है। खाद केंद्रों पर ताबड़तोड़ आकस्मिक जांच और निरीक्षण का काम जारी है। यह बातें कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सोमवार को सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहीं। उन्होंने कहा कि यूपी में 3.72 लाख टन से अधिक डीएपी और एनपीके उर्वरक की उपलब्धता है, जिसमें 1.75 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 1.97 लाख मीट्रिक टन एनपीके शामिल है। खासकर वाराणसी मंडल में कुल 28692 मीट्रिक टन डीएपी और एनपीके उपलब्ध है, जिसमें 18331 मीट्रिक टन डीएपी व 10361 मीट्रिक टन एनपीके उपलब्ध है। यह उपलब्धता कुल लक्ष्य के सापेक्ष 57.09 प्रतिशत है। हालांकि उन्होंने माना कि यूक्रेन-इजरायल युद्ध के कारण खाद समय से पहुंचने में थोड़ी दिक्कत जरुर हुई है, बावजूद प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार किसानों को खाद उपलब्ध करा रही है।
शाही ने दावे के साथ कहा कि किसानों के लिए ना ही खाद कमी है और ना ही कमी होने दी जाएगी. माहवार लक्ष्य के सापेक्ष से अधिक सेंटरों पर खाद उपलब्ध है। इसके अलावा भारत सरकार की ओर से 42 रैक उर्वरक अगले 3 दिनों के अंदर यूपी को मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों को हिदायत दी गयी है कि किसी भी हाल में किसानों को उर्वरक कम न होने पाएं। स्वयं मुख्यमंत्री ने भी अधिकारियों को निजी कंपनियों से खरीदे गए उर्वरकों को सहकारी समितियों और अन्य सरकारी चैनलों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है. साथ ही फसल उत्पादन प्रक्रिया में किसी भी व्यवधान को रोकने के लिए उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराने को कहा है. उन्होंने कहा कि खाद बिक्री प्रक्रिया की निगरानी के लिए डेडीकेटेड मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया गया है. इसके लिए अधिकारियों से नियमित रिपोर्ट भी मांगा गया है। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर से 17 नवंबर के बीच कुल 117 रैक फास्फेट उर्वरकों की केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार को मिलनी हैं. इनमें से अब तक 75 रैक उर्वरक मिल गई है, जिसमें 2.39 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 83 हजार मीट्रिक टन एनपीके की सप्लाई आई है. जबकि 42 रैक उर्वरक रास्ते में है, जो 2 से 3 दिन के भीतर पहुंचने की संभावना है.
कृषि मंत्री सूर्य
प्रताप शाही ने कहा
है कि प्रदेश के
सभी जिलों में उर्वरक की
पर्याप्त उपलब्धता है। उन्होंने किसानों
से अफवाहों पर ध्यान न
देने और संतुलित मात्रा
में ही उर्वरक का
प्रयोग करने की अपील
की है। साथ ही
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया
है कि बोरे पर
लिखे दाम से अधिक
रुपये किसानों से न लिए
जाएं। शाही ने किसानों
से अपील करते हुए
कहा कि वे खाद
खरीदते समय आधार कार्ड
अवश्य साथ रखें और
विक्रेता से कैश मेमो
प्राप्त करें. यदि कोई विक्रेता
निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत
मांगता है या किसी
अन्य उत्पाद खरीदने का दबाव डालता
है, तो शिकायत जिला
कृषि अधिकारी के नंबरों पर
की जा सकती है.
उन्होंने बताया कि जिले में
यूरिया, डीएपी, एनपीके और एसएसपी उर्वरकों
की आवश्यक मात्रा उपलब्ध कराई गई है,
और जल्द ही फास्फेटिक
उर्वरकों की अतिरिक्त खेप
भी पहुंचने वाली है.
संतुलित मात्रा में उर्वरक का करें उपयोग
कृषि मंत्री शाही
ने प्रधानमंत्री प्रणाम योजना के तहत किसानों
से संतुलित और जिम्मेदार उर्वरक
उपयोग का आग्रह किया.
उन्होंने बताया कि यूरिया और
डीएपी का सीमित उपयोग
करने के साथ अन्य
आवश्यक पोषक तत्वों की
पूर्ति के लिए वैकल्पिक
उर्वरकों का उपयोग करना
जरूरी है ताकि मृदा
और पर्यावरण की गुणवत्ता को
बनाए रखा जा सके.
इस अवसर पर भाजपा
जिला मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, कृषि डीडी अखिलेश
सिंह व कृषि अधिकारी
संगम सिंह, शैलेन्द्र सिंह मुन्ना व
सहित कई संबंधित अधिकारी
मौजूद रहे।
किसानों के साथ योगी सरकार
उन्होंने कहा कि शिकायतें
साक्ष्यों के साथ जिला
कृषि अधिकारी कार्यालय या सहायक आयुक्त
सहकारिता कार्यालय में भी किसी
कार्य दिवस में दर्ज
कराई जा सकती हैं.
उन्होंने किसानों से अपील करते
हुए कहा कि योगी
सरकार किसानों के साथ है।
किसी भी अफवाहों पर
ध्यान न दें. उन्होंने
कहा कि उत्तर प्रदेश
में हर साल 50 लाख
क्विंटल बीज की आवश्यकता
होती है। 30 लाख क्विटल बीज
प्रदेश में ही उत्पादित
होता है। शेष 20 लाख
क्विंटल बाहर से मंगाते
हैं। हाइब्रिड बीज उत्पादन सूबे
में हो ही नहीं
सकता, उसके लिए दूसरे
राज्यों पर निर्भरता मजबूरी
है।
No comments:
Post a Comment