जनसेवा का अर्थ केवल दान नहीं, संपूर्ण जीवन का समर्पण है : श्री सर्वेश्वरी समूह
हजारों रोगियों
को
निःशुल्क
इलाज,
वृक्षारोपण,
गौसेवा
और
शिक्षण
सामग्री
वितरण
कर
रचा
सेवा
का
नया
कीर्तिमान
सेवा ही
जीवन
है
: समूह की बहुआयामी समाजसेवा
का
परिचय
: डॉ. एसपी
सिंह
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्री सर्वेश्वरी समूह,
जो कि एक वैश्विक
सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्था
के रूप में अपनी
विशिष्ट पहचान रखता है, ने
समाजसेवा के क्षेत्र में
एक बार फिर अनुकरणीय
उदाहरण प्रस्तुत किया है। संस्था
के मंत्री डॉ. एसपी सिंह
ने पत्रकारों से बातचीत में
बताया कि इस वर्ष
संस्था द्वारा 93 हजार 082 से अधिक रोगियों
का विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा परीक्षण कर उन्हें आयुर्वेदिक,
फकीरी एवं समवर्ती चिकित्सा
पद्धतियों से औषधि प्रदान
की गई। संस्था द्वारा
महा पुष्ट रोगियों, दुर्गम वनवासी क्षेत्रों में चिकित्सा शिविरों
के माध्यम से सेवा की
गई। इतना ही नहीं,
मिर्गी जैसे जटिल रोग
के उपचार में भी आश्चर्यजनक
सफलता मिली है। अवधूत
भगवान राम कुष्ठ सेवा
आश्रम की चिकित्सा सेवा
को गिनीज बुक और लिम्का
बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में
दर्ज कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति
भी प्राप्त है।
पर्यावरण रक्षा का संकल्प
वर्तमान पर्यावरण संकट के प्रति
गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए श्री
सर्वेश्वरी समूह ने 15,000 से
अधिक पौधे रोपण का
संकल्प लिया है। हिमालयी
क्षेत्र से लाए गए
दुर्लभ प्रजातियों के बाल वृक्ष
सोगरा आश्रम (ब्रह्मनिष्ठाला) में लगाए गए
हैं ताकि जैव विविधता,
जलधारण क्षमता और मिट्टी की
गुणवत्ता में वृद्धि हो
सके।
गौसेवा और स्वदेशी जीवनशैली का समावेश
संस्था गौसेवा को भारतीय संस्कृति
का प्रमुख अंग मानते हुए
समर्पण भाव से इस
दिशा में काम कर
रही है। आधुनिक जीवनशैली
में आ रहे विकार
और मिलावटयुक्त खानपान से उत्पन्न बीमारियों
से जनमानस को बचाने के
लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया
है।
हर मौसम में सेवा, हर पर्व पर सहभागिता
ठंड के मौसम
में हजारों जरूरतमंदों को कंबल, रजाई,
सेटर, टोपी, स्कार्फ व मफलर वितरित
किए गए। वहीं गर्मी
में पाठशालाओं, कथा स्थलों और
सार्वजनिक स्थानों पर शरबत पिलाकर
राहत दी गई। कुंभ
मेला, अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा, रांची
की जगन्नाथ रथ यात्रा से
लेकर भाटापारा (छत्तीसगढ़) की शोभायात्रा तक
– हर स्थान पर संस्था की
सेवा उपस्थिति रही।
शिक्षा और संस्कृति का संरक्षण
वनवासी क्षेत्रों के विद्यालयों में
लेखन सामग्री, खेलकूद सामग्री, पाठ्य पुस्तकें और वर्दी वितरित
की गई। साथ ही,
राष्ट्रीय विषयों पर लेख प्रतियोगिताएं
आयोजित कर बच्चों को
मेडल प्रदान किए गए। अनेकों
गरीब बच्चों को भोजन, वस्त्र,
आवास व शिक्षा की
भी व्यवस्था संस्था द्वारा की गई है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभाग
द्वारा अघोर परंपरा के
चार महान संतों – बाबा
कीनाराम, भगवान राम, बाबा गुरुपद
संभव राम और बाबा
राजेश्वर राम के नाम
पर स्वर्ण पदक की शुरुआत
की गई है, जो
संस्था की विचारधारा के
अकादमिक विस्तार का प्रतीक है।
सर्व धर्म समभाव और स्वच्छता अभियान
धार्मिक समरसता के भाव से
प्रेरित होकर संस्था ने
मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों और गुरुद्वारों में
झाड़ू एवं पूजन सामग्री
भेंट कर स्वच्छता और
श्रद्धा का समन्वय प्रस्तुत
किया। इस अवसर पर
संस्था के उपाध्यक्ष डॉ.
बृज भूषण सिंह, वैद्य
बैकुंठनाथ पांडे, डॉ. बामदेव पांडे
और वरिष्ठ पत्रकार श्री दिलीप सिंह
भी उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment